किसी मनोवैज्ञानिक वस्तु-व्यक्ति, व्यक्तियों का समूह, संस्थाएं, सामाजिक परिवेश आदि के विषय में किसी व्यक्ति की अभिप्रेरणात्मक तथा संवेगात्मक प्रतिक्रिया को अभिव्यक्ति कहते हैं। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि किसी व्यक्ति, वस्तु विचार या घटना के प्रति दृढ़ विश्वास अथवा भावनायें अभिवृत्ति कहलाती हैं। हम जीवन पर्यन्त अभिवृत्तियों का निर्माण करते हैं। अभिवृत्तियों के महत्व के विषय में कहा गया है कि ये व्यक्ति के जीवन को दिशा प्रदान करती है और उसे सफलता के शिखर पर ले सकती है। परिवेश के अन्तर्गत घर, परिवार, पास-पड़ोस, विद्यालय आदि आते हैं। घर पर प्रातःकाल समय से उठने, वेशभूषा में स्वच्छाता, समय -पालन, बड़ों की आज्ञा का पालन, बड़ों के आदर्श व्यवहार से बच्चों में इन गुणों के प्रति अभिवृत्तियों का सकारात्मक निर्माण होता है। विद्यालय में प्रार्थना सभा में प्रधानाचार्य अथवा शिक्षकों का भाषण, पाठ में मूल्यों का अध्ययन, दीवारों पर आदर्श वाक्यों और आदर्श व्यक्तियों के चित्रों का प्रदर्शन, कला, कविता, पौराणिक कथानकों, महापुरुषों पर व्याख्यान आदि से विद्यार्थियों में इन सबके प्रति सकारात्मक अभिवृत्त
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