Tuesday, December 10, 2019

गरीब (कविता)


कुछ करना चाहता हूँ,

पर कुछ कर नही पाता हूँ ।

आगे बढ़ना चाहता हूँ, 

पर आगे बढ़ नही पाता हूँ ।

कोई मदद करना चाहे,

तो मदद ले नही पाता हूँ ।

किसी से मदद मांगना चाहता हूँ, 

पर शरमा जाता हूँ ।

अच्छे जगहों पर घूमना चाहता हूँ,

पर जेब खाली पाता हूँ ।

बड़े लोगो को देखता हूँ,

तो अपने नसीब को कोषता हूँ ।

अच्छा-अच्छा भोजन चाहता हूँ, 

पर कभी-कभी भूखे पेट ही सो जाता हूँ ।

बड़े-बड़े अमीरों को देखकर, 

मैं भी अमीर कहलाना चाहता हूँ ।

पर अपने आर्थिक परेशानियों के कारण, 

मैं सिर्फ गरीब कहलाता हूँ ।


 

सौरभ कुमार ठाकुर (बालकवि एवं लेखक)

मुजफ्फरपुर, बिहार

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