Saturday, January 9, 2021

इस दुनियां में कमजोर रहना ही सबसे बड़ा अपराध है

एक प्रसिद्ध  कहावत है कि शक्ति का प्रयोग रोकने के लिए शक्ति का प्रदर्शन जरूरी है,जैसे कि प्रकृति का,मनुष्यो का,रोगों का, शैतानों का आक्रमण अपने ऊपर न हो इन सभी को रोकने का एकमात्र तरीका यह है कि हमें अपने शारीरिक ,बौद्धिक व आत्मिक बल को इतना बढ़ा लेना चाहिए कि उसे देखते ही आक्रमणकारी पस्त हो जाए।याद रखना आप दोस्त सबलता एक ऐसा मजबूत किला है,जिसे देखकर शत्रुओं के मंसूबे धूल में मिल जाते हैं । एक बात याद रखना आप जैसी भी भली या बुरी परिस्थितियां हमारे सामने आती हैं, वह किसी देवी देवता के श्राप या वरदान से ,ग्रह -नक्षत्र के हेर फेर से या किसी अन्य कारण से नहीं आती हैं, बल्कि इसके मूल उत्पादक हम लोग स्वयं ही होते हैं। जैसे विचारों को हम अपनाते हैं, जैसे स्वभाव एवं गुणों का निर्माण हम करते हैं, जैसा हमारा दृष्टिकोण होता है, जिस प्रकार की इच्छा व आकांक्षा होती है, इसके साथ ही नीति और हमारी कार्यप्रणाली जिस प्रकार की होती हैं , उसी के अनुसार हमारा ढांचा तैयार होता जाता है। फिर हम उसी प्रकार के बनते जाते हैं, परिस्थितियां और घटनाएं इन दोनों की छाया मात्र ही होती है, चटोरे,व्यभिचारी व असंयमी व्यक्ति आप भी देखते होंगे कि आए दिन बीमार ही रहते हैं। हम सभी अपने  भाग्य के स्वयं निर्माता है, जैसे हम होंगे वैसा ही अवसर भी प्राप्त होगा। हमें अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है सफलता के लिए, हम सभी जानते भी हैं कि यह धर्म, अर्थ ,काम और मोक्ष का मूल है, हम कह सकते हैं कि  अस्वस्थ मनुष्य तो इस पृथ्वी का एक भार जैसा ही है, जो दूसरों के कष्ट का कारण बन कर अपनी सांस पूरी करता रहता है, इसलिए आज से याद रखना स्वास्थ्य सर्वप्रथम और सर्वोपरि बल है, इस बल के बिना सभी बल निरर्थक ही है, इसीलिए आज से ही आप दोस्त  स्वास्थ्य की ओर सबसे अधिक ध्यान देना शुरू  कीजिए। एक बात और कहना चाहूंगा कि आप अपने सामूहिक प्रयत्नों में भी अधिक से अधिक दिलचस्पी लीजिए, याद कीजिए महात्मा गांधी से बड़े-बड़े साम्राज्य थरथराते थे, वे बड़े बड़े साम्राज्य गांधी व्यक्ति से नहीं डरते थे, बल्कि दोस्त उनके पीछे जो विशाल जन समूह की जों अटूट श्रद्धा थी , उससे घबराते थे। मेरा कहने का मतलब है कि यश  सचमुच में शक्ति है, इस शक्ति से संपन्न मनुष्य तुच्छ से महान बन जाता है। साहस ही बाजी मारता है,हिम्मत वालों की ही खुदा भी मदद करता है, आपत्ती में भी विचलित नहीं होना,संकट में संयम, धैर्य रखना, विपत्ति के समय विवेक को कायम रखना मनुष्य की बहुत ही बड़ी विशेषता है। बुराइयों के विरुद्ध लड़ना, अपने अंतिम सांस तक संघर्ष करते रहना और उन्हें परास्त करके दम लेना शौर्य हैं। मेरे दादाजी हमेशा बोला करते थे कि जिसके  विचार और कार्य सच्चे हैं , वह  व्यक्ति इस संसार का सबसे बड़ा बलवान व्यक्ति है, ऐसे इंसान को कोई भी नहीं हरा सकता, याद रखना सत्यता पूर्ण हर एक कार्य के पीछे दैवी शक्ति होती है, आपने भी देखा ही होगा की असत्य के पैर जरा सी बात में ही लड़खड़ा जाते हैं, और उसका भेद पूरा खुल जाता है, लेकिन सत्य हमेशा ही अडिग चट्टान की तरह सुस्थिर खड़ा रहता है। अक्सर हम देखते हैं कि सत्य पर चोट करने वालों को स्वयं ही परास्त होना पड़ता है, सत्यनिष्ठ इंसान प्रभावशाली, तेजस्वी और शक्तिशाली होता है।इसलिए दोस्त  हम आपसे कह रहे हैं कि कमजोर होना एक अभिशाप है,वह चाहे शारीरिक हो, चाहे मानसिक हो, चाहे आर्थिक हो या फिर किसी भी प्रकार की अशक्तता एक अभिशाप ही है। इसलिए आज से ही ऐसे अभिशाप से मुक्ति प्राप्त करने का प्रयत्न शुरू कर दो। मै एक बार कहीं पढ़ा था कि मनुष्य पुरुषार्थ का पुतला है, मनुष्य की शक्ति और सामर्थ्य का अंत है ही नहीं, मनुष्य बड़े से बड़े संकटों से लड़ सकता है और असंभव के बीच संभव की अभिनव किरणें उत्पन्न कर सकता है। इसके लिए शर्त यही है कि वह अपने को समझे और अपनी सामर्थ्य को मूर्त रूप देने के लिए साहस को कार्यान्वित करें, हमारे जीवन में भी दोस्त बचपन से ही अनेक बड़े बड़े संकट आएं, आज लड़ते-लड़ते आप सब से अपना विचार साझा कर रहे हैं, इसलिए आज से ही आप भी कमजोर रहने वाला जो सबसे बड़ा अपराध है उस अपराध से मुक्ति पाने की दिशा में चलने का प्रयास शुरू कर दीजिए ।


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