Thursday, August 15, 2019

बेटे की सीख

तिरंगा

 


        रवि और उसका बेटा गुड्डू आज 15 अगस्त की छुट्टी के दिन अपनी कार में बैठकर एंजॉय करते  हुए बाहर घूम रहे थे और गुड्डू जगह जगह रुककर पूरे शहर का मजा ले रहा था।

 

        एक चौराहे पर अचानक एक छोटा सा बच्चा हमारा तिरंगा झंडा बेचता हुआ दिखाई दिया।भारत के तिरंगे को देखकर गुड्डू के मन में तिरंगे को खरीदने की इच्छा हुई।

 

        उसने अपने पापा से कहा,पापा वो छोटा सा तिरंगा लेलो।गाड़ी के डेस्क बोर्ड पर लगाएंगे।रवि तुरंत तैयार हो गया और तिरंगा उसने कार के डेस्क बोर्ड पर लगा दिया।

 

        गुड्डू बहुत खुश हुआ।15 अगस्त के 4 दिन बाद रवि अपने बेटे और पत्नी के साथ शाम के समय कहीं जा रहा था।कि अचानक कुछ ऐसी घटना हुई जिससे गुड्डू बहुत दुखी हुआ।

 

        गुड्डू के पिताजी को शराब पीने की आदत थी और उन्हें कुछ ऐसी आदत थी कि अगर वो कहीं जाते थे तो कार में ही पीना शुरू कर देते थे।आज भी कुछ ऐसा ही हुआ।

 

        रवि कार से जा रहे थे कि अचानक एक शराब की दुकान पर जाकर शराब की बोतल और बराबर से ही नमकीन का पैकेट और सिगरेट ले आए।गुड्डू के पिता के शराब पीने की आदत की वजह से उनकी पत्नी भी कुछ नही कहती थी।

 

          12 साल का गुड्डू भी कुछ नहीं कह पाता था।अचानक गुड्डू के पिता ने अपने लिए चलती गाड़ी में ही शराब का गिलास भर कर उसे पीना शुरू कर दिया नमकीन के पैकेट और सिगरेट को डेस्क बोर्ड पर तिरंगे के बराबर में रख दिया।

 

        गुड्डू अपनी परेशानी अपने पिता से छुपा ना सका और उसने अपने पिता से कहाँ,पापा वहां डेस्क बोर्ड से तिरंगा हटा दो इस तरीके से आपका गाड़ी में बैठकर शराब पीना मुझे तिरंगे का अपमान लग रहा है।

 

         बेटे की ये बात सुनकर रवि शर्मिंदा हो गया और  उन्होंने तुरंत अपना सारा शराब पीने का सामान उठाकर कार के बाहर फैक दिया।

 

        ऐसा नही है कि केवल बड़े लोग ही हमेशा अपने बच्चो को समझाते रहे और अपनी बातों को बच्चो को मानने के लिए कहते रहे।यदि कोई बात छोटे बच्चो को गलत लगे तो उन्हें भी अपने बड़ो को उसे करने से रोकना चाहिए।

 

 

 

नीरज त्यागी

ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).

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