गोंदिया - वैश्विक रूप से कोविड -19 महामारी ने वर्ष 2019 के अंत से वैश्विक स्तर पर पैर पसारना शुरू कर दिया था और अपनी तीव्र घातकता से वैश्विक स्तर पर मानव पर हमला कर अपना उग्र रूप दिखाया, पूरे विश्व में तबाही मचा कर रख दी।...बात अगर हम भारत की करें तो भारत में कोरोना वायरस संक्रमण का सबसे पहला मामला केरल के त्रिचूर में 30 जनवरी 2020 को सामने आयाथा और इसके अगले ही दिन याने 31 जनवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस को वैश्विक आपदा घोषित किया था। 11 मार्च 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित किया था और इसके अगले ही दिन याने 12 मार्च 2020 को भारत में कोरोना संक्रमण से पहली मौत की पुष्टि हुई थी, जिसमें भारत एकदम चौकन्ना, चाक-चौबंद और सतर्क हुआ और पीएम मोदी ने 22 मार्च 2020 को जनता कर्फ्यू का आह्वान कर 25 मार्च 2020 को देश को संबोधन किया और रात 12 बजे से 21 दिन का पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की थी और फिर कोविड-19 की गाइडलाइंस बनाने का और क्रियान्वयन करने का दौर जो शुरू हुआ जो मंगलवार दिनांक 18 मई 2021 तक शुरू है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), केंद्रीय गृहमंत्रालय, केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवारकल्याण मंत्रालय, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) मानव संसाधन विकास मंत्रालय और राज्य सरकारोंने अपने अपने स्तर पर गाइडलाइंस बनाकर क्रियान्वयन करना शुरू किया गया था जो अभी तक जारी है।......बात अगर हम नई गाइडलाइंस की करें तो हर संबंधित विभाग एमएचए, आईसीएमआर, एमएचएफडब्ल्यूई, एनडीएमए, द्वारा परिस्थितियों के बदलते परिवेश में अपनी-अपनी गाइडलाइंस को संशोधित, रणनीतिक अपडेट, करते रहे। जैसे जैसे कोविड-19 महामारी के वेरिएंट में बदलाव का संकेत, या कानून व्यवस्था नियंत्रण, स्वास्थ्य समीक्षा का अपडेट डाटा, के आधार पर अपनी अपनी गाइडलाइंस को संशोधित करते रहे और वर्ष 2020 पूरा निकल गया जबकि महामारी में कुछ राहत 2020 के अंत और 2021 के जनवरी माह तक थी। लेकिन फरवरी 2021 से महामारी ने ऐसी तीव्रता से आघात किया कि महामारी की दूसरी लहर पीक पर और तीसरी लहर का अंदेशा जताया जाने लगा। जिसको ध्यान में रखते हुए एमएचए, आईसीएमआर और एमएचटीडब्ल्यूए, एनडीएमए ने भी अपने दिशानिर्देशों में संशोधन करते हुए कुछ सामायिक अंतराल में बदलते परिवेश में नई नई गाइडलाइंस निकालते रहे, जिससे लॉकडाउन की तिथियां बढ़ाना, घर पर 3 लेयर मेडिकल मास्क पहनना, कोरोना मरीज हल्के लक्षण मरीजों को घर पर क्वॉरेंटाइन, होली, ईद पर भीड़ इकट्ठा ना होने, धार्मिक स्थल बंद करने इत्यादि अनेक महत्त्वपूर्ण दिशानिर्देशों में