Friday, April 3, 2020

क्षय रोगियों को एक माह की अतिरिक्त एडवांस औषधियाँ उपलब्ध कराने के निर्देश






शिवपुरी, 03 अप्रैल 2020/ राज्य शासन ने कोरोना संक्रमण की गंभीर स्थिति को देखते हुए समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों से कहा है कि लॉकडाउन के दौरान क्षय रोगियों को अतिरिक्त रूप से एक माह की एडवांस औषधियाँ उपलब्ध करायें। मिशन संचालक एन.एच.एम. ने निर्देश जारी किये हैं कि नये खोजे गये टी.बी. रोगियों का उपचार पी.एच.आई. स्तर पर किया जाना और समस्त टी.बी. मरीजों को आवश्यक रूप से औषधियाँ उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।

प्रदेश के समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि सभी टी.बी. रोगियों की जाँच सुचारु रूप से की जाये। लॉकडाउन के दौरान औषधियों का वितरण अनिवार्य रूप से किया जाये। जिला क्षय अधिकारी कोई समस्या उत्पन्न होने पर जिला प्रशासन की मदद से स्थानीय स्तर पर उसका समाधान करने का प्रयास करें। अगर राज्य-स्तर से सहयोग की आवश्यकता महसूस होती है, तो राज्य क्षय कार्यालय को सूचित करें। क्षय रोगियों (पब्लिक एवं प्राइवेट) को तथा पी.एच.आई. स्तर तक एक माह की अतिरिक्त एडवांस औषधियाँ उपलब्ध कराई जाये। ड्रग स्टॉक को निक्षय औषधि सॉफ्टवेयर में प्रतिदिन अपडेट करे। जिलों से कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान क्षय कार्यक्रम प्रभावित न हो, यह सुनिश्चित करें।

 

 



 



रेडिको खेतान को मिला सैनिटाइजर बनाने का लाइसेंस

दैनिक अयोध्या टाइम्स संवाददाता,रामपुर-रेडिको खेतान को सैनिटाइजर बनाने का लाइसेंस मिल गया है। उत्पादन भी शुरु हो गया है। साथ ही, आसपास के जिलों को सप्लाई भी की जाने लगी है।दुनियाभर में दहशत फैलाए कोरोना वायरस से बचाव के लिए सैनिटाइजर का इस्तेमाल जरूरी है लेकिन, लोगों को जरूरत के मुताबिक सैनिटाइजर नहीं मिल पा रहा था। इसे देखते हुए रेडिको खेतान ने सैनिटाइजर बनाने के लिए सरकार से लाइसेंस मांगा। कंपनी के डायरेक्टर केपी सिंह ने बताया कि सैनिटाइजर बनाने का लाइसेंस मिल गया है और रामपुर डिस्टलरी में ही इसका उत्पादन शुरू कर दिया गया है। जिला प्रशासन को उसकी जरूरत के मुताबिक सैनिटाइजर उपलब्ध कराया जा रहा है। अब मेडिकल स्टोर को भी सप्लाई की जाएगी।उन्होंने बताया कि रामपुर के अलावा मुरादाबाद, सम्भल और अमरोहा को भी सैनिटाइजर की सप्लाई की गई है। इन स्थानों पर प्रशासन ने सैनिटाइजर उपलब्ध कराने की मांग की थी। इसके अलावा, कानपुर देहात के जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने भी रेडिको खेतान से सैनिटाइजर की मांग की है, उन्हें भी उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि कंपनी के पास पर्याप्त मात्रा में सैनिटाइजर उपलब्ध है, जिसे जितने की जरूरत होगी, उसे उतना उपब्लध कराया जाएगा। 90 और 200 एमएल की शीशी में भी सैनिटाइजर उपलब्ध है, जबकि थोक में जितना चाहें उतना ले सकते हैं। रामपुर शहर में कोरोना वायरस से बचाव के लिए सड़कों पर भी सैनिटाइजर का स्प्रे कराया जा रहा है, जबकि लोग इसका छोटी शीशी का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं।

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सैनिटाइज किए शहर के बाजार एवं प्रमुख मार्ग

