हमेशा ऐसे हंसते मुस्कुराते रहो कि आपको देखकर लोग कहें वह देखो! जिंदगी कितनी खूबसूरत है!!
Thursday, May 12, 2022
मुस्कराना खूबसूरत जिंदगी का इम्यूनिटी बूस्टर!!
Wednesday, May 11, 2022
सुकून मिले
तपती देह जब उमस और भीषण गर्मी से
ओंठ कंठ तक प्राण बसते सूखे आकर।माथे से टपके स्वेदो टपके है पग में छाले
नदिया पोखर शीतलता से सुकून पाकर।
मन में जब और अवसाद भरा क्षण भर
मां की ममता शीतल आंचल मिल जाए।
मन की पीड़ा और व्यथा में मिले शांति
मां की ममता से भरा सुकून मिल जाए।।
भूख बढ़ी ज्वाला में असह भूख मिटाने
रूखी सूखी रोटी भी प्रिय भोजन मीठा
उदर ज्वाला को एक सुकून मिल जाए
पेट भरा हो तब तो फिर सब सो इतराए।
प्रिया प्रेम की आंखों में प्रीतम प्यारे को
रसभरी मद मुग्ध नयन फिर सदा बिछे।
करकी किबाड़ ओट से झलक मिले तो
विरहिन प्रिय को एक सुकून शांति मिले।
प्रणय प्रेम में भरी प्रिय चाहत उम्मीदों से
प्रियवर से कर मान मनौती पूरी चली है
उठी प्रेम की ज्वाला में प्रियतम बोली से
उम्मीद भरी ताप धरा सी सुकून मिले हैं।
बच्चों की प्रिय तोतली बोली दिल बसती
वीणा गुंजन सरगम कीमत सबसे फीके है।
नन्हे पग रखते बच्चा मां का आंचल पकड़े
मां बाप को सुकून मिले जंग सभी जीते है।
दिन मेहनत मजदूरी करके श्रममूल्य मिले
दर्पण सा चेहरा चमका है सौसौ बार खिले।
अपनी झोपड़पट्टी में कुछ मटकी में चावल
लाकर रखता घर को पोषण सुकून मिले।
चले शहर से गांव घर देख धुआ चूल्हा में
अपने घरके सुखयादों में पग से जल्दी चले
दिनभर की श्रमपीड़ा से विमुक्त हुए घर में
प्रियहाथों से जल पी आंखों में सुकून मिले।
खेती-बाड़ी निज गौशाला में गायों को देख
कृषकआंखें चमकी नेहभरी धरती को चूमे
घरअनाज भंडार भरा सुकून मिले दिल को
घर आंगन में रंग भरे बिखरी मस्ती से झूमे।
लेखन



के एल महोबिया
Saturday, May 7, 2022
छपरा के 70 साल का बुजुर्ग बना दूल्हा, धूमधाम से निकली बारात, पिता की शादी में 8 बच्चे बने बाराती
(रवि कुमार भार्गव राज्य को-आर्डिनेटर अयोध्या टाइम्स बिहार)
पटना : छपरा में हुई एक अनोखी शादी इन दिनों काफी सुर्खियों में है। 70 साल का शख्स जब दूल्हा बनकर अपनी दुल्हन को लाने निकला तो इस नजारे को देख लोग हैरान रह गए। गाजे-बाजे के साथ निकाली इस बारात में बड़ी संख्या में लोग डीजे की धुन पर झुमते दिखे। बारातियों में दूल्हे की सात बेटियां और एक बेटा भी शामिल हुए। रथ पर सवार दूल्हा जिस रास्ते से भी गुजरा लोग एक झलक पाने के लिए बेताब नजर आए।दरअसल, करीब 42 साल पहले एकमा के आमदाढ़ी निवासी राजकुमार सिंह की शादी बड़े ही धूमधाम के साथ हुई थी। शादी के बाद पहली बार जब पत्नी मायके गई तो बिना गौना के ही ससुराल चली आई। गौना की रस्म पूरी नहीं हो सकी। 