बदलाव करते हुए जारी किए गए और आज दिनांक 18 मई 2021 तक यह सामायिक अंतर में, बदलते परिवेश, परिस्थितियों और डाटा के अपडेट होने पर तुरंत नई गाइडलाइंस बनाई जा रही है। कोरोना महामारी के संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय सहित अनेक मंत्रालयों को भी अपनी गाइडलाइंस बनाने पड़ी है और परिस्थिति के अनुसार उन्हें अपडेट करना चालू है।.....बात अगर हम पिछले कुछ दिनों की गाइडलाइंस अपडेट की करें तो अभी कुछ राज्यों में ब्लैक फंगस बहुत तेजी से विस्तारित हो रहा है और गाइडलाइंस जारी हुई है तथा एम्स के विशेषज्ञों ने भी अलर्ट किया है और दिनांक 17 मई 2021 को आईसीएमआर ने प्लाजमा थेरेपी को चिकित्सीय प्रबंधन दिशानिर्देशों से हटा दिया है। आईसीएमआर ने जानकारी दी है कि प्लाजमा थेरेपी बीमारी की गंभीरता या मौत की संभावना को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। अतः बदलते परिवेश में आईसीएमआर ने नई गाइडलाइन जारी कर इसे हटा दिया है। अब कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए प्लाजमा थेरेपी उपयोग में नहीं होगा और इसे चिकित्सीय प्रबंधन दिशा-निर्देशों से हटा दी गई है।अतः हम उपरोक्त पूरे विवरण का विश्लेषण करें तो राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, मिनिस्ट्री आफ होम अफेयर्स, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय, आईसीएमआर, मानव संसाधन विकास मंत्रालय इत्यादि अनेक विभागों द्वारा बदलती परिस्थितियों और डाटा अपडेट के कारण अपनी गाइडलाइंस को रणनीतिक अपडेट किया हैं, जो इसका प्रमाण है कि शासन प्रशासन इस विपत्ति की घड़ी में हर स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूर्ण सजगता, जागरूकता के साथ कर रहे हैं और भारत को इस महामारी से मुक्ति दिलाने के लिए रात दिन प्रयत्नों में सक्रिय भूमिका अदा कर रहे हैं।
Wednesday, May 19, 2021
कोविड-19 - दिशानिर्देशों में सामायिक परिवर्तन - शासन, प्रशासन, वैज्ञानिकों की सजगता और जागरूकता का प्रमाण - एड किशन भावनानी
सरस्वती और लक्ष्मी का द्वंद
हिंदी लेखन जगत में एक नई बहस चल रही है। मेरे बहुत से मित्र कुछ न कुछ लिख रहे हैं। कुछ समर्थन में तो कुछ विरोध में। हालांकि बहस में कुछ भी नया नहीं है। यह सालों से चली आ रही समस्या है; जिससे लेखक-कवि जूझ रहा है। समस्या है - सरस्वती-लक्ष्मी का द्वंद्व।
Tuesday, May 18, 2021
कोविड-19 - वैज्ञानिक आधार को बढ़ावा देना जरूरी - गांवों में भ्रांतियों को ख़ारिज कर जनजागरण अभियान चलाना जरूरी
21वीं सदी के डिजिटल युग में भ्रांतियों, टोटकों और जादू टोना प्रथा को स्वतः संज्ञान लेकर लगाम लगाना जरूरी - एड किशन भावनानी
कैसे मिले प्रभु रोजी रोटी इस संकट काल में ?
