Tuesday, December 29, 2020
जहरीला आदमी
गजलकार दुष्यंत कुमार की पुण्य तिथि पर विशेष
दुष्यंत कुमार और हम
डॉ. हर्ष वर्धन ने वीडियो कॉन्फ्रेन्स के माध्यम से अच्छे, अनुकरणीय व्यवहारों पर 7वें एनएचएम राष्ट्रीय सम्मेलन का डिजिटल रूप में उद्धघाटन किया
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज वीडियो कॉन्फ्रेन्स के माध्यम से अच्छे और अनुकरणीय व्यवहारों पर 7वें राष्ट्रीय सम्मेलन का डिजिटल रूप में उद्घाटन किया। डॉ. हर्ष वर्धन ने एबी-एचडब्ल्यूसी में टीबी सेवाओं के लिए संचालन दिशा निर्देशों तथा सक्रिय पहचान तथा कुष्ठ रोग के लिए नियमित निगरानी पर संचालन दिशा निर्देश 2020 के साथ नई स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) भी लॉन्च की।स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय अच्छे, अनुकरणीय व्यवहारों तथा भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों में नवाचार पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करता है। पहला सम्मेलन सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में विभिन्न श्रेष्ठ व्यवहारों तथा नवाचारों की मान्यता, प्रदर्शन और प्रलेखन के लिए 2013 में श्रीनगर में आयोजित किया गया था और पिछला सम्मेलन गुजरात के गांधी नगर में हुआ था।
डॉ. वर्धन ने सम्मेलन के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की और महामारी की स्थिति में सम्मेलन आयोजित करने के लिए सभी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि नवाचारी कनवरजेंस रणनीति पर फोकस आवश्यक है। यह भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को नई ऊंचाई तक ले जाएगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा नावाचार पोर्टल पर 2020 में 210 नए कदमों को अपलोड किया गया। इन नवाचारों का अंतिम उद्देश्य एक ओर लोगों की स्वास्थ्य स्थिति को सुधारना है तो दूसरी ओर स्थायी रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत बनाना है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा इको सिस्टम में नवाचार पर चिंतन के लिए जमीनी स्तर के स्वास्थ्य सेवा कर्मियों को शामिल और एकीकृत किया जाना चाहिए तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य डिलीवरी प्रणाली में काम कर रहे लोगों के वर्षों के अनुभव और विशेषज्ञता से प्राप्त सामूहिक समझ का लाभ उठाया जाना चाहिए। डॉ. हर्ष वर्धन ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में पोलियो उन्नमूलन अभियान के अपने अनुभव को साझा किया और स्वास्थ्य कार्यक्रमों में लोगों तथा समुदाय की भागीदारी की शक्ति के बारे में बताया।
स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत बनाने में विचारों और नवाचार की भूमिका पर बल देते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में नवाचार महत्वपूर्ण गुणांक है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 पर कार्य से हमें कार्यक्रम लागू करने तथा नवाचार सृजन के नए मार्गों को अपनाने का प्रोत्साहन मिला है। उन्होंने कहा कि महामारी ने हमें पीपीई किट, वेंटीलेटर, मास्क, टीका आदि बनाने के क्षेत्र में हमें आत्मनिर्भर बनाया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के ई-संजीवनी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एक मिलियन टेली कन्सल्टेशन किए गए हैं। यह नवाचारी दृष्टिकोण का परिणाम है जो समन्वित प्रयासों से निकला है।
स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में डिजिटल तथा सूचना प्रौद्योगिकी के महत्व को दोहराते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि डिजिटल बदलाव से हम राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य इको सिस्टम विकसित करने में सक्षम हुए हैं। यह इको सिस्टम कारगर, पहुंच योग्य, समावेशी, किफायती, समयबद्ध तथा सुरक्षित तरीके से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को समर्थन देती है। नई स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) व्यापक सूचना तथा अवसंरचना के माध्यम से अबाधित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकतम आदान-प्रदान से बेहतर स्वास्थ्य परिणाम, बेहतर निर्णय प्रणाली तथा राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के सुधारों में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने हाल में ई-संजीवनी डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए ओपेन डाटा चैम्पियन श्रेणी में प्रतिष्ठित डिजिटल इंडिया पुरस्कार जीता है।
टीबी सेवाओं के लिए संचालन दिशा निर्देश जारी करते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि टीबी नियंत्रित करने की दिशा में भारत सरकार के निरन्तर प्रयासों से टीबी अधिसूचना में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है और निदान, अनुपालन और इलाज परिणामों में सुधार हुआ है। 2019 में लापता मामलों की संख्या घटकर 2.9 लाख रह गई जबकि यह संख्या 2017 में 10 लाख मामलों की थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2025 तक टीबी मुक्त भारत का साहसी लक्ष्य तय किया है। यह 2030 के एसडीजी लक्ष्यों से पांच वर्ष पहले तय किया गया लक्ष्य है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें एक साथ मिलकर टीबी के शीघ्र निदान, सभी टीबी रोगियों का इलाज करने की आवश्यकता है ताकि उचित रोगी समर्थन प्रणाली सुनिश्चित हो और समुदाय में टीबी की श्रृंखला टूटे।
डॉ. हर्ष वर्धन ने आशा व्यक्त की कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय राष्ट्रीय विचार-विमर्श आयोजित करने और देश के विभिन्न भागों में स्वास्थ्य कार्यक्रमों में सुधार के लिए नए नवाचारी उपायों को अपनाने की संस्कृति को बढ़ावा देने और इस संदर्भ में एक दूसरे के अनुभवों को साझा करने तथा उनसे सीखने का काम जारी रखेगा।
इस अवसर पर स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण, एएसएंडएमडी (एनएचएम) वंदना गुरनानी, महानिदेशक (राज्य) सुश्री रत्ना अंजन जेना, ए एस (पॉलिसी) श्री विकास शील तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और राज्य/केन्द्र शासित प्रदेशों के अन्य वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी और डॉ. रॉड्रिक ऑफरीन, डब्ल्यूआर, डब्ल्यूएचओ भी उपस्थित थे।
ट्राइब्स इंडिया के संग्रह में जुड़ा तमिलनाडु के मलयाली जनजातियों का विशिष्ट शहद जाइंट रॉक बी हनी
ट्राइब्स इंडिया के आउटलेटों तथा आठवें ‘हमारे घर से आपके घर’ अभियान में इसकी वेबसाइट में 35 से अधिक नए आकर्षक, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले उत्पाद शामिल किए गए हैं। यह अभियान जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत ट्राइफेड द्वारा 8 सप्ताह पहले शुरू किया गया था। इस अभियान का उद्देश्य पूरे देश के विभिन्न जनजातीय समूह से कारगर, प्राकृतिक तथा आकर्षक उत्पादों को मंगाना है ताकि इन उत्पादों की पहुंच विभिन्न प्रकार के लोगों तक हो सके।इस सप्ताह के प्रमुख उत्पादों में तमिलनाडु के मलयाली जनजाति का प्राकृतिक, ताजा, ऑर्गेनिक उत्पाद जाइंट रॉक बी हनी प्रमुख है। यह शहद ज्वार, इमली तथा काली मिर्च के रस से तैयार होता है। मलयाली जनजातीय समूह उत्तर तमिलनाडु में पूर्वी घाट से आता है। उस क्षेत्र में इनकी आबादी लगभग 3,58,000 है और सबसे बड़े जनजातीय समूह हैं। जनजातीय लोग सामान्य रूप से पर्वतीय किसान हैं और विभिन्न प्रकार के ज्वार उत्पादन करते हैं।
जनजातीय समूह से प्राप्त अन्य उत्पादों में आकर्षक बारीक मालों से बने जेवर (मुख्यतः गले की शोभा वाले) हैं जिसे मध्य प्रदेश के पतेलिया जनजातीय लोग तैयार करते हैं। इन लोगों का मुख्य आधार कृषि है लेकिन झाबुआ के दस्तकारों द्वारा बनाए गए सुंदर रंगीन जेवर उनकी असाधारण दस्तकारी दिखाते हैं। अन्य उत्पादों में जैविक दाल और मसाले हैं जो गुजरात के वसावा जनजातीय लोगों से प्राप्त हुए हैं। अन्य उत्पादों में शहद, जैम तथा झारखंड के खरवार तथा ओराव जनजातीय लोगों द्वारा उपजाए गए दो विशिष्ट प्रकार के चावल तथा झारखंड के आदिम जनजातीय लोगों तथा लोहरा जनजाति द्वारा तैयार उत्पाद (चकला और बेलन) तथा धातु की बनी जालियां हैं।
पिछले सप्ताह प्राप्त सभी नए उत्पाद ट्राइब्स इंडिया के 125 आउटलेटों, ट्राइब्स इंडिया मोबाइल वैन तथा ट्राइब्स इंडिया ई-मार्केट प्लेस (tribesindia.com) तथा ई-टेलर्स जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों पर उपलब्ध हैं। भारत का सबसे बड़ा दस्तकारी और ऑर्गेनिक मार्केट प्लेस - ट्राइब्स इंडिया ई-मार्केट प्लेस – हाल में लॉन्च किया गया। इसका उद्देश्य 5 लाख जनजातीय उद्यमों को राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ना, उनके जनजातीय उत्पादों और दस्तकारियों को दिखाना है ताकि देशभर के उपभोक्ताओं तक पहुंच सकें।
अनेक प्रकार के प्राकृतिक और स्थायी उत्पादों के साथ ट्राइब्स इंडिया ई-मार्केट प्लस हमारे जनजातीय भाइयों की सदियों पुरानी परम्पराओं को दिखाता है। market.tribesindia.com पर जाएं। बाई लोकल बाई ट्राइबल!