42 साल बाद 5 मई को उनकी सात बेटियों और एक बेटे ने इस दिन को खास बना दिया। जब 70 साल के बुजुर्ग की बारात निकली तो देखने वाले देखते ही रह गए। राजकुमार सिंह बताते हैं कि 42 साल पहले 5 मई को उनकी शादी हुई थी। शादी के 42 साल बाद भी वे अपने ससुराल आमदाढ़ी नहीं गए थे और ना ही गौना की रस्म ही पूरी हो सकी थी। लेकिन 42 साल बाद उनकी बेटी और बेटे ने उस रस्म को पूरा कराया। बता दें कि पहली बार राजकुमार सिंह अपनी सात बेटियों के कारण चर्चा में आए थे। मामूली आटा-चक्की की दुकान चलाकर उन्होंने अपनी सात बेटियों को पुलिस और सेना में नौकरी दिलाने का काम किया। जिन सात बेटियों को लोग बोझ समझते थे आज वे पुलिस और सेना की वर्दी पहनकर देश की सेवा कर रही हैं। शादी के 42 साल गुजर जाने के बाद सात बेटियां और इंजीनियर बेटा मां-बाप की शादी की वर्षगांठ को खास बनाने के लिए गाजे-बाजे के साथ पिता की बारात लेकर निकल पड़े। इस अनोखी बारात के कारण 70 साल की उम्र में दूल्हा बने राजकुमार सिंह एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं।
वतन
वतन
Thursday, May 5, 2022
ग्वालियर में बनेगा एरोपॉनिक आधारित आलू बीज उत्पादन केंद्र
नई दिल्ली, 05 मई (इंडिया साइंस वायर): फसलों को रोगों एवं कीटों से बचाने के लिए जूझ रहे किसानों की मुश्किलें अब बढ़ते प्रदूषण और सिमटती कृषि भूमि की चुनौतियों से और बढ़ गई हैं। इन चुनौतियों से लड़ने के लिए कृषि वैज्ञानिक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का विकास करने में जुटे हैं, जिससे फसल उत्पादन और खाद्य सुरक्षा बनी रहे। नये जमाने की अभिनव कृषि तकनीकों में अपनी जगह बना चुकी एरोपॉनिक पद्धति इनमें प्रमुखता से शामिल है।
एक नयी पहल के अंतर्गत विषाणु रोग रहित आलू बीज उत्पादन के लिए एरोपॉनिक पद्धति के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ग्वालियर में एक नया केंद्र स्थापित किया जाएगा, जहाँ आलू के बीजों का उत्पादन करने के लिए खेतों की जोताई, गुड़ाई, और निराई जैसी परंपरागत प्रक्रियाओं की आवश्यकता नहीं होगी। रोगों एवं कीटों के प्रकोप से मुक्त आलू के बीजों का उत्पादन यहाँ अत्याधुनिक एरोपॉनिक पद्धति से हवा में किया जाएगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की शिमला स्थित प्रयोगशाला केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-सीपीआरआई) के वैज्ञानिकों द्वारा आलू बीज उत्पादन की यह तकनीक विकसित की गई है।
ग्वालियर में एरोपॉनिक पद्धति आधारित आलू बीज
उत्पादन केंद्र स्थापित करने के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री
