Tuesday, March 2, 2021

निःशुल्क पीoपी0आर० टीकाकरण से ही भेड़ों एवं बकरियों को बचाया जा सकता हैं : डा. दीपक

  सारण( ब्युरो चीफ़)दैनिक अयोध्या टाइम्स

सारण प्रमण्डल क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक  डा0 दीपक कुमार सहायक रोग अनुसंधान पदाधिकारी ने बताया कि सारण प्रमण्डल क्षेत्र के छपरा, सिवान, गोपालगंज के सभी प्रखण्डों, पंचायतों, गॉव, टोला में डोर टू डोर "पशु स्वास्थ्य रक्षा पखवारा" अन्तर्गत अवि-अजा (भेड़ एवं बकरी में ) पी०पी0आर0 रोग के विरूद्ध निःशुल्क टीकारण कार्यक्रम  05.03.2021 से 19.03.2021 में किया जाना हैं वही सहायक रोग अनुसंधान पदाधिकारी डा0 दीपक कुमार ने यह भी बताया कि बकरी एवं भेड़ पालन के क्षेत्र से जुड़े पशुपालन को जीविका से जुड़े बकरी पालक को टीकाकरण एवं पीoपी0आर० रोग की जानकारी आवश्यक हैं इससे आर्थिक हानि से पशुपालकों को बचाया जा सकता। पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेट्स(पी0पी0आर0) जिसे बकरियों में महामारी या बकरी प्लेग के नाम से भी जाना जाता हैं, जिसमें बकरियों और भेड़ों में बुखार, मुंह में घाव, दस्त, निमोनिया और अंत में कभी-कभी मृत्यु हो जाती हैं।

यह रोग मुख्य रूप से मेमनों और कुपोषण व परजीवियों से ग्रसित भेड़ एवं बकरियों में अति गंभीर एवं प्राणघातक सिद्ध होता हैं ।

पी0पी0आर0 एक विषाणु जनित (वायरल बीमारी) हैं ।बकरियों में रोग अधिक गंभीर होता हैं। कुपोषण व परजीवियों ग्रसित भेड़ एवं बकरियां पी०पी०आर० रोग के लिये अधिक संवेदनशील होते हैं।

बीमार पशु की आँख, नाक, व मुंह के स्त्राव तथा मल में पीoपीoआर0 विषाणु पाया जाता हैं। बीमार पशु के खाँसने और छींकने से हवा की बूंदे जो हवा में जारी की होती हैं, इससे भी तेजी से रोग प्रसार संभव हैं।

 बीमार बकरियों में गंभीर लक्षण दिखाई देती हैं जैसे  अवसाद, भूख की कमी, नीरसता, छींक तथा आँख व नासिक तरल स्त्राव देखा जाता हैं। इस अवस्था के दौरान पशुपालक अकसर सोचता हैं कि बकरियों को ठण्ड लग गयी हैं ।सर्वप्रथम स्वस्थ्य, बकरियों को शीघ्र ही बीमार भेड़ ,बकरियों से अलग बाड़े में रखना चाहिए ताकि रोग को फैलने से बचाया जा सकें। इसके बाद ही रोगी बकरियों का उपचार प्रारम्भ 

पी०पी0आर0 के लक्षण दिखने पर तुरंत ही नजदीकी सरकारी पशु-चिकित्सालय में सूचना देनी चाहिए।

भेड़ एवं बकरियों का टीकाकरण ही पी0पी0आर0 से बचाव का एक मात्र कारगर उपाय हैं।

विशेष जानकारी एवं बचाव के लिए नजदीक के भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी से सम्पर्क करे ।

प्रेम प्रसंग मामले में नबालीग बच्ची को भगाने के बाद गांव मे तनाव का महौल

वैशाली(ब्युरो चीफ)दैनिक अयोध्या टाइम्स। बिदुपुर थाना क्षेत्र के मदरसा स्कूल के निकट से एक नाबालिक बच्ची के प्रेम -प्रसंग मे गायब होने के बाद दो पक्षों में तनाव कायम हो गया है सूचना पर गुरुवार को प्रेम प्रसंग मे फरार युवक की तलाश में पुलिस जुट गई है पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई कर तीनों लोगोको हिरासत में ले लिया है ।इस घटना के बाद गांव में तनाव का माहौल बना हुआ है। वही तनाव का माहौल को देखते हुए पुलिस की टीम गांव में कैंप की हुई है प्राप्त जानकारी के अनुसार बिदुपुर मदरसा स्कूल के पास युवक ने नाबालिग बच्ची को शादी करने की नियत से भगा कर ले गया इस घटना के बाद घर वाले लड़की की खोजबीन में जुट गए तो उन्हें पता चला कि घर के निकट का ही एक युवक उसे भगा कर ले गया है परिजन स्थानीय लोगों के साथ युवक के घर पहुंच कर लड़की के बरामदगी के लिए दबाव बनाया लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी युवक अभिभावक ने मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाइ लोग आक्रोशित होकर सैकड़ों लोगों के साथ युवक के घर पर चढ़ गए घटना की सूचना पुलिस को दिया गया पुलिस की टीम को देखते ही आक्रोशित लोग वहां से हट गए लेकिन गांव में तनाव को देखते हुए देर रात जिले के आला अधिकारी भी घटना स्थल पर पहुंचकर मामले की जानकारी ली पुलिस ने युवक के तीन रिस्तेदारों को हिरासत में ले लिया  है पुलिस की टीम तनाव स्थल पर कैंप कर रही है बच्ची के परिजनों ने उचित कार्रवाई की मांग बिदुपुर थाने में आवेदन देकर की गई है थाना अध्यक्ष धनंजय पांडे ने कहां है कि स्थिति नियंत्रण में है तथा बच्ची को बरामदगी के लिए पुलिस जगह-जगह छापेमारी कर रही है।




Monday, March 1, 2021

प्रखंड में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जन्म दिवस समारोह आयोजित

                 


राजापाकर (वैशाली) संवाद सूत्र, दैनिक अयोध्या टाइम्स। 

प्रखंड मुख्यालय स्थित राजापाकर बाजार के मदर टेरेसा स्कूल परिसर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का 70 वां जन्म दिवस समारोह  हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने केक काटे और उपस्थित लोगों के बीच वितरण किया । मौके पर पूर्व जदयू प्रत्याशी महेंद्र राम विधानसभा प्रभारी मुन्ना जी नवमनोनीत जदयू प्रखंड अध्यक्ष सुनील कुमार गुप्ता अविनाश कुमार अजीत कुमार सिंह  विनोद कुमार सिंह सहित अनेक लोग उपस्थित हुए ।कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रखंड अध्यक्ष सुनील कुमार गुप्ता ने की व संचालन शिवनाथ सिंह ने किया। सभी लोगों ने माननीय मुख्यमंत्री के दीर्घायु होने की कामना की।  जन्मदिन विकास दिवस के रुप में मनाया तथा उनके द्वारा  किए  विकास कार्य   को जन जन तक पहुंचाने का आह्वान किया।

