Thursday, October 1, 2020

 रीढ़ आज बेटी का ही नहीं टूटा है बल्कि देश के सभी मानव का रीढ़ टूटा है 

हम सभी ने 3 दिन पहले ही डॉटर्स डे बड़ा ही धूमधाम से मनाया, देश की बेटियों के लिए बड़ी-बड़ी बातें कही गई, तस्वीर साझा की गई बेटियों के सुनहरे भविष्य की कामना की गई, लेकिन क्या दोस्त हम एक समाज के तौर पर देश की बेटियों को आज हम यह आश्वासन दे सकते हैं कि बस अब बहुत हो गया अब ऐसा हमारे समाज में नहीं होगा, क्या हमारा शासन प्रशासन व कानून व्यवस्था यह आश्वासन भी दे सकता है कि अब ऐसा अन्याय हमारी बेटियों पर नहीं होगा? दोस्तों याद रखना संस्कार ही ऐसे घिनौनी मानसिकता से हमारे समाज मे होने वाले अपराधों से बचा सकता है।

उत्तर प्रदेश के हाथरस में दो हफ्ते पहले गैंगरेप का शिकार हुई बेटी की  29 सितंबर को मौत हो गई ये 19 साल की बेटी दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती थी  परिवार के मुताबिक पुलिस ने मदद नहीं किया बल्कि जब जरूरत थी इस बेटी को इलाज की तब पुलिस ने थाने में रखा हुआ था । जानकारी के मुताबिक 14 सितंबर को जब पीड़िता की हालत बिगड़ने लगी तब रिश्तेदार उसे पास के एक अस्पताल में लेकर गए. पुलिस ने शुरुआत में सिर्फ गला दबाने और एससी/एसटी एक्ट के तहत ही मामला दर्ज किया था. आपको बता दें कि गैंगरेप की धारा लगाने में ही पुलिस को पूरे 8 दिन लग गए। 22 सितंबर को लड़की का बयान दर्ज होने के बाद ही पुलिस ने गैंगरेप की धारा लगाई। 27 सितंबर को तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगा तब लड़की को अलीगढ़ से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लाया गया जहां उसकी मौत हो गई।

दोस्त प्रशासन या सरकार में बैठे बुद्धिमान लोग चाहे जो भी दलील दे लेकिन आज यह सच है कि 2 हफ्ते से अस्पताल दर अस्पताल अपनी जिंदगी की जंग लड़ रही इस बहन की जान नहीं बचाई जा सकी, निर्भया गैंग रेप के वक्त हम सभी ने सड़कों पर उतरे पटना से दिल्ली आए संसद भवन का घेराव किया हम सभी ने आज   यह सब किए हुए आज 8 वर्ष से भी ज्यादा हो गया ध्यान से देखें तो इन 8 वर्षों में भी कुछ नहीं बदला, जो दर्द निर्भया के पिता का था वही दर्द आज हाथरस की इस बहन के पिता का है।

आपको भी याद होगा निर्भया घटना दिसंबर 2012 में जब हुआ था उस वक्त पूरा देश एक साथ सड़क पर उतर आया था ऐसा लग रहा था कि हमारा भारत जाग गया है और अब भारत में एक भी नारी रेप या हिंसा की शिकार नहीं होगी।

दोस्त दिसंबर 2012  हमें याद है उस वक्त मैं खुद स्कूल का छात्र था पटना से आवाज उठाते उठाते हम सभी ने दिल्ली तक आए थे उस समय यह भी देखा मैं की बॉलीवुड के लोगों ने भी इन विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा बने थे। आज फिर हमें उसी तरह से मजबूती के साथ आवाज उठाने की जरूरत है, ताकि बहन को न्याय मिले और ऐसी घटनाएं हमारे सभ्य समाज में आगे से नहीं हो।

अगर दोस्त हम नेशनल क्राईम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़े देखें तो 2012 में प्रतिदिन रेप की 68 घटनाएं हुई, जिसकी संख्या दोस्त 2013 में बढ़कर 92 हो गई, 2014 में 100 रेप के मामले प्रतिदिन दर्ज हुए, वहीं वर्ष 2016 के आंकड़े देखें तो 106 रेप केस दर्ज हुए हैं। यह मैंने यहां एनसीआरबी के वो आंकड़े बताएं जिसको रिकॉर्ड किया गया है लेकिन आपको बता दें कि अधिकतर मामले तो नजदीकी थाने तक भी नहीं पहुंच पाते हैं अगर पहुंच भी जाए तो रिपोर्ट लिखी ही नहीं जाती है जैसा कि इस हाथरस के बेटी के रिपोर्ट लिखने में ही उत्तर प्रदेश के पुलिस को पूरे 8 दिन लग गया , अब आप समझ सकते हैं कि आखिर हमारे समाज में न्याय के लिए लोगों को कितना संघर्ष करना पड़ता है। दोस्तों एक नारी ही हमें अपने कोख में 9 माह रखकर इस धरती पर लाती है, कोई भी नारी हो किसी न किसी का वह मां होती है चाहे उनसे हमारा कोई भी रिश्ता हो यह हम सभी जानते हैं कि एक नारी ही कभी मां, कभी दोस्त, पत्नी, दादी मां, नानी ना जाने कितनी रिश्तो में हमें अपनाकर हम सभी को प्यार देती है जीवन में आगे बढ़ने के लिए सिचती है, आप ही सोचो दोस्त फिर आज ऐसी घटनाएं एक मां के साथ क्यों हो रही है? जबकि हर एक नारी किसी ना किसी की मां है आप सभी से विनम्र निवेदन है कि चाहे आपका एक नारी से कोई भी रिश्ता हो लेकिन आप उनको जननी मां ही समझना, आज बहुत जरूरत है हमें अपने बच्चों में यह संस्कार डालना कि हर एक नारी मां का ही रूप है , वही हम सभी को 9 माह अपनी कोख में रखकर इस धरती पर लाती है, याद रखना नारी का सम्मान जहां है संस्कृति का वहां उत्थान है। हर एक नारी में मां का ही स्वरूप है।

 

कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया-चिंतक /पत्रकार/ आईएएस मेंटर/दिल्ली विश्वविद्यालय 9069821319

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