प्रधानमंत्री ने दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन पर देश की पहली बिना ड्राइवर वाली ट्रेन का उद्घाटन किया
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन पर भारत की पहली बिना ड्राइवर के चलने वाली मेट्रो ट्रेन के परिचालन का उद्घाटन किया। आज नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड की दिल्ली मेट्रो की एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन में शुरुआत की गई। यह कार्ड पिछले साल अहमदाबाद में शुरू किया गया था। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री हरदीप पुरी और दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का यह आयोजन शहरी विकास को भविष्य के लिए तैयार करने का एक प्रयास है। उन्होंने कहा कि देश को भविष्य की जरूरतों के लिए तैयार करना शासन की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। उन्होंने इस तथ्य पर अफसोस जताया कि कुछ दशक पहले, जब शहरीकरण की मांग अनुभव की गई थी, तो भविष्य की जरूरतों पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया, बल्कि आधे-अधूरे काम किए गए, जिनसे भ्रम की स्थिति बनी रही। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, आधुनिक सोच यह कहती है कि शहरीकरण को एक चुनौती के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि इसका देश में बेहतर बुनियादी ढांचे के निर्माण के अवसर के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए । इसका हम जीवन की सुगमता को बढ़ाने में भी उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सोच का यह अंतर अब शहरीकरण के हर आयाम में दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि 2014 में केवल 5 शहरों में मेट्रो रेल थी, लेकिन यह आज 18 शहरों में उपलब्ध है। वर्ष 2025 तक हम इसका 25 से अधिक शहरों में विस्तार करने जा रहे हैं। 2014 में देश में केवल 248 किमी मेट्रो लाइने परिचालित थीं, लेकिन आज 700 किलोमीटर से अधिक मेट्रो लाइनें परिचालित हैं, इस प्रकार इसमें तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2025 तक, हम इसका 1700 किमी तक विस्तार करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये केवल आंकड़े ही नहीं हैं, बल्कि करोड़ों भारतीयों के जीवन को सहज बनाने का प्रमाण भी हैं। यह केवल ईंट, पत्थर, कंक्रीट और लोहे से बना बुनियादी ढांचा मात्रा ही नहीं है, बल्कि देश के मध्यम वर्ग, देश के नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा करने के प्रमाण भी हैं।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार ने पहली बार मेट्रो नीति तैयार की है और उसे समग्र रणनीति के साथ लागू किया है। स्थानीय मांग के अनुसार काम करने, स्थानीय मानकों को बढ़ावा देने, मेक इन इंडिया का विस्तार करने और आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करने पर जोर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात पर ध्यान दिया गया है कि मेट्रो और यातायात के आधुनिक साधनों का विस्तार शहर के लोगों की जरूरतों और व्यवसायिक जीवन शैली के अनुसार किया जाना चाहिए। यही कारण है कि विभिन्न शहरों में विभिन्न प्रकार की मेट्रो रेल पर काम किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने विभिन्न प्रकार की मेट्रो रेल को सूचीबद्ध किया, जिन पर काम किया जा रहा है। दिल्ली और मेरठ के बीच रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के बारे में प्रधान मंत्री ने कहा कि इससे दिल्ली और मेरठ के बीच की दूरी एक घंटे से भी कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि जिन शहरों में यात्रियों की संख्या कम है, वहां मेट्रोलाइट रेल पर काम किया जा रहा है। मेट्रोलाइट रेल का निर्माण सामान्य मेट्रो की 40 प्रतिशत लागत पर किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि मेट्रोनिओ का निर्माण उन शहरों में किया जा रहा है, जहां यात्रियों की संख्या कम है। इस मेट्रो का निर्माण सामान्य मेट्रो की 25 प्रतिशत लागत पर हो जाएगा। इसी प्रकार, वाटर मेट्रो अलग सोच वाली होगी। इसका निर्माण उन शहरों में किया जा रहा है, जहां बड़े-बड़े जल निकाय हैं। यह द्वीपों के पास रहने वाले लोगों को अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी उपलब्ध कराएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज मेट्रो केवल सार्वजनिक परिवहन का एक माध्यम मात्र ही नहीं है, बल्कि प्रदूषण को कम करने का एक बेहतर तरीका भी है। मेट्रो नेटवर्क के कारण सड़कों से हजारों वाहन कम हुए हैं, जो प्रदूषण और जाम का कारण बनते थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मेट्रो सेवाओं के विस्तार के लिए ‘मेक इन इंडिया’ महत्वपूर्ण है। ‘मेक इन इंडिया’ से लागत कम होती है, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होती है और देश में लोगों को अधिक रोजगार उपलब्ध होते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रोलिंग स्टॉक के मानकीकरण ने अब हर कोच की लागत 12 करोड़ से घटाकर 8 करोड़ कर दी है। आज, चार बड़ी कंपनियां देश में मेट्रो कोच का विनिर्माण कर रही हैं और दर्जनों कंपनियां मेट्रो के घटकों के विनिर्माण में लगी हुई हैं। इससे ‘मेक इन इंडिया’ के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत के अभियान में भी मदद मिल रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बिना ड्राइवर वाली मेट्रो रेल की उपलब्धि से हमारा देश दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जहाँ इस प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी ब्रेकिंग प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें ब्रेक लगाने पर 50 प्रतिशत ऊर्जा वापस ग्रिड में चली जाती है। आज दिल्ली मेट्रो में 130 मेगावाट सौर ऊर्जा का उपयोग किया जा रहा है, जिसे बढ़ाकर 600 मेगावाट कर दिया जाएगा।
कॉमन मोबिलिटी कार्ड के बारे में जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिकीकरण के लिए समान मानक और सुविधाएं उपलब्ध कराना बहुत महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय स्तर पर कॉमन मोबिलिटी कार्ड इस दिशा में एक प्रमुख कदम है। यह एक कार्ड यात्रियों को जब भी वे यात्रा करते हैं या जिस भी सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते हैं, वहां एकीकृत पहुंच प्रदान करेगा।