वहीं  दूसरी तरफ युवा जदयू प्रखंड अध्यक्ष अमरजीत कुशवाहा के अध्यक्षता में जीडी पब्लिक स्कूल पचई जगदीश के परिसर में केक काटकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जन्मदिन मनाया गया मौके पर पातेपुर की पूर्व विधायिक व जदयू नेत्री प्रेमा चौधरी सहित दर्जनों युवा जदयू कार्यकर्ता उपस्थित हुए। श्रीमती चौधरी ने माननीय नीतीश कुमार द्वारा प्रदेश में विकास की गंगा बहाए जाने की चर्चा की तथा उनके दीर्घायु होने की ईश्वर से प्रार्थना की मौके पर  नागेंद्र प्रसाद सिंह  रामचंद्र चौधरी  अभिषेक कुमार आनंद कुमार अजय कुमार महेंद्र सिंह शत्रुघ्न विश्वकर्मा भीम कुमार धर्मेंद्र साह राजकुमार सिंह सहित अनेक कार्यकर्ता  शामिल हुए।

बिदुपुर में जदयू कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री का मनाया जन्मदिन


बिदुपुर( वैशाली) संवाद सूत्र दैनिक अयोध्या टाइम्स

 प्रखण्ड अध्यक्ष राजेश्वर प्रसाद मुकेश के कुशल नेतृत्व में आज प्रखण्ड जदयू कार्यालय कर्पुरी सभागार शीतलपुर कमालपुर में माननीय मुख्यमंत्री विकास पुरूष नीतीश कुमार जी की 70वाँ जन्मदिन केक काटकर "विकास दिवस' के रूप में मनाया गया ! बिदुपुर प्रखण्ड मुख्यालय के अलावे सभी प्रकोष्ठों के प्रखण्ड अध्यक्ष, पंचायत अध्यक्ष एवं बूथ अध्यक्षों ने अपने अपने बूथों पर भी हर्षोल्लास के साथ मुख्यमंत्री जी का जन्मदिन मनाया ! जन्मदिन के मौके पर राघोपुर विधानसभा प्रभारी अजय कुमार उर्फ गुड्डू सिंह मौजूद रहे ! जन्मदिवस के मौके पर प्रखण्ड अध्यक्ष श्री मुकेश ने माननीय मुख्यमंत्री जी के विकास कार्यों को जन जन तक पहुंचाने का उपस्थित साथियों के साथ संकल्प लिया ! जन्मदिवस के मौके पर दो फलदार वृक्ष आम अमरूद भी प्रखण्ड कार्यालय पर ही उपस्थित साथियों के साथ प्रखण्ड अध्यक्ष एवं विधानसभा प्रभारी ने बोया ! विधानसभा प्रभारी ने मुख्यमंत्री जी के सबसे महत्वपूर्ण निर्णय सात निश्चय पार्ट - 2 पर कार्यकर्ताओं को अपनी देखरेख में सफल बनाने को कहा ! अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष अनिल कुमार चौरसिया ने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने जो अपने कार्यकाल में जो विकास कार्य किए हैं वह अद्वितीय है चाहे सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं में जो बिहार को इस मुकाम तक लाने में माननीय मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व क्षमता का ही परिणाम है ! विकास दिवस के कार्यक्रम में मुख्य रूप से राजेश्वर प्रसाद मुकेश, विधानसभा प्रभारी अजय कुमार उर्फ गुड्डू सिंह राजीव प्रशान्त, मुकेश कुमार सिंह, अनिल कुमार चौरसिया, गजेन्द्र भगत चौरसिया, जितेन्द्र कुमार सिंह, विशेश्वर राय, निरशन ठाकुर, महिला नेत्री सविता देवी, अहिल्या देवी, ललन झा, ध्रुव नारायण चौधरी, डॉ. रामबाबू राय, दुखहरण पंडित, दिनेश कुमार, युवा नेता उजाला गौरव, महेश प्रसाद सिंह उर्फ पप्पू सिंह, डॉ. कैलाश चौधरी, धर्मनाथ चौधरी, विजय ठाकुर, युवा नेता ई. कर्मवीर कुमार, गुड्डू कुमार, सन्नी कुमार, रवि कुमार, मुकेश कुमार, सत्यप्रकाश, अशोक कुमार चौरसिया, मानोज साह आदि माननीय मुख्यमंत्री जी के जन्मदिन के शुभ अवसर पर जदयू कार्यालय में उपस्थित होकर मुख्यमंत्री जी का जन्मदिन "विकास दिवस" के रूप में मनाया ।

रेलकर्मी का 40 हजार रुपये अबैध रूप से एटीएम मशीन से उचक्कों किया निकासी ,पीड़ित ने थाने में किया एफआईआर दर्ज

 सारण(ब्यूरो चीफ संजीत कुमार) दैनिक अयोध्या टाइम्स

सोनपुर भारतीय स्टेट बैंक के खाते से एक रेलकर्मी का 40 हजार रुपये अवैध निकासी कर ली गई है। इस संबंध में नयागांव में कार्यरत सोनपुर दूधैला गाछी का रेलकर्मी प्रभुनाथ कुमार सिंह ने प्राथमिकी दर्ज करने के लिए इस आशय का आवेदन सोनपुर थाना में सोमवार को दिया है। पीड़ित ने बताया कि बीते शुक्रवार कि शाम भारतीय स्टेट बैंक सोनपुर  शाखा के उसके खाते में वेतन का पैसा जमा कर दिए जाने की सूचना उसे मिली। इसी बीच शनिवार को वह दरियापुर के एटीएम से ₹2000 निकालने का प्रयास किया किंतु एटीएम खराब होने के कारण उसका रुपया नहीं निकल पाया। इसी बीच बारी बारी से चार बार मे कुल 40  हजार रुपये की अवैध निकासी उसके खाते से कर ली गई। रेलकर्मी ने बताया कि जैसे ही उसके मोबाइल पर सूचना प्राप्त हुआ वह अपने खाते को बंद करा दिया। पीड़ित ने बताया कि उसे इस मामले की कोई ओटीपी भी नहीं प्राप्त हुई। रेलकर्मी ने इसकी सूचना भारतीय स्टेट बैंक के शाखा प्रबंधक को भी दिया। उसने अपने साथ धोखाधड़ी किए जाने की बात प्राथमिकी में कही है। सोनपुर पुलिस आवेदन के आलोक में जांच पड़ताल कर रही है।

एसपी ने सोनपुर थाना का किया निरीक्षण, अनुसंधान में तेजी लाने का दिया निर्देश

सारण (ब्यूरो चीफ संजीत कुमार)दैनिक अयोध्या टाइम्स 

सोनपुर सारण के एसपी संतोष कुमार ने रविवार की देर शाम सोनपुर थाना पहुंचे। यहां पहुंच कर उन्होंने सिवान के लड़की के साथ हुए गैंग रेप वाले मामले में घटनास्थल सबलपुर पंचायत में पहुंचकर जांच पड़ताल की। यही नहीं एसपी ने आसपास के लोगों से घटना के बारे में भी गहन पूछताछ भी किया  साथ ही एसपी ने सोनपुर थाना का निरीक्षण भी किया । जिसमे अभिलेखों का निरीक्षण करते हुए थाना परिसर में में क्या- क्या कमी है साथ ही  पदाधिकारी द्वारा किए गए कार्य तथा कार्यों की निष्पादन की स्थिति को जाना। एसपी ने सडीपीओ अंजनी कुमार, थानाध्यक्ष अकिल अहमद, हरिहरनाथ ओपी प्रभारी राजीव रंजन समेत अन्य  पुलिस पदाधिकारी के साथ बैठक कर विधि व्यवस्था के अलावा अपराध एवं अपराधियों के संवंध में जनकारी लेते हुए लंबित मामले को गंभीरता से लेते हुए निष्पादन करने,गश्ती में तेजी लाने का सख्त निर्देश दिया। एसपी ने बताया कि थाना के निरीक्षण के  दौरान सभी  बिंदुओं पर जांच पड़ताल की गई । उनसे पूछे जाने पर बताया कि गैंगरेप में शामिल आरोपियों की पहचान कर ली गई है । उनके छिपने का ठिकाना भी  चिन्हित कर लिया गया है ।जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी ।