दैनिक अयोध्या टाइम्स संवाददाता,रामपुर-कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए प्रयास तेज हो गए हैं। जिलाधिकारी के आदेश के बाद शहर के प्रमुख मार्गों एवं बाजारों को सैनिटाइज करने का काम किया जा रहा है। इस काम की मॉनिटरिंग भी खुद जिलाधिकारी के स्तर पर की जा रही है।नगर पालिका की टीम सुबह से ही मैदान में जुट गई। बाजार नसरूल्ला खां, शादाब मार्केट, बर्तन बाजार, मिस्टन गंज, सर्राफा मार्केट, जेल रोड, पान दरीबा,मस्जिद दरोगा महबूब जान, पुराना गंज, शाहबाद गेट, नवाब गेट, सिविल लाइंस, ज्वालानगर समेत शहर के सभी बाजारों में टैंकरों के माध्यम से हाईपोक्लोराइड का छिड़काव कराया गया। शहर के प्रमुख सड़कों पर भी छिड़काव करने का काम किया गया। इसके अलावा गली, मुहल्लों में छिड़काव के लिए अलग से टीम को तैयार किया गया है, जो दूसरी शिफ्ट में कार्य को अंजाम देने के लिए जुट गई। इस दौरान शहर की साफ सफाई के लिए भी टीमें मुस्तैद रहीं। इस पूरे कामकाज की मॉनिटरिंग खुद जिलाधिकारी के द्वारा की जा रही थी, जबकि अधिशासी अधिकारी डॉ. इन्दुशेखर मिश्रा के निर्देशन में कार्य किया जा रहा था। इस दौरान पालिका कर्मियों ने पूरी मुस्तैदी के साथ अपने कार्य को अंजाम दिया। सेनेट्री इंस्पेक्टर सुरजीत सिंह ने बताया कि छिड़काव कराने का काम जारी रहेगा।

45 खरीद केंद्रों पर गेहूं खरीदने की तैयारियां पूरी






हमीरपुर।एक अप्रैल से जिले में 45 गेहूं खरीद केंद्रों पर शुरू होने वाली गेहूं की खरीद इस साल कोरोना महामारी के चलते शुरू नहीं हो सकी है।हालांकि इस बार पिछले साल की तुलना में जनपद मे दो खरीद केंद्र अधिक बनाए गए हैं और इस साल गेहूं का समर्थन मूल्य भी पिछले साल की तुलना में अधिक है।पिछले साल पूरे जनपद में 43 गेहूं खरीद केंद्रों पर 9586 किसानों का 43405मीट्रिक टन गेहूं खरीदा था जो सरकार के लक्ष्य 32,700 मीट्रिक टन से बहुत अधिक था।जिसके लिए सरकार ने 75,56,72000₹(पछत्तर करोड़, छप्पन लाख,बहत्तर हजार रुपये का भुगतान किया गया है।जो सीधा किसानों के खाते में चेक द्वारा डाला गया था।वहीं इस साल 2019 यानी पिछले साल की अपेक्षा दो अधिक 45गेहूं खरीद केंद्र संचालित किये जायेंगे।साथ ही गेहूं का समर्थन मूल्य पिछले साल 1735₹से बढाकर 1840₹कर दिया गया है जो पिछले साल की अपेक्षा 105₹अधिक है।जबकि इस साल तौलाई इलेक्ट्रॉनिक मशीनों के माध्यम से की जायेगी।वहीं जनपद की राठ तहसील में पीसीएफ के पांच केंद्र जबकि विपणन शाखा का एक और भारतीय खाद्य निगम व एग्रो के एक एक केंद्र संचालित होंगे।जबकि सरीला तहसील में पीसीएफ के सात केंद्र, विपणन शाखा का एक केंद्र खोला जायेगा।जबकि मौदहा तहसील मुख्यालय की गल्ला मंडी में पीसीएफ के पांच, विपणन का एक, एग्रो का एक केंद्र खोला जायेगा जबकि मौदहा तहसील के मुस्कुरा ब्लॉक में पीसीएफ के पांच, विपणन शाखा का एक केंद्र खोला जायेगा।वहीं हमीरपुर सदर तहसील के सुमेरपुर विकास खण्ड में पीसीएफ के छः,एग्रो के दो,और विपणन शाखा का एक केंद्र खोला जाना है।जबकि इसी तहसील के कुरारा विकास खण्ड पीसीएफ के तीन, विपणन शाखा का एक, केंद्र खोला जाना है।जबकि गोहाण्ड विकास खण्ड में पीसीएफ के तीन व सरीला मे पीसीएफ के सात एक विपणन शाखा का केंद्र खोला जाना है।वहीं जिला खाद्य एवं विपणन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार गेहूं बेचने वाले किसानों के खातों में सीधे धन भेजा जाएगा जबकि पिछले बार चेक के माध्यम से भुगतान किया गया था।हालांकि अभी तक गेहूं खरीद के लक्ष्य की जानकारी नहीं मिल सकी है।तो वहीं बुण्देलखण्ड क्षेत्र में प्रदेश के दूसरे हिस्सों के मुकाबले में फसल पहले तैयार होकर कट जाती है।हालांकि खरीद केंद्र कोरोना के चलते शुरू नहीं हो सके हैं अन्यथा सरकारी स्तर पर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।ऐसे में किसानों का गेहूं खेतों में पडा हुआ है।वैसे भी किसान पहले से मौसम की मार का सताया हुआ है।ऐसे में अगर मौसम ने एक बार फिर करवट ली तो किसानों की कमर पूरी तरह से टूट जायेगी।