कॉमन मोबिलिटी कार्ड का उदाहरण लेते हुए प्रधानमंत्री ने सभी प्रणालियों को समेकित करने की प्रक्रिया पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रणालियों के ऐसे समेकन से देश की शक्ति का अधिक समन्वित और कुशल तरीके से उपयोग किया जा रहा है। ‘वन नेशन, वन मोबिलिटी कार्ड’ की तरह हमारी सरकार ने पिछले वर्षों में देश की प्रणालियों को एकीकृत करने की दिशा में भी कई काम किए हैं।
वन नेशन, वन फास्टैग ने देश में राजमार्गों पर यात्रा को सहज बना दिया है। इससे यात्रियों को जाम और देरी से राहत मिली है। वन नेशन, वन टैक्स अर्थात् जीएसटी ने कर प्रणाली की जटिलताओं को समाप्त करके अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में एकरूपता ला दी है। वन नेशन, वन पावर ग्रिड देश के हर हिस्से में पर्याप्त और लगातर विद्युत उपलब्धता सुनिश्चित कर रहा है। विद्युत हानि में कमी हुई है।
वन नेशन, वन गैस ग्रिड, सहज गैस कनेक्टिविटी से देश के उन हिस्सों को गैस उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है, जहां गैस आधारित जीवन और अर्थव्यवस्था पहले एक सपना हुआ करती थी। वन नेशन, वन हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम यानी आयुष्मान भारत के माध्यम से लोग देश में कहीं भी इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। एक स्थान से दूसरे स्थान जाने वाले नागरिकों को वन नेशन, वन राशन कार्ड के माध्यम से अब नया राशन कार्ड बनाने की परेशानी से मुक्ति मिल गई है। इसी तरह, नए कृषि सुधारों और ई-नाम जैसी व्यवस्था से देश एक राष्ट्र, एक कृषि बाजार की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन पर ड्राइवरलेस ट्रेन संचालन के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ
केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्री हरदीप सिंह पुरी जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल जी, DMRC के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री मंगू सिंह जी, देश में चल रही मेट्रो परियोजनाओं के वरिष्ठ पदाधिकारी गण, और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।
मुझे आज से लगभग तीन साल पहले मैजेंटा लाइन के उद्घाटन का सौभाग्य मिला था। आज फिर, इसी रूट पर देश की पहली पूरी तरह से Automated Metro, जिसको हम बोलचाल की भाषा में 'ड्राइवरलेस मेट्रो' भी कहते हैं, इसका उद्घाटन करने का अवसर मिला। ये दिखाता है कि भारत कितनी तेज़ी से स्मार्ट सिस्टम की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज National Common Mobility Card, इससे भी दिल्ली मेट्रो जुड़ रही है। पिछले साल अहमदाबाद से इसकी शुरुआत हुई थी। आज इसका विस्तार दिल्ली मेट्रो की एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन में हो रहा है। आज का ये आयोजन Urban development को urban ready और future ready करने का प्रयास है।
साथियों,
भविष्य की जरूरतों के लिए देश को आज तैयार करना, आज काम करना, ये गवर्नेंस का अहम दायित्व है। लेकिन कुछ दशक पहले जब शहरीकरण- urbanization का असर और urbanization का भविष्य, दोनों ही बिल्कुल साफ था, उस समय एक अलग ही रवैया देश ने देखा। भविष्य की जरुरतों को लेकर उतना ध्यान नहीं था, आधे-अधूरे मन से काम होता था, भ्रम की स्थिति बनी रहती थी। उस समय तेजी से शहरीकरण हो रहा है, लेकिन इसके After Effects से निपटने के लिए हमारे शहरों को उतनी तेजी से तैयार नहीं किया गया। परिणाम ये हुआ कि देश के बहुत से हिस्सों में शहरी Infrastructure की मांग और पूर्ति में बहुत ज्यादा अंतर आ गया।
साथियों,
इस सोच से अलग, आधुनिक सोच ये कहती है शहरीकरण को चुनौती ना मानकर एक अवसर की तरह इस्तेमाल किया जाए। एक ऐसा अवसर जिसमें हम देश में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर बना सकते हैं। एक ऐसा अवसर जिससे हम Ease of Living बढ़ा सकते हैं। सोच का ये अंतर शहरीकरण के हर आयाम में दिखता है। देश में मेट्रो रेल का निर्माण भी इसका एक उदाहरण है। दिल्ली में ही मेट्रो की चर्चा बरसों तक चली। लेकिन पहली मेट्रो चली अटल जी के प्रयासों से। यहां जो मेट्रो सर्विस के इतने experts इस कार्यक्रम में जुड़े हैं। वो भी इसे भली-भांति जानते हैं कि मेट्रो निर्माण की क्या स्थिति थी।
साथियों,
साल 2014 में जब हमारी सरकार बनी, उस समय सिर्फ 5 शहरों में मेट्रो रेल थी। आज 18 शहरों में मेट्रो रेल की सेवा है। वर्ष 2025 तक हम इसे 25 से ज्यादा शहरों तक विस्तार देने वाले हैं। साल 2014 में देश में सिर्फ 248 किलोमीटर मेट्रो लाइन्स आपरेशनल थीं। आज ये करीब तीन गुनी यानी सात सौ किलोमीटर से ज्यादा है। वर्ष 2025 तक हम इसका विस्तार 1700 किलोमीटर तक करने का प्रयास कर रहे हैं। साल 2014 में मेट्रो पर सवारी करने वालों की संख्या 17 लाख प्रतिदिन थी। अब ये संख्या पांच गुना बढ़ गयी है। अब 85 लाख लोग हर दिन मेट्रो से सवारी करते हैं। याद रखिए ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं ये करोड़ों भारतीयों के जीवन में आ रही Ease of Living के प्रमाण हैं। ये सिर्फ ईंट पत्थर, कंक्रीट और लोहे से बने Infrastructure नहीं हैं बल्कि देश के नागरिकों, देश के मिडिल क्लास की आकांक्षा पूरा होने के साक्ष्य हैं।
साथियों,
आखिर ये परिवर्तन, ये बदलाव आया कैसे? ब्यूरोक्रेसी वही है, लोग वही हैं, फिर कैसे इतना तेज काम हुआ? इसकी वजह यही रही कि हमने शहरीकरण को चुनौती नहीं बल्कि अवसर के रुप देखा। हमारे देश में पहले कभी मेट्रो को लेकर कोई नीति ही नहीं थी। कोई नेता कहीं वायदा कर आता था, कोई सरकार किसी को संतुष्ट करने के लिए मेट्रो का ऐलान कर देती थी। हमारी सरकार ने इस helotism से बाहर आ करके मेट्रो के संबंध में पॉलिसी भी बनाई और उसे चौतरफा रणनीति के साथ लागू भी किया। हमने जोर दिया स्थानीय मांग के हिसाब से काम करने पर, हमने जोर दिया स्थानीय मानकों को बढ़ावा देने पर, हमने जोर दिया Make In India के ज्यादा से ज्यादा विस्तार पर, हमने जोर दिया आधुनिक technology के उपयोग पर।
साथियों,
आप में से अधिकांश लोग जानते हैं कि देश के अलग-अलग शहरों की अलग आवश्यकताएं, आकांक्षाएं और चुनौतियां अलग-अलग होती हैं। अगर हम एक ही फिक्स मॉडल बनाकर मेट्रो रेल का संचालन करते तो तेजी से विस्तार संभव ही नहीं था। हमने ध्यान दिया कि मेट्रो का विस्तार, ट्रांसपोर्ट के आधुनिक तौर-तरीकों का इस्तेमाल शहर के लोगों की जरुरतों और वहां की professional lifestyle के हिसाब से ही होना चाहिए। यही वजह है कि अलग-अलग शहरो में अलग अलग तरह की मेट्रो रेल पर काम हो रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण देता हूं- RRTS यानी रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम- दिल्ली मेरठ RRTS का शानदार मॉडल दिल्ली और मेरठ की दूरी को घटाकर एक घंटे से भी कम कर देगा।