नरेंद्र सिंह तोमर एवं मध्य प्रदेश के उद्यानिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भारत
सिंह कुशवाह की उपस्थिति में म.प्र. सरकार के साथ बुधवार को नई दिल्ली में एक अनुबंध
किया गया है। कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (DARE) सचिव व आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा, आईसीएआर
के उप-महानिदेशक (बागवानी विज्ञान) डॉ आनंद कुमार सिंह, मध्य प्रदेश के अपर संचालक-बागवानी डॉ के.एस. किराड़, केंद्रीय आलू अनुसंधान
संस्थान के प्रभारी निदेशक डॉ एन.के. पांडे, और एग्रीनोवेट
इंडिया की सीईओ डॉ सुधा मैसूर भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
एरोपॉनिक्स, मिट्टी या समग्र माध्यम के उपयोग के बिना
हवा या पानी की सूक्ष्म बूंदों (Mist) के वातावरण में पौधों को उगाने की प्रक्रिया है। एरोपॉनिक के जरिये पोषक तत्वों का
छिड़काव मिस्टिंग के रूप में जड़ों में किया जाता है। पौधे का ऊपरी भाग खुली हवा व
प्रकाश के संपर्क में रहता है। एक पौधे से औसत 35-60 मिनिकन्द (3-10 ग्राम) प्राप्त किए जाते हैं। चूंकि, इस पद्धति में मिट्टी का उपयोग नहीं होता, तो मिट्टी से
जुड़े रोग भी फसलों में नहीं होते। वैज्ञानिकों का कहना है कि पारंपरिक प्रणाली की
तुलना में एरोपॉनिक पद्धति प्रजनक बीज के विकास में दो साल की बचत करती है।
यह पद्धति पारंपरिक रूप से प्रचलित
हाइड्रोपोनिक्स, एक्वापॉनिक्स और इन-विट्रो (प्लांट टिशू कल्चर)
से अलग है। हाइड्रोपॉनिक्स पद्धति में पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक खनिजों की
आपूर्ति के लिए माध्यम के रूप में तरल पोषक तत्व सॉल्यूशन का उपयोग होता है। एक्वापॉनिक्स
में भी पानी और मछली के कचरे का उपयोग होता है। जबकि, एरोपॉनिक्स पद्धति में किसी
ग्रोइंग मीडियम के बिना फसल उत्पादन किया जाता है। इसे कभी-कभी एक प्रकार का
हाइड्रोपॉनिक्स मान लिया जाता है, क्योंकि पोषक तत्वों को प्रसारित करने के लिए
एरोपॉनिक्स में पानी का उपयोग किया जाता है।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि के समग्र विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार अनेक योजनाओं पर मिशन मोड में काम कर रही है। किसानों को फसलों के प्रमाणित बीज समय पर उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विषाणु रोग रहित आलू बीज उत्पादन की एरोपॉनिक पद्धति के माध्यम से उत्पादित आलू के बीजों की उपलब्धता देश के कई भागों में सुनिश्चित की गई है। उन्होंने कहा कि यह नई तकनीक आलू के बीज की आवश्यकता को पूरा करेगी, और मध्य प्रदेश के साथ-साथ संपूर्ण देश में आलू उत्पादन बढ़ाने में मददगार होगी।
मां
मां के प्यार सा संबल
फालसा फल क्या है?