संचारी रोग नियंत्रण माह/दस्तक अभियान के शुभारम्भ के अवसर पर जन जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाकर जिलाधिकारी ने किया रवाना

 अमेठी विजय कुमार सिंह


अमेठी 01 मार्च 2021,*  संचारी रोग नियंत्रण माह/दस्तक अभियान का शुभारम्भ जिलाधिकारी श्री अरुण कुमार ने कलेक्ट्रेट परिसर से जन जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। विशेष संचारी अभियान रोग नियंत्रण अभियान 01 से 31 मार्च, 2021 तक तथा दस्तक अभियान 10 मार्च से 24 मार्च, 2021 तक आयोजित किया जायेगा। इस कार्यक्रम में जनपद की समस्त आशा कार्यकत्री 10 से 24 मार्च, 2021 तक घर-घर जाकर हर घर का भ्रमण कर लोगों को संचारी रोग से मुक्ति एवं बचाव हेतु तथा इसके लक्षणों एवं उपचार से सम्बन्धित सुविधाओं के प्रति जागरूकता करेंगी। जिलाधिकारी ने अभियान के शुभारम्भ के दौरान सम्बोधित करते हुए कहा कि जनपद में संचारी रोग नियंत्रण अभियान के अन्तर्गत दिमागी बुखार और संचारी रोगों की रोकथाम की जायेगी। इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग के साथ ही नगर विकास, पंचायतीराज/ग्राम  विकास विभाग, पशु पालन विभाग, महिला एवं  बाल विकास विभाग,  शिक्षा विभाग, दिव्यांगजन साक्तीकरण/ समाजकल्याण विभाग, कृषि एवं सिंचाई विभाग, उद्यान विभाग, सूचना विभाग आदि कार्यक्रम जुड़े समस्त विभाग एक साथ मिलकर संचारी रोग से बचाव  हेतु कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि 31 मार्च तक चलने वाले अभियान में घर-घर जाकर आशा व आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा साफ-सफाई, कचरा निस्तारण, जलभराव रोकने, मच्छरों से बचाव आदि के प्रति लोगों को जागरूक  करेगी। इस अभियान से जुड़े विभिन्न विभागों के अधिकारी/कर्मचारीगण अपने कर्तव्यों का पालन करें, ताकि यह अभियान जनपद में सफल हो। विशेष संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम की शुरूवात आज कर दिया गया है, जिसे शासन की मंशा के अनुरूप कार्य किया जायेगा। सीएमओ डा. आशुतोष दूबे ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाये जाने वाले इस अभियान के लिये शहरी और ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य केन्द्रों की ओर से माइक्रोप्लान भी तैयार गया है, जिसके अनुसार विभाग द्वारा कार्य किया जायेगा। इस वर्ष के दस्तक में फ्रन्ट लाइन वर्कर्स (आशा एवं आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों) के द्वारा घर-घर जाकर किये जाने वाले संवेदीकरण तथा सर्वेक्षण में कुछ नये बिन्दु सम्मिलित किये गये हैं, जैसे- आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्री प्रत्येक मकान पर क्षय रोग के संभावित रोगियों  के विषय में भी जानकारी प्राप्त करेंगी तथा जन्म-मृत्यु से छूटे शिशुओं/ व्यक्तियों के पंजीकरण को ब्योरा एकत्रित करेंगी तथा दिमागी बुखार के कारण विकलांग हुए व्यक्तियों की सूचना भी एकत्रित करेंगी। इसके साथ ही प्रतिदिन कार्य की समाप्ति पर अपनी रिपोर्ट  में बुखार के रोगियों की सूची, क्षयरोग के लक्षण युक्त व्यक्तियों की सूची, प्रत्येक कार्य दिवस में किये गये जन्म-मृत्यु पंजीकरण की सूची, दिमागी बुखार से विकलांग हुए व्यक्तियों की सूची की रिपोर्ट करेंगी। जन जागरूकता रैली में आशा, आंगनवाडी कार्यकत्री सहित अन्य संबंधित मौजूद रहे।

सूचना विभाग द्वारा भेजी गई एल0ई0डी0 प्रचार वाहन को अपर जिलाधिकारी ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

 अमेठी विजय कुमार सिंह


*अमेठी 01 मार्च 2021,*  सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा भेजी गई एलईडी प्रचार वाहन को आज कलेक्ट्रेट परिसर से अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व श्री एसपी सिंह ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर अपर जिला सूचना अधिकारी शिव दर्शन यादव ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार संचारी रोग अभियान के शुभारंभ के अवसर पर आज सूचना विभाग लखनऊ द्वारा जनपद अमेठी में तहसील, ब्लाक, ग्राम स्तर पर वृहद जन जागरूकता हेतु एलईडी प्रचार वैन भेजी गई है, उक्त एलईडी प्रचार वाहन के माध्यम से संचारी रोगों से बचाव, कोविड-19 के संक्रमण से बचाव सहित अन्य केंद्र व प्रदेश सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के बारे में आमजन को जागरूक करेगी। उन्होंने बताया कि उक्त एलईडी वैन जनपद में 15 दिनों तक भ्रमणशील रहकर जन सामान्य को जागरूक करेगी।

समाज सार्थक संचार से दूर भौतिकता की गोद में

समाज सार्थक संचार से दूर, एक लोकतांत्रिक समाज संवाद पर आधारित है और विचारों के आदान-प्रदान से विकसित होता है। वह तर्क और तर्क के आधार पर मतभेदों को समाप्त करता है और एक निर्णय पर आता है और इसे निष्पादित करता है। वैदिक सभा की समितियों से लेकर भारत की संविधान सभा तक, ऐसे सैकड़ों बिखरे हुए उदाहरण हैं जिनमें चर्चा, तार्किक बहस होती है, लेकिन एक महत्वपूर्ण निर्णय पर भी पहुँचा जा सकता है जबकि विरोध को कम किया जाता है। वास्तव में, भारतीय समाज द्वारा तथ्यों और ज्ञान के पर्दा को तोड़ने के लिए तर्क का उपयोग किया जाता है। भ्रम और अज्ञान का आवरण टूट गया है, इसके लिए केवल तर्क की आवश्यकता है। बहस, परिष्कार, अवांछनीय अश्लीलता के नाम पर चरित्र हनन को कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता। तार्किक आधारों पर निष्पादित होने पर ही संवाद योग्य होता है। हमें भारत की संसद में छंदों के अर्थ को हमेशा याद रखना चाहिए। उस श्लोक का अर्थ किसी सभा में प्रवेश करना भी नहीं है। यदि आप करते हैं, तो समन्वित और उचित तरीके से बोलें। एक व्यक्ति जो एक बैठक में चुपचाप या अनुचित तरीके से बोल रहा है वह पापी है।

