Friday, January 10, 2020

इंस्पायर अवार्ड मानक योजना अंतर्गत जनपद स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन

उरई जालौन 


रिपोर्टर रविकांत गौतम जालौन 



 राजकीय इंटर कॉलेज उरई में संपन्न हुआ जिसमें मुख्य रुप से डॉक्टर रईस खान वैज्ञानिक आई0एम0एफ0 अहमदाबाद उपस्थित हुए इस कार्यक्रम में जनपद स्तर पर प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के 227 विद्यार्थियों का चयन किया गया चयनित सभी प्रतिभागी विद्यार्थियों ने विज्ञान के मॉडल प्रस्तुत किए इन सभी प्रतिभागी छात्र-छात्राओं के खातों में विज्ञान मॉडल बनाने प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा प्रत्येक खातों में दस-दस हजार रुपये की धनराशि स्थानांतरित की गई उक्त कार्यक्रम मे जिला विद्यालय निरीक्षक एवं बेसिक शिक्षा अधिकारी भगवत पटेल ,मुख्यकोषा अधिकारी आशुतोष चतुर्वेदी ,अधिशाषी अधिकारी नगर पालिका संजय कुमार, महिला थाना अध्यक्ष  श्रीमती नीलेश कुमारी, एवं  विज्ञान एवं  प्रौद्योगिकी परिषद औरैया उत्तर प्रदेश मनीष यादव सहायक, बेसिक शिक्षा अधिकारी आनंद भूषण, डी0पी0आर0ओ अभययादव, एलड्रिच पब्लिक स्कूल के प्रबंधक अजय इटौदिया , अलीम सर  ,सहित  एवं  निर्णाक मंडल विज्ञान संचारक  मेंटर शिक्षक अभिभावक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे यह कार्यक्रम प्रदेश में प्रतिशतता की दृष्टि की प्रथम स्थान पर है  इस आयोजन में गठित निर्णायक मंडल के सदस्यों द्वारा प्रत्येक मॉडल पर जाकर उसका अवलोकन किया गया और प्रतिभाग करने वाले विद्यार्थियों से मॉडल से संबंधित तार्किक प्रश्न पूछे और मॉडल को अधिक से अधिक कैसे उपयोगी बनाया जा सकता है इस पर प्रकाश डाला गया योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब बिछड़े प्रतिभावन बच्चों का विकास करना है इसके लिए जनपद के शिक्षा विभाग के मुखिया श्री भगवत पटेल ,अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य सुश्री अर्चना त्रिपाठी ,सारिका आनंद, जिला विज्ञान समनयवक अनिल  गुप्ता,  सहायक समनयवक शैलेन्द्र निरंजन, एवंअतुल दीक्षित, सुमेन्द्र पान्डेय, पुश्पेन्द्र सिह ,नरेश श्रीवास, धीरेन्द यादव, अनरुद कुशवा  अनिल श्रीवास्तव  राजेन्द्र कुमार गुप्ता व जनता इंटर कॉलेज  एट के छात्र देवेंद्र सिंह ने इलेक्ट्रिक साइकिल बनाकर एक जनपद में अपना अच्छा नाम रोशन किया है छात्र देवेंद्र सिंह का कहना है कि आने वाले समय में पेट्रोल खत्म हो सकता है तो इलेक्ट्रॉनिक का जमाना है और इस साइकिल को हम सोलर ऊर्जा के द्वारा चार्ज करके इस्तेमाल कर सकते हैं |



रविकांत गौतम दैनिक अयोध्या टाइम


उ0 प्र0 खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के सौजन्य से 10 दिवसीय मण्डलीय खादी ग्रामोद्योग प्रदर्षनी में आज दिनांक 09/01/2020 को आयोजित सांस्कृतिक प्रोग्राम


         उ0प्र0खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के सौजन्य से मोतीझील कानपुर नगर में दस दिवसीय मण्डलीय खादी ग्रामोद्योग प्रदर्षनी में आज दिनांक 09.01.2020 को सायं 6ः00 बजे सरिता यादव के निर्देषन में लखनऊ की रासरंग संस्था  द्वारा मूल मराठी लेखक- श्री बसन्त सबनीस द्वारा रचित हास्य नाटक  ”कहानी राजदरबार“ का मंचन किया गया। नाटक में  राजा एवं साख्या का किरदार षुभम षर्मा, कोतवाल एवं प्रधान का किरदार-अभिशेक ने,ं हवलदार का किरदार - धीरेन्द्र पाण्डेय, सिपाही  का-राज यादव, मैनाबाई- सरिता यादव ने भावपूर्ण किरदार निभाया। ”कहानी राजदबार की“ नाटक में देष में हो रहे भश्टाचारा को  हास्य रूप में अभिनीत करके दर्षकों की खूब वाह-वाही लूटी। 
         श्री अभय त्रिपाठी परिक्षेत्रीय ग्रामोद्योग अधिकारी ने बताया कि  कल दिनांक-10.01.2020 को विषेश कार्यक्रम संविधान षिल्पी बाबा साहब अम्बेडकर के संविधान निर्माण में योगदान एवं भारतीय संविधान के आदर्षो पर चर्चा हेतु विशय विषेशज्ञ एवं वरिश्ठ अधिवक्ताओं द्वारा विचार गोश्ठी व संविधान में उल्लेखित मूल कर्तव्यों के प्रति जागरूकता कार्यक्रम षाम-5ः30 बजे किया जा रहा है।
श्री हरिष्चन्द्र मिश्रा जिला ग्रामोद्योग अधिकारी ने बताया कि दिनांक- 10.01.2020 को सांस्कृतिक कार्यक्रम में स्थानीय प्रसिद्व कवि श्री हेमन्त पाण्डेय के नेतृत्व में कवि सम्मेलन का आयोजन सांय- 7ः00 बजे किया जायेगा जिसमें सुश्री नीरू श्रीवास्तव, डा0 अरूण तिवारी गोपल, श्री ओम नारायण षुक्ला, सुश्री षिखा सिंह एवं अन्य कवियों द्वारा प्रतिभाग किया जायेगा। 
       मण्डल स्तरीय प्रदर्षनी में दर्षकों व क्रेताओ की अच्छी भीड़ देखी गयी । खादी एवं ग्रामोद्योग स्टालो में विषेश रूप से स्वराज आश्रम कानपुर, ग्राम सेवा संस्थान, मनोज पाल हरिद्वार, पवन गुप्ता औशधी संस्थान आदि में अच्छी बिक्री दर्ज की गयी
      प्रदर्षनी में श्री सुरेष गुप्ता अध्यक्ष उ0प्र0 खादी ग्रामोद्योग महासंघ, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के सहयोगी राजीव द्विवेदी,मनोज पाठक, मनोज षुक्ला मो0षारिब, उर्मिला देवी मजीद अहमद,टोनी सक्सेना,ओम प्रकाष आदि उपस्थित थे।                      


Wednesday, January 8, 2020

 ऐ नये साल तेरे झूठे दिलाशो की कसम?