 

 



 



जयाप्रदा ने अपने जन्मदिवस पर कोरोना वायरस संक्रमण के चलते आर्थिक सहायता के रूप में गरीबों को बंटवाई राशन सामग्री  

दैनिक अयोध्या टाइम्स संवाददाता,रामपुर-भाजपा नेता एवं पूर्व सांसद जयाप्रदा ने अपने जन्मदिवस पर कोरोना वायरस संक्रमण के चलते आर्थिक सहायता के रूप में गरीबों को बंटवाई राशन सामग्री, काशीराम कॉलोनी में भाजपा जिला अध्यक्ष अभय गुप्ता राशन सामग्री वितरित करते हुए ग्राम नवीगंज में भाजपा नेता राजीव मांगलिक व भाजपा के जिला महामंत्री अशोक विश्नोई ग्राम नवीगंज में गरीबों को राशन वितरित करते हुए साथ में किसान सेवा सहकारी समिति के चेयरमैन मुस्तफा हुसैन आदि लोग मौजूद रहे।

लॉकडाउन के चलते पशु और पक्षियों की सेवा कर इन्सानित की मिसाल बनी बानी एनिमल वेलफ़ेयर सोसायटी

दैनिक अयोध्या टाइम्स संवाददाता,रामपुर-कोरोना वायरस के चलते रामपुर में भूखे पियासे पशु और पक्षियों को खाना खिला कर इंसानियत की मिसाल बन रही है रामपुर की बनी एनिमल वेलफ़ेयर सोसायटी। हाइवे किनारे भूख से तड़प रहे जानवरो को पक्षियों को कोई देखने वाला नही है कोरोना वायरस के आने के बाद पूरे देश को लॉक डाउन कर दिया गया है जिसमे इंसानों की आवाजाही पूरी तरह से रोक लगा दी गई लोग अपने घरों में ही कैद हो गए ऐसे में पशु और पक्षियों भूख के मारे तड़प रहे जिन्हें देखने वाला कोई नही है सरकारे भी इंसानों की फिक्र में लगे है पर एक ऐसी भी सोसायटी है जो इनकी सेवा भाव मे लगी है।कोरोना वायरस के चलते रामपुर की बानी एनिमल वेलफ़ेयर सोसायटी समय समय पर पशु और पक्षियों की जांच बचाने और उनकी सेवा करती रहती है इसी कड़ी में बानी एनिमल वेलफ़ेयर सोसायटी की पूरी टीम हाइवे किनारे जंगलों में निकल गई ओर भूख से तड़प रहे जानवरो पक्षियों को पानी व खाना खिला कर उनकी सेवा भाव मे जुट गई है। यह वो इंसानियत है जिसे हर किसी को फिक्र नही होती कुछ खास ही लोग होते है जो करते है। बानी एनिमल वेलफ़ेयर सोसायटी के इस कार्य ने देश में मिसाल कायम कर दी है।वहीँ बानी एनिमल वेलफ़ेयर सोसायटी के अध्यक्ष हिफाज़त बानी कहते है कि इंसानो की कोरोना वायरस आने के बाद पूरी तारा से लॉक डाउन हो गया है जिसमे इंसानो की भूख तो इंसान मिटा रहे है पर इन बेज़ुबान जनवरो का दर्द को सुनने वाला नही है ऐसे में हमारी बानी एनिमल वेलफ़ेयर सोसायटी यह कदम उठाती है और पशु और पक्षियों की सेवा करती है बीमार जनवरो का इलाज करती है जंगलों से भटक कर आये जनवरो को पकड़ कर उन्हें जंगल मे छोड़ने का काम हरी सोसायटी पिछले 15 सालों से लगातार कर रही है।

वीर खालसा सेवा समिति द्वारा जरूरतमंदों को घर-घर राशन पहुंचाया

दैनिक अयोध्या टाइम्स संवाददाता,रामपुर-वीर खालसा सेवा समिति द्वारा दसवें दिन जरूरतमंदों को राशन चावल केले बिस्कुट आदि बांटे गए अवतार सिंह व सभी साथी गण जरूरतमंदों को राशन पहचाने में जुट गए और लोगों को घर-घर राशन पहुंचाया।अवतार सिंह ने बताया कि नालापार काशीराम कॉलोनी पहाड़ी गेट डूंगरपुर कॉलोनी गड्ढा कॉलोनी अशोक विहार कपड़ा मिल पनगढ़िया सभी जरूरतमंदों को ज्यादातर राशन उपलब्ध कराया गया अवतार सिंह कहा कि यह सब आए आगे भी निरंतर जारी रहेंगी वाह जरूरतमंदों को उनके मुताबिक अनुसार मदद की जाएगी इस मौके पर निर्मल सिंह,मनमीत सिंह,सोनू,मीना,परमजीत सिंह,सेवा सिंह,रिंकू,हरमिंदर सिंह,अमरजीत,नसीब सिंह आदि लोग मौजूद रहे हैं।

कानपुर पेंट मैन्युफैक्चर वा सेवा दल द्वारा गरीबों को बांटा जा रहा है राशन




कानपुर- जहां पूरे देश में करोना वायरस का हाहाकार मचा है वही चारों तरफ लॉक डाउन है वही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि कोई भी कालाबाजारी नहीं करेगा उचित रेट पर सामान बेचकर गरीबों के हित में काम करेगा और कोई भी गरीब भूखा ना सोए इसके लिए कानपुर पेंट मैन्यूफैक्चर व सेवा दल द्वारा गरीबों को रोज राशन वितरित किया जा रहा है सोशल डिस्टेंस करके जरूरतमंदों को रोज सुबह 9:00 से 11:00 तक गुजैनी एफ  ब्लॉक में राशन वितरित किया जाता है जिससे कई जरूरतमंदों के घर में चूल्हे जलते हैं राशन वितरित करते हुए विनोद पाल व राजू कश्यप ने बताया कि जब से लॉक डाउन हुआ है तब से रोजाना गरीबों को राशन मुफ्त में वितरित किया जाता है और बीच-बीच में भोजन वितरण की भी प्रक्रिया होती है कानपुर महानगर में लोगों को जागरूक होना चाहिए और ऐसे जरूरतमंदों की सहायता करनी चाहिए कमेटी में उपस्थित रहे राजू कश्यप एडवोकेट, विनोद पाल, हरेंद्र प्रताप सिंह ,धीरेंद्र प्रताप सिंह, मोहित प्रजापति आदि लोग उपस्थित रहे कानपुर से विजय कुमार की रिपोर्ट


 

 



 

थाना ठाकुरगंज बालागंज क्षेत्र अंतर्गत जल निगम रोड बिस्मिल्लाह कैंटीन के पास विवाद के कारण चली गोली