*फालसा फल क्या है? – What is Falsa Fruit*
“उमंगों की उड़ान (लघुकथा)”
जानकी गोपाल की परवरिश को लेकर बहुत चिंतित थी। बहुत सारी समस्याओं से घिरे होने के कारण वह हर समय गोपाल के बारे में सोचा करती थी। वह अपने बच्चे को पढ़ाई के साथ-साथ अन्य कौशल में भी निपुण बनाना चाहती थी। कुछ समय पश्चात उसकी अपनी पुरानी सहेली उमा से भेंट हुई। उमा एक सरकारी नौकरी में ऊँचे ओहदे पर थी। उमा में आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा था। उसके लिए उपलब्धियाँ और आलोचना सहज रूप से शिरोधार्य थी। जीवन के कड़वे अनुभव और संघर्ष के बावजूद भी उसने अपने चेहरे से मुस्कुराहट कम नहीं होने दी। समस्याएँ तो उसके जीवन में भी थी पर समस्याओं को पीछे छोडते हुए सपनों को साकार करने का गुण उसे आता था। जब जानकी उमा से मिली तो पता नहीं क्यों उसमें सकारात्मक विचारों के भाव उत्पन्न हो रहे थे। वह अपनी सहेली की निपुणता तो पहले से ही जानती थी। उसने अपने असमंजस विचार और मन की बात उमा के सामने रखी। उमा ने उसे विचारों के भटकाव से दूर केवल गोपाल पर ध्यान केन्द्रित करने की बात कही। उसने उसे समझाया की यदि वह गोपाल को उत्साह वाले उमंगों की उड़ान देना चाहती है तो उसे अपने प्रयत्नों की ऊँचाई बढ़ानी होगी। असफलता का सफर ही जीवन में अकेला तय करना होता है। वही समय खुद से जूझने वाला होता है। सफलता की सजावट में तो सभी के रंग शामिल होते है। सच्चे मन से किए गए प्रयास कभी भी निष्फल नहीं होते है।
उमा की इन बातों ने जानकी के मन में उमंग और उत्साह के भावों का संचार किया और उसने सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ्ने का निर्णय लिया और आने वाले समय में गोपाल को मनचाहे सपनों की ऊँची उड़ान दी। इस लघुकथा से यह शिक्षा मिलती है की कभी-कभी सही लोगों के सही समय पर मार्गदर्शन से हमारे मन के संशय दूर हो जाते है और इस संशय के जाल से मुक्त होकर एक उज्ज्वल पथ की नींव रख सकते है। कभी-कभी दूसरों के अनुभव भी जीवन में सफलता की श्रेष्ठ कुंजी सिद्ध हो सकते है। जीवन में प्रगति के पथ पर हमें अडिग रूप से चलना होता है जिसकी उड़ान आशावादी नजरिए और निरंतर संघर्ष से ही प्राप्त की जा सकती है।
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)
हमारी बगिया का टमाटर और स्वदेशी अभियान
-डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’
संजीव-नी
नहीं दिखता इन्हें,
मिट्टी के गोले का अंतहीन,
आकार रहित बस्तर,
बस्तर का महुआ,सागौन,
साल, बुलाते हैं,
लोग बस कविता कर जाते हैं,
घूम जाते हैं तीरथगढ़
कुटुमसर, चित्रकूट,
दो शब्द लिख जाते हैं कटाक्ष की तरह,
गंगालूर की घाटियों में,
लोदे सा मरता आदमी नहीं दिखता,
महुआ से टपकती मौत की आवाज,
नाले का कीचड़ पिता मारिया,
चरोटा भाजी से ओंटता पेट,
पेचिश की खुनीं रफ्तार,
बाल की खाल खाता लगोंटी धारी,
मिर्च और इमली के पानी से भरता पेट,
नहीं दिखती विलासी कविता को
नहीं दिखती एठती आदिवासी सुप्रिया की नसे,
नहीं दिखती मिट जाती कीचड़ सनी
आंखों में मौत की नींद,
नहीं गंदा थी तपते धूप से जलते,
आदिवासी मांस की,
वही पलाश, टेसू और गुलर
जो कैनवास देते हैं,
इन विलासी कविताओं को,
मौत देते हैं वही पतझड़ में,
लंगोटी को,
नहीं दिखता भूख से जंगल में मौत का तांडव,
इन्हें दिखती है राजधानी से आदी बालाओं के,
नग्न शरीर के लुभावने कटाव,
दिखती है उन्हें खुली जिंदगी,
मस्त व्यसन कारी,
महुआ बीनती,
मदहोश आदी बालाएं,
यूएसए हुई अंत जिंदगियां नहीं दिखती,
कीचड़ से पानी के कतरे तलाश थी
गरीब मोरिया नहीं दिखती,
अंतहीन पसीने की बूंदे ,
मौत का अनवरत आदिवासी सिलसिला
नहीं दिखता इन्हें,
इन्हें दिखती हैं कविताएं,
अपने बस्तर प्रेम की
बुद्धिजीवी छाप, और
घड़ियाली आंसुओं का सैलाब|
संजीव ठाकुर, रायपुर छ.ग.
