Sunday, December 6, 2020

धर्मांतरण पर संवैधानिक अंकुश सफल या विफल _

देश में आजकल ‘लव जिहाद’ शब्द बहुत ज्यादा प्रचलित है। हाल की कुछ घटनाओं के मद्देनजर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक सरकारें विवाह के लिए कथित रूप से धर्मान्तरण पर अंकुश के लिए कानून बनाने की तैयारियां कर रही हैं। अभी देखना यह है कि इन राज्यों के प्रस्तावित धर्मान्तरण निरोधक कानून में विवाह के लिए धर्म परिवर्तन या छल से विवाह करके धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य करना निषेध बनाने के बारे में क्या और कैसे प्रावधान होंगे।


इस समय ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में धर्म स्वतंत्रता धर्मान्तरण निरोधक नाम से कानून हैं। इन कानूनों में जबरन अथवा बहला-फुसलाकर या धोखे से धर्म परिवर्तन कराना निषेध और दंडनीय अपराध है। इन कानूनों में नाबालिग किशोरी या अनुसूचित जाति-जनजातियों के सदस्यों से संबंधित मामलों में ज्यादा सज़ा का प्रावधान है। लेकिन कुल मिलाकर एक साल से लेकर पांच साल तक की कैद और 50 हजार रुपये तक के जुर्माने की सज़ा का प्रावधान है।


उत्तर प्रदेश के कानपुर और मेरठ में कथित लव जिहाद की घटनाओं में वृद्धि देखी गयी है और यही वजह है कि राज्य सरकार ने अकेले कानपुर में ही कथित लव जिहाद के कम से कम 11 मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित किया गया है।


यह कितना विरोधाभासी है कि केन्द्र सरकार ने फरवरी, 2020 में लोकसभा को बताया था कि ‘लव जिहाद’ जैसा कोई शब्द मौजूदा कानूनों के तहत परिभाषित नहीं किया गया है और इससे जुड़ा कोई भी मामला केंद्रीय एजेंसियों के संज्ञान में नहीं आया है। यही नहीं, गृह राज्यमंत्री किशन रेड्डी ने यह भी कहा कि संविधान किसी भी धर्म को स्वीकारने, उस पर अमल करने और उसका प्रचार-प्रसार करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।


देश में पहले से ही विशेष विवाह कानून हैं, जिसके अंतर्गत किसी भी जाति या धर्म के दो वयस्क शादी करके अपने विवाह का पंजीकरण करा सकते हैं। ऐसे अनेक मामले हैं, जिनमें अलग-अलग धर्म के मानने वाले वयस्क लड़के और लड़की ने धर्मान्तरण के बगैर ही विवाह किया और वे खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।


दूसरी ओर, सिर्फ विवाह के लिए धर्म परिवर्तन किये जाने की घटनाओं पर देश की न्यायपालिका पिछले तीन दशक से चिंता व्यक्त करती रही है। न्यायपालिका ने पहली पत्नी को तलाक दिये बगैर सिर्फ विवाह के लिए धर्म परिवर्तन करके इस्लाम धर्म कबूल करने की घटनाओं के मद्देनजर महिलाओं के हितों की रक्षा और इस काम के लिए धर्म का दुरुपयोग रोकने के लिए 1995 में धर्मान्तरण कानून बनाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था। लेकिन अब तक इस दिशा में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई। केरल और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में लव जिहाद का मुद्दा उठता रहता है। हाल ही में फरीदाबाद में एक लड़की की हत्या के मामले को भी लव जिहाद से जोड़ा गया।


हाल के वर्षों में 2017 का हादिया प्रकरण सबसे ज्यादा चर्चित हुआ था, जिसे लव जिहाद का नाम दिया गया था क्योंकि अखिला अशोकन नाम की युवती ने इस्लाम धर्म अपनाकर अपना नाम हादिया रखा और फिर एक मुस्लिम युवक से शादी कर ली थी। उच्च न्यायालय ने इस शादी को अमान्य घोषित कर दिया था। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हादिया और शफीन की शादी वैध है और किसी भी अदालत या जांच एजेंसी को उनकी शादी पर सवाल उठाने का हक नहीं है।


ऐसी अनेक घटनायें सामने आयी हैं, जिसमें विवाह के बाद धर्म परिवर्तन से इनकार करने पर लड़की को यातनाएं दी गयीं, उन्हें तलाक देकर बेसहारा छोड़ दिया गया या फिर ऐसे लड़कियां लापता हो गयीं और बाद में उनके शव मिले। ऐसे कई मामलों में लड़के और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामले भी दर्ज हुए हैं। इन घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में सवाल यह उठता है कि ऐसे मामलों से कैसे निपटा जाये।


देश के कुछ हिस्सों, विशेषकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक में धर्म विशेष के युवकों द्वारा अपनी पहचान छिपाकर हिन्दू युवतियों को प्रभावित करके उनसे विवाह करने और उन्हें धर्म बदलने के लिए मजबूर करने की बढ़ती घटनाओं को ‘लव जिहाद’ का नाम देकर इस पर अंकुश पाने के लिए धर्मान्तरण निरोधक कानून बनाने की तैयारी चल रही है।


हमारे देश का कानून किसी भी वयस्क लड़के या लड़की को अपनी मर्जी और अपनी पसंद से विवाह करने का अधिकार प्रदान करता है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि दूसरे धर्म में शादी के कुछ समय बाद अगर धर्म परिवर्तन का मुद्दा उठता है जो वैवाहिक जीवन में बाधक बन रहा हो तो उस समस्या से निपटने के लिए भारतीय दंड संहिता, दंड प्रकिया संहिता और घरेलू हिंसा से महिलाओं को संरक्षण या विशेष विवाह कानून (इसके तहत विवाह का पंजीकरण होने की स्थिति में) के प्रावधानों के अलावा क्या कोई अलग से विशेष प्रावधान किया जायेगा।


देखना है कि ये राज्य सरकारें इन प्रस्तावित कानूनों में पहचान छुपा कर दूसरे धर्म की महिला से मित्रता करके उससे शादी करने और फिर शादी के बाद धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने को अपराध घोषित करते हुए किस तरह की सज़ा का प्रावधान करती हैं।


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