Sunday, February 21, 2021

न्यूटन टैलेंट सर्च एग्जाम में 552 बच्चों ने लिया हिस्सा


राजापाकर (वैशाली )संवाद सूत्र, दैनिक अयोध्या टाइम्स।

 न्यूटन क्लासेस द्वारा आयोजित न्यूटन टैलेंट सर्च एग्जाम रविवार को प्रखंड क्षेत्र स्थित केसीआई विद्यालय  मे हुई .। इस परीक्षा में राजापाकर प्रखंड क्षेत्र से सातवीं, आठवीं और नौवीं कक्षा के कुल 552 बच्चों ने हिस्सा लिया. परीक्षा में कुल 50 वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे गए जिनका उत्तर बच्चों ने ओएमआर सीट पर दिया .। न्यूटन क्लासेज के निदेशक अमरनाथ चौहान ने बताया कि इस परीक्षा का परिणाम 26 फरवरी को दोपहर बाद से  न्यूटन क्लासेज के वेबसाइट www.newtonclasses.in  पर देखा जा सकता है.। प्रत्येक वर्ग से रैंक 50 तक आने वाले छात्र-छात्राओं को 27 फरवरी को सम्मानित किया जाएगा.। प्रत्येक वर्ग से रैंक 3 तक आने वाले बच्चों को न्यूटन क्लासेज में 1 वर्ष तक निशुल्क शिक्षा दी जाएगी.। परीक्षा का निरीक्षण कमलनाथ चौहान , वंदना कुमारी, अभिषेक कुमार, नितेश अग्रवाल, राजीव ठाकुर , सनी सिंह, चंदन, आदित्य, अनिकेत, सुधीर , राहुल , निशांत, त्रिपुरारी, अंकित आदि शिक्षकों ने किया.

वीडियो कांफ्रेंसिंग से ई- संजिवनी टेली मेडिसिन का हुआ उद्घाटन

सहदेई बुज़ुर्ग(वैशाली)संवाददाता. दैनिक अयोध्या टाइम्स। प्रखंड के चकफ़ैज़ पंचायत के ग्राम कुम्हारकोल में ई संजीवनी टेली मेडिसिन के माध्यम से स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर चिकित्सीय परामर्श का शुभारंभ श्री नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के कर कमलों द्वारा संवाद भवन मुख्यमंत्री सचिवालय पटना से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से किया गया। साथ ही उपस्वास्थ्य केंद्र कुम्हारकोल में  ई संजीवनी टेली मेडिसिन अश्विन पोर्टल102 एम्बुलेंस वंडर ऐप्प का उद्घाटन सदर अस्पताल वैशाली के सिविल सर्जन डॉ इन्द्र देव रंजन , संचारी रोग पदाधिकारी नोडल डॉ एस के रावत, जिला कार्यक्रम प्रबंधक मणिभूषण झा, जिला अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी चंद्रशेखर जी, जिला योजना समन्वयक सुचित कुमार, टीम लीडर केअर इंडिया सुमित कुमार आदि मिलकर संयुक्त रूप से उदघाटन किये।इस अवसर पर स्वास्थ्य परामर्शी अनुमंडल समन्वयक महनार सह सहदेई बुज़ुर्ग प्रखंड समन्वयक शमशेर अली खान, सहदेई पी एच सी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुनील केसरी, चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रश्मि शर्मा, डॉ गरीब नाथ पाण्डे, डॉ अनिता चौधरी, डॉ अजीत कुमार तिवारी, डॉ छोटे लाल राम, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक अजय दुबे, प्रखंड लेखा प्रबंधक रितेश कुमार, लैब टेक्नीशियन राजेंद्र प्रसाद यादव, आदित्य कुमार, दिलीप कुमार,  ए एन एम मे शशिकला, शिम्पी कुमारी, अनिता कुमारी ,स्वास्थ्य परामर्शी प्रेमलता कुमारी , पंचायत मुखिया सुभाष कुमार सिंह आदि उपस्थित थे।

