Monday, May 25, 2020

कलयुग की कारामात



कहते गंगा मैली हो गई

उसी में धोते पाप है

अपनों पर जो छूरी चलाते

प्रभु का करते जाप है

कभी जो नेकी कर के देखो

बदी मिले सौगात है

देखो भैया कैसे करता

कलयुग अब कारामात है

बने मसीहा मजदूरों के

नही जो पकड़े कभी हथौड़ा

उन को मिलता सूखी रोटी

खुद को खाएं तला पकौड़ा

भिखमंगो के नेताजी पर

नोटों की बरसात है

देखो भैया कैसे करता

कलयुग अब कारामात है

बात जो करता धर्म न्याय की

अता पता नही रहता उसका

कीमत थोड़ी कम ज्यादा है

बिकता है ईमान सभी का

हम जो प्रश्न उठाए इन पे

अपनी क्या औकात है

देखो भैया कैसे करता

कलयुग अब कारामात है

मधुकर वनमाली



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