Thursday, April 30, 2020

शहर से गांव लौटे परिवार खून नहीं मिला रोजगार 2 जून की रोटी के लिए हुआ मोहताज। हॉट







पिनहट। एक परिवार रोजगार की तलाश के लिए गांव से शहर की तरफ पलायन कर गया था। पूर्णा महामारी फैलने के बाद व परिवार। पास अपने गांव आ गया। अब गांव में उस परिवार के पास किसी भी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है। परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है। और 2 जून की रोटी के लिए मोहताज हो गया है। गरीब परिवार का मुखिया दूसरों के खेतों में मजदूरी कर अपने बच्चों का भरण पोषण कर रहा है। जानकारी के अनुसार थाना खेड़ा राठौर क्षेत्र के गांव महिला निवासी 38 वर्षीय। वीरेंद्र सिंह। 2017 में करीब 3 वर्ष पूर्व अपने परिवार के साथ गांव से पलायन कर गए थे। फोन करने के बाद रोजगार की तलाश में नोएडा पहुंच गए। नोएडा में तीन महा भटकने के बाद। जब कोई रोजगार नहीं मिला तो उन्होंने अपना स्वयं का धंधा खोल लिया। गांव गांव गली, गली सड़क अगरबत्ती की सेल मेनी का कार्य करने लगे। साइकिल से अगरबत्ती की सेल में नहीं कर रोजाना। ₹1000 की आमदनी कर लेते थे और अपने परिवार का अच्छे तरीके से भरण-पोषण कर लेते थे। लेकिन पिछले एक माह से। गुरु ना जैसी महामारी ने पूरे विश्व में जिस प्रकार से दस्तक दी है उसी से। लगभग गांव से शहरों की तरफ रोजगार की तलाश में गए। अब शहर से गांव की तरफ पलायन कर चुकी हैं। ऐसा ही ग्रामीण वीरेंद्र सिंह ने भी किया। लॉन्ग गाउन लगने पर 24 मार्च को अपने परिवार के साथ अपने गांव महिला आ गए। गांव में आने के बाद। इस परिवार को कोई रोजगार नहीं मिला। इस परिवार की मुखिया वीरेंद्र के पास खेती भी नहीं है। इसके चलते। वीरेंद्र अपने परिवार के भरण पोषण करने में सक्षम नहीं रहा। दूसरों के खेतों में मजदूरी कर सो ₹200 मिलने वालों से अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा है। स्त्री गुजारा नहीं होता है तो परिवार का मुखिया साइकिल की पंचर जोड़कर। आने वाले 10 ₹20 की अपने परिवार के लिए सब्जी खरीद रहा है। परिवार की दयनीय स्थिति इतनी खराब है कि। वह सही तरीके से 2 जून की रोटी भी नसीब नहीं कर पा रहा है। वीरेंद्र के परिवार में। इंद्र की पत्नी उर्मिला देवी। अमन पंकज गौरव और अंशु भी हैं। पूरे परिवार की जिम्मेदारी परिवार के मुखिया वीरेंद्र के कंधों पर है। वीरेंद्र। इतने बड़े परिवार का खर्चा उठाने में संभव नहीं है।



 

 



 



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