Wednesday, January 29, 2020

बसंत ऋतु का आगमन

 

बसंत ऋतु का हुआ आगमन,

पतझड़ का अब हुआ गमन।

चहुँओर दिख रही हरियाली,

तन मन ख़ूब हो रहा प्रसन्न।।

 

खेतों में  बसंती पीले रंग के,

सरसों के ढेरों हैं फूल  खिलें।

प्रकृति हरा घाघरा चुनरी ओढ़े,

आम के  पेड़ पर बौर  लगे।।

 

दुल्हन  बन के सजी प्रकृति,

सुंदर फूलों का कर  श्रृंगार।

अनुपम सौंदर्य से मंत्र मुग्ध,

मंद  मंद  बह रही  बयार।।

 

पतझड़ अब खत्म हो गए,

नव  पल्लव से हैं वृक्ष लदे।

प्रकृति को मिला नवजीवन,

सपनों से लगते आँख मुदें।।

 

बोल रही कोयल  डालों पर,

पंछियों का हो रहा कलरव।

मन में उमड़ी ख़ुशियाँ अपार,

लगता है जैसे कोई उत्सव।।

 

धरती सजी है  दुल्हन  जैसे,

पायल की  रुनझुन झंकार।

प्रकृति की है  छंटा निराली,

अविरल सुंदर सा उपहार।।

 

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