भारतीय इतिहास बताता है कि जब भी तर्कवाद अपने चरम पर होता है, तो थोड़ी-सी बौद्धिकता पर आधारित ज्ञान प्रणाली समाज का आधार बन जाती है। श्रेष्ठ समाज भी इससे पराजित हो गया है। इसलिए, लोकतांत्रिक व्यवस्था में मूल्य के रूप में संवाद को लिया जाना चाहिए। हमें विश्वास से भी संवाद से निकाले गए निष्कर्ष को स्वीकार करना चाहिए। इसके लिए, भारत में प्रचलित प्रक्रिया भी शंकराचार्य जैसे तर्कवादियों को स्वीकार करती है। शंकराचार्य कहते थे कि धर्म कोई असभ्य बात नहीं है, बल्कि बहुत ही सूक्ष्म विचार है। इसलिए, उनकी उत्पत्ति को समझने के लिए चर्चा सत्र होना चाहिए, लेकिन चर्चा भीड़ में नहीं बल्कि समूहों में होती है। भीड़ में अराजकता हो सकती है, सच्चाई की भावना नहीं। सच्चाई को समझना भी हमारे विचारों के साथ स्थिरता की मांग करता है। गांधीजी इसका एक उदाहरण हैं। वह अपने विचारों को खारिज करने में भी संकोच नहीं करता था। उस दिशा में किया गया निर्णय लोगों के सामने, उनके सामने, लोगों के लिए फायदेमंद होता है। भारत के भीतर कई ऐसे अवसर आए हैं जिनमें जीवन के व्यवहार के स्तर में, सरकार के स्तर में मतभेद रहे हैं। वोट को विभाजित किया गया है, लेकिन एक बड़े पैमाने पर आम सहमति की ओर बढ़ने और देश के महानतम हितों के सामने हमारे स्वार्थ का त्याग करते हुए निर्मित प्रणाली को स्वीकार करते हुए, परिष्कार के बौद्धिक परिश्रम के उदाहरण भी हैं। भारत के लोग आपदा में भी यही करते रहे हैं। एक विभाजित दिमाग किसी भी राष्ट्र की समूह चेतना को नष्ट कर सकता है। विरोध होना जरूरी है, लेकिन विरोध होना खतरनाक है। विरोध को कम करने का एक तरीका अनुरोध के रूप में स्थापित प्रणाली के खिलाफ रखी गई बाधाओं को खत्म करना है। विभाजित लोगों को भड़काने और उत्तेजित समूहों को अराजकता में धकेलने के लिए देश में एक सामूहिक प्रयास है। ऐसा लगता है कि भारत फिर से शहर-शहर में विखंडन के कगार पर है।

 
भारतीय समाज की ताकत यह है कि यह मतभेदों को खत्म करता है और एक बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ता है, लेकिन आज यह सार्वजनिक रूप से स्वीकृत प्रणाली गायब हो रही है। नतीजतन, छोटे अंतर भयावह रूप ले रहे हैं। छोटे-छोटे मतभेद टुकड़ों का समाज बना रहे हैं। ऐसी स्थिति में, हमें याद रखना चाहिए कि किसी भी समूह की भाषा और उसकी विचार प्रणाली, अर्थात् मिलना, बैठना, विचार व्यक्त करना, वैचारिक भिन्नताओं पर चर्चा करना और चर्चा के दौरान स्पर्श, बोध के आधार पर पूर्ण संवेदनशीलता और संवेदनशीलता के साथ। दूसरे का अपनाना प्रगतिशील होना है। यह भारत के इतिहास में गार्गी और याज्ञवल्क्य के संदर्भ में जनक और अष्टावक्र के संदर्भ में देखा जा सकता है। यह भेद कुमारिल और शंकराचार्य के संवादों में, शंकराचार्य और मंडन मिश्र के संवादों में भी परिलक्षित होता है। यह सावरकर और गांधी के संवाद, सुभाष और गांधी के संवाद में भी गूंजता है।

शोध प्राविधि:-सामाजिक विज्ञान अनुसन्धान (भाग – 1)
मतभेदों के बावजूद, भारत के बारे में सोचने की प्रक्रिया हमारे देश और समाज के लिए पारस्परिक प्राप्ति को स्वीकार करने और संवाद बनाने की दिशा में आगे बढ़ने का अनुशासन है। भारत वैचारिक सत्य का देश है, लेकिन यह अभी भी कमजोर हो रहा है। दावे सही होने के दावे और जिद हैं। ऐसी जिद में समाज का अंतिम व्यक्ति आंखों से ओझल हो जाएगा। इससे छुटकारा पाने के लिए, निश्चित रूप से, ज्ञान की आवश्यकता होती है, न कि बुद्धि की, और यह बुद्धिमान का कर्तव्य है कि वह बिखरते संवाद सूत्र को खोले, विपरीत विचारों को हल करे और इस अराजकता के बीच उत्पन्न शोर को एक बहुत ही धैर्यपूर्ण स्वर में बदल दे। । स्वर सात हैं, अलग-अलग हैं, लेकिन वे संगीत बनाते हैं। विभेदीकरण परस्पर पूरक है। यह भारत की भूमि की विशेषता है।
 
शास्त्रार्थ केवल आधार भूमि में है। भारत के लिए, यह संविधान, संवैधानिक कानूनों का आधार है, जिसमें सभी उपचार संभावनाएं शामिल हैं। यदि भारत के शरीर में कोई बीमारी है, तो इसका अहिंसक उपचार संभव है। इसीलिए बुद्ध ने खुद को सर्वश्रेष्ठ चिकित्सक कहा, क्योंकि उन्होंने एक ऐसी सोच विकसित की जो समाज की पीड़ा को दूर करने के लिए करुणा और नैतिकता पर आधारित हो। आज का शोरगुल वाला माहौल संगीत को विभिन्न स्वरों के बीच सामंजस्य बनाने की उम्मीद करता है और यह संगीत केवल भारत के लोगों द्वारा ही बजाया जा सकता है।

प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"
युवा लेखक/स्तंभकार/साहित्यकार

चालाक चीन से सतर्कता की जरूरत

          पिछले कई महीनों से भारत और चीन के बीच उतार-चढ़ाव की स्थिति जो बनी थी उसमें थोड़ा परिवर्तन दिखाई दे रहा है तथा चीन ने पैगोगं झील से पीछे हटने का फैसला जो किया है जो कहीं ना कहीं भारत और चीन के बीच चली आ रही लंबे समय के विवाद में थोड़ी कमी दिखाई दे रही है | यह सिर्फ एक क्षेत्र का ही मामला है अभी चीन से और भी दूसरे क्षेत्रों से भारत का विवाद है उस पर भी नजर रखने की आवश्यकता है | जिस प्रकार भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में चीन से चली आ रही विवाद की सूची के बारे में देश को विस्तार पूर्वक  बताते हुए चीन को आड़े हाथो लिया है यहाँ तक तो ठीक है परंतु इतने जल्दी चीन पर विश्वास करना अभी भारत के लिए ठीक नहीं होगा क्योंकि चीन का इतिहास हमेशा धोखा देना और विस्तार वादी नीति का ही रहा है पर फिर भी यहां यह समझना भी आवश्यक है कि आखिर चीन पैगोंग झील से पीछे हटने को क्यों तैयार हुआ | 

             इसके लिए भारत की कूटनीति, राजनीतिक, आर्थिक , सैन्य दबाव और  अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन के खिलाफ एक माहौल को खड़ा करना रहा है | जिसके कारण चीन भारत से डरने लगा कूटनीतिक व रणनीति के तहत भारत ने क्वाड संगठन में नई प्रक्रिया  के तहत जिस प्रकार से मालाबार संयुक्त अभ्यास किया | जिसमें अमेरिका और जापान के साथ आस्ट्रेलिया को भी आमंत्रित किया जिससे संगठन में एक नई ताकत मिली और चीन को भारत ने एक सख्त संदेश देने का जो कार्य किया है | इससे भारत अपनी इस रणनीति में सफल रहा इसके साथ ही कोरोना महामारी के अंतर्गत चीन का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो असंतोष है उसे भी भारत ने अच्छे तरीके से भुनाने का प्रयास किया | जिससे चीन कहीं ना कहीं लड़खड़ाता हुआ नजर आ रहा है | इसके साथ भारत के द्वारा आर्थिक प्रतिबंध के तहत कई चीनी एप्प पर प्रतिबंध लगाने से चीन को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है क्योंकि दुनिया में भारत एक ऐसा देश है जहां पर पूरे विश्व को एक अच्छा बाजार नजर आता है परंतु भारत ने सही समय पर सही निर्णय लेते हुए चीन के खिलाफ जो आर्थिक प्रतिबंध लगाने का दृढ निश्चय कार्य किया इससे चीन की आर्थिक स्थिति कहीं ना कहीं लड़खड़ाती हुए नजर आई क्योंकि चीन दुनिया में महाशक्ति बनने की दिशा में चल रहा था परंतु उसके इस रास्ते में रोड़ा भारत ने आर्थिक रूप से लगाकर उसे रोकने का और कड़ा संदेश देने का जो प्रयास किया यह अपने आप में बहुत बड़ा कार्य था | 
           ऐसे में भारत ने आर्थिक प्रतिबंधों के जरिए चीन की दुखती नस पर जो चोट पहुंचाकर काम किया है तथा इसी कड़ी में भारत ने चीन से आने वाले प्रत्यक्ष रूप से विदेशी निवेश अर्थात एफडीआई को लेकर भी जो नए कड़े नियम बनाए जिससे चीन की दूरसंचार कंपनियों के लिए राह बहुत मुश्किल भरी हो गई | इन कदमों से जहां भारत की साख दुनिया में बड़ी वहीं चीन की बौखलाहट भरी प्रतिक्रिया भी हम सब ने देखी और महसूस की परंतु भारत उन प्रतिक्रियाओं के समक्ष कभी भी झुका नहीं बल्कि भारत ने समय-समय पर चीन के खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए जो कार्य किया है, जिससे भारत का निशाना एकदम चीन पर सटीक  प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार से लगा है, और दुनिया ने भारत के इस प्रकार के कदम को जहां सराहा वहीं भारत को एशिया की उभरती हुई महाशक्ति के रूप में भी देखा | 
           इसके साथ ही भारत ने चीन के खिलाफ अपनी सेनाओं को हर मोर्चे पर जिस निडरता के साथ खड़ा कर चीन को विवश कर दिया | इससे भी कहीं ना कहीं चीन का घमंड खत्म हुआ है | समानता चीन पड़ोसी देशों को अपनी सैन्य ताकत से ही डराने का प्रयास करता रहा है परंतु इस बार चीन की यह रणनीति भारत के खिलाफ काम नहीं आई और भारत ने उसे परास्त करते हुए अपनी सेना को खुली छूट देकर जिस तरीके से चीन के सामने खड़ा किया और मुंह तोड़ जवाब दिया जिसकी चाहुओर प्रशंसा भी हुई | वैसे तो भारत और चीन के बीच बहुत ज्यादा विश्वसनीय संबंध आज तक नहीं स्थापित हो पाए हैं क्योंकि चीन भारत के हर क्षेत्र में रोड़े का कार्य करता हुआ चला रहा है जबकि भारत ने हमेशा चीन का सहयोग कर उसे यूनाइटेड संघ का सदस्य बनवाने में मदद की थी परंतु चीन हमेशा भारत के हर एक पक्ष में विरोध करता रहा है | भारत और चीन के बीच वर्तमान में तब संबंध बिगड़े जब गलवान की घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच सीमा विवाद को लेकर बिना हथियार के खूनी संघर्ष हुआ । जिसमें भारत के जांबाज बीस जवान शहीद हो गए थे | जिससे भारत के सैनिकों में आक्रोश था तब इसी संघर्ष में भारत ने अपने शहीद सैनिकों का बदला उसी रणनीति के तहत लिया और भारत के बीर सैनिकों ने चीन के कई सैनिकों को हताहत किया लेकिन उसने कभी भी यह स्वीकार नहीं किया कि उसके कितने सैनिक मारे गए | लेकिन रूस की एक एजेंसी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार ऐसा माना गया कि इस झड़प में चीन के 45 से 50 सैनिकों के मरने की बात सामने आई | इस नुकसान से चीन को स्पष्ट संदेश मिला कि भारत उसे करारा जवाब हर क्षेत्र में देने के लिए आज तैयार है क्योंकि अब यह भारत 1962 वाला नहीं 2020 वाला भारत है | चीन की अब दादागिरी किसी भी प्रकार से भारत या कोई भी देश स्वीकार नहीं करेगा और सभी चीन को जवाब देने के लिए तैयार थे | जिसका भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जापान , ऑस्ट्रेलिया, इजरायल, अमेरिका और ब्रिटेन  जैसे बड़े देश तथा भारत की सीमाओं को छूने वाले कुछ छोटे देश भी भारत के साथ सहयोग करने और हर क्षेत्र में सहायता देने के लिए तैयार थे | जिसके कारण चीन की बौखलाहट और बढ़ गई और कहीं ना कहीं चीन ये समझने लगा कि भारत से किसी भी क्षेत्र पर अब निपटना कठिन है । 
          सीमा पर भारत की सेना द्वारा चीन के सैनिकों को मौत के घाट उतारना, आर्थिक रूप से कड़े प्रतिबंध लगाना, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों द्वारा भारत का सहयोग करना एवं भारत की दुनिया में एक अलग पहचान बनना 
जिससे चीन कहीं ना कहीं भारत की शक्ति से लड़खड़ा गया और उसे आज पीछे हटने पर विवश होना पड़ा | यदि हम चीन की आंतरिक स्थिति की बात करें तो चीन के राष्ट्रपति के खिलाफ बहुत ज्यादा आक्रोश है और वह ध्यान भटकाने के लिए इस प्रकार से विस्तारवादी नीति को अपनाता है ताकि वह अपनी अंतः कलाह का ध्यान भटका सके, भारत ने उसकी इस रणनीति को भी फेल कर दिया | फिर भी भारत को अब यह देखना पड़ेगा कि आने वाले समय में चीन की क्या रणनीति है ? क्योंकि चीन हमेशा रुक कर किसी भी देश पर बार करता है और चीन एक विश्वसनीय देश नहीं है, हमेशा धोखे से ही कार्य करता है उसके इतिहास को देखते हैं तो चीन की रणनीति हमेशा हमें समझ में आती है धोखे से वार करना | 
           वर्तमान में भारत के लिए आवश्यक है कि वह चीन को संदेश देने के साथ-साथ उस पर आपनी पैनी नजर भी रखे क्योंकि कभी भी धोखे से चीन बार कर सकता है | आज वह घायल भी है क्योंकि भारत ने चीन को हर एक मोर्चे पर असफल करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन को पूरी तरीके से विफल कर दिया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर क्षेत्र में अग्रणी एवं उत्कृष्ट रहकर भारत ने अपनी शक्ति का जो प्रदर्शन किया है निसन्देह पूरा विश्व आज भारत की शक्ति का लोहा मानने के लिए विवश है | 
     अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद शायद चीन ने यह सोचा था की वाइडन की नई सरकार बनने से चीन को कुछ सहयोग मिलेंगा परंतु वाइडन प्रशासन ने सख्त संदेश देते हुए चीन को निराश किया इसके साथ ही वाइडन प्रशासन ने कहा कि चीन से तकनीकी, व्यापार, सागर तथा अन्य क्षेत्रों में शक्ति से निपटने की आज जरूरत है का जो संदेश दिया जिससे भारत को ताकत मिली तो चीन को जो उम्मीद थी बाइडन की सरकार से उसे निराशा हुई | इससे यह स्पष्ट होता है कि कहीं ना कहीं भारत की विदेश नीति तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छाशक्ति बहुत ताकतवर दिखाई दी उन्होंने दुनिया को दिखा दिया कि भारत चीन की आंख में आंख डालकर खड़ा हो सकता है तथा उतनी ही ताकत से जवाब देने के लिए भी आज भारत तैयार है | क्योंकि भारत ने कभी किसी के साथ विस्तार वादी नीति का प्रयोग नहीं किया है और ना ही भारत कभी किसी पड़ोसी देश को डराना चाहता है | नरेंद्र मोदी ने अपनी सत्ता संभालते ही कहा था कि भारत ना किसी को डराना चाहता है बल्कि भारत आंख में आंख मिला कर बात करने की ताकत रखता है इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने जिस प्रकार कोरोना महामारी को सकारात्मक दिशा में बदलने का कार्य करते हुए आत्मनिर्भर भारत अभियान के माध्यम से चुनौती को अवसर में बदला है | उनके इस नेतृत्व में भारतीय विदेश नीति के नए तेवरों वाले कामों को भी एक नई दिशा मिली है तथा दुनिया इस बात को समझने लगी है कि भारत उभरती हुई नई शक्ति का एक सहयोगी देश है | 
         प्रधानमंत्री की इच्छा शक्ति और भारत सरकार के दृढ़ निर्णय के कारण आज भले ही चीन पीछे हटने को तैयार है, लेकिन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अभी भी हालात अस्थिर ही बने रहेंगे क्योंकि विगत कई महीनों से दोनों देशों के बीच जो दरार पड़ी है वह इतने जल्दी से भरने वाली नहीं है तथा भारत भी चीन पर इतनी जल्दी विश्वास करने वाला नही है और यहां जरूरी भी है कि भारत , चीन से और अधिक चौकन्ना रहे क्योंकि चीन हमेशा धोखे से तथा रुक कर ही पीठ पर वार करता है और पीठ पर वार करने वाला हमेशा कुख्यात डरपोक और धोकेवाज होता है | 


भारत आंख में आंख मिलाकर , सामना करेगा | 
हुई जरूरत तो अब  घर में , जाकर बार करेगा || 
यह बदलते हुए युग में,भारत का नया स्वरूप है , 
आत्म निर्भर भारत से,दुनिया मे पहचान करेगा || 
 

 
                         पूर्व सैनिक 
                  प्रमोद कुमार चौहान 

सरकारी अस्पताल में मरीज की मौत या अनेपक्षित चोट पहुंचने, यद्यपि चिकित्सीय लापरवाही के बिना भी राज्य को मुआवजा देना बाध्यता - हाईकोर्ट द्वारा 5 लाख़ का मुआवजा देने का निर्देश

चिकित्सा क्षेत्र जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा - सरकार और चिकित्सा क्षेत्र का मदद करने का महत्वपूर्ण दायित्व - एड किशन भावनानी

वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी के जबरदस्त प्रकोप में मानव जीवन में चिकित्सीय क्षेत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है,यह बात सभी को समझ में आई होगी। वैसे भी अगर हम सामान्य परिस्थितियों की भी बात करें, तो हमारे बड़े बुजुर्ग आदि काल से ही डॉक्टर को एक भगवान, अल्लाह के रूप में देखते हैं। हालांकि अभी चिकित्सक क्षेत्र में नई खोजें और तकनीकी के विकास के चलते नए आयाम प्राप्त किए हैं। परंतु इसके साथ ही इलाज की कीमतें भी बढ़ी है जिसके कारण एक गरीब आदमी सरकारी अस्पताल के अलावा कहीं और जाने की उम्मीद नहीं करता हैं और कितनी भी बड़ी तकलीफ या बीमारी क्यों ना  हो अपने परिजनों को सरकारी अस्पतालों में ही इलाज़ कराने के लिए निर्भर रहते हैं। जो कि संबंधित राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है। चिकित्सा क्षेत्र मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और सरकार तथा चिकित्सा क्षेत्र को ही अपनी नैतिकता, सहजता, उदारता और जिम्मेदारी के प्रभाव से मरीज़ की मदद करने का महत्वपूर्ण दायित्व है, क्योंकि मरीजों उनके परिजनों, परिवार वालों को चिकित्सा क्षेत्र में के अलावा बस ऊपर वाले पर ही निगाहें रहती है। और सही न्याय नहीं मिलने पर पीड़ितों के पग अदालतों की ओर चले जाते हैं और फिर इंसाफ के मंदिर से तो सबको इंसाफ की उम्मीद बंधी ही रहती है।.... इसी विषय पर आधारित एक मामला माननीय मद्रास हाईकोर्ट में सोमवार दिनांक 1 फरवरी 2021 को माननीय सिंगल जज बेंच माननीय न्यायमूर्ति जी आर स्वामीनाथन के समक्ष रिट पिटिशन (एमडी) क्रमांक 2721/2017 याचिकाकर्ता बनाम स्टेट ऑफ तमिलनाडु व अन्य 10 के रूप में आया जिसमें माननीय बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के पश्चात अपने 9 पृष्ठों के आदेश के पॉइंट नंबर 7 और 8 में कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रतिवादी डॉक्टरों पर लगाए गए लापरवाही के आरोप हमने सही नहीं पाए हैं और मैंने इस आरोप को ख़ारिज कर दिया है, परंतु इसमें, क्षतिपूर्ति देने इस सवाल का जवाब नहीं मिला। याचिकाकर्ता एक अति गरीब हैं व उसका उसके बच्चे की मृत देह उसे मिली जबकि याचिकाकर्ता और बच्चे दोनों की कोई गलती नहीं थी। भले चिकित्सा लापरवाही भी नहीं हुई थी। परंतु, सरकार का दायित्व बनता है और तमिलनाडु सरकार का आदेश जी ओ क्रमांक 395 दिनांक 4 सितंबर 2018 का एक फंड जिसमें हर सरकारी डॉक्टर इसमेंअंशदान करते हैं ऐसा एक फंड बनाया गया है उसमें से इस गरीब को,माननीय बेंच  ने तमिलनाडु राज्य सरकार को उस याचिकाकर्ता को 5 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करने का निर्देश दिया, जिसकी बेटी की सरकारी अस्पताल में एनेस्थीसिया (बेहोशी की दवा) देने के बाद पैदा हुई जटिलताओं के कारण मौत हो गई। बेंच ने इस मामले की सुनवाई की और कहा कि भले ही एनेस्थेटिस्ट की ओर से कोई चिकित्सकीय लापरवाही न की गई हो, लेकिन सरकार की ओर से एक दायित्व मौजूद है कि अगर किसी मरीज को एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया और वहां वह मरीज प्रभावित होता है या उसे चोट आती है या उसकी मौत हो जाती है, तो यह एक सामान्य घटना नहीं है। बेंच ने कहा कि, जब किसी मरीज को इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया जाता है और उसे कोई चोट आती है या मृत्यु हो जाती है, तो यह एक सामान्य घटना नहीं है,यहां तक की अगर यह घटना बिना किसी चिकित्सकीय लापरवाही के घटित होती है तो भी सरकार का दायित्व है कि वह प्रभावित पार्टी की मदद करे। मामले के तथ्य तत्काल मामले में, याचिकाकर्ता की बेटी, जिसकी उम्र 8 वर्ष थी, वह टॉन्सिल से पीड़ित थी और उसके उपचार के लिए अरुप्पुकोट्टई के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।इलाज के लिए उसे सर्जरी प्रक्रिया से गुजरना था और उस प्रक्रिया में, उसे एनेस्थीसिया (बेहोशी की दवा) दिया गया था। नतीजतन, कुछ जटिलताएं पैदा हुईं और उसे मदुरै के राजाजी सरकारी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया,जिसमें वह कोमा में चली गई और आखिरकार उसका निधन हो गया। कोर्ट का अवलोकन - एकल न्यायाधीश बेंच ने कहा कि काउंसलर द्वारा याचिकाकर्ता के लिए प्रस्तुत किया गया है कि उसकी सर्जरी करने से पहले उसे एनेस्थीसिया दिया गया। इसके बाद शरीर के अंदर अनेक जटिलताएं उत्पन्न हुईं और यह एनेस्थेटिस्ट की ओर से की गई लापरवाही के कारण हुआ। चिकित्सकीय लापरवाही को तथ्यात्मक निर्धारण की आवश्यकता बताते हुए,बेंच ने कहा कि बच्चे को जो दवा दी गई थी वह आंतरिक रूप से खतरनाक दवा नहीं थी, लेकिन इससे माइटोकॉन्ड्रियल बीमारियों वाले बच्चों के लिए जटिलताएं हो सकती हैं। हालांकि, यह नोट किया गया कि मृतक बच्चे को इस तरह की बीमारी होने का संकेत देने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं था, जिससे पता चले कि डॉक्टरों द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया गया था। बेंच ने कहा कि,हमेशा ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं, जब कोई दवा रोगी को दी जाती है और दवा का असर शरीर पर सही से नहीं होता है तो इससे दुर्भाग्यपूर्ण जटिलताएं उत्पन्न हो जाती हैं। इस मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। इसलिए, मुझे यह मानने के लिए कोई आधार नहीं मिला है कि प्रतिवादी एनेस्थेटिस्ट ने चिकित्सकीय लापरवाही का कोई भी कार्य किया है।हालांकि, भले ही अदालत ने चिकित्सकीय लापरवाही के आरोप को खारिज कर दिया, लेकिन यह टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता एक अधिसूचित अनुसूचित जाति समुदाय का है और बच्चे को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।इस संदर्भ में, अदालत ने कहा कि, जब किसी मरीज को इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया जाता है और उसे कोई चोट आती है या मृत्यु हो जाती है, तो यह एक सामान्य घटना नहीं है, यहां तक की अगर यह घटना बिना किसी चिकित्सकीय लापरवाही के घटित होती है तो भी सरकार का दायित्व है कि वह प्रभावित पार्टी की मदद करे।कोर्ट ने कहा कि, तमिलनाडु सरकार ने एक कोष बनाया है, जिसमें प्रत्येक सरकारी डॉक्टर एक निश्चित धनराशि जमा करते हैं और तदनुसार, तत्काल आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से आठ सप्ताह की अवधि के भीतर इस निधि से याचिकाकर्ता को 5 लाख रुपया मुआवजे के रूप में देने के लिए निर्देशित किया जाता है।

*-संकलनकर्ता कर विशेषज्ञ एड किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

मारपीट कर घायल अवस्था में किशोर को फेंका इलाज के दौरान हुई मौत

पातेपुर (वैशाली)संवाददाता दैनिक अयोध्या टाइम्स

पातेपुर के बलिगांव थाना क्षेत्र के खोआजपुर वस्ती पंचायत के पस्तारा चौभैया टोला में एक किशोर को घर से बुला कर कहीं अन्यत्र ले जाकर मारपीट करने के बाद घायलावस्था में किशोर को उसके घर के पास फेंक दिए जाने का मामला प्रकाश में आया है। फेके गए किशोर की इलाज के क्रम में पटना के किसी निजी नर्सिंग होम में  मौत हो गई। किशोर की मौत से परिजनों में कोहराम मच हुआ है । इस मामले में मृतक के भाई द्वारा दिये गए आवेदन के आलोक में तीन आरोपियों के विरुद्ध थाने में आवेदन देकर मामला दर्ज कराया गया है।

   मिली जानकारी के अनुसार बलिगांव थाना क्षेत्र के खोआजपुर वस्ती पंचायत के पस्तारा चौभैया टोला निवासी गेना प्रसाद यादव के पुत्र जितेंद्र कुमार द्वारा बलिगांव थाने की पुलिस को दिए आवेदन के अनुसार बीते 25 फरवरी की रात उसका भाई धर्मेन्द्र कुमार को उसके तीन दोस्त गांव के ही लखिन्द्र राय का पुत्र नीतीश कुमार तथा दशरथ राय के दो पुत्र धर्मेन्द्र कुमार एवं पंकज कुमार घर से बुलाकर कही ले गया था। जो कि देर रात तक घर वापस नही लौटा था। 26 फरवरी की सुबह बेहोशी की हालत में मेरा भाई धर्मेन्द्र कुमार घर के समीप ही पड़ा मिला। घर के लोगो द्वारा घायलावस्था में ही धर्मेन्द्र कुमार को परिजनों ने समस्तीपुर के किसी नर्सिंग होम में इलाज के लिए लेकर गए। जहां स्थिति की गंभीरता को  देखते हुए चिकित्सकों ने पटना रेफर कर दिया। जहां इलाज के दौरान शनिवार की देर रात उसकी मौत हो गई। किशोर की मौत के बाद स्थानीय प्रशासन के द्वारा शव का पोस्मार्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया गया। इस मामले मेंउक्त  तीनों आरोपियों के विरुद्ध हत्या का  मामला दर्ज कराई गई है।

उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमन्त्री केशव प्रसाद मौर्य की जीवन कुण्डली : पं. सुधांशु तिवारी के साथ


 अयोध्या टाइम्स ज्योतिषचार्य



उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री बने केशव प्रसाद  मौर्य भारतीय राजनीति के दक्षिण पंथी विचारधारा के तहत भारतीय जनता पार्टी से सम्बंधित हैं. ये भारतीय जनता पार्टी के बहुत जाने माने चेहरे हैं और उत्तर प्रदेश के पार्टी अध्यक्ष भी हैं. साल 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव में इन्होने उत्तर प्रदेश के फूलपुर से चुनाव जीता. 11 जनवरी सन 2016 में पार्टी ने अपने 12 सदस्यों को इन पर बलिया में हमला करने की वजह से पार्टी से बर्खास्त कर दिया. इसके ठीक बाद दो अन्य बड़े नेताओं पर भी मामले दर्ज हुए। 

केशव प्रसाद मौर्य का जन्म और शिक्षा: केशव प्रसाद मौर्य का जन्म 7 मई सन 1969 में इलाहाबाद के कौशाम्बी जिले के एक छोटे से क्षेत्र सिराथू में एक किसान परिवार में हुआ था. इनका बचपन बहुत कठिन था और इस वजह से इन्हें चाय और अखबार बेचना पड़ता था. इनके पिता का नाम श्याम लाल मौर्य और इनकी माता का नाम धनपति देवी मौर्य है. इन्होने इलाहबाद के हिन्दू साहित्य सम्मलेन से हिंदी साहित्य में स्नातक तक की पढाई की है.

केशव प्रसाद मौर्य का व्यक्तिगत जीवन: केशव प्रसाद मौर्य हिन्दू धर्मं के कुशवाहा समुदाय से सम्बन्ध रखते हैं. इनके पिता एक किसान थे. इनकी पत्नी का नाम राज कुमारी देवी मौर्य है और इनको तीन संतानों का आशीर्वाद मिला है. राजनीति के साथ साथ इनका अपना व्यापार भी है और ये जीवन ज्योति क्लिनिक और हस्पातल के निर्देशक और पार्टनर हैं।

केशव प्रसाद मौर्य का राजनैतिक करियर: केशव प्रसाद मौर्य हिंदुत्व की राजनीति के लिए मशहूर हैं. ये एक लम्बे समय तक विश्व हिन्दू परिषद् से जुड़े रहे. लगभग 18 साल तक इन्होने विश्व हिन्दू परिषद के लिए प्रचार किया. इसके साथ ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े रहे. एक अच्छा खासा समय इन दो संस्थाओं में गुजारने की वजह से उनकी राजनैतिक जड़ें मजबूत होती गयीं, जिससे इन्हें राजनीति में बहुत गहराई से उतरने में मदद मिली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहने के समय इन्होने राम जन्मभूमि आन्दोलन में बहुत बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. इन्होने अपनी राजनैतिक करियर की शुरुआत ‘गरीबी संघ और ओबीसी’ की सोच का रास्ता अपनाकर की. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर इन्होंने इस संस्था को और भी मजबूत किया. यद्यपि केशव प्रसाद मौर्या की पहचान कौशाम्बी के बाहर बहुत अधिक नहीं है, लेकिन इनका हिंदुत्व इमेज कई हिदू संस्थाओं में बहुत अच्छे से जाना जाता है. अपने शुरूआती करियर के दौरान ये बजरंग दल से भी जुड़े थे, और नगर कार्यवाह के पद पर काम कर रहे थे. गो- रक्षा आन्दोलन में भी इन्होने बहुत बढ़- चढ़ कर हिस्सा लिया, और साथ ही बीजेपी किसान मोर्चा के पिछड़ी जाति सेल में भी काम किया.

लोकसभा चुनाव में लगातार दो हार के साथ इनकी सक्रीय राजनीति की शुरुआत हुई थी. ये हार इन्हें सन 2002 और सन 2007 में मिली, इसके बाद सन 2014 में मोदी लहर में जब कई छिट- पुट नेताओं का बेड़ा पार लग रहा था. उसी समय इस लहर ने इनका भी बेड़ा पार लगा दिया और इस लोकसभा चुनाव में इन्हें जीत मिली. उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्र में कुशवाहा जाति फैली हुई है और स्थान परिवर्तन के साथ इनका उपनाम भी बदलता है. कई जगहों पर ये सैनी और सख्य के उपनाम से भी जाने जाते हैं. बीजेपी में केशव प्रसाद मौर्य का कद बढ़ने की वजह ये भी थी, कि बीजेपी में ओबीसी नेता तो कई थे मगर कुशवाहा के मौर्य जाति का कोई नेता नहीं था. मौर्य जाति की एक बहुत बड़ी संख्या उत्तरप्रदेश में होने की वजह से ये समय पर जातिगत राजनीति के बहुत काम आ सकते थे. बसपा और सपा की राजनीति का एक तोड़ यहाँ से भी निकलते देखा जा सकता है. 8 अप्रैल 2016 में भारतीय जनता पार्टी ने इन्हें उत्तरप्रदेश राज्य का पार्टी प्रमुख चुना. भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इनका सदैव समर्थन किया है. इन्हें पता था कि उत्तरप्रदेश में सपा और बसपा जीतने की खास हालत में नहीं है, और यदि ऐसी परिस्थिति में भाजपा से एक ऐसे नता को चुना जाए, जो पिछड़ी जाति का हो और साथ में हिंदुत्व के नाम पर पड़ने वाले वोटों को भी सुरक्षित रखे ऐसी दशा में केशव प्रसाद मौर्य पर भरोसा करके चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है. उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में इन्हें एक बहुत अहम् भूमिका में देखा गया और इसी भूमिका को देखते हुए इन्हें उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री के रूप में चुना गया है.

केशव प्रसाद मौर्य विवाद में 

कट्टरपंथी राजनीति करने की वजह से इन्हें कई बार विवादों के घेरे में आना पड़ा. सन 2011 में इन पर इनके तीन साथियों के साथ एक गरीब किसान घुलाम गौस अलियास चंद खान की हत्या का आरोप लगा है. 21 मई 2015 में इन्हें बरी कर दिया गया और मृतक किसान के बड़े भाई  ने कहा कि वो अब इस केस को बंद कर देना चाहते हैं, क्योंकि कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है और वो मौर्य के साथ दुश्मनी नहीं झेल पायेंगे, और अगर ये दुश्मनी तब हो जब वे उत्तर प्रदेश के पार्टी प्रमुख हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव के समय एफिडेविट पर उन्होंने दस प-पेंडिंग पड़े केसेस का जिक्र किया था. मौर्य के अनुसार ये सारे मामले उनपर उनसे राजनैतिक दुश्मनी निकालने के लिए उनके प्रतिद्वंदियों ने दर्ज कराया है. इन मामलों में उनपर दंगे भड़काने का, अपराध सम्बन्धी सज्जिश रचने का, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने आदि के विरोध में केस दर्ज हैं.

केशव प्रसाद मौर्य की उपलब्धियां  ः सन 2012 से सन 2014 तक इन्होने विधायक के तौर पर काम किया. इसके साथ 16 मई सन 2014 में इन्होने लोकसभा चुनाव को बहुत बड़े वोटिंग मार्जिन से जीत कर अपनी राजनैतिक जमीन मजबूत की. आप का भविष्य उज्जवल हो व राजनैतिक जीवन में अनेक उचांई तक पहुँचो शेष शुभ हो श्री राम चन्द्र जी से यही कमाना।



पंडित सुधांशु तिवारी - ज्योतिष चार्य- दैनिक अयोध्या टाइम्स