Wednesday, May 4, 2022
आम की बागवानी को प्रदेश सरकार दे रही है बढ़ावा
अयोध्या टाईम्स एस० बी० यादव ब्यूरो चीफ अमेठी। 04 मई 2022,*
आम भारतवर्ष का ही नहीं, देश-विदेश की अधिकांश जनसंख्या का भी एक पसंदीदा और सबसे लोकप्रिय फल है। इसकी सुवास, उपलब्ध पोषक तत्वों, विभिन्न क्षेत्रों एवं जलवायु में उत्पादन क्षमता, आकर्षक रंग, विशिष्ट स्वाद और मिठास विभिन्न प्रकार के बनाये जाने वाले खाद्य पदार्थ आदि विशेषताओं के कारण इसे फलों का राजा (King of Fruits) की उपाधि से विभूषित किया गया है। आम लगभग 3-10 मी0 तक की ऊँचाई प्राप्त करने वाला सदाबहार वृक्ष है। भारत आम उत्पादन में विश्व के अनेक देशों में से एक अग्रणी देश है। विश्व के कुल आम उत्पादन में से 40 प्रतिशत से अधिक आम का उत्पादन भारत में होता है। भारतवर्ष में उत्तर प्रदेश, प्रमुख आम उत्पादक राज्य है। इसके अतिरिक्त यह छोटे स्तर पर लगभग सभी मैदानी क्षेत्रों में उगाया जाता है। आम उत्पादन में उचित परिपक्वता निर्धारण के साथ वैज्ञानिक ढंग से तुड़ाई, सुरक्षित रखरखाव एवं पैकेजिंग बेहतर प्रबंधन विपणन को दृष्टिगत रखते हुए उ0प्र0 सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आम उत्पादन को बढ़ावा दे रहे है। आम (मैंजीफेरा इंडिका एल0) भारतीय उप-महाद्वीप का एक महत्वपूर्ण फल है तथा भारत में विश्व का सबसे अधिक आम उत्पादन होता है। बहुपयोगी होने के कारण ही आम का भारत की संस्कृति से गहरा संबंध रहा है। आम का उत्पादन भारत में प्राचीन काल से ही किया जा रहा है। भारत में इस फल की समाज के आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन में इसकी बहुमुखी उपयोगिता के कारण ही विशेष महत्व है। आम का फल सभी जनमानस को सरलता से उपलब्ध होता है। इस फल की पौष्टिकता व विभिन्न गुणों के कारण ही यह सभी लोगों की पसन्द है। आम कच्चा हो या पक्का हो सभी तरह से प्रयोग किया जाता है। आम का अचार तो विश्व प्रसिद्ध है ही साथ में उसकी गुठली के अचार आदि बनते हैं। आम की खट्ठी-मीठी चटनी, आम का पना, आम का जूस/शेक, आइसक्रीम, खटाई, रायता, आम रस का सुखाकर बनाया गया अमावट, आदि विभिन्न खाद्य पदार्थ बनाये जाते हैं। आम उ0प्र0 की मुख्य बागवानी फसल है। उ0प्र0 के 280 हजार हे0 क्षेत्रफल में आम का बगीचा है। प्रदेश में लगभग 48 लाख मी0टन से अधिक आम उत्पादित होता है, जो देश के कुल उत्पादन का लगभग 83 प्रतिशत है। आम उत्पादन की दृष्टि से उ0प्र0 के बाद आंध्र प्रदेश, बिहार एवं कर्नाटक, महाराष्ट्र आम उत्पादन करने वाले अग्रणी राज्य है। उ0प्र0 में सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद, वाराणसी, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, सुल्तानपुर जनपद आम फल पट्टी क्षेत्र घोषित है, जहां पर दशहरी, लंगड़ा, लखनऊ सफेदा, चौसा, बाम्बे ग्रीन रतौल, फजरी, रामकेला, गौरजीत, सिन्दूरी आदि किस्मों