मेट्रो लाइट- उन शहरों में जहां यात्री संख्या कम है वहां मेट्रो लाइट वर्जन पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 40 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है। मेट्रो नियो - जिन शहरों में सवारियां और भी कम है वहां पर मेट्रो नियो पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 25 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है। इसी तरह है वॉटर मेट्रो- ये भी आउट ऑफ द बॉक्स सोच का उदाहरण है। जिन शहरों में बड़ी वाटर बॉडीज हैं वहां के लिए अब वॉटर मेट्रो पर काम किया जा रहा है। इससे शहरों को बेहतर कनेक्टिविटी के साथ ही, उनके पास मौजूद द्वीपों के लोगों को Last Mile connectivity का लाभ मिल सकेगा। कोच्चि में यह काम तेजी से चल रहा है। और
साथियों,
हमें ये भी ध्यान रखना है कि मेट्रो आज सिर्फ सुविधा संपन्न पब्लिक ट्रांसपोर्ट का माध्यम भर नहीं है। ये प्रदूषण कम करने का भी बहुत बड़ा ज़रिया है। मेट्रो नेटवर्क के कारण सड़क से हज़ारों वाहन कम हुए हैं, जो प्रदूषण का और जाम का कारण बनते थे।
साथियों,
मेट्रो सर्विसेस के विस्तार के लिए, मेक इन इंडिया भी उतना ही महत्वपूर्ण है। Make In India से लागत कम होती है, विदेशी मुद्रा बचती है, और देश में ही लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलता है। रोलिंग स्टॉक के मानकीकरण से जहां भारतीय Manufacturers को फायदा हुआ है वहीं हर कोच की लागत अब 12 करोड़ से घटकर 8 करोड़ पहुंच गयी है।
साथियों,
आज चार बड़ी कंपनियां देश में ही मेट्रो कोच का निर्माण कर रही हैं। दर्जनों कंपनिया Metro Components के निर्माण में जुटी हैं। इससे Make in India के साथ ही, आत्मनिर्भर भारत के अभियान को मदद मिल रही है।
साथियों,
आधुनिक से आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल ये समय की मांग है। अभी मुझे बिना ड्राइवर के चलनी वाले मेट्रो रेल का उद्घाटन करने का अवसर मिला है। आज इस उपलब्धि के साथ ही हमारा देश दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जहां इस तरह की सुविधा है। हम ऐसे ब्रेकिंग सिस्टम का भी प्रयोग कर रहे हैं जिनमें ब्रेक लगाने पर 50 प्रतिशत उर्जा वापस ग्रिड में चली जाती है। आज मेट्रो रेल में 130 मेगावाट सोलर पावर का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे बढ़ाकर 600 मेगावाट तक ले जाया जाएगा। Artificial Intelligence से लैस प्लैटफॉर्म्स और स्क्रीनिंग दरवाजे, इन आधुनिक तकनीकों पर भी काम तेजी से चल रहा है।
साथियों,
आधुनिकीकरण के लिए एक ही तरह के मानक और सुविधाएं उपलब्ध कराना बहुत जरूरी है। राष्ट्रीय स्तर पर Common Mobility Card इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। कॉमन मोबिलिटी कार्ड का लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट है। आप जहां कहीं से भी यात्रा करें, आप जिस भी public transport से यात्रा करें, ये एक कार्ड आपको integrated access देगा। यानी, एक कार्ड ही हर जगह के लिए पर्याप्त है। ये हर जगह चलेगा।
साथियों,
मेट्रो में सफर करने वाले जानते हैं, किस तरह अक्सर सिर्फ एक टोकन लेने के लिए कितनी कितनी देर लाइन में लगे रहना होता था। दफ्तर या कॉलेज पहुँचने में देर हो रही है, और ऊपर से टिकट की परेशानी। मेट्रो से उतर भी गए तो बस का टिकट! आज जब हर किसी के पास समय की कमी है तो रास्तों में समय नहीं गंवाया जा सकता। एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए ऐसी दिक्कतें अब देश के लोगों के सामने रुकावट न बनें, हम इस दिशा में काम कर रहे हैं।
साथियों,
देश के सामर्थ्य और संसाधनों का देश के विकास में सही इस्तेमाल हो, ये हम सभी की जिम्मेदारी है। आज तमाम व्यवस्थाओं को एकीकृत करके देश की ताकत को बढ़ाया जा रहा है, एक भारत-श्रेष्ठ भारत को मजबूत किया जा रहा है। वन नेशन, वन मोबिलिटी कार्ड की तरह ही बीते वर्षों में हमारी सरकार ने देश की व्यवस्थाओं का एकीकरण करने के लिए अनेक काम किए हैं। One Nation, One Fast tag से देशभर के highway पर travel seamless हुआ है। अनावश्यक रोकटोक रुकी है। जाम से मुक्ति मिली है, देश का समय और देरी से होने वाला नुकसान कम हुआ है। वन नेशन, वन टैक्स यानि GST से देशभर में टैक्स का जाम समाप्त हुआ है, डायरेक्ट टैक्स से जुड़ी व्यवस्था एक जैसी हुई है। One Nation, One Power Grid से देश के हर हिस्से में पर्याप्त और निरंतर बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित हो रही है।
बिजली का नुकसान कम हुआ है। वन नेशन, वन गैस ग्रिड, इससे समंदर से दूर देश के उन हिस्सों की Seamless Gas Connectivity सुनिश्चित हो रही है, जहां गैस आधारित जीवन और अर्थव्यवस्था पहले सपना हुआ करता था। वन नेशन, वन हेल्थ एश्योरेंस स्कीम यानि आयुष्मान भारत से देश के करोड़ों लोग एक राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे देश में कहीं भी इसका लाभ ले रहे हैं। One Nation, One Ration Card, इससे भी एक स्थान से दूसरे स्थान जाने वाले नागरिकों को नया राशनकार्ड बनाने के चक्करों से मुक्ति मिली है। एक राशनकार्ड से पूरे देश में कहीं भी सस्ते राशन की सुविधा संभव हो पाई है। इसी तरह नए कृषि सुधारों और e-NAM जैसी व्यवस्थाओं से One Nation, One Agriculture Market की दिशा में देश आगे बढ़ रहा है।
साथियों,
देश का हर छोटा-बड़ा शहर, 21वीं सदी के भारत की अर्थव्यवस्था का बड़ा सेंटर होने वाला है। हमारी दिल्ली तो देश की राजधानी भी है। आज जब 21वीं सदी का भारत दुनिया में नई पहचान बना रहा है, तो हमारी राजधानी में वो भव्यता रिफ्लेक्ट होनी चाहिए। इतना पुराना शहर होने की वजह से इसमें चुनौतियां ज़रूर हैं लेकिन इन चुनौतियों के साथ ही हमें इसको आधुनिकता की नई पहचान देनी है। इसलिए आज दिल्ली को आधुनिक स्वरूप देने के लिए अनेकों प्रयास किए जा रहे हैं। दिल्ली में electric mobility को बढ़ाने के लिए सरकार ने इनकी खरीद पर टैक्स में भी छूट दी है।
दिल्ली की सैकड़ों कॉलोनियों का नियमितिकरण हो या फिर झुग्गियों में रहने वाले परिवारों को बेहतर आवास देने के प्रयास। दिल्ली की पुरानी सरकारी इमारतों को आज की ज़रूरत के अनुसार Environmental Friendly बनाया जा रहा है। जो पुराना इंफ्रास्ट्रक्चर है उसको आधुनिक टेक्नॉलॉजी आधारित Infrastructure से बदला जा रहा है।
साथियों,
