Wednesday, September 18, 2019

*हिन्दी है जन - जन की भाषा*

- राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित" कवि,साहित्यकार

14 सितम्बर ,हिन्दी दिवस

 

महात्मा गांधी ने कहा था "ह्रदय की कोई भाषा नहीं है। ह्रदय ह्रदय से बातचीत करता है। और हिंदी ह्रदय की भाषा है। "हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय को 14 सितम्बर 1949 को लिया गया था। हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित एवम प्रचारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा द्वारा अनुरोध किया गया जिसे स्वीकार किया गया। वर्ष 1953 से सम्पूर्ण भारत मे 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष इसीलिए हिन्दी दिवस मनाया जाता है।1918 में महात्मा गांधी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिंदी भाषा को राष्ट्र भाषा बनाने की कहा था। इसे गाँधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था।

  भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय 343(1) में इस प्रकार लिखा है कि " संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ कर राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अन्तराष्ट्रीय रूप होगा।" ये निर्णय 14 सितंबर को हुआ था इसी कारण इस दिन को हिन्दी दिवस के रूप में हम सभी मनाते हैं।

  हिन्दी दिवस के दिन शिक्षालयों में छात्र छात्राओं को हिन्दी भाषा मे बोलने व लिखने की शिक्षा दी जाती है। साहित्यिक संस्थाएं भी हिन्दी के प्रसार हेतु हिन्दी लाओ देश बचाओ जैसे कार्यक्रम आयोजित करती है। विद्यालयों में वाद विवाद प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता, काव्य पाठ आदि होते हैं। साहित्यिक कार्यक्रमों में हिन्दी सेवियों को सम्मानित किया जाता है। हिन्दी की ओर प्रेरित करने हेतु भाषा सम्मान भी दिए जाते हैं। जिसमे एक लाख एक हजार रुपये उस रचनाकार को दिए जाते है जिसने हिन्दी के लिए प्रचार प्रसार कार्य किया हो।साहित्य मण्डल श्रीनाथद्वारा राजस्थान द्वारा प्रतिवर्ष दो दिवसीय कार्यक्रम हिन्दी दिवस पर होता है।

   राजभाषा सप्ताह का आयोजन भी होता है।जिसमे सात दिन तक हिन्दी भाषा के कार्यक्रम होते है । आजकल लोग हिन्दी दिवस के दिन भी अंग्रेजी में ट्वीट करते हैं। कई लोग आम बोलचाल की भाषा मे अंग्रेजी शब्द बोलकर दिखावा करते हैं ऐसे लोग हिन्दी का अपमान कर रहे हैं। हिन्दी भाषा के विकास हेतु अधिक से अधिक हिन्दी मे बोलने का प्रचार करने की आवशयकता है।

   हिन्दी को आज तक भी संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बनाया जा सका। हिन्दी का सम्मान अपने ही देश ने कम किया है। आओ मिलकर हिन्दी के विकास की बात करें।

  आज हम नोनिहालों को अंग्रेजी माध्यमों के विद्यालयों में पढ़ा रहे हैं। समाज के आयोजनों में ये अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने वाले बच्चे रटी हुई कविताएं बोल देते हैं। समाज तालियाँ बजा देता है। माँ बापू बड़े खुश होते हैं। इसीलिये अंग्रेजी का प्रचलन बढ़ा है।

   हमारी भाषा हमारी संस्कृति व संस्कारो की पहचान है। हमारे गीता रामायण वेद पुराण जितने भी हिन्दू शास्त्र है सभी हिन्दी मे लिखे गए। प्राचीन कवियों लेखकों  ने हिन्दी मे लिखा। यदि हम उन्हें भूल कर अंग्रेजी के पीछे चले तो ये हमारी मूर्खता ही है। आज विश्व  के कई देशों के विद्यार्थी इन शास्त्रों को हिन्दी भाषा मे पढ़ने हेतु भारत आकर ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं और हम विपरीत दिशा में भाग रहे हैं। हिन्दी ही ऐसी भाषा है जो भारतवासी को एक सूत्र में बांध सकती है। 