टैक्स नहीं घटेगा तो पेट्रोल डीज़ल का दाम भी नहीं घटेगा

देश के कई शहरों में पेट्रोल 100 रुपये के पार हो गया है. दिल्ली में शनिवार को पेट्रोल को करीब 91 रुपये (90.58 रुपये) तक पहुंच गया.  डीजल की कीमतें भी कई शहरों में रिकॉर्ड पर चल रही हैं. ऐसे में एक बार फिर यह सवाल उठने लगे हैं कि आख‍िर सरकार टैक्स में कटौती कर रेट पर अंकुश क्यों नहीं लगा पा रही. आइए जानते हैं कि इसके पीछे मोदी सरकार की क्या मजबूरी हो सकती है। 


केंद्र सरकार के अनुसार अगर पिछली सरकारों ने कच्चे तेल पर देश की निर्भरता को कम किया होता, तो देश को महंगे तेल का बोझ नहीं सहन करना पड़ता. इससे ऐसा लग रहा है कि सरकार अभी टैक्सेज में कटौती करने के मूड में नहीं है। 

पेट्रोल और डीजल की आज जो रिकॉर्ड कीमतें चल रही हैं, उसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि इन पर टैक्स बहुत ज्यादा है. देश के भीतर पेट्रोल या डीजल की कीमतों के तय होने के लिए हम दिल्ली का उदाहरण लेते हैं. सबसे पहले पेट्रोल की कीमत में बेस कीमत जुड़ती है. 

जैसे दिल्ली में 16 फरवरी 2021 के हिसाब से बेस कीमत 31.82 रुपये प्रति लीटर था. उसके बाद उसमें ढुलाई के 28 पैसे और जुड़ गए. इसके बाद ऑयल मार्केटिंग कंपनियां यह तेल 32.10 रुपये के भाव से डीलर्स को बेचती हैं. इसके बाद केंद्र सरकार हर लीटर पेट्रोल पर 32.90 रुपये का एक्साइज ड्यूटी ( उत्पाद शुल्क) लगाती है. इस तरह एक झटके में पेट्रोल की कीमत 65 रुपये हो जाती है.  (फाइल फोटो) 

इसके अलावा पेट्रोल पंप डीलर हर लीटर पेट्रोल पर 3.68 रुपये का कमीशन जोड़ता है. इसके बाद जहां पेट्रोल बेचा जाता है उसकी कीमत में उस राज्य सरकार की ओर से लगाए गए वैट या बिक्री कर को जोड़ा जाता है. उदाहरण के लिए दिल्ली में वैट का 20.61 रुपया जुड़ जाता है. इस तरह कुल मिलाकर अंत में एक लीटर पेट्रोल के लिए आम आदमी को दिल्ली में 89.29 रुपये चुकाने पड़े। 

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार सरकार को मौजूदा वित्त वर्ष में पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी से 3.49 लाख करोड़ रुपये हासिल होंगे. यह वित्त वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान 2.49 लाख करोड़ रुपये से 39.3 फीसदी या करीब 97,600 करोड़ रुपये ज्यादा होगा. यानी पेट्रोल और डीजल पर टैक्स से सरकार को कोरोना काल के बावजूद इस साल जबरदस्त कमाई होने वाली है. 

दूसरी तरफ, कोरोना संकट की वजह से इस वित्त वर्ष में केंद्र सरकार के जीएसटी कलेक्शन और कस्टम ड्यूटी यानी सीमा शुल्क संग्रह में भारी कमी आने वाली है. एक अनुमान के अनुसार जीएसटी संग्रह में 25.7 फीसदी और कस्टम ड्यूटी में 18.8 फीसदी की गिरावट आ सकती है. यानी जीएसटी संग्रह अनुमान से 1.49 लाख करोड़ रुपये कम और कस्टम ड्यूटी अनुमान से 26,000 करोड़ रुपये कम मिल सकती है। 

इसी तरह इस साल के संशोध‍ित अनुमान के मुताबिक कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन 34.5 फीसदी घटकर 4.46 लाख करोड़ रुपये रह सकता है. इसी तरह इनकम टैक्स कलेक्शन भी अनुमान से 27 फीसदी कम होकर महज 4.59 लाख करोड़ रुपये रह सकता है. कोरोना काल में पेट्रोल-डीजल खपत में भारी कमी आने के बावजूद एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन बढ़ा है। 