आज देश के ओ वंचित वर्ग सबसे ज्यादा परेशान हैं,जो रोज कुंआ खोदते रोज पानी पीते थे,यानी की मजदूर वर्ग जो दिहाड़ी करके कमाते थे, जिससे इनके घरों में चूल्हे जला करते थे , आंकड़ों को देखें तो इस कोरोना महामारी ने लगभग 63 फीसदी तो घरेलू कामगारों से ही रोजगार छीन लिया है , ऐसे में अब तो घर चलाना बहुत ही मुश्किल हो रही है। हमने देखा की पिछले साल कोरोना के चलते लगाएं गए लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया था, हालांकि कुछ समय बाद चीजें धीरे-धीरे पटरी पर लौटना शुरू हुई तो कोरोना की दूसरी लहर ने सब कुछ तबाह कर दिया है , दूसरी लहर के बाद अचानक नए कोरोना के मामलों में भारी उछाल आया और फिर राज्य सरकारों ने धीरे-धीरे सख्त पाबंदियां लगाते हुए लॉकडाउन लगा दिया है ,इस कोरोना महामारी से भारी संख्या में लोगों की नौकरी गई हैं,स्थिति यह हो गई कि जिन लोगों का रोजगार छूटा है, उनके घरों में आर्थिक संकट इस कदर हावी हो गया कि घर चलाना भी मुश्किल हो गया है। हम सभी ने देखा की हमारे प्रवासी मजदूर देश के अलग-अलग शहरों और राज्यों से पैदल ही हजारों हजार किलोमीटर चलने को मजबूर हुए थे, जिनमें से बहुत से प्रवासी मजदूर अपने घर पहुंचने से पहले ही कोई ट्रेन के पहियों के नीचे तो कोई ट्रक के पहियों के नीचे तो बहुत से प्रवासी मजदूर भूखे दम तोड़ दिया था ,अब तो लगभग देश के हर वह वर्ग रोजी रोटी के लिए संघर्ष कर रहा है जो रोज कमाता खाता था, साथ ही मध्यम वर्गीय परिवार वालों का भी आज हालात दिन पर दिन बदतर होती जा रही है , एक रिपोर्ट में पता चला है कि केवल देश के राजधानी दिल्ली में 63 फिसदी घरेलू कामगारों जो मकानों में कपड़े, बर्तन, झाडू-पोछा और खाना बनाने वाली महिलाओं ने ही इस महामारी के बाद से नौकरी खो दी हैं, तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अन्य क्षेत्रों में काम करने वालों की हालत क्या हो सकती है ? वही दूसरी तरफ इस महामारी ने मजदूरों को झझकोर कर रख दिया है, सबसे ज्यादा दुखों का पहाड़ प्रवासी मजदूरों पर टूटा है, मजदूरों के पास अब रोजी-रोटी का संकट है, इनके साथ ही अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले मध्यम वर्गीय परिवार पर भी रोजी रोटी का संकट मंडरा रहा है , सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से जो राशन भारत सरकार पहुंचाने का प्रयास कर रही है , गरीबों और जरूरतमंद लोगों के रोटी पर भी कालाबाजारी करने वाले डंका डाल दे रहे है , मजदूरों के उत्थान के लिए सरकार की योजनाएं सरकारी कार्यालयों में दम भर रही हैं,हर शहर व नगर के चौराहों पर सुबह के समय रोजी-रोटी की तलाश में ना जाने कितने मजदूर रोजी की तलाश में खड़े रहते हैं, देखे तो दो वर्षों में कोराना महामारी ने मजदूरों के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है, रोजी-रोटी की तलाश में मजदूर इधर-उधर भटक रहे हैं, बाहर से आने वाले प्रवासी मजदूर कोरोना संकट से जूझ रहे है ,आज गांवों में भी रोजगार के संसाधन नहीं हैं, मनरेगा योजना में भी मजदूरी केवल 201 रुपये है, जिसमे पहले से काफी श्रमिक मजदूर जुड़े हुए है ,ऐसे में शहरों से अभी गए हुए ,मजदूरों को रोजी रोटी का व्यवस्था कैसे होगा ? वही दूसरी तरफ देश के कुछ रहीस लोग गरीबों पर ही कोरोना महामारी का भी आरोप लगा देते है, बोलते हैं कि गरीबों के कारण यह करोना का रफ्तार बढ़ा है, अब इनको मैं कैसे समझाऊं कि हमारा गरीब तबका जहाज से नहीं चलता है, जहाजों में बैठकर आप लोग आएं और आप हमारे यहां लाए,फिर जो वर्षों तक आपके शहर को चमकाने में हमारे प्रवासी मजदूर दिन रात एक किए थे उसको आप रोटी तक के लिए भी नहीं पूछते हो, बल्कि घटिया राजनीति करते हो झूठी आश्वासन देते हो फिर सोशल मीडिया पर उसका आप मजाक भी बनाते रहते हों, हालांकि सभी लोग ऐसे ही नहीं करते बहुत से लोग आज भी मानवता के रास्ते पर चलते हुए जरूरतमंद लोगों को मदद दे रहे हैं, आज आप सभी से मेरा विनम्र निवेदन है कि आप भी अपने सामर्थ्य अनुसार जो भी जरूरतमंद आपके आंखों से दिखे तो जरूर आगे बढ़कर उसका साथ दे।
हृदय रोगों और आँखों के संक्रमण रोके औषधीय घटक - पुनर्नवा
यह एक ऐसी वनस्पति है जिसे पुनर्नवा के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद के जानकार इसे एक प्रचलित औषधि के रूप में सदियों से प्रयोग कराते आ रहे हैं ।पुनर्नवा जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है यह पुर्न यानि दुबारा नवा अर्थात नई यानि जो शरीर मे नवीन कोशिकाओं को जन्म दे नूतनता लाये ऐसी वनस्पति पुनर्नवा है।लेटिन में इसे बोरहावीया डिफ्युजा के नाम से जाना जाता है।इसकी दो प्रजातियां होती है एक श्वेत पुनर्नवा और दूसरी रक्त पुनर्नवा।अभी बारिश के मौसम के इसके छोटे पौधे निकलते है जो 2 से 3 मीटर लंबे होते हैं और जमीन पर फैलते हैं।इसके नामके साथ एक और रोचक पहलू है सूखा हुआ पुनर्नवा का पौधा बरसात आने पर फिर से नया जीवन प्राप्त कर लेता है इन्ही गुणों के कारण प्राचीन ऋषियों ने इसका नाम पुनर्नवा रखा हो।
श्मशान में ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र सब जल रहे हैं पास-2*
ऐसी विपदा तो सौ सालों में,कभी नहीं थी आई।
कैसा ये परिदृश्य बना है, टीवी देखें आये रुलाई।
इंसानों ने विकास हेतु,किया प्रकृति से खिलवाड़।
वृक्ष एवं जंगल सब काटे,बंद ऑक्सीजन किवाड़।
बड़े बड़े तालाबों को पाटा,बिल्डर्स का है ये धंधा।
खनन माफियाओं का भी,काम हुआ नहीं ये मंदा।
वृक्षारोपण किए नहीं हैं,प्रदूषण भी ऐसा फैलाया।
साँस भी लेना दूभर है,कोरोना ने ऐसे पैर फैलाया।
पिघल रहा ग्लेशियर,ग्लोबल वॉर्मिंग का असर है।
भू जल भी क्षरण हो रहा,ऊर्जा ह्रास का असर है।
अपनी करनी का ये फल,मानव ही भोगा-भोगे गा।
धरती पर तो शुकून नहीं,हर घर में रोग है भोगे गा।
इन सब झंझावातों से कैसे,इंसान कोई संघर्ष करे।
आजिज आ गया है ये,इंसा कोविड से संघर्ष करे।
कितनी जानें रोज जा रहीं, हर तरफ है हाहाकार।
आपदा में भी अवसर का,कर रहे लोग हैं व्यापार।
नहीं रह गई इंसानियत कोई,ब्लैक में बेंचते दवाई।
लाशों का ढ़ेर लगा है,अस्पताल में बेड है न दवाई।
शमशान में जाते ही,मिट ये गया है सब छुआछूत।
पास पास ही जल रहे हैं,ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र।
राजनीति लाशों पर भी होये,कितनी है ये बेहयाई।
किसी नेता को भी बिलकुल,इसमें शर्म नहीं आई।