  आज कॉन्वेंट स्कूल व ईसाई मिशनरी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाया जा रहा है। शहरों व गांवों में अंग्रेजी माध्यमों के विद्यालयों में विद्यार्थी हर वर्ष बढ़ते जा रहे हैं। जो निजी विद्यालय चला रहे है वे बताते है कि कोई प्रवेश नहीं आते अब हिन्दी माध्यम में पढ़ने वालों के इसीलिए अंग्रेजी माध्यम खोल दिया।

   जहाँ तक मानसिकता नहीं बदलेगी हिन्दी के प्रति हमारा सम्मान नहीं जागेगा तब तक हिन्दी का हाल नहीं सुधरेगा। हिन्दी देश की सबसे बड़ी भाषा है।  लोगों को सहसा ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती है हिन्दी।

हिन्दी सहज रूप में समझ में आ जाती है। यह राष्ट्रीय चेतना की संवाहक है। दुनिया मे हिन्दी का प्रचार प्रसार करने के उद्देश्य से 1975 में नागपुर में विश्व हिंदी सम्मेलन हुआ था।  इस सम्मेलन में विश्व के  30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। विदेशों में हिन्दी दिवस के दिन दूतावासों में हिन्दी भाषा के विशेष कार्यक्रम होते हैं। हिन्दी विश्व की दस ताकतवर भाषाओं में से एक है।

   आज भी पाकिस्तान नेपाल बांग्लादेश अमेरिका ब्रिटेन जर्मनी न्यूजीलैंड संयुक्त अरब अमीरात युगांडा गुयाना अमीरात सूरीनाम त्रिनिदाद मॉरीशस साउथ अफ्रीका सहित कई देशों में हिंदी बोली जाती है। विश्व आर्थिक मंच ने हिन्दी को संसार की दस ताकतवर भाषा मे शामिल किया है। विश्व के सैंकड़ों विश्वविद्यालयों में आज भी हिन्दी पढ़ाई जा रही है। पूरी दुनिया मे करोड़ो लोग हिन्दी बोलते हैं। चीनी भाषा के बाद हिन्दी विश्व मे सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हैं।वेब सिनेमा संगीत विज्ञापन आदि क्षेत्रों में हिन्दी की माँग बढ़ती जा रही है। विदेशों में कई पत्र पत्रिकाएं हिंदी में प्रकाशित हो रही है।

   आज की हिन्दी मैथिली मगही अवधी ब्रज खड़ी बोली छतीसगढ़ी आदि 17 बोलियों का सामूहिक नाम है। आज कनाडा जर्मनी इंडोनेशिया में भी हिन्दी भाषी बढ़ रहे हैं।

 

-राजेश कुमार शर्मा "पुरोहित"

98 पुरोहित कुटी

श्रीराम कॉलोनी भवानीमंडी

जिला झालावाड राजस्थान

Saturday, September 7, 2019

|।चौपाई।।

 

गुरु की मार सहैं जो काया । उसने निर्मल रूप को पाया ।।

सहता  नहीं  जो  घट थापा । कैसे कुटिलता गांवावत आपा ।।

सुन्दर वस्त्र होय जब गन्दा । मसलैं रजक पीटे स्वछन्दा ।।

निर्मल होय जब वस्त्र शरीरा । मानव धारण करत अधीरा ।।

कटैं  वस्त्र जो  दर्जी  हाथे । मानव उसे चढ़ावत माथे ।।

ईंट   सहैं   मार  रजगीरू । सुन्दर बुर्ज बनावत भीरू ।।

बढ़ई   मार  सहैं जो  काठा । मार अखाड़ा सह बनैं पाठा ।।

सुंदर  स्वर्ण  सुनार   तपावत । पीट-पीट बहु भांति बनावत ।।

सहते मार न स्वर्ण सुनारू । बनता कैसे कुण्डल हारू ।।

लौह  गर्म कर  हनैं  लुहारा । विविध भांति बनैं औजारा ।। 

 

ऋषिकान्त राव शिखरे

अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश।

Saturday, August 31, 2019

ई.आई.सी. (एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन एजेंसी) कार्यालय के समग्र रूप से सदैव बंद होने पर " प्रेस-वार्ता का आयोजन

