Wednesday, April 29, 2020

 अन्तराष्ट्रीय मजदूर दिवस ,1 मई

-डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित

  जो हाड़ तौड़ मेहनत कर देश के विकास में हाथ बंटाते है। चिलचिलाती धूप में रेलवे की पटरियों पर गिट्टी की तगारी सिर पर रख दिन भर मेहनत करते हैं। जो खेतों में डेरा तम्बू डालकर रहते हैं। वे मजदूर है जो सड़कों के किनारे फुटपाथों पर सोते है जिनके घर नहीं। जो यायावर है घुमक्कड़ है। आज यहाँ कल कहाँ पता नहीं। जहाँ काम मिल जाये इनका झुंड चल पड़ता है। ऐसे श्रमवीरों के लिए मजदूर दिवस प्रतिवर्ष 1 मई को मनाते है। बड़े बड़े दानदाता अपना जन्मदिन इनकी बस्तियों में जाकर मनाते हैं। सेल्फी लेते हैं।

  किसी ने लिखा कि जिनकी वजह से रहते है ऐशो आराम से पैसे वाले नियत सच्ची होती है उनकी और हाथों में होते हैं छाले।

पड़ोस के भूखे को भी अपने हिस्से की रोटी खिला देता है वो मजबूर ही होता है जो नेकी कर भुला देता है।

 महात्मा गांधी जी ने कहा था किसी देश की उन्नति देश के कामगारों और किसानों पर ही निर्भर करती है। मजदूरों का राज प्रबन्ध में बड़ा योगदान है। मालिक उद्योगपति स्वयं को ट्रस्टी समझें।। मजदूरों से विवाद न करें उन्हें संतुष्ट करें। सुखदायी पारिवारिक सम्बन्ध रखें। 

  मजदूर दिवस 1 मई 1886 से मनाया जा रहा है। इसके पीछे भी एक कहानी है दोस्तो उस समय अमेरिका में मजदूरों से आठ घन्टे से ज्यादा काम करवाया जाता था। 1 मई के दिन अमेरिका की मजदूर यूनियनों ने हड़ताल की और मजदूरों के लिए 8 घण्टे तय करने की मांग रखी। भारी संख्या में मजदूर एकत्रित हुए तो पुलिस की और से गोलीबारी की गई जिसमें 7 मजदूर मार दिए गए। शिकांगों में बम धमाका हुआ। इन घटनाओं का असर ये हुआ कि उस दिन से अमेरिका में मज़दूरो की मांग मान ली और 8 घण्टे तय कर दिये। इसी खुशी में मजदूर दिवस मनाया जाता है तभी से।

  महलों में रहने वालों को नींद तक नहीं आती थका हारा मजदूर चैन से फुटपाथ पर सोकर रात गुजार लेता है।

   हमारे देश मे 1 मई मजदूर दिवस को मद्रास दिवस के रूप में सबसे पहले मनाया गया। बाद में मजदूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिकलावेलु ने मजदूर दिवस के नाम से शुरुआत की। इन्होंने हाई कोर्ट के सामने प्रदर्शन किया। इन्होंने मांग की 1मई को भारत मे मजदूर दिवस मनाया जावे।इस पर सहमति बन गई। इस दिन छुट्टी रखी गई। लगभग 80 देशों में 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है। क्योंकि ये दिन अन्तराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में घोषित हो चुका है।

  गुरु नानक जी ने  किसानों मजदूरों कामगारों के लिए आवाज बुलंद की थी। उस समय के लुटेरे हकीमो को सबक सिखाया। उनका अहंकार तोड़ा। सिख समुदाय 1 मई को भाई लालो दिवस मनाते हैं। किसी भी समाज देश संस्था और उधोग में मजदूरों कामगारों मेहनतकशों का मुख्य रोल होता है। उनकी बड़ी संख्या इसकी कामयाबी के लिए हाथों अक्ल इल्म और तनदेही के साथ जुटी होती है।किसी भी उधोग में सफलता के लिए मालिक सरमाया कामगार और सरकार ये अहम धड़े माने जाते हैं। मजदूरों के बिना कोई भी ओधोगिक ढाँचा खड़ा नहीं कर सकते। अतः विन्रमता से मजदूरों से पेश आना चाहिए।

   चीथड़ों में लिपटे कृशकाय ये मजदूर मिलो भूखे प्यासे सड़कों पर पैदल मिलों चल लेते हैं। रोजगार की तलाश में भटकते रहते हैं। आओ इनकी समस्याएं सुने इनके बच्चों को पढ़ाएं मिलकर इन्हें आगे बढ़ाएं।

   -डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित

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