Thursday, December 31, 2020

था कठिन समय,वह बीत गया

जो आई एक महामारी थी

माना वह विपदा भारी थी
कुछ रोग दिया, कुछ शोक दिया
जीवन ऐसे हीं चलता है
भला कौन अमर बन रहता है?
जो प्रिय तुम्हारे छूट गए
जीवन से अपने रुठ गए
अब याद उन्हें कर रोना क्या
स्मृति भंवर में खोना क्या?
था कठिन समय,वह बीत गया!

जीवन था बंधन में बँधकर
घर में तुम अपने,थे घिरकर
कुछ समय मिला, कुछ ध्यान किया
कुछ वक्त कहां मिल पाता था
राही बस चलते जाता था
वो चेहरे तो मुर्झाने थे
जो अपनों में अनजाने थे
अब अपनों से पहचान बढ़ी
देखो शीतल यह हवा चली
थोड़ा सा कुछ तो जीत लिया
था समय कठिन, वह बीत गया!

मधु का प्याला था पास तेरे
सूखे रह गए पर अधर तेरे
थे साधन , क्या उपयोग किया?
जो पास तुम्हारे संचित है
कितने उस से हीं वंचित है
अब थोड़ा सा संतोष करो
जो साधन हैं, उपयोग करो
प्याले में थोड़ी हाला भर
मधु घट को थोड़ा खाली कर
साकी ने तुझको याद किया
था समय कठिन,वह बीत गया!

मिट्टी का तन, सोने का मन
यह नश्वर सा अपना जीवन
क्या तुमने जी भर इसे जिया?
अब मस्ती की इस धारा को
जीवन की नदी में बहने दो
कुछ तुम को अपना कहना है
औरों को भी कुछ कहने दो
संवाद नया,मनुहार नया
यह नया साल, उपहार नया
था कठिन समय, वह बीत गया!

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