आज दिनांक 29 अगस्त, 2019 को समय अपरान्ह 12:30 बजे मर्चेंट्स चेम्बर ऑफ उत्तर प्रदेश द्वारा "आगामी माह
सितम्बर से कानपुर में स्थित ई.आई.सी. (एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन एजेंसी) कार्यालय के समग्र रूप से सदैव बंद होने पर "
प्रेस-वार्ता का आयोजन किया गया।
उक्त प्रेस-वार्ता में निम्नलिखित बिंदु  पर विस्तार से चर्चा की गयी:
 कानपुर में स्थित ई.आई.सी. एकमात्र कार्यकारी कार्यालय है जो न केवल कानपुर में  बल्कि उत्तर प्रदेश में स्थित
समस्त निर्यातकों को सुविधा प्रदान करता है।
 निर्यात के लिए कुछ ASEAN देशों जैसे जापान, कोरिया, नेपाल व श्रीलंका के लिए फिजिकल जाँच की आवश्यकता
होती है, कार्यलाय बंद होने की दशा में नई दिल्ली से ई.आई.सी. के के अधिकारी को नियुक्त कर भेजा
जाएगा।                     
 कुछ मझोले निर्यातकों को समय-समय पर निर्यात सम्बन्धी जानकारियों अभी ई.आई.सी. कार्यालय, कानपुर से
ही मिल जाती है। अब, ई.आई.सी. कार्यालय का समस्त कार्य दिल्ली में स्थानांतरित हो जाने के बाद सभी
निर्यातकों को प्रत्येक कार्य के लिए दिल्ली जाना होगा।  जिससे निर्यात का माल भेजने में 8-10 दिन की देरी
होगी। 
 वर्तमान अनावरण में प्रत्येक निर्यातक के लिए यह सम्भव नहीं है कि वह ऑनलाइन सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन
जारी करवाए जब तक कि निर्यातक को शिf{kत न किया जाए। निर्यातक को शिf{kत करने के लिए ऑनलाइन
सर्टिफिकेट  ओरिजिन जारी करने के सम्बन्ध में ई.आई.सी. को पूरे प्रदेश में कार्यशाला करने की आवश्यकता है।
इस हेतु मर्चेंट्स चैम्बर ऑफ उत्तर प्रदेश, ई.आई.सी. कार्यालय को निर्यातकों को ऑनलाइन सर्टिफिकेट ऑफ
ओरिजिन जारी करने के सम्बन्ध में शिf{kत करने के लिए अपना सभागार देने का आश्वासन देता है।   
 किसी भी नई प्रणाली, वर्तमान में ऑनलाइन सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन जारी करने की व्यवस्था, को लागू करने से
पूर्व यह माना जाता है कि उस प्रणाली से जुड़े बंधुओं को अवगत कराया जाए। इसलिए ई.आई.सी., कानपुर
कार्यालय को समस्त निर्यातकों को ऑनलाइन सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन ऑफ ओरिजिन जारी करने की नई
व्यवस्था में सहायता करना चाहिए।
ई.आई.सी. कानपुर एक हजार से अधिक पंजीकृत निर्यातकों को सुविधा प्रदान करता है जिसमें लेदर,
ग्लासवेयर आइटम्स, टेक्सटाइल, परफ्यूमरी, फ़ूड व अन्य उद्योग प्रमुख है। ऐसे में ई.आई.सी. कानपुर कार्यालय बंद होने
से निर्यातको  को बाधा ही उत्पन्न होगी।
इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश के निर्यातकों का एक मत यह है कि ई .आई.सी., कानपुर कार्यालय को आगामी एक वर्ष
या उससे अधिक  तक के समय के लिए बंद नहीं करना चाहिए जब तक कि ऑनलाइन सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन
की व्यवस्था पूर्ण रूप से सुचारु रूप से न प्रारम्भ हो जाये।
उक्त प्रेस-वार्ता में मर्चेंट्स चेम्बर के अध्यछ श्री बी.एम.गर्ग,  श्री योगेश दुबे, राकेश संदल इंडस्ट्रीज, श्री विशाल
पांडेय, लोहिया कॉर्प, श्री तहजीबुल, रहमान इंडस्ट्रीज लिमीटेड, श्री अवस्थी, मिर्ज़ा इंटरनेशनल लिमिटेड, तथा सचिव-
महेंद्र नाथ मोदी उपास्थित थे।