दिल्ली में पुराने टूरिज्ट डेस्टिनेशंस के अलावा 21वीं सदी के नए आकर्षण भी हों, इसके लिए काम जारी है। दिल्ली, इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस, International Exhibition, इंटरनेशनल बिजनेस टूरिज्म का अहम सेंटर होने वाला है। इसके लिए द्वारका में देश का सबसे बड़ा सेंटर बन रहा है। इसी तरह एक ओर जहां नई संसद भवन के निर्माण का काम शुरू हुआ है, वहीं एक बहुत बड़े भारत वंदना पार्क को भी तैयार किया जा रहा है। ऐसे हर काम से दिल्ली वालों के लिए हज़ारों रोज़गार भी बन रहे हैं और शहर की तस्वीर भी बदल रही है।
दिल्ली 130 करोड़ से अधिक आबादी की, दुनिया की बड़ी आर्थिक और सामरिक ताकत की राजधानी है, उसी भव्यता के दर्शन यहां होने चाहिए। मुझे विश्वास है कि हम सब मिलकर काम करते हुए, दिल्ली का नागरिकों का जीवन और बेहतर बनाएंगे, दिल्ली को और आधुनिक बनाएंगे।
पर्यटन मंत्रालय के देखो अपना देश वेबिनार श्रृंखला में "भारतीय पाक शैली का राज़ और लुत्फ "
पर्यटन मंत्रालय की 26 दिसंबर, 2020 को आयोजित देखो अपना देश वेबीनार श्रृंखला का शीर्षक था "भारतीय पाक शैली का राज और उसका लुत्फ" जो भारतीय व्यंजनों और इसके महत्व पर केन्द्रित रही। भारत में भोजन बेशुमार व्यंजनों, खाना पकाने की शैलियों का एक जीवंत संकलन है और जिसकी विशेषता स्पष्ट रूप से मसालों, अनाज, सब्जियों और फलों के सूक्ष्म और परिष्कृत उपयोग से पता चलती है जो स्थानीय रूप से उपलब्ध हैं। भारतीय भोजन एक संतुलित भोजन है, क्योंकि यह सभी प्रकार के स्वादों के साथ तृप्त करता है जैसे नमकीन, मीठा, कड़वा या मसालेदार एक या अधिक खाद्यान्न, सब्जियों के मसाले आदि के साथ।
वेबिनार, एमपी कैडर बैच 1982 की सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डॉ. अरुणा शर्मा द्वारा प्रस्तुत किया गया था। उन्होंने मुख्य रूप से स्थानीय स्तर पर उगाए जाने वाले खाद्यान्न, सब्जियों, भूमिका और मसालों के महत्व और प्रतिरक्षा के निर्माण में इसके महत्व पर जोर दिया।
भारत में परिदृश्य, संस्कृति, भोजन हर सौ किलोमीटर में बदलता है और यह कितना सच है! हमारे असाधारण देश भर में उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक खाना पकाने की शैलियों और व्यंजनों की अंतहीन किस्में हैं। भारतीय भोजन स्थानीय रूप से उपलब्ध खाद्यान्नों, सब्जियों, मसालों आदि के साथ पोषण के समग्र दृष्टिकोण पर आधारित है। भारत में खाद्य संस्कृति बहुत ही जीवंत और विभिन्न रूपों और शैली में घर के पके हुए भोजन, स्ट्रीट फूड से लेकर बढ़िया भोजन के अनुभव तक उपलब्ध है।
देखो अपना देश श्रृंखला देश की सुंदर विविध संस्कृति पर प्रकाश डालती है और एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को उजागर करती है।
वेबिनार के समापन पर अतिरिक्त महानिदेशक रूपिन्दर बराड़, ने देश भर में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के व्यंजनों, खाद्य पदार्थों के बारे में बात की। उन्होंने भारत के नागरिकों को पर्यटन उद्योग का हिस्सा बनने के लिए पर्यटन मंत्रालय द्वारा एक डिजिटल पहल, अतुल्य भारत पर्यटक सुविधा (आईआईटीएफ) प्रमाणन के बारे में उल्लेख किया।
देखो अपना देश वेबिनार श्रृंखला को राष्ट्रीय ई गवर्नेंस विभाग, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ तकनीकी साझेदारी में प्रस्तुत करता है। वेबिनार के सत्र अब https://www.youtube.com/channel/UCbzIbBmMvtvH7d6Zo_ZEHDA/featured पर उपलब्ध हैं और पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार के सभी सोशल मीडिया एकाउंट पर भी उपलब्ध हैं।
श्रृंखला का अगला वेबिनार, विंटर इन कोलकाता पर होगा- यात्रियों के लिए 10 जगहें हैं और वेबिनार 2 जनवरी, 2021 को सुबह 11.00 बजे होगा ।
इंडिया टूरिज्म मुम्बई ने अपने विशिष्ट सात दिवसीय ब्रांड एक्टीवेशन आयोजन के साथ मॉल में आने वालों को आकर्षित किया
पर्यटन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय इंडिया टूरिज्म मुम्बई ने रिलायंस मॉल, बोरिवली, मुम्बई में 25 दिसम्बर, 2020 से 31 दिसम्बर, 2020 तक सफल ब्रांड एक्टीवेशन आयोजन के साथ ‘देखो अतुल्य भारत’ विषय के अंतर्गत घरेलू पर्यटन विपणन अभियान ‘देखो अपना देश’ प्रारंभ किया है।
ऐसे समय में जब भारत में गंतव्य स्थल अनलॉकिंग या खुलने की प्रक्रिया में हैं और घरेलू यात्रियों को आने वाले छुट्टियों के मौसम और सप्ताहांत अवकाशों के दौरान पसंदीदा गंतव्य स्थल चुनने की ओर आकृष्ट करने के लिए मॉल में आने वाले हर आयु के लोगों को प्रचार कर्मियों (प्रोमोशनल स्टॉफ) के जरिए यात्रा तथा स्थानीय ट्रैवल एजेंटों और बोरिवली, मुम्बई के टूर ऑपरेटर्स द्वारा तैयार किए गए विशेष प्रमोशनल पैकेजों के बारे में जानकारी दी जाएगी।
इस सात दिवसीय आयोजन को ड्राइविंग हॉलीडेज़ (सड़क मार्ग से यात्रा वाले स्थल),मुम्बई के आसपास के वीकेंड डेस्टीनेशन्स सहित भारत की ओर से प्रस्तुत किए जाने वाले छुट्टियों के अनेक विकल्पों के विलक्षण वातावरण की भावना को ग्रहण करने के लिए डिजाइन किया गया है।
रिलायंस मॉल, बोरिवली, मुम्बई में अतुल्य भारत अधिष्ठापन के दौरान ओडिशा में पर्यटन की संभावनाओं को भी दर्शाया जाएगा, जो भारत सरकार की ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ पहल के तहत महाराष्ट्र का जोड़ीदार राज्य है। इस अधिष्ठापन में महाराष्ट्र की कलात्मक पहचान के प्रतिनिधित्व के तौर पर सावंतवाडी खिलौने और वर्ली पेंटिंग्स को प्रदर्शित किया जाएगा। ये संस्कृति के ऐसे मूर्त अंश हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे हैं और कला के समान जोड़ने वाला कोई अन्य नहीं है।इंडिया टूरिज्म मुम्बई के बारे में : इंडिया टूरिज्म मुम्बई, पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार का पश्चिमी एवं मध्य मुख्यालय है और यह राज्य पर्यटन विभाग और हितधारकों के साथ समन्वयन के माध्यम से पश्चिमी एवं मध्य क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने संबंधी भारत सरकार के कार्यक्रमों और नीतियों के कार्यान्वयन से जुड़े मामलों का प्रबंध करता है।