तो शायद यही वजह है कि सरकार पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाने के मूड में नहीं दिख रही. यानी सरकार जीएसटी और अन्य टैक्स संग्रह में आने वाली कमी की भरपाई पेट्रोल-डीजल के टैक्स से करना चाहती है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी संसद में यह साफ किया है कि पेट्रोल-डीजल पर टैक्स पर कटौती करने का सरकार का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।



प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"

नया भारत जानता है चीन को झुकाना

अप्रैल-मई 2020 में लद्दाख में भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश करने वाले चीन के सैनिक अब अपनी पुरानी चौकियों की ओर लौट रहे हैं। चट्टानी इरादों और भारतीय रणबांकुरों के शौर्य के आगे आखिरकार ड्रैगन को डरना ही पड़ा और इस तरह करीब 10 महीने से जारी भारत और चीन के बीच का सीमा विवाद अब समाप्ति की ओर बढ़ चला है। चीन अपनी विस्तारवाद की नीति के चलते दूसरे देशों की जमीन हड़पने की साजिशें रचा करता है, किंतु इस बार उसे भारत से मुंह की खानी पड़ी।

         चीन की जिद के चलते इस विवाद की शुरुआत पिछले साल अप्रैल महीने में हुई थी, तब चीन ने पैंगोंग लेक के पास एलएसी को पार करने की हिमाकत की थी। चीन पुरानी एलएसी को मानने से इंकार कर रहा था और फिंगर 4 तक आ चुका था, यहां तक कि उसने वहां कैंप बनाने भी शुरू कर दिए थे। इसके बाद लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल पर दोनों देशों के बीच जबरदस्त तनाव पैदा हो गया। दोनों देशों ने यहां हजारों जवानों की तैनाती कर दी। दोनों देशों की फौजों के बीच झड़पें भी हुईं, गोली भी चली, हमारे 20 जवान शहीद हो गए, जबकि चीन के भी बहुत से फौजियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, लेकिन अब इस विवाद का अंत होता दिखाई दे रहा है।
       वास्तव में एलएसी फिंगर 8 तक है, लेकिन चीन इसे मानने से इंकार कर रहा था। भारत ने रणनीतिक और राजनीतिक हर मोर्चे पर ड्रैगन को सबक सिखाने का सफल प्रयास किया। चीन ने जब अप्रैल में पहले वाली स्थिति लागू करने से इंकार कर दिया तो भारत ने भी एलएसी पर अपनी सेना की मौजूदगी बढ़ा दी।चीन ने जब करीब 10 हजार जवानों की तैनाती की तो भारत ने भी इतने ही जवानों को एलएसी पर लगा दिया, इतना ही नहीं मई के महीने में भारत की ओर से चीन सीमा पर टैंकों की भी तैनाती कर दी गई। सितंबर-अक्टूबर तक फौजियों की तादाद करीब 60 हजार तक पहुंच गई।
       अगस्त में जब चीन के सैनिकों ने पैंगोंग सो के दक्षिणी इलाके में घुसपैठ की कोशिश की तो भारत ने इस बार करारा पलटवार किया। 29 और 30 अगस्त की रात को भारत के वीर जवानों ने साउथ पेंगोंग सो में कैलाश रेंज की मगर हिल, गुरुंग हिल, रेजांग ला, रेचिन ला, हेलमेट टॉप और ब्लैक टॉप जैसी कई अहम चोटियों पर मोर्चाबंदी कर ली। इन चोटियों पर कब्जे से चीन के रणनीतिक ठिकाने भारत के निशाने पर आ गए और उसकी अकड़ ढीली हो गई।