कभी-2 मरने वाले के दरवाजे,पे पहुँच भले जाते।
नेतागण दिखावे में अपना भी,ये शोक जता जाते।
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
लडकियों को तहजीब सीखाएं- मायके पक्ष
हमारे सनातन धर्म में कहा गया है लड़की का सुहागन होना और ससुराल में होना शुभ है ,और संस्कारिक मर्यादा भी।लेकिन आज कल के माॅम डैड ने इसे वर्बाद कर रखा है।सबसे ज्यादा विकट स्थिति का माध्यम फोन का घंटो तक आदान प्रदान होना।जिस किसी घर में ऐसी बीमारी लगी है वह घर रिश्ते की लिहाज से दम तोड़ चुके हैं । जबसे यह आधुनिक फोन का प्रचलन बढा है मायके का हस्तक्षेप बढता गया है। जिसे कोई खुद्दार पति शायद बर्दाश्त नहीं करता और यही सम्बन्धों की एक दीवार खड़ी करती है जो आये दिन अदालतें थाने और विभिन्न आयोग के बढ़ती फाइलों में दम तोड़ रही है।
प्राचीन काल में ऐसा बिल्कुल नहीं था रिश्तों की एक बुनियाद होती थी ।मायके पक्ष कभी भी नादानी या ओछी बात नही करते थे बल्कि अपने बच्ची को समझाते थे ।जिससे रिश्ता प्रगाढ और निरंतर बना रहता था।जब कोई खास आयोजन में उनसे राय मांगी जाती थी तो वे मशवरा देते थे आज बिल्कुल अलग है ।आज दाल में नमक अधिक हो गया अगर पति ने डांट दी तो पति को डाटने के लिए प्रोग्राम बनाया जाता है जिसका माध्यम भी मोबाइल ही है जबकि पहले लोग हंसकर उड़ा डालते थे। यही फर्क है आज के इस नयी पीढी में जिसकी वजह से नौबत तालाक तक पहुंच जाती है।घरेलू हिंसा और प्रताड़ना की सारे हदें पार कर चुका यह समाज अब पतन की कगार पर खड़ा है जिसकी वजह है एकल मानसिकता से ग्रसित लडकियां शादी के बाद सिर्फ एकल परिवार को बढावा दे रही है।
मृत्यु का अमृत भाव
यह जीवन मूल रूप में अमरता की ही यात्रा है। जीवन को यदि सरलतम ढंग से कहा जाय तो यहीं कहेंगे कि यह वह अवस्था है जिसमें जीवित होने का भाव होता है। इस भाव के अन्तरगत प्राणी अपनी इन्द्रियों द्वारा विभिन्न व्यवहार करता है। उपनिषद का यह सूत्र कहता है कि हमे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो। यह पूरा सूत्र नही हैं। इसके पूर्व सूत्र कहता है कि असत्य से सत्य की ओर, अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो। जब यह दोनों बातें घट जाँय तो तीसरी बात बहुत सरल हो जाती है। जब सत्य और प्रकाश मिल जाते हैं तो मृत्यु अमरता में परिवर्तित हो जाती है।
Monday, May 17, 2021
नारायणी नदी में बहते हुए देखी गयी लाश
सारण (ब्युरो चीफ संजीत कुमार) दैनिक आयोध्या टाईम्स
सोनपुर--- सूबे के कई जगहों पर गंगा नदी में कई शव मिलने के बाद जहाँ सरकार एक्शन मूड में है वहीं दूसरी सोनपुर के गंगा- गंडक के संगम नारायणी नदी स्थल के थोड़ी ही दूरी पर गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम ,नौलखा मंदिर के समीप रविवार को शव देखे जाने से सनसनी फैल गई।नदी मे बहते शव को देखने के लिए कुछ लोग गंडक नदी घाट पर इकट्ठा हो गए। शव धीरे-धीरे नदी में बहते हुए काफी दूर निकल गया। इस संबंध में पूछे जाने पर हरिहरनाथ ओपी प्रभारी बिभा रानी ने बताई की पुलिस को नदी में शव देखे जाने की सूचना नहीं है। वही शव नदी में यहाँ कहां से आया इस बात की चर्चा लोगों में खूब हो रही है लोगो मे यह भी बात उठ रही हैं कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद अगर नदी में प्रभावित किया गया है ऐसे में संक्रमण फैलने की आशंका है।