समय का चक्र

 

           चिदंबरम पर होने वाली कार्यवाही पर यदि ध्यान दिया जाए तो ऐसा लगता है जैसे समय अपने आप को फिर दोहरा रहा है।सारे घटनाचक्र पर ध्यान दिया जाये तो इसकी नींव 2010 में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से सीबीआई द्वारा कई घंटो तक पूछताछ और वर्तमान में भारत के गृहमंत्री अमित शाह को तीन महीने की जेल से जोडकर देखा जा सकता है।

 

          उस समय चिदंबरम कांग्रेस के कार्यकाल में भारत के गृहमंत्री थे और आज जब समय ने एक करवट ली है तो ठीक इसके विपरीत अमित शाह जी देश के मुख्यमंत्री है और अब जेल में जाने वाले भारत के पूर्व गृहमंत्री चिदंबरम जी है।

 

          आज ठीक नौ साल बाद आई ऐन एक्स मीडिया घोटाले में जो सबूत सामने आ रहे है उनके तहत सीबीआई ने चिदंबरम साहब पर कार्यवाही करते हुए उन्हें बड़े जद्दोजहद के बाद गिरफ्तार कर ही लिया।

 

              इस पूरे घटनाचक्र को कांग्रेसी नेताओ की पूरी टीम बदले की भावना से की गयी कार्यवाही बताने पर उतारू हैं।यहाँ तक कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जी और उनकी बहन प्रियंका गांधी जी भी चिदंबरम जी के साथ कांधे से कांधे मिलाकर खड़े है।

 

          भाजपा भी पूरी एकजुट होकर इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ की गई कार्यवाही बता कर अपने आप को सही साबित करने में लगीं है और चिदंबरम के पकड़े जाने को सीबीआई द्वारा लिया हुआ सही कदम बता रही है।

 

          हर बार की तरह भारत के आम लोग चुपचाप पूरे मसले का आनंद लेते हुए एक बार फिर से सत्ता पर शासन करने वाले लोगो के हाथों और पत्रकारों की अपने चैनल को नंबर वन बनाने की लोलुपता के शिकार होने को आंखे मूंदे तैयार खड़े है। 

 

           पूरे घटनाक्रम में आम जनता जानती है की हर बार की तरह जब कार्यवाही एक पर होती है तो वो कुछ समय बाद वो व्यक्ति पाक-साफ होकर बाहर निकल जाता है।जो पहले पकड़े गए वो भी छूट गए और जो अब पकड़े जाएंगे वो भी कुछ समय के बाद दोष सिद्ध न होने पर छूट जाएंगे और आम आदमी भी अपनी सुबह की चाय की चुस्कियों के साथ इसका आनंद लेते हुए पूरी घटना को कुछ समय बाद भूल जाएगा।

 

          राजनीति के गलियारों से फिर कोई नाटकीय घटना घटेगी और लोग सबकुछ भूल जाएंगे और कुछ फिल्मकार भी अपने कलाकारो के नाम बदलकर इस पूरी कहानी का फिल्मांकन कर अपने लिए वाहवाही लूटते पाएंगे।

 

           सबसे आखिर में आम जनता को मिलेगी इस मुद्दे पर बनी हुई मसालेदार फ़िल्म,जिसे देखने के लिए भी वो अपनी मेहनत से कमाये गये धन और अपना कीमती समय खराब करेंगे और दो चार गालियां नेताओ को देकर अपने अपने घरों में चले जायेंगे।

 

          ये सब घटनाये हमेशा की तरह अपना चेहरा और स्थान बदलकर यूँही चलती रहेंगी और आम आदमीं यूँही इन घटनाओं के चटकारे लेता है और देश मे बढ़ते भ्रष्टाचार को कोसता हुआ अपने कामो में इलझा रहेगा और देश यूँही विकास की दौड़ में चलता रहेगा।

 

 

 

नीरज त्यागी

ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).

