Tuesday, May 13, 2025

प्रेम की सुगंध

       बल के प्रयोग से आप किसी व्यक्ति को तो जीत पाते हैं लेकिन उसके हृदय को नहीं जीत सकते हैं। अपनी बात मनवाने के लिए अपने अधिकार या बल का प्रयोग करना कदापि उचित नहीं है।

        प्रेम ही वो शस्त्र है जिसके प्रयोग से सारी दुनिया को जीता जा सकता है। निसंदेह प्रेम की विजय ही सच्ची विजय है। प्रयास करें कि किसी काम को करवाने के लिए आपको क्रोध का आश्रय न लेना पड़े।

         जो काम धीरे बोलकर, मुस्कुराकर और प्रेम से बोलकर कराया जा सकता है उसे क्रोधित होकर करवाना भी उचित नहीं है। आज प्रत्येक घर में परस्पर द्वेष, संघर्ष, दुःख और अशांति का एक ही कारण है और वह है प्रेम का अभाव। 

        आग को आग नहीं बुझाती पानी बुझाता है और क्रोध को क्रोध शांत नहीं करता अपितु प्रेम ही शांत करता हूँ। पशु -पक्षी भी प्रेम की भाषा समझते हैं। प्रेम वो इत्र है जिसकी सुगंध आपके पूरे जीवन को प्रसन्नता की सुगंध से भर देती है।                                           


No comments:

Post a Comment