Friday, April 18, 2025

जीवन लक्ष्य

          ये  शरीर  कृष्ण कृपा से मिला है और केवल कृष्ण  की प्राप्ति के लिये ही मिला है। इसलिये हम को चाहे कुछ भी त्यागना पडें, सब छोड़कर कृष्ण भक्ति   में तुरन्त लग जाना चाहिये।

         जैसे छोटा बालक कहता है कि माँ मेरी है। उससे कोई पूँछे कि माँ तेरी क्यों है तो इसका उत्तर उसके पास नहीं है। उसके मन में यह शंका ही पैदा नहीं होती कि माँ मेरी क्यों है ? माँ मेरी है बस इसमें उसको कोई सन्देह नहीं होता। इसी तरह आप भी सन्देह मत करो और यह बात दृढता से मान लो कि कृष्ण  मेरे हैं। कृष्ण के सिवाय और कोई मेरा नहीं है क्योंकि वह  सब छूटने वाला है। जिनके प्रति आप बहुत आसक्त  रहते हैं, वे माँ-बाप, पति-पत्नी, बच्चे, रूपये, जमीन, मकान, रिश्ते-नाते आदि सब छूट जायेंगें। उनकी याद तक नहीं रहेगी।

           अगर याद रहने की रीत हो तो बतायें कि इस जन्म से पहले आप कहाँ थे। आपके माँ, बाप स्त्री, पुत्र कौन थे ? ‘

          आपका घर कौन सा था। जैसे पहले जन्म की याद नहीं है, ऐसे ही इस जन्म की भी याद नहीं रहेगी। जिसकी याद तक नही रहेगी उसके लिये आप अकारण परेशान हो रहे हो। यह सबके अनुभव की बात है कि हमारा कोई नहीं है सब मिले हैं और विछुड जायेगें, आज नहीं तो कल इसलिये- "मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई", ऐसा मानकर मस्त हो जाओ।

           दुनियाँ सब की सब चली जाये तो परवाह नहीं है पर हम केवल कृष्ण के हैं, और केवल कृष्ण हमारे हैं। केवल एक मात्र यही सच है और बाकी सब झूठ। इसके सिवाय और किसी बात की ओर देखो ही मत, विचार ही मत करो।

          आज से कृष्ण  के होकर रहो, कोई क्या कर रहा है कृष्ण जानें, हमें मतलब नहीं है। सब संसार नाराज हो जाये तो परवाह नहीं पर कृष्ण तो मेरे हैं - इस बात को पकड़ कर रखो।


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