 ऐ नये साल तेरे झूठे दिलाशो की कसम?
फिर कदम हमने उठाया है बहकने के लिये।
जिन्दगी हार के फिर तेरे करीब आया हूँ,?
अपने सपने तेरे तलवों से मसलने के लिये।।
सियासत के तुगलकी फरमान पर भरोशा कर खून का आसू रो रहा है किसान?जब यू पी में भाजपा की सरकार बनी एक लाख तक किसानो का कर्ज माफ कर दिया गया। छुट्टा पशुओं से निजात के लिये वादा किया गया। लेकीन दोनो फैसला सियासी खेल हो गया।बैंक वसूली  की नोटिस दे रहा,छूट्टा पशु खेतो में धमाल मचा रहे है। सङको पर बवाल कर रहें ह हँसते खेलती जिन्दगी को रोज हलाल कर रहें है।
बर्तमान परिवेश में किसान तबाही के आलम मे खून का आंसू रोने को मजबूर कर दिया गया? नहरों मे पानी नही? गन्ना कि खरीद्दारी नही? धान कि ऊपज बेचने के लिये दरहदर ठोकरे खा रहा है किसान।भारी वर्षात के चलते अधिकतर खेतो में गेहूं बोया नहीं गया?मंहगाई चरम पर है। हर तरफ तबाही है कैसे जियेगा किसान? छूट्टा पशु बिरान कर रहें है खेतऔर खलिहान? बे मौत मर जायेगा इन्सान?।अवारा पशुओं की खेतों में धमाचौकङी को रोकने के लिये दिन रात खेतो की रखवाली कर रहा है इस देश का अन्नदाता? गावों मे हर तरफ मायूसी कीसानो के चेहरो से गायब है खुशी? खेत बिरान है बुआई केअभाव सुना पङा सिवान है।? एक तरफ प्रकृति तो दुसरी तरफ सरकार की दोगली नीति से परेशान किसान है। तबाही के आलम में गांव के गांव हो गये सुनशान सारी सरकारी ब्यवस्था कागजी किसी का कोई सुनने वालानही।भरष्टाचार के चलते चारों तरफ हाहाकार , हर तरफ मायूसी | बैंक के कर्ज बिजली  बिल के बढते दाम,के चलते थाम कर बैठ गया है किसान दिल?कैसे कटेगी जिन्दगी? हर तरफ मिल रही है शर्मिनदगी?यह सरकार भी किसानो की हितैशी नही कही कोई सुनवाई नही। आज उदासी के माहौल लोग कह रहे है भगवान क्या तेरी माया है? सियासत के आसमान में दर्द का  बादल छाया है। न जाने कब हो जाये बगावत की बारिश?न खेती बची न बारी हर तरफ लाचारी! किसान तबाह परेशान ब्यापारी। आखिर कैसे जियेगा किसान? खेत बन गये शमशान? इस सवाल का जबाबआखिर देगा कौन ? मुर्दे सियासत बाज आखिर क्यों हो गयें है मौन?। हर तरफ लूट मची है। लोकतन्त्र की दुल्हन का चीरहरण हो रहा है ।भ्रष्टाचार का दानव रोजाना इन्सानियत का अपहरण कर रहा है। मच्छर के तरह घङियालू आंसू  बहाने वाले वादा फरोश नेता ढपोर शंखी वादों के सहारे सियासत की बैतरणी पार कर लखनऊ व दिल्ली की रंगीन रियासत में आराम फरमा रहे है। जाति बाद का फार्मूला फैलाकर सियासत को रोज गर्मा रहे है।
इस देश का अन्नदाता कराह रहा है ।आहे भर रहा है। दर्द की हवा अब धीरे धीरे सियासी आँधी बनकर बदलाव की दरिया में सुनामी लाने के तरफ बढ रही है।यह देश की मजबूरी है। सियासत को रखैल समझने वालों के लिये एक झटका जरूरी है? खुद अब अन्न पैदा करने वाले का ही नहीँ भर पा रहा पेट है?महंगाई के चलते बोये नहीं गये खेत है?।कल तक बर्तमान सरकार का गुण गान करने वाला देश का किसान मन मसोस कर अफसोस कर रहा है।यह कहने को मजबूर हो गया कोई नृप होही हमें क्या हानी?आज का परिवेश भौतिकता की कसौटी पर वास्तविकता को नकार रहा है। मजबूर किसानो की लाचारी को ही ललकार रहा है।वादो की सलीब पर लटका कीसान परेशान है कि कब जिन्दगी के हौसले में सरकारी फैसले का समागम होगा?कब धरातल पर उतरेगी  बिकाश की गंगा? कब रूकेगा इस देश मे सियासी दंगा?रोटी कपङा मकान के लिये हलकान है इस देश का आन्नदाता ? उसके जीवन चक्र मे केवल तूफान है? जब तक दुखी किसान रहेगा धरती पर तुफान रहेगा के गगन भेदी नारों को लगाते लगाते थक गया है। किसान आन्दोलन भी अब दम तोङ चुका है। कार्पोरेट घरानो की बन्धक बनती जा रही है कृषि ब्यवस्था। रोज़मर्रा की जिन्दगी में मानसिक गुलामी का दौर शुरू है। आर्थिक शोषण का पोषण करा रही है बर्तमान सरकार?, जिसके जङ में सियासत के प्रदुषित पानी को पाकर दिन रात बढ रहा है भरष्टाचार?। गुजरा साल तो केवल तबाही की निशानी छोङ गया आहे भरते लोगो का दिल तोङ गया?। कभी  सूखा ने तबाही मचाया तो कभी भयंकर वारिश ने जीवन को आत्मसात कर दिया। लावारिश कर दिया?। सरकारी खेमों में काम करने वाले अहलकार फर्जी आकङो की खेल खलते रहे?। गांवो  की दुर्दशा को सरकारी फाइलों में गुलाबी बयाँ  करते रहे।जब की आज के दौर में यह चन्द लाईने एक दम सही सटीक लग रहीं है कि तुम्हारे फाईलो में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आकङे झूठे है वादा खिलाफी है?। सरकारी तन्त्र  लोकतन्त्र  के मूल मन्त्र को ही प्रदुषित कर दिये।सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाकर अपनी झोली भर लिये।दम तोङती ब्यवस्था में किसान सिसक सिसक कर जिन्दगी बशर कर रहा है। इस आस व उम्मिद में की सरकार किसान नीतियाँ  बनायेगी ऊपज के वाजीब कीमत दिलायेगी?, किसानो की समस्याओ का समाधान करायेगी? लेकीन सब कुछ फर्जी दिलाशा ही साबित हुआ।,हताशा मे तमाशा बनकर सब कुछ सियासी बवन्ङर में समा गया। न तकदीर बदली न समस्या का हुआ समाधान ।जैसे कल था वैसे ही बेमौत मर रहा है आज भी किसान?सर पर कर्ज का बढता मर्ज गृहस्थी सम्हालने के लिये हाँफ हाँफ कर पूरा कर रहा है फर्ज,? लेकीन इस दर्द को किसी ने नही समझा।मानसिक दबाव में  कहीं किसान आत्म हत्या कर रहा है तो कहीं खुदकसी?घर पर कहीं खेतों में सिचाई के पानी की लगान तो कहीं बिजली की पहुँच रहीं है आरसी?चारो तरफ अन्धेरा ही अन्धेरा।दर्द की दरिया में ङूबते उपराते तबाही की घनघोर निशा में कब होगा सबेरा? यह सवाल मुँह बाये बर्तमान ब्यवस्था के आस्था पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है?।किसानो के अरमानो  पर तुषारापात कर देश को सुखी रखने की कल्पना करना भी  बेमानी होगी। देखते जाईये आने वाला कल बिकल भाव से गुजरे बर्ष से निकल कर नये साल में  क्या कमाल करता है।वख्त सुधरता है या अगले साल की ही तरह मन की बात सुनकर केवल फिसलता है।कभी गर्व से इस देश में यह लगने  वाला नारा जय जवान जय किसान भी अब  बेमानी लग रहा है।झूठे आकङो  के दौर मे सारा बिकाश जबानी लग रहा है।


