Saturday, May 17, 2025

राजी हैं हम उसी में जिस में तेरी रजा है

 अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे,

तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥


पतितो को पावन करते कृपानिधि,

पतितो को पावन करते कृपानिधि,


किए पाप है इस सुयश के सहारे,

किए पाप है इस सुयश के सहारे,


अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे,

तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥


हमारे लिए क्यों देर किए हो,

हमारे लिए क्यों देर किए हो,


गणिका अजामिल को पल भर मे तारे ,

गणिका अजामिल को पल भर मे तारे,


अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे,

तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥


माना अगम है अपावन कुटिल है,

माना अगम है अपावन कुटिल है,


सबकुछ है लेकिन है भगवन तुम्हारे,

सबकुछ है लेकिन है भगवन तुम्हारे,


अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे,

तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥


मन होगा निर्मल तुम्हारी कृपा से 

मन होगा निर्मल तुम्हारी कृपा से 

इसे शुद्ध करने मे राजेश हारे

अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे

तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥

सारे जहाँ के मालिक तेरा ही आसरा है,

राजी हैं हम उसी में जिस में तेरी रजा है,

सारे जहाँ के मालिक तेरा ही आसरा है,


हम क्या बताएं तुमको सब कुछ तुझे खबर है,

हर हाल में हमारी तेरी तरफ नजर है,

किस्मत है वो हमारी जो तेरा फैंसला है,

राजी हैं हम उसी में जिस में तेरी रजा है,


हाथो को दुआ की खातिर मिलाएं केसे ,

सजदे में तेरे आकर सर को झुकाएं केसे,

मजबूरियां हमारी बस तू ही जानता है ,

राजी हैं हम उसी में जिस में तेरी रजा है,


रो करकहे या हंस कर कटती है जिंदगानी,

तू गम दे या ख़ुशी दे सब तेरी मेहेरबानी,

तेरी ख़ुशी समहजकर सब गम भुला दिया है,

राजी हैं हम उसी में जिस में तेरी रजा है,


दुनिया बना के मालिक जाने कहाँ छिपा है,

आता नहीं नजर तू बस इक यही गिला है,

भेजा इस जहाँ में जो तेरा शुक्रिया है ,

राजी हैं हम उसी में जिस में तेरी रजा है


सारे जहाँ के मालिक तेरा ही आसरा है

राजी हैं हम उसी में जिस में तेरी रजा है


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