का उत्पादन किया जा रहा है। मलिहाबाद फल पट्टी क्षेत्र के 26,400 हे0 क्षेत्रफल में दशहरी, लंगड़ा, लखनऊ सफेदा, चौंसा उत्पादित किया जा रहा है। आम उष्ण तथा उपोष्ण दोनों प्रकार की जलवायु में पैदा किया जा सकता है। भारत में इसकी खेती समुद्र तल से 1500 मी0 की ऊॅचाई तक वाले हिमालय क्षेत्र में की जा सकती है। लेकिन व्यावसायिक दृष्टि से समुद्र तल से 600 मी0 तक की ही ऊचाई में अधिक सफलता से आम पैदा किया जा सकता है। आम के पौधों का जड़ विन्यास काफी गहराई तक जाता है। अतः इसके विकास के लिए कम से कम 2 मी0 तक की गहराई की अच्छी मिट्टी आवश्यक है। आम के लिए सबसे उपयुक्त भूमि गहरी, उचित निकास वाली दोमट मानी जाती है। उत्तर प्रदेश में प्रमुख व्यावसायिक प्रजातियों के आम उत्पादित होते हैं। प्रदेश की दशहरी प्रजाति की उत्पत्ति उ0प्र0 के लखनऊ जनपद के समीप दशहरी गॉव से हुई है। उत्तर भारत की यह प्रमुख व्यावसायिक प्रजाति का फल है। फल मध्यम आकार के तथा फलों का रंग हल्का पीला होता है। फलों की गुणवत्ता एवं भण्डारण तथा विपणन के लिए प्रदेश सरकार ने मलिहाबाद में विशेष व्यवस्था की हैं प्रदेश की लॅगड़ा प्रजाति उत्तर प्रदेश के बनारस जनपद से हुई है। उत्तर भारत की यह प्रमुख व्यावसायिक प्रजाति है। फल मध्यम आकार के तथा फलों का रंग हल्का पीला होता है फलों की गुणवत्ता एवं भण्डारण अच्छा है। यह प्रजाति मध्य मौसम में पकनें वाली होती है। लखनऊ सफेदा प्रजाति के फल 15 जून के बाद पकना शुरू होते हैं। फल मध्यम आकार के, पीले रंग के तथा अच्छी मिठास वाले होते हैं। चौसा आम की उत्पत्ति उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद के सण्डीला स्थान से हुई है। इसके स्वाद व रंग के कारण उत्तर भारत में इसका व्यावसायिक उत्पादन किया जा रहा है। फलों का आकार लम्बा, रंग हल्का पीला होता है। यह देर से पकने वाली प्रजाति है। प्रदेश में आम्रपाली प्रजाति दशहरी एवं नीलम के संकरण से प्राप्त, बौनी एवं नियमित फल देने वाली संकर प्रजाति है। यह सघन बागवानी के लिए उपयुक्त प्रजाति है। एक हेक्टेयर में 1600 पौधे रोपित किया जा सकते हैं तथा 16 टन से अधिक प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है। यह देर से पकने वाली प्रजाति है। मल्लिका प्रजाति नीलम एवं दशहरी के संकरण से प्राप्त संकर प्रजाति है फलों का आकार लम्बा एवं भण्डारण क्षमता अच्छी है। यह मध्य मौसम में पकने वाली प्रजाति है। प्रदेश में कलमी एवं देशी आम का भी अच्छा उत्पादन होता है। प्रदेश सरकार आम की फसल के उत्पादन करने वाले किसानों को भरपूर सहायता कर रही है। उ0प्र0 राज्य औद्यानिक सहकारी विपणन संघ (हापेड़) द्वारा गुणवत्तायुक्त निर्यातोन्मुखी प्रगतिशील आम उत्पादकों को आम की तुड़ाई हेतु मैंगो हार्वेस्टर एवं रख-रखाव हेतु प्लास्टिक क्रेट्स अनुदान पर दे रही है। प्रदेश सरकार आम की प्रजातियों को अन्य प्रदेशों में स्थापित करने तथा प्रदेश से घरेलू विपणन/निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश व प्रदेश के बाहर आम वायर, सेलर मीट कार्यक्रम आयोजित कर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। प्रदेश सरकार आम के विपणन, निर्यात प्रोत्साहन हेतु निरन्तर कार्य कर रही है। आम के निर्यात से प्रदेश के आम उत्पादकों को आर्थिक लाभ मिल रहा है।