चलते रहेगे काफीले मेरे बगैर भी इक तारा टुटने से फलक सूना नही होता?

हजारों  साल नर्गिस अपनी बे नूरी पे रोती है
चमन  में तब जाकर कोई दिदावर पैदा होता है।
सियासत के समन्दर मे बर्षों  सियासी मन्थन के बाद पूर्वाचल  की धरती में दो लालो का आज से छ दशक पहले जन्म हुआ एक  बलिया की बागी धरती इब्राहीम पट्टी गाँव  के एक साधारण परिवार का नाम रोशन कर भारत के प्रधान मन्त्री पद का सीधे दावेदार हुआ उस महारथी का नाम स्व चन्द्रशेखर है जिनके नाम पर सियासत थर्रा उठती संसद में सियापा पसर जाता था। आजीवन युवा तुर्क की ऊपाधि से बिभूषित रहे।आज वो भी इस दुनियाँ में नहीं रहे? दुसरा सूरमा मऊ जनपद की महकती माटी के गाँव  सेमरी जमाल पुर में पैदा हुवे सियासत के धुरन्धर स्व कल्पनाथ राय? जिनके गुजरे एक डेढ दशक से ऊपर हो गया।कभी इन दोनो महान विभूतियों के नाम पर दिल्ली की सियासत में दहशत पसरा रहता था। बिकाश की गंगा इनके पैरो तले मचलती थी।
मऊ में शनिवार के दिन बिकाश पुरूष स्व कल्पनाथ राय के पुण्य तिथी पर जिला मुख्यालय से लेकर उनके गांव  सेमरी जमाल पुर तक अब केवल रस्म अदायगी के तहत पुण्य तिथि मना लिया गया है। कहा गया मरते तो सभी है मगर जमाना उन्ही को याद करता है जो इतिहास रच कर जाते है?। स्व कल्पनाथ राय वह नाम है जिनके ओजस्वी भाषण पर ससंद में सियापा फैल जाता था संसद में बैठे नेता उस समय भाव शून्य हो जाते जब धारा प्रवाह भाषण के बीच देश के गरीबों मजलूमों की समस्या को हूबहू ब्यवस्था के पटल पर रख देते थे।आज हम जिस जनपद में खुली सांस ले रहें है इसके जन्मदाता स्व कल्पनाथ राय है उनके  सपनों का जिला मऊ है।
बिकाश की गंगा को अवतरित कर किसानों के भाग्य का दरवाजा को घोसी में चीनी मिल' स्थापित कर खोल दिया।आज हर तरफ खुशहाली है। किसानो की दूर हो गयी कंगाली है।शहर का नया लुक ओर ब्रिज, कचहरी, चमकती शहीदों के नाम पर सङक, महकती चन्द्रभान पुर की फुलवारी ?। हर तरफ चकाचक ब्यवस्था भारी ? उनके आगमन के नाम पर थर्रा उठता था अमला सरकारी।गांव गाँव बिकाश की बयार के संकल्प के साथ जब निकलते स्व कल्पनाथ राय तो लगता की वाकई कोई नेता उतर आया है। हाफने लगता था जिला प्रशासन कांपने लगते कर्मचारी' अधिकारी' सरकारी"? झूम उठते थे किसान और ब्यापारी? ।आज  का वही मऊ है, सासंद है,नेता है, विधायक है, सब के सब नालायक है? जनता कराह रही है? किसान तबाह है? ब्यापारी हताश है?। आमजन उदास है?।हर तरफ अफरा तफरी का माहौल है। जगह वही है पद वही है जनता जनार्दन भी वही है मगर कीसी की कोई सुनने वाला ही नही है।
 आज स्व कल्पनाथ राय के मूर्ति  पर  फूल मालाओ' को समर्पित  कर अपने को धन्य मानने वाले  ही कह रहें है---------------
जो बात तुझमे थी वो तेरी  तस्बीर में नही?
 वो जुझारूपना वो अख्खङपना वो तेवर वो कलेवर वो रंगीला अन्दाज वो मिजाज कहीं देखने को नही मिलता। मऊ बेसहारा बेचारा हो गया ?। पुर्वाञ्चल में बिकाश की देबी बिधवा हो गयी। समरसता व भाई चारगी खतम हो गयी है।सिसक सिसक कर जिस तरह तमसा का पानी काला हो गया? ठीक उसी तरह बिकाश के नाम पर भी जनपद का दिवाला हो गया?।तमसा की निर्मली करण के तरह ही बिकाश के आधुनिकरण के लिये पल पल तरस रहा है मऊ?। न कोई रहनुमाई',न कोई अगुवाई',हर तरफ जगहसाई?
भरष्टाचारी लूट रहें है गरीबों की कमाई ?। यही है इस जनपद की अब सच्चाई ?। आज लोगों को स्व कल्पनाथ राय की बहुत याद आयी है।जब शहर में बेलगाम हो गये दंगाई है।अब  तो इस जिले की कमान सम्हालता माफीयाङान है? वही ङीयम वही पुलिस कप्तान है? शहर को जिधर चाहे मोङ देता है? जब चाहे मोर्चा खोल देता है।?सूना सूना सारा मंजर लगता है ऐसे में अब फूल भी खंजर लगता है।
बदलते समय मे मऊ की परिभाषा बदल गयी, लोगों की अभिलाषा बदल गयी।अब तो यहाँ नेता आते प्रवासी है चारो तरफ फैली है उदासी। न तो उन्हें बिकाश चाहीये न उन्हे कोई खास चाहीये? सब के सब जातिवादी है भले ही पहने खादी है। कल्पनाथ राय के सपनों का शहर बिरान हो गया ?सूना गाँव  खेत खलिहान हो गया है। अब तो हर तरफ तमाशा है लोगों के मन में निराशा है। सभी बने तमाशायी हैअब कहीं नहीं बिकाश की बात होती है कमीशन खोरी चोरी के चलते हर तरफ तबाही है। इसी लिये तो आज बिकाश पुरूष स्व'कल्पनाथ राय की बहुत याद आयी है।बिकाश पुरूष को शत शत नमन? आप भी करे मनन 'करे चिन्तन ?' कब तक रहेगा  मऊ अनाथ?अब कौन बनेगा कल्पनाथ? जो चलेगा आप के साथ साथ?'कौन करेगा इस जमी का बिकाश? बदलते परिवेश मे सियासत की बस्ती में रहने वाले जहरीले सियासतदार इन्सानियत को ङस रहें है।मानवीय सम्बेदनाओ को कलुषित कर रहें है।इन्सानियत कराहती है मानवता दम तोङ रही है। बिकाश कोषो दूर भागता है। भरष्टाचार इनके मुख मंङल पर आभा बिखेरता है।जाति बिरादरी के नाम पर सियासत की बैतरणी पार कर दिल्ली लखनऊ की रंगीन दुनियाँ  मे पैर रखते ही वादा खिलाफी का दौर शुरू कर देते। पूर्वांचल  की धरती आज नेता बिहीन हो गयी? दोनो नेताओ के स्वर्गवासी होते ही यह धरती बलहीन हो गयी? दूर दूर तक इन दो नेताओं का बिकल्प नजर नहीं आता। दुर्भाग्य के दो राहे पर खङे पूर्वाचल  में न अब न कोई चन्द्रशेखर पैदा होगा? न कल्पनाथ? इस धरती को अब सदियों रहना है अनाथ?
समय अबाध गति से अपनी धूरी पर चलता जा रहा है परिवेश बदलता जा रहा है जब गुजरे जमाने की यादों का कारवां  ख्यालों में उभरता है तब गरजती बुलन्द आवाजें बेचैन कर देती है?
लेकीन अब उन हकीकतों को केवल महसूस ही किया जा सकता है।जो लोग चले गये वे लोग और थे?।आक्सीजन  पर चल रही कांग्रेश के वफादार लोग आज कल्पनाथ राय की पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन कर सेमरी जमाल पुर, कोपागंज,मऊ में स्व कल्पनाथ राय की मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर समर्पित भाव से श्रद्धान्जलि दिये। इस मतलब परस्त दुनियाँ  में महज चन्द सालों में लोग कल्पनाथ राय के बिकाश को भूल गये।होना तो यह चाहीये था कि सम्पूर्ण  जनपद आज समर्पित भाव से श्रदाँजलि  अर्पित करता। लेकीन बदलते परिवेश में लोगों की के बीच सन्देश मतलब परस्ती का ही बिस्तारित हो रहा है। ऐसे मे कौन अब यादों के बोझ को सम्हालने में समय गंवायेऔर बताये की जिस खूबसूरत जिले की रंगीन फीजा में हम सासें ले रहें है वह जिला बिकाश पुरूष कल्पनाथ राय के पौरूष कि निशानी है?।।
ऐसे महान पुरूष कर्म योद्धा सियासत के दुनियाँ में अलग पहचान  बनाकर इतिहास रचने वाले मा बसुन्धरा के अप्रतिम धरोहर मऊ की विप्लवी  धरती की शान बिकाश पुरूष स्व कल्पनाथ राय जी को ब्यथित मन से बिनम्र  श्रद्धान्जली  शत शत नमन |


