Sunday, December 6, 2020

उत्तर प्रदेश नोएडा फिल्म सिटी : सफल होने की प्रतिस्पर्धा में 

 अभी विगत माह ही उत्तर प्रदेश का अयोध्या, अपने यहां भव्य राम मंदिर निर्माण को लेकर विश्व भर में सुर्खियां, लोकप्रियता बटोर रहा था. जबकि अब यकायक फिर से उत्तर प्रदेश अपने एक और भव्य निर्माण कार्य के लिए इतना चर्चित हो गया है कि उसकी गूंज देशभर में ही नहीं, दुनिया के कई हिस्सों तक पहुंच गई है। 

गौरवान्वित होने की बात यह है कि उत्तर प्रदेश के नोएडा में फिल्म सिटी बनने से रोज़गार के लाखों अवसर मिलने के साथ नई प्रतिभाओं को मौके भी मिल सकेंगे. हालांकि ये सब बातें देखने सुनने में जितनी अच्छी लगती हैं, हक़ीक़त में इतनी आसान नहीं। 

 

यूं किसी काम को करने का संकल्प लेकर उसे शिद्दत से करने के लिए ठान लिया जाये तो मुश्किल तो कुछ नहीं, फिर भी आज सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या योगी का यह सपना पूरा हो सकेगा और पूरा होगा तो उसमें कितने बरस लगेंगे? साथ ही यह भी कि हॉलीवुड की तर्ज पर बॉम्बे फिल्म उद्योग को जैसे बॉलीवुड कहा जाता है. ऐसे ही आने वाले कल में नोएडा की फिल्म सिटी को 'नॉलीवुड' कहा जा सकता है. फिर हमारे यहां बॉलीवुड के साथ क्षेत्रीय सिनेमा में कॉलीवुड और टॉलीवुड भी बन चुके हैं। 

 

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने उस मुम्बई को आइना दिखा दिया है जो ‘बॉलीवुड' के चलते इतराया करता है। बॉलीवुड की पहचान हिन्दी फिल्मों से जुड़ी है। बॉलीवुड में करीब 80 प्रतिशत कलाकार, लेखक, निर्देशक, गीतकार, संगीतकार, टेक्नीशियन और अन्य स्टाफ उत्तर भारत से आकर अपनी किस्मत अजमाता है। जहां की मात्र भाषा हिन्दी है। अक्सर कहा जाता है कि मुम्बई लोगों की किस्मत संवारती है। देश भर से हर दिन लाखों लोग अपने हसीन सपने पूरे करने मुम्बई आते हैं। बॉलीवुड का नाम अंग्रेजी सिनेमा उद्योग हॉलिवुड के तर्ज पर रखा गया है। हिन्दी फिल्म उद्योग बॉलीवुड में बनीं हिन्दी फिल्में हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और दुनिया के कई देशों के लोगों के दिलों की धड़कन हैं।

 

बॉलीवुड में करीब 20 भाषाओं में फिल्में बनती हैं, लेकिन इसमें 80 फीसदी हिस्सा हिन्दी फिल्मों का है। हिन्दी फिल्मों में उर्दू, अवधी, बम्बइया हिन्दी, भोजपुरी, राजस्थानी जैसी बोलियाँ भी संवाद और गानों में देखने को मिल जाती हैं। बॉलीवुड की फिल्मों में प्यार, देशभक्ति, परिवार, अपराध, भय, इत्यादि मुख्य विषय होते हैं। बॉलीवुड भारत में सबसे बड़ी फिल्मी नगरी है। यहां का देश के शुद्ध बॉक्स ऑफिस राजस्व में से 43 प्रतिशत का योगदान रहता है, जबकि तमिल और तेलुगू सिनेमा 36 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं। बाकी के क्षेत्रीय सिनेमा का योगदान मात्रं 21 प्रतिशत है। बॉलीवुड दुनिया में फिल्म निर्माण के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है। बॉलीवुड कार्यरत लोगों और निर्मित फिल्मों की संख्या के मामले में दुनिया में सबसे बड़े फिल्म उद्योगों में से एक है।

 

बॉलीवुड की फिल्मों की आत्मा हिन्दी है तो इस फिल्म इंडस्ट्री को दुनिया की नंबर दो हैसियत दिलाने में हिन्दी भाषी लोगों का विशेष योगदान है, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि बॉलीवुड भले हिन्दी भाषियों के कंधे पर खड़ा हो, परंतु उत्तर भारत से आने वाले कलाकारों को मुम्बई कभी वह सम्मान देने को तैयार नहीं हुआ जिसके वह हकदार हैं। खैर, अच्छी बात यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संकल्प के साथ सिर्फ यूपी के कलाकार ही नहीं, सिने जगत के दिग्गज भी जुड़े हैं। फिल्म निर्देशक संघ के अध्यक्ष अशोक पंडित का कहना है कि मुंबई के बाद यूपी सरकार इकलौती है, जो इस दिशा में आगे आई है। उन्होंने भरोसा जताया है कि 2023 तक यूपी की फिल्म इंडस्ट्री बन कर तैयार हो जाएगी।

 

लब्बोलुआब यह है कि यूपी में नई फिल्म सिटी तो बने लेकिन वह किसी भी तरह से सियासत का अड्डा नहीं बन पाए। बॉलीवुड की आलोचना करने के लिए यहां कोई स्थान नहीं होना चाहिए। जैसे तेलगू, बंगाली, पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री काम कर रही हैं वैसे ही यूपी की फिल्म इंडस्ट्री को भी सबके साथ चलना होगा। बिना भेदभाव के प्रतिभाओं का पूरा सम्मान और सुविधा मिले यह नई फिल्म इंडस्ट्री का मूल मंत्र होना चाहिए।

 

जिस तरह इस उत्तर प्रदेश की फिल्म सिटी की घोषणा के साथ ही सिनेमा और राजनीति से जुड़े लोग यह कहने लगे हैं कि इससे मुंबई की जगह हिन्दी फिल्में अब नोएडा में ही बनने लगेंगी. बहुत से आम लोगों के मन में भी कुछ ऐसी ही धारणा बनती दिख रही हैं। इसलिए तब यह भी सवाल उठता है कि क्या 'नॉलीवुड' की यह फिल्म सिटी बॉलीवुड को टक्कर दे सकेगी? क्या इसके बाद बॉलीवुड ख़त्म होकर इतिहास में सिमट जाएगा?

 

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