Tuesday, April 19, 2022
सुल्तानपुर की धरोहर है देववृक्ष परिजात : डा.आर.ए.वर्मा
दैनिक अयोध्या टाइम्स सुल्तानपुर
ब्यूरो चीफ घनश्याम वर्मा
भारतीय जनता पार्टी द्वारा मनाया जा रहे समाजिक न्याय पखवाड़े के अंतर्गत विश्व धरोहर दिवस के उपलक्ष्य में स्थानीय निकाय प्रकोष्ठ के जिला संयोजक अनिल कुमार बरनवाल के संयोजन में नगर पालिका परिषद सुल्तानपुर अंतर्गत परिजात वृक्ष परिसर एवं नगर पंचायत दोस्तपुर, कोइरीपुर व नगर पंचायत लंभुआ में मंदिरों व सार्वजनिक स्थलों पर स्वच्छता अभियान सफाई कर्मियों को सम्मानित किया गया।भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ.आर.ए. वर्मा की अगुवाई में विश्व धरोहर दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में भाजपाइयों ने परिजात वृक्ष परिसर में स्वच्छता अभियान चलाकर परिसर को लकदक किया।इस दौरान संगठन जिलाध्यक्ष डॉ.आर. ए.वर्मा ने कहा पारिजात वृक्ष जिले की एक धरोहर है।इसे देववृक्ष भी कहा जाता है। उन्होंने कहा ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यह वृक्ष मनोवांछित कामनाओं को पूरा करने वाला है।उन्होंने आगे कहा सामाजिक न्याय पखवाड़े के तहत भाजपा कार्यकर्ता गरीबों, वंचितों, दलितों,शोषितों एवं पिछड़े समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्तियों तक पहुंचेंगे।पार्टी प्रवक्ता विजय सिंह रघुवंशी ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि केंद्र व प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों से निरंतर सम्पर्क कायम रखा जाए।आजादी का अमृत काल होने के चलते भाजपा सामाजिक न्याय पखवाड़े को यादगार बनाने में जुटी है। सोमवार को सामाजिक न्याय पखवाड़े में भाजपा जिलाध्यक्ष डा.आर.ए.वर्मा के नेतृत्व में भाजपाइयों ने नगर पालिका परिषद के 15 सफाई कर्मचारियों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।वही स्थानीय निकाय प्रकोष्ठ के संयोजन में नगर पंचायत दोस्तपुर , लंभुआ एवं कोइरीपुर में भी 10-10 सफाई कर्मचारियों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। स्थानीय निकाय प्रकोष्ठ के जिला संयोजक अनिल बरनवाल ने विभिन्न कार्यक्रमों में आए हुए लोगों का आभार प्रकट किया।