हरेक से पूछती है गमगीन थकी माँ? क्यों हो गये है गोंद के पाले जुदा जुदा?

आज के दौर में बदलते परिवेश ने देश के भीतर पृथकता की ईबारत को लिखकर एकाकी जीवन की पुस्तक का बिमोचन कर दिया है।
मातृ देवो भव: पितृ देवो भव: के सूत्र पर आधारित पुरातन ब्यवस्था धाराशायी हो गयी? जिस मा ने पैदा किया पाला पोशा बङा किया परवरिश दिया वही मा बेटों के लिये आताताई हो गयी । जीवन का अनमोल समय में अपना सुख बच्चो की झोली में ङालकर रात भर लोरी सुनाने वाली माँ कसाई हो गयी ? बीबी आते ही मौसम के तरह आधुनिक पीढी के नौजवान बदल रहें है। मा    बाप को घर का बोझ कह रहें है। हर चीज अपना फिर सब कुछ सपना?। पराये हो गये परवरिश देने वाले? कदम कदम ठोकर मार रहें खुद केऔलाद खुद के लाले।आधुनिकता के दौर में बदलता गांव बदलता परिवेश, बदलती शहर बदलता देश? हर तरफ उन्माद अपराध का बोलबाला अपराध में खुद शामिल हो गया कानून का रखवाला है?। खत्म हो रही है इन्सानियत की चाहत ? बढ रही है बैमनश्यता,बेचारगी भरी आफत,? किसी का कोई सुनने वाला नही खत्म हो रही है भाईचारगी?,सडकों गांव की गलियों बाजार के चौराहों  पर हर वक्त देखा जा सकता है नयी पीढी की आवारगी।? बेखौफ बिन्दास बे अन्दाज निकल रहे है गन्दे अल्फाज न कोईबङा न छोटा न कोई लाज न लिहाज? सब कुछ आधुनिकता के दावानल में झुलस रहा है आज। हैवानियत का धुआं हर घर से निकल रहा है जो आधुनिक कहे जाने वाले समाज को भरपूर तरीके से बिषाक्त कर रहा है।? एक जमाना था जब खास कर गांवो में तहजीब ही तरक्की की मिसाल बनती थी ।संयुक्त परिवार में समरसता की ब्यवस्था दमकती थी ?भाई चारगी की सादगी में पुरंखो की पुरातन बिरासत झलकती थी। गवंयी माहौल? हर तरफ आसमान में पक्षियों का कोलाहल?,खुशहाल खेत खलिहान, कूकती कोयल के सुरीले बोल,पर होता था बिहान?।तीज त्योहार गंगा दशहरा, पूर्णिमा का नहान खीचङी ,फगुआ, सतुआन,?सब कुछ आधुनिकता की भेंट चढ गया?। खत्म होती जा रही है संयुक्त परिवार के मुखिया की सरपरस्ती? हर कोई अकेले काटना चाह रहा है मस्ती। बदल रही ब्यवस्था में आस्था बिवसता के आलम में बढ रही है हर परिवार में बैमनश्यता?।    बाप दादा की कमाई का मोल खत्म हो रहा है माई को दाई बनाकर रखने का प्रचलन जोर पकङ रहा है। कुर्ता धोती,के पहनावे का चलन खत्म हो गया  डोली कहार का प्रचलन बन्द हो गया?।बसन्त के मदमस्त महीने में गावों के चारों तरफ बगीचों में महकती आम की मंजरी, गमकते  महुआ के पेड़,अनुपम छटा बिखेरती तितलियो के झुन्ङ से मादकता की फुलझरी?चहकते महकते सेमल पलास के फूल, अमराईयो बाग बगीचों में कूकती कोयल के बोल, पपीहा की पीहू पीहू, सिवान में कुलाचे मारते हिरन?बे खौफ दौङते नील गाय के झुन्ङ?बे फिक्र सुबह सुबह सतुआ ,कचरस ,मकयी का दाना ,खाकर मुस्कराता ,गवई जीवन?सब कुछ बदल गया।  आधुनिकता के नाम पर देह उघारू कपङा ?, रोजाना शराब के नशा में झूमते नौजवानो का बढता लफङा ?, सिमटता खेत, खलिहान,? उजङते बाग बगीचे?