बता दे कि गंगा नदी में बड़ी संख्या में लावारिस शव मिलने के बाद राज्य सरकार एक्शन में है। गृह विभाग ने शवों की अंत्येष्टि को लेकर कई दिशा निर्देश जारी किया है।जारी दिशा-निर्देशों के तहत शवदाह स्थलों या अन्य किसी स्थान पर शवों को बिना जला, अधजला या बिना दफनाया हुआ नहीं छोड़ा जाएगा। लावारिस शव मिलने पर नियम के तहत सम्मानपूर्वक अंत्येष्टि की जाएगी। शवों के अंतिम संस्कार के लिए सरकार द्वारा दी जा रही सहायता जिसमें कोरोना मरीज के शव या लावारिस शव का बिना शुल्क अंत्येष्टि, बीपीएल को मिलनेवाला कबीर अंत्येष्टि अनुदान लाभुकों को दिलाना सुनिश्चित करने को कहा गया है।इसके अलावा निजी अस्पताल से समन्वय बनाकर शवों की पूर्ण अंत्येष्टि सुनिश्चित करने को कहा गया है। साथ ही, शवदाह स्थलों, घाटों पर पुलिस की तैनाती करने और शवों के सम्मानपूर्वक अंत्येष्टि को जागरूकता अभियान चलाने को कहा गया है।
सोनपुर थाने में 8 वाहन जप्त किये गए
सारण( ब्युरो चीफ )दैनिक अयोध्या टाइम्स
सोनपुर -- सोनपुर अनुमंडल क्षेत्र में लगातार अवैध बालू खनन करते हुए बालू माफियाओं का वर्चस्व इतना तेज है कि वह दिनदहाड़े खुलेआम प्रशासन को चुनौती दे रही है और प्रशासन मूकदर्शक बने हुए है तभी तो बालू कारोबारी लगातार क्षेत्र में अबैध रूप से बालू खनन करते हुए शाम ढलते ही ट्रकों का परिचालन शुरू हो जाती है तो वही दूसरी ओर छोटे--छोटे नाबालिक बच्चों के द्वारा गाड़ी का परिचालन कर रहे हैं जिसके कारण सड़क मार्ग पर आए दिन घटना- दुर्घटना और कितने की मौत हो रही है लेकिन स्थानीय प्रशासन कुंभकरण की नींद में सोए हुए हैं ऐसे में मीडिया के माध्यम से प्रशासन को कुंभकरण नींद में सोए हुए को जगाने की कोशिश की गई । स्थानीय प्रशासन से लेकर जिला के जिला अधिकारी तक नींद खुलते सोनपुर अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न बालू घाटों से ओवरलोडेड बालू लदे ट्रकों के खिलाफ सोनपुर प्रशासन ने रविवार के देर शाम NH19 पर बड़ी कार्रवाई की है। इस दौरान आधे दर्जन से ऊपर ओवरलोडेड ट्रकों पर लगभग 55 लाख 37 हजार रुपए जुर्माना किया गया। छापेमारी के बाद बालू माफियाओं में हड़कंप मच गया। छापेमारी अभियान में सोनपुर के एसडीओ सुनील कुमार एडिशनल एसपी अंजनी कुमार एमवीआई ऑफिसर माइनिंग पदाधिकारी समेत कई पुलिसकर्मी शामिल थे । मालूम हो कि जिले में ओवरलोडेड बालू लदे वाहनों का परिचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है। यहां के सबलपुर पंचायत के विभिन्न घाट, गंगाजल टोला, परमानंदपुर कल्लू घाट,डोमवा सैदपुर घाट, पहलेजा घाट, महदल्ली चक एलसीटी घाट, नयागांव के विभिन्न बालू घाट के अलावा दिघवारा थाना क्षेत्र के कई बालू घाटों पर सैकड़ों ट्रक से बालू का परिचालन होता है। अवैध परिचालन से सरकार के राजस्व की महीना में करोड़ों रुपए की क्षति पहुंचती है। इसे लेकर बीते दिनों जिला प्रशासन की काफी किरकिरी हुई। सारण के डीएम ने इसे गंभीरता से लेते हुए अनुमंडलीय प्रशासन को छापेमारी करने का निर्देश दिया है। इसी को लेकर यह बड़ी कार्रवाई की गई। एसडीओ ने बताया कि सोनपुर थाने में 8 वाहन जप्त किये गए । 9 ट्रक मालिको के खिलाफ अवैध खनन को लेकर प्रथमिकी दर्ज की गयी है । यह छापेमारी अभी अनवरत चलता रहेगा।
पुत्र वधू एवं पौत्र के अपहरण कर लिए जाने का मामला दर्ज
राजापाकर (वैशाली )संवाददाता, दैनिक अयोध्या टाइम्स
थाना क्षेत्र के बैकुंठपुर गांव से बीते शुक्रवार 14 अप्रैल की रात्रि को एक विवाहिता समेत 1 वर्ष के नाबालिक लड़के का अपहरण कर लिए जाने का मामला स्थानीय थाना में दर्ज किया गया है। आवेदन में राजापाकर थाना क्षेत्र के बैकुंठपुर ग्राम निवासी स्वर्गीय नंदलाल सिंह की पत्नी कलावती देवी ने अपने आवेदन में बताई है कि बीते शुक्रवार की रात्रि लगभग 10:30 बजे थाना क्षेत्र के छावनी टोला निवासी लालबाबू सिंह का पुत्र मोनू कुमार एवं दिनेश सिंह का पुत्र अर्जुन कुमार गलत नियत से मेरी पुत्रवधू वंदना सिंह एवं पौत्र आरव सिंह 1 वर्ष का अपहरण कर ले भागा है ।काफी खोजबीन किया गया लेकिन कोई सुराग नहीं मिलने पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
सोनपुर रेलवे लोको शेड में एक अज्ञात शव का जीआरपी ने किया बरामद।
सारण (ब्युरो चीफ) दैनिक अयोध्या टाइम्स
सोनपुर--- सोनपुर रेल मंडल के अंतर्गत सोनपुर रेलवे डेमू सेट में एक सवारी गाड़ी से मृत अवस्था में एक अज्ञात शव को जीआरपी ने सोमवार को बरामद कर लिया । रेल थानाध्यक्ष जय सिंह टीयू ने बताया कि डेमो सेट में लगे सवारी गाड़ी में से मृत शरीर की दुर्गंध आ रहा था जिससे कर्मचारियों ने इसकी जानकारी दी । डेमू शेड में जाने के बाद मृत अवस्था में 50 वर्ष के करीब 1 युवक की लाश पाई गई जिसे बरामद करते हुए पोस्टमार्टम के लिए छपरा भेज दिया गया वहीं उपस्थित कर्मचारियों ने बताया कि समस्तीपुर से सवारी गाड़ी 14 मई को खाली ट्रैक आई थी जहां उसे साफ सफाई के लिए रखी गई थी जहां सोमवार को काफी डब्बे से दुर्गंध आ रही थी यहां देखने के बाद एक मृत अवस्था में एक युवक की लाश दुर्गंध आ रही थी जिसकी सूचना सोनपुर जीआरपी एवं आरपीएफ को दी गई ।
शादी करने की नियत से एक 15 वर्षीय लड़की का अपहरण, नामजद प्राथमिकी दर्ज
राजापाकर( वैशाली) संवाददाता, दैनिक अयोध्या टाइम्स
राजापाकर थाना क्षेत्र के भाथादासी गांव की एक 15 वर्षीय नाबालिग लड़की के अपहरण के संबंध में लड़की की मां ने थाने में सोमवार को प्राथमिकी कराई है। दर्ज प्राथमिकी में लड़की की मां नीलम देवी पति देव लाल राम ने बताई है कि मेरी 15 वर्षीय नाबालिग पुत्री करिश्मा कुमारी को ग्रामीण अंकेश कुमार पिता स्वर्गीय युधिष्ठिर सिंह वो भाई मनीष कुमार व सहयोगी मुकेश कुमार पिता भूलन सिंह सहित पांच नामजद ने मिलकर एक साजिश के तहत शादी करने तथा अनैतिक कार्य की नियत से अपहरण कर किसी चार पहिया वाहन से लेकर भागा है। काफी खोजबीन की लेकिन मेरी पुत्री का अभी तक कोई पता नहीं चला । मैं गरीब महादलित वर्ग से आती हूं ।आवेदन में थानाध्यक्ष महोदय से जांच कर आवश्यक कार्रवाई की मांग की गई है। मामले के अनुसंधानक पंकज कुमार शर्मा बनाए गए हैं। घटना 13 मई की सुबह 5 बजे की बतायी गई है।