आज आयोजित कार्यक्रमों में पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ. सीतासरण त्रिपाठी, जगजीत सिंह छंगू, नगर पालिका अध्यक्ष बबीता जयसवाल,जिला उपाध्यक्ष प्रवीन कुमार अग्रवाल, ज्ञान प्रकाश जयसवाल,आलोक आर्या,गोविंद तिवारी टाड़ा,ब्लाक प्रमुख कुंवर बहादुर सिंह, भाजपा नेता व सभासद रमेश सिंह टिन्नू,आकाश जायसवाल,सुधीर साहू, डा. रामचरित पांडे, इन्द्रदेव मिश्रा,मधु अग्रहरि, डॉ के. पी.सिंह अरविंद तिवारी, सजनलाल कसौधन,राज कुमार अग्रहरी, अखिलेश प्रताप सिंह, संजय सरोज,दिनेश चौरसिया,आत्मजीत सिंह टीटू, संदीप गुप्ता, अरुण कुमार,अनिल सोनी, मधु अग्रहरि, राजीव सिंह, राजेंद्र कुमार रावत, दिनेश कसौधान, राजेश श्रीवास्तव, सुनील जायसवाल आदि मौजूद रहे।
दहेज में मिली दूल्हे की साइकिल चोरी
सुरेंद्र मौर्य
मिल्कीपुर-अयोध्या। कुमारगंज थाना क्षेत्र के सराय धनेठी गांव में दहेज में दूल्हे को मिली साइकिल चोरों द्वारा पार किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। ग्रामीणों द्वारा साइकिल चोर को रंगे हाथ पकड़ कर पुलिस के सुपुर्द किए जाने के बावजूद भी कुमारगंज पुलिस आरोपी चोरों पर मेहरबान हो गई है। एक साइकिल चोर पुलिस हिरासत में लेने के बावजूद भी पुलिस ने चोरी के बरामद माल साइकिल को बिना कोई कार्यवाही किए पीड़ित के सुपुर्द कर दिया है। पुलिस ने प्रकरण में प्रभावी कार्रवाई के बजाय गिरफ्तार युवक का मात्र शांतिभंग में चालान कर प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक कुमारगंज थाना क्षेत्र के सराय धनेठी गांव निवासी तेज प्रताप पासी के भांजी की शादी थी। जिसमें दहेज में देने के लिए तेज प्रताप 48 सौ रुपए की हीरो साइकिल खरीद कर लाया था और कलेवा के दौरान दूल्हे के सुपुर्द भी कर दिया था। विदाई से पूर्व दहेज का सारा सामान दरवाजे पर जगह कम होने के चलते बगल में रख दिया गया था। आरोप है कि इसी बीच गोयड़ी पूरे शुक्ल निवासी रोहित चौहान पुत्र रामकेवल तथा बाबूराम पुत्र रामकिशन मौके पर पहुंच गए थे और साइकिल लेकर रफूचक्कर हो गए थे। साइकिल गायब होने के उपरांत कुछ ग्रामीणों ने दौड़ा कर एक युवक बाबूराम को पकड़ लिया था और 112 नंबर डायल कर पुलिस को सूचना दी थी मौके पर पहुंची पुलिस टीम पकड़े गए युवक बाबूराम को थाने ले गई थी। घटना के दूसरे दिन अल सुबह साइकिल रोहित के परिवारी जनों के कब्जे से मिली। साइकिल मिलने के उपरांत पुनः तेज प्रताप ने 112 नंबर डायल कर पुलिस को सूचना दी सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस टीम साइकिल थाने ले आई। मामले में पुलिस ने आरोपी युवकों के खिलाफ कोई भी कार्यवाही करना मुनासिब नहीं समझा और बरामद चोरी के माल साइकिल को बिना किसी कार्रवाई के पीड़ित तेज प्रताप के सुपुर्द कर दिया। युवक बाबूराम का चालान मात्र शांति भंग में कर प्रकरण को रफा-दफा कर दिया। थानाध्यक्ष वीर सिंह ने बताया कि मामले में असली चोर बाबूराम नहीं बल्कि रोहित है। उसकी तलाश की जा रही है। बिना किसी कार्यवाही के बरामद चोरी के माल को पीड़ित के सुपुर्द किए जाने के सवाल पर वह चुप्पी साध गए।