         चीन का मोल्डो सैनिक अड्डा इन चोटियों पर बैठे भारतीय जवानों के डायरेक्ट निशाने पर था। कैलाश रेंज में दोनों देशों के सैनिक लगभग 300 मीटर की दूरी पर आमने-सामने थे। लगभग साढे 300 किलोमीटर लंबी कैलाश रेंज तिब्बत के मानसरोवर झील तक जाती है, यहां से तिब्बत और शिनजियांग को जोड़ने वाला चीन का हाईवे नंबर 219 भी ज्यादा दूर नहीं था। भारतीय जवानों के मोर्चे पर डटे रहने के कारण चीन की मुश्किलें बढ़ती जा रही थीं, अब उसकी चौकियां डायरेक्ट इंडिया के निशाने पर थीं।
       इस तनाव के चलते भारत ने टाइप 15 लाइट टैंक्स, इनफैंट्री फाइटिंग व्हीकल्स, ए एच 4 हॉवित्जर गन्स, एच जे-12 एंटी टैंक्स, गाइडेड मिसाइल, एन ए आर-751 लाइट मशीनगन, डब्ल्यू-85 हेवी मशीनगन्स बॉर्डर पर तैनात कर दिए थे।उधर लद्दाख के आसमान में तेजस, राफेल, मिग, अपाचे 
, चिनूक जैसे फ्लाइंग मशीन गरजते रहे, जिससे चीन को सख्त संदेश गया।
       भारत ने चीन को न सिर्फ सैन्य मोर्चे पर पटकनी दी, बल्कि उसके इर्द-गिर्द ऐसा शिकंजा कस दिया कि उसके पास घुटने टेकने के अलावा कोई रास्ता ही नहीं बचा। भारत ने ताकत के नशे में उड़ते हुए चीन को जमीन पर लाने के लिए तीन तरफा घेराबंदी की और इसी का नतीजा है कि दुनिया ने आज लाल सेना के टैंकों को उल्टे पांव लौटते हुए देखा।
        पहले तो भारत ने चीन को सैन्य मोर्चे पर करारा जवाब दिया, एलएसी पर भारत ने पूरी तरह से नाकेबंदी कर दी, इसके अलावा कई चीनी ऐप पर बैन लगा दिया, साथ ही भारत के कई बड़े प्रोजेक्ट्स से चीनी कंपनियों को हाथ होना पड़ा और चीनी निवेश के मसले पर देश में भी विरोध की हवा बन गई, यही वजह रही कि सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में चीन के प्रति एक अलग माहौल सा बन गया और उस पर कूटनीतिक दबाव पड़ने लगा।
       चीन ने अक्टूबर में डिसइंगेजमेंट का नया प्रस्ताव भारत के सामने रखा, जिसमें चरणबद्ध तरीके से सैनिकों को पीछे हटाने का प्रस्ताव था। अपने इस नए प्रस्ताव में चीन ने स्वयं के लिए फिंगर 5 तक पीछे हटने का और भारत के लिए फिंगर 3 तक पीछे हटने का प्रस्ताव रखा था। किंतु भारत ने उसके इस प्रस्ताव को ठुकरा कर यह मांग रखी कि चीन के सैनिक पेंगोंग सो में फिंगर 8 के पीछे वापस जाएं। कैलाश रेंज में भारत की स्थिति बेहद मजबूत थी और सर्दियां सिर पर थीं आखिरकार चीन फिंगर 8 से पीछे हटने को राजी हो गया। डिसइंगेजमेंट के बाद चीनी सैनिक फिंगर 8 के उस पार चले जाएंगे और भारतीय सैनिक भी फिंगर 4 से हटकर फिंगर 3 पर आ जाएंगे जहां मेजर धनसिंह थापा पोस्ट है। फिंगर 3 से लेकर फिंगर 8 तक का इलाका नो पेट्रोलिंग जोन रहेगा। दक्षिण पेंगोंग के इलाके में चीन ने कुछ निर्माण भी किए थे चीन उन्हें भी हटाएगा।
     पहले तो सरकार ने फौज को खुली छूट दी और इस मसले को सैन्य लेवल पर ही सुलझाने पर जोर दिया किंतु जब सैन्य लेवल पर बात नहीं बनी तब चीन मामले के विशेषज्ञ कहे जाने वाले एनएसए अजीत डोभाल ने मोर्चा संभाला, साथ ही विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री के लेवल पर भी सरकार ने अपनी ओर से बातचीत की। केंद्र ने सर्वदलीय बैठक की और इस बीच प्रधानमंत्री ने अचानक लद्दाख का दौरा कर जवानों के हौसले बुलंद कर दिए और वहीं से यह साफ कर दिया कि अब विस्तार वाद का दौर खत्म हो चुका है।

रंजना मिश्रा ©️®️