दिल्ली 130 करोड़ से अधिक लोगों की बड़ी आर्थिक और रणनीतिक शक्ति है, इसकी भव्यता प्रकट होनी चाहिएः प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि देश का प्रत्येक छोटे और बड़े शहर भारत की अर्थव्यवस्था के केन्द्र बनने जा रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी के रूप में दिल्ली को विश्व में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती 21वीं सदी की भव्यता प्रकट करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पुराने शहर को आधुनिक बनाने के अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री बिना ड्राइवर के प्रथम मेट्रो संचालन के उद्घाटन और दिल्ली मेट्रो के एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन तक नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड लॉन्च करने के अवसर पर आयोजित समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेन्स के माध्यम से संबोधित कर रहे थे।
श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने कर में छूट देकर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को प्रोत्साहित किया है। उन्होंने कहा कि राजधानी की पुरानी अवसंरचना को आधुनिक टेक्नोलॉजी आधारित अवसंरचना में बदला जा रहा है। यह सोच सैकड़ों कॉलोनियों को नियमित बनाकर झुग्गी-झोपड़ी वासियों की जीवन स्थिति बेहतर बनाने के प्रावधान तथा पुराने सरकारी भवनों को पर्यावरण अनुकूल आधुनिक ढांचे में बदलने में प्रकट होती है।
प्रधानमंत्री ने बल देते हुए कहा कि दिल्ली पुराना पर्यटक स्थल है और साथ-साथ दिल्ली में 21वीं सदी के आकर्षण विकसित करने का काम जारी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों, अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय पर्यटन का पसंदीदा स्थान बनती जा रही है। इसलिए राजधानी के द्वारका इलाके में देश का सबसे बड़ा सेंटर बनाया जा रहा है। इसी तरह विशाल भारत वंदना पार्क के साथ नए संसद भवन के लिए काम जारी है। इससे दिल्ली के न केवल हजारों लोगों को रोजगार मिलेंगे बल्कि दिल्ली की सूरत भी बदल जाएगी।
बिना ड्राइवर के प्रथम मेट्रो संचालन और दिल्ली मेट्रों के एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन तक नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड के विस्तार के लिए उन्होंने राजधानी के नागरिकों को बधाई देते हुए कहा कि दिल्ली 130 करोड़ से अधिक लोगों की बड़ी आर्थिक और रणनीतिक शक्ति है, इसलिए इसकी भव्यता प्रकट होनी चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने एकल उपयोग वाली प्लास्टिक के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए बड़े पैमाने पर मीडिया अभियान चलाने का आह्वान किया
उपराष्ट्रपति श्री एम.वेंकैया नायडू ने आज ऐसा मीडिया अभियान चलाने का आह्वान किया, जिससे प्लास्टिक उत्पादों के निपटान के संबंध में लोगों के व्यवहार में बदलाव लाया जा सके। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समस्या प्लास्टिक के साथ नहीं है, बल्कि समस्या प्लास्टिक केउपयोग के बारे में हमारे दृष्टिकोण में है।
विजयवाड़ा स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीआईपीईटी)के छात्रों, संकाय सदस्यों और कर्मचारियों को आज यहां संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने प्लास्टिक के स्थायित्व और लंबे समय तक कायम रहने के चलते पैदा होने वाली पर्यावरण चुनौतियों पर चिंता जताई। उन्होंने प्लास्टिककचरे के प्रबंधन की प्रक्रिया को अपनाने और जनता को तीन आर-रिड्यूस, रीयूज और रीसाइकल (यानी प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करना, दोबारा इस्तेमाल करनाऔर दोबारा इस्तेमाल योग्य उत्पाद बनाना) के संबंध में जागरूक बनाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसका समाधान यह नहीं है कि प्लास्टिक का इस्तेमाल ही नहीं किया जाए, बल्कि यह है कि इसे जिम्मेदारी पूर्ण तरीके से इस्तेमाल किया जाए और उचित रूप से दोबारा इस्तेमाल योग्य बनाया जाए।
स्वच्छ भारत अभियान का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि लोगों को एकल उपयोग वालीप्लास्टिक के बारे में जागरूक करने का राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जाना चाहिए। उन्होंने मीडिया, नागरिक समाज के संगठनों, छात्रों और सक्रिय कार्यकर्ताओं से इस जागरूकता अभियान में शामिल होने का आग्रह किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोगों को यह समझना होगा कि एकल उपयोग वाली प्लास्टिक का हमारे पर्यावरण पर कितना हानिकारक प्रभाव पड़ता है। उन्हें मानवता मात्र के भविष्य के बारे में सोचना होगा। उन्होंने कहा कि हमारा दायित्व है कि हम अपने बच्चों के लिए एक स्वच्छ और हरित ग्रह को कायम रखें। उन्होंने सभी से अपील की कि वे एकल उपयोग वालेप्लास्टिक उत्पादों का जिम्मेदार ढंग से उपयोग करें।
उन्होंने बताया कि भारत में प्लास्टिक को दोबारा इस्तेमाल योग्य बनाने का बाजार 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़कर 2023 के अंत तक 53.72 अरब डॉलर हो जाएगा। श्री नायडू ने इस बात को रेखांकित किया कि कचरा प्रबंधन हमारे उद्यमियों को एक सुनहरा अवसर उपलब्ध करा सकता है।
उन्होंने गुवाहाटी में एक मॉडल प्लास्टिक कचरा प्रबंधन केन्द्र स्थापित करने के लिए सीआईपीईटी की प्रशंसा की। यह केन्द्र प्लास्टिक को रीसाइकल करने और कचरा प्रबंधन के क्षेत्रों में कुशलता विकास संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध कराता है।
पॉलीमर को एक अदभुत तत्व बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इसने जीवन की गुणवत्ता को काफी बढ़ा दिया है और वह अपने कम वजन, स्थायित्व और संसाधन सम्पन्नता के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया है। उन्होंने कहा कि विविधता और कम लागत पर निर्माण तकनीकों के विकास की क्षमता की वजह से प्लास्टिक ने जीवन के विविध क्षेत्रों में पारम्परिक तौर से इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों की जगह ले ली है।
श्री नायडू ने देश में जारी कोविड-19 महामारी के दौरान प्लास्टिक की महत्ता की खासतौर से प्रशंसा की, क्योंकि इस महामारी के प्रसार को रोकने और इससे निपटने के लिए चिकित्सा सुरक्षा उपकरण और पीपीई किट के निर्माण में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया। प्लास्टिक के अलावा पॉलीमर सामग्री का इस्तेमाल भी चिकित्सकीय उपकरण और इन्सुलिन पेन्स, आईवी ट्यूब्स, इम्प्लांट्स और टिश्यू इंजीनियरिंग में किया गया।
भारतीय अर्थव्यवस्था में पॉलीमर्स के महत्व को बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि 30,000 से ज्यादा प्लास्टिक प्रसंस्करण इकाइयां देशभर में 40 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया करा रही हैं। उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति करीब 12 किलोग्राम की औसत राष्ट्रीय खपत के साथ भारत का स्थान विश्व के पांच सबसे बड़े पॉलीमर उपभोक्ताओं में है।