गांव के गांव पशु बिहीन, संस्कार   बिहीन लोग? सूना पङा दरवाजा? मन्दिर, मस्जिदों, के उपर दिखावटी बज रहा है कानफाङू बाजा?समाप्त हो गयी  अजान की मीठास,? मन्दिरों में सुबह सुबह भोरहरी में बजता घन्टा घङियाल की आवाज आखिर कहां जा रहा हैआधुनिक होता समाज ?।अपना वजूद समूल नष्ट करने वाले अपने को कह रहें है एङवान्स।इससे कोई अछूता नहीं है कोई कोई घर ही बच गया होगा बाईचान्स ?। पुरातन ब्यवस्था निकल रही है  आस्था बदल रही है।हर आदमी का रास्ता बदल गया?कीसी से  मेल न समरसता हर तरफ एकाकी जीवन की नीरसता? ।दिन रात बढ रही है गांव कस्बा शहर में बिलासिता?। अब तो वह दिन दूर नहीं रह गया जब आने वाली पीढी पूछेगी गुजरे हुये कल की दास्ताँ,।?न बैलों की जोङी न गायों का झून्ङ ?न गांवो में रहट न बैल कोल्हू न रहा पानी का कुन्ङ?सुबह सुबह सरकाईल खटिया जाङा लगी के बेहूदगी भरे गाने ?खत्म हो गये भजन और  देश भक्ति के तराने?।आधुनिक पीढी की बदल रही है सोच? माँ बाप घरों पर बन रहे है बोझ,? भाई से भाई की जुदाई हर किसी को पसन्द आ रही है तन्हाई?। अब नहीं रहा पुराना वाला सम्मान? न नाई न बारी न पंङी जी का कोई रह गया जजमान?। हरतरफ अजीब तरह का मंजर? खेत खलिहान बाग बगीचा हो रहा बंजर है। अपमानित हो रहे माँ बाप घर घर आधुनिकता के कहर से समाज में घुल रहा है जहर?।। आने वाला कल बदलते परिवेश में आधुनिक समाज के नाम पर अपनी पुरानी बिरासत की बर्बादी का सन्देश लेकरआ रहा मिलावट का दौर है।आधुनिकता में ङूबा गांव और शहर है।अन्न पानी सब कुछ बन रहा जहर है। फीर भी हम चेत नहीं रहें है। धङल्ले से पुराने पेङो की कटान से बीरान हो गया गांव का सीवान? पुराने खपरैल से बने देखने को नही मिलते मकान? यदि समय रहते ब्यवस्था नहीं बदली तो निश्चित रूप से हम आप खुद अपनी बर्बादी के जिम्मेदार होगें?।आने वाली पीढी कभी माफ नहीँ करेगी?जीवन दायनी नदियाँ  सूख रही है। हरे पेङ काटे जा रहे, है?ताल तलैया पोखरी पाटे जा रहे है।फीर कैसे ऊम्मीद कर रहे है आने वाले कल में खुशहाल जिन्दगीं का? जिसके रहमो करम पर जीवन मिला आज उसी से गिला? यह बात आज सच साबित होती लग रही है÷ आज  के दौर में उम्मिदे वफा किससे करें? धूप में बैठें है खुद पेङ लगाने वाले।?अब भी समय है अपनी पुरातन धरोहर को बचावे अपनी परम्पराओं को सम्हाले?ताकी आने वाला कल सुखमय हो सके?आने वाली पीढी कुशलता का जीवन गुजार सके। जिस तरह से सनातन ब्यवस्था बदल रही है। समाज बदल रहा है। समरसता बिवसता में दम तोङ रहा है। आपसी भाई चारगी  बेचारगी के बीच तनातनी में है। बङा छोटा का लिहाज खत्म हो रहा है। वह आने वाले कल के कलंकित इतिहास का भयावह मंजर समेटे बिनाश का बीज अंकुरित कर रहा है?।आज के जमाने का यही सच है। 
कभी फुर्सत मिले तो मनन कीजीये चिन्तन कीजीये? हम क्या थे क्या हो गये है।?कहाँ  थे कहाँ जा रहें है।कभी घर के दाने खा रहे थे आज पिज्जा और बर्गर खा रहे है।हमारे पूर्वज  सौ साल तक निरोगी काया के साथ जिया करते थे। हम आज आधी उम्र में ही जिन्दगी गँवा रहे है। वक्त तेजी से बदल रहा है जमाना कदम कदम पर मचल रहा है।आने वाला कल बिकल भाव से तनाव की जिन्दगी जीने को बिवस कर रहा है। बेशर्म बेहया लोगों के कारण भर गये बृद्धा आश्र्म, अनाथ आश्र्म? छण छण सिसकन से भीगे रहते उन अभागे  मा बाप के मसकन?।
 जिन्होने अपनी जीवन की सारी कमाई बेटे की पढाई घर की रहनुमाई में खर्च कर दिया। जब जरूरत पङी तब गोद के पालो ने जुदाई देकर जीवन भर की कमाई का ऐसा सिला दिया की बोझील कदम बृद्धा आश्रम के तरफ बढ गये? जहाँ से फीर कभी अपनी कमाई से जुटे पाई पाई से बनायी हवेली नसीब नही हुयी? गुमनामी मे भी बदनामी से घर बार को बचाने के लिये मरते मरते भी मा बाप बेटे को इज्जत की सौगात दे गये?---???????