पुष्पेंद्र सिंह ब्यूरो चीफ दैनिक अयोध्या टाइम्स लखनऊ

एक तरफ कोरोना के चलते जनता को घर से बाहर निकलने के किये मना जा रहा है। लेकिन जनता  मानने के लिये तैयार नही आपस में विवाद करती जा रही।  लोगो को न तो शासन का डर है। न ही प्रशासन का खौफ है।   पुलिस को तो एक कतपुतली समझ रही है जनता। सूत्रो के मुताबिक थाना ठाकुरगंज क्षेत्र में हरीनगर चौराहे के पास पूर्व की रंजिश को लेकर रम्मन पुत्र मुन्ना नि जल निगम रोड ठाकुरगंज का निज़ाम पुत्र रसूल नि अली कॉलोनी ( दूध का काम ) तथा मो उस्मान पुत्र अब्दुल जब्बार नि नानक नगर ( प्लास्टिक की दुकान ) से बाद विवाद हुआ तथा रम्मन द्वारा फायरिंग कर दी गई जिसमें मो उस्मान के दाहिने कंधे में चोट आयी उसे ट्रामा सेंटर भेजा गया जहां उसकी स्थिति खतरे से बाहर है |   निज़ाम जिसका पूर्व से रम्मन से विवाद था उसके हाथ में मामूली खरोंच आई है |     प्रकरण में निज़ाम की तहरीर पर अभियुक्त रम्मन , राजू , सूफियान  के विरूद्ध थाना ठाकुरगंज पर अभियोग पंजीकृत कर अभियुक्तगण की गिरफ्तारी हेतु प्रयास किया जा रहा है |


 

 



 

*मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कोरोना में जनता की मदद को लेकर दावे फेल होते नज़र आ रहे है उत्तर प्रदेश की पुलिस व* *@cell112uttarpradesh ने मुख्यमंत्री के आदेशों को रखा तक पर*




*दैनिक अयोध्या टाइम्स समाचार*

*कोई गरीब भूखा नही रहेगा सिर्फ हवा हवाई*

कोरोना के  चलते मुख्यमंत्री यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ द्वारा लोगो को लगातार बताया गया और जा भी रहा  है कि कोई भी समस्या हो तो @cell112uttarpradesh पर कॉल कर सहायता मांग सकते है पर साहब कुछ लोगो की मदद कर उत्तरप्रदेश प्रशासन  सोशल मीडिया का किंग बनजाता है  लोग अपनी गुहार ही लगाते रहते है @cell112uttarpradesh सिर्फ आश्वासन ही देता है लगभग 20, 20  घण्टे  सूचना ही दर्ज होती रहती है मदद के नाम पर सिर्फ आश्वासन  बताते चले कल दोपहर लखनऊ प्रशासन को 1 ट्वीट किया गया जिसमें तहनूर नाम की महिला ने 1 वीडियो बनाकर प्रशासन से मदद मांगी cell112uttarpradesh ने मदद की तत्काल आश्वासन भी दिया और तो और आपात सहायता हेतु इवेंट आईडी p02042017036भी दी गयी पर मदद के नाम पर आज लगभग 20 घण्टे होने को आए आज भी सिर्फ ज़ुबानी सहारा ही दिया जा रहा है पीड़ित ने सोशल मीडिया की तरफ से आज फिर 1 वीडियो के सहारे सरकार व लखनऊ प्रशासन से मदद मांगी पर समाचार लिखे जाने तक महिला को कोई भी सहायता नही प्राप्त हुई



 

 

अब  देखना ये है कि 2 दिन से मदद मांग रही इस महिला को शासन प्रशासन कोई मदद करता है या ये गरीब युही मदद की गुहार लगाते हुवे मायूसी के साथ लौकडॉन खुलने का इन्तिज़ार करेगी| 

महिला के लिए कल से आज तक किये गए ट्वीट के स्क्रीन शार्ट समाचार में उपलब्ध है|


 

 




 


तुम दुःख मेरे नाम करो

प्रथम प्रेम का प्रथम निवेदन
तुम मेरा स्वीकार करो
पूरी हो मेरी अभिलाषा
बस थोड़ा उपकार करो..।।

मेरी चाहत के पन्नों पर
नाम तुम्हारा अंकित हो
प्रेम की स्याही से लिख दो तुम
बस मेरा ये काम करो..।।

मैं जीवन ये अर्पण कर दूं
आदेश मुझे थोड़ा दे दो
हो प्रेम अंकुरित अपना भी
बस थोड़ा सा प्रयास करो..।।

मिले मुझे भी प्रेम आपका
प्रेम पुजारी मैं बन जाऊं
अपना हर सुख मैं दे दूंगा
तुम दुःख मेरे नाम करो..।।
तुम दुःख मेरे नाम करो..।।


कोविड-19 से लड़ने में युद्ध स्तर पर जुटे सीएसआईआर के वैज्ञानिक

कोविड-19 महामारी के संकट को देखते हुए यह सवाल पूछा जा रहा है कि इस जिद्दी वायरस से लड़ने के लिए भारत के वैज्ञानिक आखिर क्या कर रहे हैं! लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद की स्थितियों से निपटने में देश के वैज्ञानिकों का योगदान क्या हो सकता है? उनके प्रयासों से कौन से उपचार उभर सकते हैं? कोविड-19 वायरस से लड़ने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, डीआरडीओ और जैव प्रौद्योगिकी विभाग समेत देश के विभिन्न सार्वजनिक एवं निजी संस्थान कार्य कर रहे हैं। लेकिन, सार्वजनिक क्षेत्र के जिन संस्थानों से यह अपेक्षा सबसे अधिक की जा रही है, उनमें वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) अग्रिम पंक्ति में शामिल है।


विभिन्न क्षेत्रों की प्रौद्योगिकियों के विकास से जुड़ीं सीएसआईआर की 38  वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं का नेटवर्क देशभर में फैला हुआ है, जो इस महामारी से लड़ने के लिए कार्य कर रही हैं। सीएसआईआर ने दो अलग-अलग योजनाओं के अंतर्गत कोविड-19 से निपटने के लिए शोध प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। पहली योजना के तहत शोध प्रस्ताव उद्योगों या स्टार्टअप कंपनियों से मंगाए गए हैं। भारत में पंजीकृत 50 प्रतिशत से अधिक भारतीय शेयरधारक कंपनियां इसके तहत शोध प्रस्ताव भेज सकती हैं। जिन कंपनियों के भारतीय शेयर 50 प्रतिशत से कम हैं और उनकी विनिर्माण इकाई भारत में है, वे भी इस योजना के अंतर्गत प्रस्ताव भेज सकती हैं। दूसरी योजना के अंतर्गत सीएसआईआर प्रयोगशालाओं से शोध प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं, ताकि किफायती और त्वरित डायग्नोस्टिक किट विकसित की जा सकें। इन दोनों योजनाओं के तहत शोध प्रस्ताव 5 अप्रैल तक भेजे जा सकते हैं।


कोरोना संक्रमण के संदिग्ध व्यक्तियों के नमूनों का परीक्षण प्रभावित लोगों की पहचान करने के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन, परीक्षण उपकरण बहुत महंगे हैं, जिसके कारण इनकी पहुँच सीमित है। उदाहरण के लिए, आरटी-पीसीआर मशीन की कीमत सुविधाओं के आधार पर 10 से 20 लाख रुपये के बीच होती है। कोविड-19 से लड़ने के लिए सीएसआईआर के वैज्ञानिक कोराना के परीक्षण के लिए किफायती पेपर किट विकसित कर रहे हैं, जो क्षणों में ही वायरस की पहचान कर सकता है।


सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे ने बताया कि नई दिल्ली स्थित “जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान (आईजीआईबी) के वैज्ञानिक जल्दी ही कोराना के परीक्षण के लिए यह किट विकसित कर लेंगे। इस किट के उपयोग से जाँच की लागत सिर्फ 100 रुपये आएगी और इसकी मदद से कहीं पर भी कोरोना का परीक्षण किया जा सकेगा।” इसके साथ ही, सीएसआईआर सीरो-डायग्नोस्टिक्स (रक्त सीरम के अध्ययन पर आधारित निदान) भी ला रहा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी, कोलकाता और आईजीआईबी, नई दिल्ली के वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं।


कोविड-19 से निपटने के लिए सीएसआईआर पाँच सूत्रीय एजेंडा पर काम कर रहा है। इनमें बीमारी के खतरे और उसकी प्रकृति को समझने के लिए आणविक स्तर पर निगरानी, किफायती जाँच किट बनाना, दवा का विकसित करना, अस्पतालों व निजी सुरक्षा उपकरणों का विकास और चिकित्सकीय उपकरणों की आपूर्ति शामिल है। सीएसआईआर की कोर टीम, जिसमें इसकी प्रयोगशालाओं के आठ निदेशक शामिल हैं, महानिदेशक, डॉ शेखर मांडे के नेतृत्व में कोविड-19 से लड़ने के लिए काम कर रहे हैं।


कोविड-19 से जुड़े विभिन्न आयामों पर केंद्रित होकर कार्य करने के लिए सीएसआईआर ने कुछ कंपनियों के साथ करार भी किया है। इन कंपनियों में बीएचईएल और सिप्ला के अलावा टीसीएस शामिल है। किसी बीमारी के उभरने पर दूसरे रोगों में उपयोग होने वाली दवाओं का उपयोग उस बीमारी के उपचार के लिए किया जाता है। कोविड-19 से लड़ने के लिए भी इसी तरह की रणनीति अपनायी जा रही है। कम समय में दवाओं के उत्पादन के लिए सीएसआईआर नई प्रक्रियाएं विकसित कर रहा है। इसके लिए, सिप्ला जैसी दवा कंपनी और सॉफ्टवेयर जगत की दिग्गज कंपनी टीसीएस की लाइफ-साइंस विंग से करार किया गया है।


सीएसआईआर की तीन प्रयोगशालाओं – राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (एनसीएल), पुणे, केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई), लखनऊ और भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी), हैदराबाद के वैज्ञानिक दवा के विकास पर काम कर रहे हैं। इसके लिए दवा कंपनी सिप्ला और कैडिला जायडस से एमओयू किया गया है। दूसरी ओर, अस्पताल व निजी सुरक्षा उपकरण बनाने के लिए बीएचईएल के साथ मिलकर कार्य शुरू किया गया है। सीएसआईआर बीएचईएल के साथ मिलकर इलेक्ट्रोस्टेटिक-स्प्रेयर और 10 हजार रुपये से एक लाख रुपये तक के वेंटिलेटर विकसित कर रहा है। ये किफायती वेंटिलेटर हैं, जिनको विकसित करने का उद्देश्य देश के हर अस्पताल एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इसकी पहुँच को आसान बनाना है।


कोरोना वायरस के उपचार के लिए सीएसआईआर के सहयोग से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करके टीसीएस नई रासायनिक संरचनाओं को डिजाइन कर रहा है। टीसीएस इनोवेशन लैब्स के एक ताजा शोध के अनुसार, उन्होंने "3CL प्रोटीज को रोकने में सक्षम नए छोटे अणुओं के डिजाइन के लिए "डीप न्यूरल नेटवर्क आधारित जेनरेटिव तथा प्रिडिक्टिव मॉडल का उपयोग किया है। इस तरह, उत्पन्न अणुओं का परीक्षण SARS-CoV-2 की 3CLप्रोटीज संरचना की बाइंडिंग साइट के खिलाफ किया गया है। शोधकर्ताओं ने SARS-CoV-2 के खिलाफ संश्लेषण और परीक्षण के लिए 31 संभावित यौगिकों की पहचान की है।


हैदराबाद स्थित कोशकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) कोविड-19 वायरस से संक्रमित लोगों से लिए गए नमूनों का संपूर्ण जीन अनुक्रमण कर रहा है। सीसीएमबी के निदेशक डॉ राकेश के मिश्रा ने कहा है कि "बड़े पैमाने पर जीनोम अनुक्रमण से हमें इस वायरस की प्रकृति, रूपांतरण की दर और प्रसार के संभावित मार्गों के बारे में समझने में मदद मिल सकती है।" जीनोम जीवों की आनुवंशिक सामग्री है और जीनोम अनुक्रमण जीवों के जीनोम की पहचान करने का विज्ञान है।


सीएसआईआर से संबद्ध कोलकाता स्थित एक अन्य प्रयोगशाला भारतीय रासायनिक जीवविज्ञान संस्थान (आईआईसीबी) के वैज्ञानिकों ने कोरोना प्रोटीन्स के खिलाफ "अवरोधक" खोजने के लिए एक शोध प्रस्ताव तैयार किया है। वैज्ञानिक ऐसे बायोकेमिकल का पता लगाना चाहते हैं, जो नये कोरोना वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोक सके। आईआईसीबी स्थानीय अस्पतालों को तकनीकी सहयोग और आरटी-पीसीआर मशीनें भी उपलब्ध करा रहा है। इन मशीनों का उपयोग जीन अभिव्यक्ति का अध्ययन करने के लिए किया जाता है, जो आनुवंशिक रोगों के निदान और ड्रग थेरेपी की निगरानी के लिए आवश्यक है।


मास्क और सैनेटाइजर का उपयोग कोविड-19 वायरस से सुरक्षा की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। कम कीमत में इसकी उपलब्धता को बनाए रखने के लिए सीएसआईआर गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) से संपर्क कर रहा है। सीएसआईआर ने कई ऐसी तकनीकें विकसित की हैं, जो बाजार में बिकने योग्य उत्पाद बनाने में ग्रामीणों के लिए मददगार हो सकती हैं। लॉकडाउन के बाद अपने घरों को लौट रहे प्रवासी कामगारों को स्थानीय स्तर पर इन प्रौद्योगिकियों के उपयोग से नये उत्पाद बनाकर आमदनी का अवसर मिल सकता है। कुछ स्थानों पर ग्रामीणों को मास्क और सैनेटाइजर जैसे उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है, जिसमें एनजीओ की भूमिका अहम हो सकती है। इस बीच सीएसआईआर की कई प्रयोगशालाएं सैनेटाइजर बनाकर वितरित कर रही हैं।


देश के विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा कोविड-19 को हराने के लिए किए जा रहे सैकड़ों प्रयासों की यह एक छोटी-सी झलक है, जो फलीभूत होती है, तो कोविड-19 को परास्त करना कठिन नहीं होगा।



आईबीबीआई ने ‘कोविड-19’ के प्रकोप के कारण ‘सीआईआरपी’ नियमों में संशोधन किए

‘कोविड-19’ की वजह से लागू किए गए लॉकडाउन के कारण हो रही कठिनाई को दूर करने के लिए भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड (आईबीबीआई) ने ‘सीआईआरपी’ नियमों में संशोधन कर संबंधित लोगों को सहूलियत दी है। इसमें बताया गया है कि कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए लॉकडाउन की अवधि को कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया से संबंधित ऐसे किसी भी कार्य के लिए तय की गई समय सीमा में नहीं गिना जाएगा, जो लॉकडाaउन के कारण पूरा नहीं हो सका। हालांकि, इसके तहत संबंधित संहिता (कोड) में दी गई समग्र समय सीमा को ध्‍यान में रखा जाएगा।


  आईबीबीआई ने 29 मार्च, 2020 को भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड (कॉरपोरेट व्यक्तियों के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया) नियम, 2016 (सीआईआरपी नियम) में संशोधन किए।


   भारत सरकार ने कोविड-19 को फैलने से रोकने और इसे नियंत्रण में रखने के ठोस कदम के तहत 25 मार्च, 2020 से 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की है। लॉकडाउन की अवधि के दौरान दिवाला से जुड़े प्रोफेशनलों के लिए प्रक्रिया का संचालन जारी रखना, कर्जदाताओं की समिति के सदस्यों के लिए बैठकों में भाग लेना और समाधान संबंधी संभावित आवेदकों के लिए समाधान योजनाओं को तैयार करना एवं प्रस्तुत करना मुश्किल है। अत: इस स्थिति में सीआईआरपी नियमों में निर्दिष्ट समयसीमा के भीतर किसी कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया के दौरान विभिन्न कार्यों को पूरा करना मुश्किल हो सकता है।


   संशोधित नियम 29 मार्च, 2020 से प्रभावी हो गए हैं। ये www.mca.gov.in और www.ibbi.gov.in पर उपलब्ध हैं।