उन्होंने कहा कि पॉलीमर की मांग 8 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है और अनुमान है कि वैश्विक पेट्रो-केमिकल उद्योग 2025 तक 958.8 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच जाएगा। उन्होंने बताया कि मेक इन इंडिया और स्टार्टअप्स इंडिया जैसे सरकार के विभिन्न कार्यक्रम पेट्रो-कैमिकल क्षेत्र में अगली पीढ़ी के अनुसंधान और स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास के अनुकूल इको-सिस्टम बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि पॉलीमर उद्योग की एक बड़ी ताकत घरेलू तौर पर निर्मित कच्चे माल की उपलब्धता है, जो इसकी तरक्की में मददगार होगी। भारत के प्लास्टिक निर्यात के मौजूदा रूख को काफी उत्साहवर्धक बताते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय प्लास्टिक निर्यात उद्योग ने हमेशा क्षमता, संरचना और कुशल मानव शक्ति के तौर पर बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
उन्होंने सीआईपीईटी की इस बात के लिए प्रशंसा की कि उसने कुशलता विकास कार्यक्रमों, तकनीकी सहायता सेवाओं, अकादमिक और अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्रों में अपनी विविध गतिविधियों से राष्ट्र के विकास में योगदान किया है। उपराष्ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त कि सीआईपीईटी ने 50 से ज्यादा बड़ी अनुसंधान परियोजनाओं को पूरा किया है और 12 पेटेंट्स के लिए आवेदन किया है। उन्होंने इच्छा जताई कि संस्थान पर्यावरण और विकास को संतुलित करने के लिए बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक जैसे पर्यावरण अनुकूल उत्पाद विकसित करे।
श्री नायडू ने कहा कि 30 वर्ष से कम की औसत आयु के साथ, भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है। उन्होंने इच्छा जाहिर की कि इस युवा ऊर्जा को उचित कौशल और सही प्रेरणा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के लिए रचनात्मक रूप से जोड़ा जाए। श्री नायडू ने इस उद्देश्य के लिए एक अलग कौशल विकास मंत्रालय बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि 'फ्यूचर इज स्किलिंग'।
उन्होंने इस बात के लिए सीआईपीईटी की सराहना की कि वह कौशल विकास के क्षेत्र में अच्छा काम कररहा है और पिछले पांच वर्षों में उसनेअपने कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से तीन लाख से अधिक बेरोजगार/कम-रोजगार प्राप्त युवाओं को प्रशिक्षित कियाहै।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि 2015-16 से 16 नए सीआईपीईटीकेन्द्र स्थापित किए गए हैं, जो पेट्रोकेमिकल उद्योग की कुशल कर्मचारियों की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने के लिए काम करेंगे। इस क्षेत्र में सीआईपीईटीहमारे देश के तकनीकी वर्चस्व की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
इस अवसर पर, श्री नायडू ने सीआईपीईटी, विजयवाड़ा के साथ अपने जुड़ाव को याद किया, जब उन्होंने 2016 में तत्कालीन रसायन और उर्वरक मंत्री और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ इसकीआधारशिला रखी थी। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि सीआईपीईटी, विजयवाड़ा आंध्र प्रदेश में उद्योगों के साथ अपने गठजोड़ के माध्यम से उत्कृष्टता की ओर बढ़ रहा है।
इस अवसर पर आंध्र प्रदेश के धर्मादा मंत्रीश्री एम. श्रीनिवास राव, रसायन और उर्वरक मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री काशीनाथ झा,सीआईपीईटी के महानिदेशकप्रो. (डॉ) एस. के. नाइक,सीआईपीईटी,विजयवाड़ा केकेंद्र प्रमुख, श्री चिन्ता शेखर,सीआईपीईटी के प्रमुख निदेशकश्री आर. राजेंद्रन और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
गृह मंत्रालय ने निगरानी, रोकथाम और सतर्कता के दिशा-निर्देशों को आगे जारी रखने का निर्णय किया
गृह मंत्रालय (एमएचए) ने पूर्व में जारी निगरानी से संबंधित दिशा-निर्देशों को 31 जनवरी 2021 तक लागू रखने के लिए आज एक आदेश जारी कर दिया है।
भले ही कोविड-19 के नए और सक्रिय मामलों की संख्या में लगातार कमी आ रही है, लेकिन वैश्विक स्तर पर मामलों में बढ़ोतरी और यूनाइटेड किंगडम (यूके) में वायरस के नए संस्करण के सामने आने के बाद निगरानी, रोकथाम और सतर्कता बनाए रखने की आवश्यकता है।
इस क्रम में, नियंत्रण (कंटेनमेंट) क्षेत्रों का सावधानी से सीमांकन; इन क्षेत्रों में सुझाए गए रोकथाम के सख्त उपायों के पालन; कोविड संबंधी उपयुक्त व्यवहार को प्रोत्साहन और सख्ती से अनुपालन; और विभिन्न स्वीकृत गतिविधियों के संबंध में मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का ईमानदारी से पालन जारी रखा गया है।
इस प्रकार 25 नवंबर 2020 को जारी दिशा-निर्देशों में उल्लिखित गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (एमओएचएफडब्ल्यू) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों/एसओपी की निगरानी, रोकथाम और सख्ती से पालन पर केंद्रित दृष्टिकोण को सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों द्वारा लागू किए जाने की जरूरत है।
जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिए कर्ज के रूप में राज्यों को जारी की गई 6,000 करोड़ रुपये की 9वीं किस्त
वित्त मंत्रालय ने जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिए राज्यों को 6,000 करोड़ रुपये की 9वीं साप्ताहिक किस्त जारी की है। इसमें से 5,516.60 करोड़ रुपये की धनराशि 23 राज्यों को जारी की गई है और 483.40 करोड़ रुपये की धनराशि विधानसभा वाले (दिल्ली, जम्मू व कश्मीर और पुडुचेरी) 3 संघ शासित प्रदेशों (यूटी) को जारी की गई, जो जीएसटी परिषद के सदस्य हैं। शेष 5 राज्यों अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम में जीएसटी कार्यान्वयन के चलते राजस्व में कोई कमी नहीं आई है।
भारत सरकार ने जीएसटी कार्यान्वयन के चलते राजस्व में 1.10 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित कमी की भरपाई के लिए एक विशेष उधार खिड़की की स्थापना की थी। भारत सरकार द्वारा इस खिड़की के माध्यम से राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों की तरफ से उधारी ली जा रही है। अभी तक 9 चरणों में उधार लिया जा चुका है। अभी तक उधार ली गई धनराशि राज्यों को 23 अक्टूबर 2020, 2 नवंबर 2020, 9 नवंबर 2020, 23 नवंबर 2020, 1 दिसंबर 2020, 7 दिसंबर 2020, 14 दिसंबर 2020, 21 दिसंबर 2020 और 28 दिसंबर 2020 को जारी की गई थी।
इस हफ्ते जारी धनराशि राज्यों को दी गई निधि की 9वीं किस्त है। इस सप्ताह 5.1508 प्रतिशत की ब्याज दर धनराशि उधार ली गई है। अब तक, केन्द्र सरकार विशेष उधार खिड़की के माध्यम से 4.7488 प्रतिशत की औसत ब्याज दर पर 54,000 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है।
भारत सरकार ने जीएसटी लागू होने के एवज में राजस्व में कमी की भरपाई के लिए विशेष उधार खिड़की के माध्यम से निधि उपलब्ध कराने के अलावा राज्यों को अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 0.50 फीसदी अतिरिक्त राशि के रूप में उधार लेने का विकल्प भी उपलब्ध कराया है। इससे राज्यों को अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी। सभी राज्यों ने विकल्प-1 को प्राथमिकता दी है। प्रावधान के तहत 28 राज्यों को 1,06,830 लाख करोड़ रुपये (जीएसडीपी का 0.50 प्रतिशत) की अतिरिक्त उधारी की अनुमति दे दी गई है।
28 राज्यों को अतिरिक्त उधारी के रूप में दी गई अनुमति और उसके तहत अभी तक विशेष खिड़की से जुटाई गई धनराशि तथा राज्यों व संघ शासित क्षेत्रों को जारी की गई धनराशि की विस्तृत जानकारी परिशिष्ट में दी गई है।
नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच बकाया विवाद को पूर्णविराम लगा - एड किशन भावनानी
गोंदिया- भारत में सरकारी,अर्ध सरकारी व अन्य कर्मचारियों को उनके नियोक्ताओं द्वारा अनेक सुविधाएं दी जाती है, जो कि उनके सेवानिवृत्त होने पर भी बहुत काम आती है, और उनका भविष्य पूरी तरह से सुरक्षित हो जाता है, इसलिए ही नौकरी पेशा पसंद करने वाले अधिकतम लोगसरकारी,अर्ध सरकारी विभाग में सेवा करना अधिक पसंद करते हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में भविष्य सुरक्षित करने की अनेक योजनाएं दी जाती है जैसे पेंशन स्कीम,लीव ट्रैवल कंसेशन स्कीम,ग्रेच्युटी स्कीम, पीपीएफ,सप्ताह के 5 दिन काम, महिलाओं को मातृत्व अवकाश, मेडिकल लीव, इत्यादि अनेक सुविधाएं मिलती है..... बात अगर हम ग्रेच्युटी की करें तो अगर कोई भी कर्मचारी 10 उससे से अधिक कर्मचारी वाले वाले स्थान पर काम करता है, तो वह ग्रेच्युटी अधिनियम, १९७२ के तहत कवर किया जाएगा। ग्रेच्युटी वेतन का वह हिस्सा होता है,जो कर्मचारियों की सेवाओं के बदले एक निश्चित अवधि के बाद दिया जाता है। आय कर अधिनियम की धारा 10 (10) के मुताबिक, किसी भी निगम या कंपनी में कम से कम पांच वर्ष की सेवा अवधि पूरी करने वाला हर कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार होता है ग्रेच्युटी अधिनियम संशोधन 2019 ग्रेच्युटी सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र में काम करने वाले या संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी को मिलती है। अभी हाल में ही श्रम मंत्रालय ने कर मुक्त ग्रेच्युटी की राशि को 10 लाख से बढाकर 20 लाख कर दिया है और इसे 1 जनवरी 2016 से सरकारी और प्राइवेट दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए लागू भी कर दिया गया है। सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 के तहत अब ग्रेच्युटी के लिए पांच साल का इंतजार नहीं करना होगा. अगर कर्मचारी नौकरी की शर्तों को पूरा करता है तो उसे निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटीड तौर पर ग्रेच्युटी का भुगतान दिया जाएगा केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के ग्रेच्युटी भुगतान के नियमों में बड़ा बदलाव किया है. बदले हुए नियमों के मुताबिक, फिक्स्ड टर्म वाले कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी के भुगतान का प्रावधान किया गया है. इसके लिए न्यूनतम सेवा अवधि की कोई शर्त नहीं होगी. पहली बार, जो कर्मचारी एक निर्धारित अवधि के लिए काम कर रहा है, उसे एक नियमित कर्मचारी की तरह ही सामाजिक सुरक्षा का अधिकार दिया गया है। इसका एक तय फॉर्मूला है,कुल ग्रेच्युटी की रकम = (अंतिम सैलरी) x (15/26) x (कंपनी में कितने साल काम किया) यहां महीने में 26 दिन ही काउंट किया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि 4 दिन छुट्टी होती है. वहीं एक साल में 15 दिन के आधारपर ग्रेच्युटी काकैलकुलेशन होता है। संसद ने भी तीन प्रमुख श्रम सुधार विधेयकों को मंजूरी दे दी, जिनके तहत कंपनियों को बंद करने की बाधाएं खत्म होंगी और अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की इजाजत के बिना कर्मचारियों को निकालने की अनुमति होगी. सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 के तहत अब ग्रेच्युटी के लिए पांच साल का इंतजार नहीं करना होगाl अगर कर्मचारी नौकरी की शर्तों को पूरा करता है तो उसे निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटीड तौर पर ग्रेच्युटी का भुगतान दिया जाएगा,ग्रेजुएटी से संबंधित एक मामला माननीय सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार दिनांक 15 दिसंबर 2020 को आइटम नंबर 6 कोर्ट क्रमांक 9 (वीडियो कांफ्रेंसिंग) के जरिए माननीय 3 जजों की बेंच जिसमें माननीय न्यायमूर्ति संजय किशन कौल माननीय न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी व माननीय न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय की बेंच के सम्मुख एसएलपी अपील(सिविल)क्रमांक 11025/2020 जो कि एसएलपी क्रमांक 19/2020 माननीय झारखंड हाईकोर्ट रांची से उदय हुआ था, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया बनाम राघवेंद्र सिंह व अन्य, आया जिसमें माननीय बेंच ने अपने 2 पृष्ठों के आदेश में कहा ग्रेच्युटी को लेकर, बेंच ने कहा कि अगरकिसी कर्मचारी पर बकाया है तो उसकी ग्रेच्युटी का पैसा रोका या जब्त किया जा सकता है।बेंच ने शनिवार को यह फैसला सुनाया है। बेंच ने कहा कि किसी भी कर्मचारी की ग्रेच्युटी से दंडात्मक किराया- सरकारी आवास में रिटायरमेंट के बाद रहने के लिए जुर्माना सहित किराया वसूलने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है.पीठ ने कहा, 'यदि कोई कर्मचारी निर्धारित किए गए समय से अधिक समय तक कब्जा करता है, तो उससे दंड के साथ किराया वसूला जा सकता है. अगर कर्मचारी पैसा नहीं देता है तो ग्रेच्युटी की राशि में से पैसे काटे जा सकते हैं। याचिकाकर्ता की एक कर्मचारी के मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैसला सुनाया है। याचिकाकर्ता द्वारा एक कर्मचारी से 1.95 लाख रुपये का जुर्माना वसूलने का प्रयास किया गया था. उसने अपना बकाया और ओवरस्टाईड क्लियर नहीं किया था. कर्मचारी 2016 में रिटायर होने के बाद भी बोकारो में सरकारी आवास में बना रहा। जारी की जानी चाहिए ग्रेच्यूटी