Wednesday, April 26, 2023

पोडी मसाला

* दक्षिण भारत में एक गरीबपरवर मसाला लगभग सभी सूबों में समान रूप से लोकप्रिय है
* इसे सूखा और लगभग सभी व्यंजनों के साथ खाया जाता है
* इसका नामकरण अंग्रेजों ने 'गन पाउडर' अर्थात् बारूद मसाला किया था जो काफी सटीक लगता है
* कई जगह इसे दक्षिण भारतीय भोजन का पर्याय समझा जाता है
* दिल्ली में गनपाउडर नामक रेस्त्रां खोला गया था जो अपने सामिष तथा निरामिष व्यंजनों के लिए बहुत जल्दी मशहूर हो गया था
* तमिलनाडु में यह मसाला 'मिलागपोडी' नाम से जाना जाता है ( मिलागु तमिल भाषा में काली मिर्च का नाम है) तो कर्नाटक में सिर्फ इडली पोडी इसकी पहचान है
* केरल में इसका बिरादर 'चम्मनपोडी' है
* केरल वाले संस्करण में नारियल के बुरादे को प्रमुख स्थान दिया जाता है
* समुद्र के तटवर्ती क्षेत्र में सूखी छोटी मछलियों या नन्हे झींगोवाली पोडी भी तैयार की जाती है
* इस मसाले में हल्की खटास के लिए इमली का जरा सा अंश भी मौजूद रहता है
* इस मसाले में काफी तीखापन लाल मिर्च का होता है
* साथ ही हींग के जरा से पुट के साथ काफी मात्रा उरद की दाल की रहती है
* कर्मकांडी ब्राह्मण लहसुन से परहेज करते हैं पर चेट्टीनाडु के संपन्न राजसी वणिक काली मिर्च और करी पत्ते की त्रिवेणी लहसुन के साथ पेश करते हैं
* पोडी का शाब्दिक अर्थ है सूखा खुरदुरा पिसा मसाला
* इसे जरा सा तिल या नारियल का तेल अथवा घी मिलाकर गीली चटनी की तरह भी बरता जाता है
* इडली के साथ पोडी मिल जाए तो बहुत सारे इडलीप्रेमियों को न तो सांभर की चाहत बचती है न नारियल की गीली चटनी की!
* इसे आप किसी भी व्यंजन में ऊपर से बुरककर उसे स्वादानुसार तीखा बना सकते हैं
* खान-पान के जानकारों का मानना है कि पोडी का आविष्कार हमारे पुरखों ने टिकाऊ किफायती चटनी बनाने के लिए किया
* कुछ और न मिले तो चावल पर घी या तेल उडेलकर मात्र पोडी से काम चल जाता है
* यह एक प्रकार से चाट मसाला और उत्तर भारतीय गरम मसाले का काम एक साथ करता है
* सांभर मसाले की शक्ल भले ही इससे मिलती हो पर पोडी में धनिया, जीरा, हल्दी आदि नहीं डाले जाते हैं हां कुछ लोग मेथी दाने को भूनकर इसमें शामिल कर लेते हैं
* पोडी के अनेक प्रकार आंध्र प्रदेश में मिलते हैं
* कहीं कहीं जरा सा गुड मिलाकर इसे मीठा भी बनाने की कोशिश की जाती है
* वहीं गोंगुरा नामक हरी पत्तियों को भी सुखाकर विशेष पोडियों में मिलाया जाता है
* कलाकौशल इसमें निहित है कि सभी चीजें तवे पर कोरी भून ली जाएं ताकि उनमें जरा भी नमी न बची रहे और खराब होने की कोई चिंता न करनी पडे़
* कुछ समय पहले तक घर-घर में पोडी पीसी जाती थी पर आजकल फैक्ट्री में तैयार पैकेटबंद पोडी का चलन छोटे-छोटे कस्बों में भी बढ़ा है
* प्रवासी भारतीयों के लिए एमटीआर इसे बडे़ पैमाने पर निर्यात करती है
* एमटीआर अर्थात माविला टिफिनरूम जो अपनी मुंह में रखते ही घुल जाने वाली इडलियों के लिए मशहूर रहा है, जिनका रस लेने के लिए कभी राजा-रंक-फकीर सभी को लाइन लगानी पड़ती थी
* अधिकांश शौकीनों का मानना है कि इनकी पोडी का नुस्खा घर के स्वाद की याद दिलाता है हालांकि कुछ का कहना है कि विदेश में बसे भारतवंशियों के स्वादानुसार पोडी के उत्पादन ने इसकी गुणवत्ता को प्रभावित किया है
* हर किसी मसाला मिश्रण की तरह पोडी को घर पर तैयार करना बेहतर है जरा से श्रम से कुछ महीने तक टिकने वाला गन पाउडर मसाला हासिल हो जाता है
* याद रखें बारूद की तरह इसे भी नमी सिलाप से बचाने की जरूरत है
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