ग़जल  

 

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन

 

साथ में तुम मुस्कुराना सीख लो।

गीत कोई गुनगुनाना सीख लो।

 

रूठ जाए जो कभी ये जिंदगी,

जिंदगी को तुम मनाना सीख लो।

 

चाहते पाना किसी की तुम अगर,

दीप खुशियों के जलाना सीख लो।

 

याद तुमको भी करेगी ये जहां,

दर्द में भी गुल खिलाना सीख लो।

 

हम कहीं फिर कब मिलेंगे मोड़ पर,

आज मुझको तुम मनाना सीख लो।





 

जो सजा पायें न महफिल फिर कभी,

महफ़िलें अब तुम सजाना सीख लो।

 

- ऋषिकान्त राव शिखरे©®

अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश।


Sunday, August 25, 2019

इतिहास गवाह है.......!

🔰 इंश्योरेंस
जब इंश्योरेंस की इंडिया में शुरुआत हुई थी , तब लोग इंश्योरेंस लेने से डरते थे l सोचते थे कि कहीं इंश्योरेंस का पैसा नहीं मिला तो?
आज धीरे-धीरे लोग इंश्योरेंस के महत्व को समझ रहे हैं।


इतिहास गवाह है।
🔰 बैंक सिस्टम
जब इंडिया में बैंकिंग सिस्टम की शुरुआत हुई थी, तो लोग बैंक में अपना खाता खुलवाना से डरते थे l सोचते थे कि कहीं बैंक हमारा पैसा लेकर भाग गई तो?
आज वास्तविकता आपके सामने है।


इतिहास गवाह है।
🔰 रसोई गैस
जब रसोई गैस की शुरुआत हुई थी, तब लोग इसे लेने से डरते थे l सोचते थे कि कहीं रसोई गैस का सिलेंडर फट गया तो सब मारे जाएंगे।
आज लोग रसोई गैस के दो दो सिलेंडर अपने घर में रखते हैं।


इतिहास गवाह है।
🔰 प्लास्टिक
दुनिया के अर्थशास्त्रियों ने बोला की प्लास्टिक में इन्वेस्टमेंट करो।
जिन लोगों ने यकीन करके प्लास्टिक की इंडस्ट्रीज लगाई आज वह सारे के सारे खरबपति है।
काफी सारी कंपनियां है, जो प्लास्टिक के फर्नीचर बनाती है।


इतिहास गवाह है।
🔰 टेलिविज़न
दुनिया के अर्थशास्त्री ने कहा कि TV में इन्वेस्टमेंट करो।
जिन लोगों ने इस बात पर विश्वास करके TV की इंडस्ट्रीज लगाई आज वह सारे के सारे मिलेनियर है।
आज हर घर में अलग-अलग प्रकार की TV पाई जाती है।


इतिहास गवाह है।


🔰 डायरेक्ट सैलिंग/नेटवर्क मार्केटिंग
अब दुनिया के अर्थशास्त्री बता रहे हैं की आने वाला समय Networking Business का है।
आज काफी ऐसी चीजें हैं, काफी इतना डेवलपमेंट हुआ है जो आज से 10 साल पहले नहीं था।
और आने वाले 10 साल के बाद वह होगा जिसकी आपने कभी कल्पना भी ना की हो।
इतिहास गवाह रहेगा।
समय उनका ही बलवान होता है जो सही समय पर सही निर्णय लेते है।
  


जीतने के लिए सीखने की आदत डालें ।।


Thursday, August 22, 2019

ग़जल

 

 

साथ में तुम मुस्कुराना सीख लो।

गीत कोई भी गुनगुनाना सीख लो।

 

रूठ जाए जो कभी ये जिंदगी,

जिंदगी को तुम मनाना सीख लो।

 

चाहते पाना किसी को तुम अगर।

दीप खुशियों के जलाना सीख लो।

 

याद तुमको भी करेगी ये जहां,

दर्द में गुलज़ार लिखना सीख लो।

 

हम कहीं फिर आ मिलेंगे मोड़ पर ,

आज मुझको खूब पढ़ना सीख लो।

 

जो सजा पायें न महफिल फिर कभी,

महफ़िलें अब तुम सजाना सीख लो।

 

- ऋषिकान्त राव शिखरे©®

अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश।