Saturday, August 31, 2019

ग़जल  

 

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन

 

साथ में तुम मुस्कुराना सीख लो।

गीत कोई गुनगुनाना सीख लो।

 

रूठ जाए जो कभी ये जिंदगी,

जिंदगी को तुम मनाना सीख लो।

 

चाहते पाना किसी की तुम अगर,

दीप खुशियों के जलाना सीख लो।

 

याद तुमको भी करेगी ये जहां,

दर्द में भी गुल खिलाना सीख लो।

 

हम कहीं फिर कब मिलेंगे मोड़ पर,

आज मुझको तुम मनाना सीख लो।





 

जो सजा पायें न महफिल फिर कभी,

महफ़िलें अब तुम सजाना सीख लो।

 

- ऋषिकान्त राव शिखरे©®

अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश।


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