आज लावारिस शव को सिख्ख समाज ने दिया कन्धा दान 

अवगत कराना है कि समाज कल्याण सेवा समिति द्वारा लावारिस लाशों को पांच दिवसीय कन्धादान अभियान के आज चौथे दिन सिख्ख समुदाय द्वारा कन्धादान किया गया सिख समाज ने इंसानियत व भाईचारे का जज्बा दिखाया कन्धा दानियों में होड़ सी लगी रही तीन दिनों की भांति सिख समाज के कन्धों पर लदीलाश पोस्ट मार्टम से बाहर आई तो सिख समाज द्वारा लावारिस लाश तथा उनके विछड़े परिवार के आत्म शांति के लिए दुआ की गयी कन्धा देने के लिए यह समाज भी आतुर दिखे पूर्व की भांति जम कर फूलों की वर्षा हुई सड़क फूलों से पटी दिखी आज भी  समिति के सचिव द्वारा कन्धादान महादान तथा इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही है संदेश हमारा! कन्धा दानियो से अपील की कि इस महा मानव कार्य में हमारा तन मन धन से सहयोग करें बॉस पन्नी कफन चादर दान करें और या भी संभव ना हो तो कन्धादान देकर हमारे कन्धों से कन्धा मिलाकर लावारिसों के वारिस बनें जिससे इस महा मानव कार्य को हम सम्पूर्ण उ० प्र० में करवा सकें कार्यक्रम में प्रमुख रुप से-आशू भाटिया शाहिब बग्गा सरदार काले सरदार काके नीतू सांगरी सरदार गुरुदीप सिंह भुपेन्द्र सिंह गुरमीत सोनी गुरमीत काके मनोज कुकरेजा सुरजीत सिंह ओबराय  शैलेन्द्र कुमार राधेश्याम मनीष जी अखलेश राजवन्त मनी सिंह जीतू पैंथर  प्रदीप पैंथर सुरेन्द्र चमन राहुल गौतम मनीषा पैंथर सीमा जीत मीनू आदि लोग मौजूद रहे सभी ने एक श्वर में कहा आइये हम सब मिलकर इंसानियत को कायम रखें ताकि इंसान इंसान के काम आये |


तेरे बगैर 






तेरे बगैर ऐ मेरे सनम 

जिंदगी मेरी अधूरी रही 

 

मर गयीं ख़्वाहिशें सारी 

प्यास मेरी अधूरी रही 

 

भटकता रहता हूँ रात-दिन 

ठहरने की चाहत अधूरी रही 

 

तेरे वादों की निशानी 

हृदय में दफन ही रही 

 

कहो कैसे उठाऊंगा बोझ तन्हाई का 

क्यों मुझपे तेरी मेहरबानियाँ नहीं रही 

 

अब महफिलें लगती हैं बीरानी सी 

टूटे हुए दिल में तेरी यादें जो रही 

 

तेरे बगैर ऐ मेरे सनम 

जिंदगी मेरी अधूरी रही

 

- मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 

ग्राम रिहावली, डाक तारौली, 

फतेहाबाद, आगरा 283111


 

 



 



कविता - कोई तो है

 

मेरे मन को छूने का हुनर वो जान गया है।

आँखों मे छिपे अश्को को पहचान गया है।।

 

कोई रिश्ता नही है उससे लेकिन वो मेरे मन 

के हर कोने के छिपे दर्द को पहचान गया है।

 

हर एक रिश्ता जब मुझे हर वक्त छल रहा था।

वो मेरे दर्द को अपना मान मेरे साथ चल रहा था।।

 

ना उसने,ना कभी मैंने अपने रिश्तों को नाम दिया।

मैं जब भी जहाँ थका,उसने मेरा हाथ थाम लिया।।

 

वो कोई दोस्त नही,प्यार नही ना ही मेरा साया है।

जब छल रहा था काल मुझे,मैंने उसे पास पाया है।।

 

माना रिश्तों को एक नाम देना भी जरूरी हो जाता है।

कोई तो है,ये एहसास इन बातों को कहाँ मान पाता है।।

 

चलते रहना साथ यूँही,जब तक जीवन का अंत ना हो।

रिश्ता कोई बने ना बने,एहसासों का कभी अंत ना हो।।

 

 

 

 

नीरज त्यागी

ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).

चलो आज हम - तुम नया गीत गाएं

ख्वाबों की अपनी एक बगिया सजाएं


चलो आज हम - तुम नया गीत गाएं

 

दिल का नया गीत अनमोल सुन लो

धुन हो नई और नए बोल चुन लो

होगा पुराना नहीं कुछ भी इसमें

खुद से नया एक माहौल बुन लो

मिलाकर के सुर आओ गुनगुनाएं

चलो आज हम - तुम नया गीत गाएं

 

शिकवा गिला कोई फरियाद ना हो

नया दिल हो बिल्कुल नई भावना हो

मन में भले ही न हो और कुछ पर

सदा साथ जीने की ही कामना हो

 

इसी कामना में जहाँ को भुलाएं

चलो आज हम - तुम नया गीत गाएं

 


विक्रम कुमार

मनोरा, वैशाली


Tuesday, December 24, 2019

टाटा मोटर्स ने पेश किया भारत का पहला इलेक्ट्रिक व्हीकल 'नेक्सॉन ईवी'

मुंबई : टाटा मोटर्स ने इंडिया की अपनी इलेक्ट्रिक एसयूवी-नेक्सॉन ईवी का मुंबई में अनावरण किया। यह एसयूवी उन सभी व्यक्तिगत कार के खरीदारों की पसंद की कसौटी पर खरी उतरेगी, जो गाड़ी चलाते समय रोमांच के साथ कनेक्टेड ड्राइविंग का शानदार अनुभव चाहते हैं। यह इलेक्ट्रिक एसयूवी पर्यावरण के लिहाज से बेहद अनुकूल है। आधुनिक जिपटॉन टेक्नोलॉजी से लैस यह इलेक्ट्रिक वाहन सक्षम हाई वोल्टेज सिस्टम, शानदार परफॉर्मेंस, लंबी-चौड़ी रेंज, फास्ट चार्जिंग की सुविधा, ज्यादा लंबी बैटरी लाइफ और जबर्दस्त सुरक्षा फीचर्स से लैस किया गया है। इस एएसयू को जनवरी 2020 में लॉन्च किया जाएगा। नेक्सॉन ईवी की कीमत 15 से 17 लाख रुपये के बीच रहने की उम्मीद है।
    कंपनी की इलेक्ट्रिक एसयूवी को पेश करने के लिए आयोजित किए गए समारोह में टाटा मोटर्स के एमडी और सीईओ श्री गुएंटर बुश्चेक ने कहा, “आधुनिक ईवी टेक्नोलॉजी, जिपट्रॉन को लॉन्च करने के बाद हमें अपने पहले इलेक्ट्रिक वाहन नेक्सॉन ईवी से लोगों को रूबरू कराते हुए बेहद खुशी हो रही है, जिसमें इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यह शानदार परफॉर्मेंस देने वाला कनेक्टेड व्हीकल है, जिसे भारतीय उपभोक्ताओं की उम्मीदों, अरमानों और जरूरत को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह इलेक्ट्रिक वाहन को अपनाने के रास्ते में आ रही सारी अड़चनों और रुकावटों को खत्म कर देगा। हमें पूरा विश्वास है कि यह भारत में वाहनों के इलेक्ट्रिफिकेशन के क्षेत्र में मील का पत्थर बनकर उभरेगा। इससे भारत के लिए स्थिर और जिम्मेदारी पूर्ण ढंग से यातायात के साधनों को विकसित करने की हमारी प्रतिबद्धता को बल मिलेगा।”
    नई नेक्‍सॉन ईवी का डिजाइन काफी बोल्ड और बेहतरीन है, जोकि इंपैक्ट डिजाइन 2.0 की भाषा को जीवंत करती है। यह नया डिजाइन नेक्‍सॉन के पहले से ही मजबूत और सार्थक अंदाज को और उभारता है। इससे सड़क पर शान से चलती नेक्‍सॉन भीड़ में बाकी बाहनों से बिल्कुल अलग नजर आएगी। टाटा की नई एसयूवी नेक्‍सॉन ईवी में पतली और चौड़ी ग्रिल के साथ लाइटें लगाई गई हैं। कंपनी ने अपने इलेक्ट्रिक वाहन में ग्रिल और लाइटिंग नए सिरे अंदाज में लगाई है। 


 

 

शिवपुरी पुलिस कन्ट्रोल रूम में किशोर सशक्तिकरण पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ आयोजन

शिवपुरी -   पुलिस कण्ट्रोल रूम शिवपुरी  जिले के समस्त थानों के बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को बाल संरक्षण, बालिका शिक्षा, लिंग विभेद पर प्रशिक्षण दिया गया। पुलिस अधीक्षक शिवपुरी श्री राजेश सिंह चंदेल के मार्गदर्शन मंे प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम के उद्येश्यों पर डीपीओ महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी श्री देवेन्द्र सुन्दरियाल जी द्वारा प्रशिक्षण के उद्येश्य पर चर्चा की। भारत को युवा देश कहा जाता है इस देश में 10 से19 बर्ष के किशोर किशोरियों की जनसंख्या लगभग 22 प्रतिशत है विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किशोर अवस्था को परिभाषित करने के लिए 10 से 19 बर्ष निर्धारित की गई है, यही वो समय है जब उनकी उर्जा, विकास और बृद्धि को नई दिशा मिलती है एैसे में यह वेहद आवश्यक हो जाता है कि जीवन के इस पड़ाव में इनको उचित सलाह, मार्गदर्शन एवं एक सुरक्षित माहोल प्रदान किया जाए, किशोर अवस्था में कई चुनोतिया होतीं है। जिनका सामाना किशोरों को करना पड़ता है। जिसमें विकास के अवसरों का न मिलना, शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं की अनुपलब्धता, लिंग भेदभाव, लिंग आधारित हिंसा , बाल विवाह, बाल श्रम तथा सामाजिक बंधन सामिल हैं। इन सारे विषयों को आज हमें समझना है व इनके लिए सकारात्मक सोच बनानी है। श्री सुन्दरियाल जी द्वारा रोशनी परियोजना के बारें मंे विस्तृत चर्चा की इसके दूरगामी परिणामों से भी अवगत कराया। श्रीमान पुलिस अधीक्षक शिवपुरी द्वारा बताया गया कि पुलिस को बच्चों के प्रति अधिक संवेदनशील रहना चाहिए, बच्चों के लिए बनाये गये कानूनों का कड़ाई से पालन करना सुनिश्चित हो, निर्धारित व्यवस्थाओं/संरचनाओं के बारे में सभी को जानकारी हो। आज के प्रशिक्षकों उनि. रूपेश शर्मा, उनि. मनीष चैहान, उनि. भावना राठौड़, उनि (रे) प्रियंका मिश्रा के द्वारा किशोर सशक्तिकरण, बाल अधिकार, बाल संरंक्षण, बाल विवाह, बच्चों के खिलाफ हिंसा (जेजे एक्ट 2015,पोक्सो एक्ट 2012) पर प्रशिक्षण दिया। जिला परियोजना समन्वयक श्री प्रदीप सिंह तोमर, सीमा जैन, कल्पना रायजादा, ममता संस्था ने कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया।

 

*जानिए क्या है एनआरसी? यदि यह 9 दस्तावेज हैं आपके पास, तो आप हैं भारत के नागरिक।*






 मथुरा;-  इस समय देश में नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लेकर चर्चा का माहौल गर्म है। लेकिन आमतौर पर किसी को घबराने की जरूरत नहीं है। कई ऐसे दस्तावेज हैं, जो या तो आपके पास होंगे या आसानी से मिल सकते हैं, जो आपकी इस देश में नागरिकता को पुख्ता करते हैं।

 

सरकार द्वारा सिटीजनशिप एमेंडमेंट एक्ट (Citizenship Amendment Act) बनने के बाद अब देशभर मेंं नागरिकता को लेकर चर्चा का माहौल गर्म है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह समेत सरकार के सभी मंत्रियों ने नागरिकता कानून और एनआरसी से नहीं घबराने की सलाह दी है। आज हम आपको बता रहे हैं कि अगर आपके पास ये नौ आसान दस्तावेज होंगे तो यकीनन आप भारत के नागरिक हैं और आपका नाम NRC (The National Register of Citizens) यानि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में होगा।

 

इस समय नागरिकता का सवाल पूरे देश में उठाया जा रहा है कि अगर कल को अगर नागरिकता का सबूत देना पड़े तो कैसे देंगे। वास्तव में ये दस्तावेज आसान दस्तावेज हैं, लिहाजा जो भी भारत में पैदा हुआ है और यहां रह रहा है, उसके पास इनमें से कोई ना कोई दस्तावेज भी जरूर होगा।

 

संविधान में विभिन्न अनुच्छेदों के जरिए नागरिकता को पारिभाषित किया गया है।इन अनुच्छेदों में वक्त-वक्त पर संशोधन भी हुए हैं. संविधान का अनुच्छेद 5 से लेकर 11 तक नागरिकता को पारिभाषित करता है। इसमें अनुच्छेद 5 से लेकर 10 तक नागरिकता की पात्रता के बारे में बताता है, वहीं अनुच्छेद 11 में नागरिकता के मसले पर संसद को कानून बनाने का अधिकार देता है।

 

नागरिकता को लेकर 1955 में सिटीजनशिप एक्ट पास हुआ। एक्ट में अब तक चार बार 1986, 2003, 2005 और 2015 में संशोधन हो चुके हैं।

 

संविधान में भारतीय नागरिकता को लेकर स्पष्ट दिशा निर्देश हैं।

 

इसके अनुसार अगर ये दस्तावेज आपके पास होंगे तो आप इस सूची में शामिल हो सकते हैं।

 

1) जमीन के दस्तावेज जैसे- बैनामा, भूमि के मालिकाना हक का दस्तावेज।

 

2) राज्य के बाहर से जारी किया गया स्थायी निवास प्रमाणपत्र।

 

3) भारत सरकार की ओर से जारी पासपोर्ट।

 

4) किसी भी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी लाइसेंस/प्रमाणपत्र।

 

5) सरकार या सरकारी उपक्रम के तहत सेवा या नियुक्ति को प्रमाणित करने वाला दस्तावेज।

 

6) बैंक/डाक घर में खाता।

 

7) सक्षम प्राधिकार की ओर से जारी किया गया जन्म प्रमाणपत्र।

 

8) बोर्ड/विश्वविद्यालयों द्वारा जारी शिक्षण प्रमाणपत्र।

 

9) न्यायिक या राजस्व अदालत की सुनवाई से जुड़ा दस्तावेज।

 

कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं?

संविधान में भारतीय नागरिक को स्पष्ट तौर पर पारिभाषित किया गया है।संविधान का अनुच्छेद 5 कहता है कि अगर कोई व्यक्ति भारत में जन्म लेता है और उसके मां-बाप दोनों या दोनों में से कोई एक भारत में जन्मा हो तो वो भारत का नागरिक होगा।भारत में संविधान लागू होने के 5 साल पहले यानी 1945 के पहले से रह रहा हर व्यक्ति भारत का नागरिक माना जाएगा।

 

हालांकि जब असम में NRC प्रक्रिया को लागू किया तो उसमें ये माना गया कि वो शख्स NRC के तहत, भारत का नागरिक होने के योग्य है, जो साबित करते हैं कि या तो वे या उनके पूर्वज 24 मार्च 1971 को या उससे पहले भारत में थे। ये प्रक्रिया बांग्लादेशी प्रवासियों को बाहर करने के लिए शुरू की गई थी। बता दें कि 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद बांग्लादेश का निर्माण हुआ था।

 

नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद ये चर्चा काफी ज्यादा है कि अब देशभर में एनआरसी लागू होगा। हालांकि भारत में पैदा हुए या लंबे समय से रह रहे लोगों के लिए इसमें घबराने की कोई बात नहीं है।

 

अगर कोई भारत में नहीं भी जन्मा हो, लेकिन वो यहां रह रहा हो और उसके मां-बाप में से कोई एक भारत में पैदा हुए हो तो वो भारत का नागरिक माना जाएगा। अगर कोई व्यक्ति यहां पांच साल तक रह चुका हो तो वो भारत की नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकता है।

संविधान का अनुच्छेद 6 पाकिस्तान से भारत आए लोगों की नागरिकता को पारिभाषित करता है. इसके मुताबिक 19 जुलाई 1949 से पहले पाकिस्तान से भारत आए लोग भारत के नागरिक माने जाएंगे. इस तारीख के बाद पाकिस्तान से भारत आए लोगों को नागरिकता हासिल करने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। दोनों परिस्थितियों में व्यक्ति के मां-बाप या दादा-दादी का भारतीय नागरिक होना जरूरी है।

संविधान का अनुच्छेद 7 पाकिस्तान जाकर वापस लौटने वाले लोगों के लिए है।इसके मुताबिक 1 मार्च 1947 के बाद अगर कोई व्यक्ति पाकिस्तान चला गया, लेकिन रिसेटेलमेंट परमिट के साथ तुरंत वापस लौट गया हो वो भी भारत की नागरिकता हासिल करने का पात्र है. ऐसे लोगों को 6 महीने तक यहां रहकर नागरिकता के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। ऐसे लोगों पर 19 जुलाई 1949 के बाद आए लोगों के लिए बने नियम लागू होंगे।

एनआरसी में वो सभी लोग पात्र हैं जो या तो भारत में पैदा हुए, या 1949 के बाद भारत आए या फिर वो लोग, जिन्होंने देश की नागरिकता हासिल कर ली हो

संविधान का अनुच्छेद 8 विदेशों में रह रहे भारतीयों की नागरिकता को लेकर है।इसके मुताबिक विदेश में पैदा हुए बच्चे को भी भारतीय नागरिक माना जाएगा अगर उसके मां-बाप या दादा-दादी में से से कोई एक भारतीय नागरिक हो। ऐसे बच्चे को नागरिकता हासिल करने के लिए भारतीय दूतावास से संपर्क कर पंजीकरण करवाना होगा।

संविधान का अनुच्छेद 9 भारत की एकल नागरिकता को लेकर है. इसके मुताबिक अगर कोई भारतीय नागरिक किसी और देश की नागरिकता ले लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता अपने आप खत्म हो जाएगी।

संविधान का अनुच्छेद 10 नागरिकता को लेकर संसद को अधिकार देता है।इसके मुताबिक अनुच्छेद 5 से लेकर 9 तक के नियमों का पालन करने वाले भारतीय नागरिक होंगे। इसके अलावा केंद्र सरकार के पास नागरिकता को लेकर नियम बनाने का अधिकार होगा. सरकार नागरिकता को लेकर जो नियम बनाएगी उसके आधार पर किसी को नागरिकता दी जा सकेगी।

 

संविधान का अनुच्छेद 11 संसद को नागरिकता पर कानून बनाने का अधिकार देता है। इस अनुच्छेद के मुताबिक किसी को नागरिकता देना या उसकी नागरिकता खत्म करने संबंधी कानून बनाने का अधिकार भारत की संसद के पास है।


 

 



 



मां छाया है खुशियों की, पिता सुहानी धूप

 


मात -पिता की सेवा का फल है बड़ा अनूप

वारते जीवन बच्चों पर, उनपे लुटाते जान

मां है ममता की मूरत,पिता स्नेह का रुप

 

हंसके अपने बच्चों का सर पे उठाते भार

बच्चों को ही जीने का मानते हैं आधार 

हम सबके जीवन में है इनका बड़ा महत्व 

माता है ममतामयी , पिताजी पालनहार

 

इस मन में बस एक ही बसता है अरमान

मात-पिता के चरणों में सदा मिले स्थान 

भले न देना और कुछ पर देना इतना सा

कभी अलग मां-बाप से न करना भगवान 

 

उनका जीवन सरल सुखद होता है आसान

जिस घर में मां-बाप का नित होता सम्मान 

स्वर्ग है उनके कदमों में और है चारों धाम

मात-पिता से बढ़के न कोई दूजा भगवान

 

कर्म करें पहले अच्छे फल की चिंता बाद

मात-पिता ही हैं ईश्वर रखें हरदम याद

न मथुरा काशी अवध जाने की दरकार

मात-पिता जो खुश रहें तो जीवन आबाद 

 

मांग दुआ जब भी कोई कर इतनी फरियाद

अंतर्मन में ये सदा रखना एक मुराद

धन-दौलत सुख शांति घटेंगे कभी नहीं 

गर साया हो बाप का और मां का आशीर्वाद