Sunday, February 13, 2022

भिक्षुकों और ट्रांसजेंडर समुदाय की आजीविका, उद्यमों, कल्याण और व्यापक पुनर्वसन के लिए नायाब तोहफा

भीख मांगने के कार्य में से संलग्न और ट्रांसजेंडर समुदाय को सुरक्षित जीवन जीने में यह केंद्रीय स्माइल अंब्रेला स्कीम मील का पत्थर साबित होगी- एड किशन भावनानी 

गोंदिया - भारत आज हर क्षेत्र में जैसे, विज़न 2047, 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था, नया भारत सहित अनेक विज़नों के अनुकूल मज़बूत आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर ढांचों को स्थापित करते हुए नए-नए रणनीतिक रोडमैप बनाकर इस भविष्य कालीन खाकें पर काम कर रहें है। याने हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मज़बूत सुखी जीवन जीने की प्रणाली का पहिया अभी से डाला जा रहा हैं। 
साथियों इसका मतलब यह नहीं कि हम वर्तमान जीवन की सुखद प्रणाली के ढांचागत सुधारों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं आज हम देखते हैं कि करीब 80 करोड़ लोगों के लिए किसी ना किसी रूप में कोई ना कोई योजना का लाभ प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से मिल रहा है जिसमें बच्चों, युवाओं बुजुर्गों, दिव्यांगों, भिक्षुकों, ट्रांसजेंडरों, किसानों, गरीबों सहित हर वर्ग को योजनाओं में स्थान देने की कोशिश की जा रही है।
साथियों उपरोक्त कड़ी में आज हम बात भीक्षुकों और ट्रांसजेंडर की करेंगे क्योंकि आज एक पक्ष हम डिजिटल, प्रौद्योगिकी और विकसित नए भारत की कर रहें हैं तो हमारे सामने दूसरा पक्ष भिक्षकों, ट्रांसजेंडरों, गरीबों, दिव्यांगों का भी है। विकास की आंधी में हम इन्हें भुला नहीं सकते यह हमारे समाज का एक हिस्सा है। हाल ही में हमने मीडिया में सुनें कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा लोकसभा में एक प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए यह सूचित किया गया कि मंत्रालय द्वारा स्माइल, आजीविका और उद्यमों के लिए सीमांत व्यक्तियों हेतु इस्माइल नामक योजना तैयार की गई है जिसमें भिक्षुकों, ट्रांसजेंडरों के लिए व्यापक पुनर्वसन की योजना भी शामिल है। 
साथियों बात अगर हम केंद्रीय योजना स्माइल अंब्रेला के नई दिल्ली में शुरू करने की करें जो 11 फरवरी 2022 को पीआईबी के अनुसार, यह अम्ब्रेला स्कीम ट्रांसजेंडर समुदाय और भीख मांगने के कार्य में संलग्न लोगों को कल्याणकारी उपाय प्रदान करने के मकसद से बनाई गई है। इसके तहत दो उप-योजनाएं शामिल हैं, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण के लिए व्यापक पुनर्वास के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना और भीख मांगने के कार्य में संलग्न व्यक्तियों के व्यापक पुनर्वास के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना’। 
यह योजना उन अधिकारों की पहुंच को मजबूती प्रदान करती है और उनका विस्तार करती है जो लक्षित समूह को आवश्यक कानूनी सुरक्षा और एक सुरक्षित जीवन का वचन देते हैं। यह सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखता है जिसकी पहचान, चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, व्यावसायिक अवसरों और आश्रय के कई आयामों के माध्यम से आवश्यकता होती है। मंत्रालय ने योजना के लिए वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक के लिए 365 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
उप-योजना - ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण के लिए व्यापक पुनर्वास के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना’ में निम्नलिखित घटक शामिल हैं- अ) ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए छात्रवृत्ति: नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र और स्नातकोत्तर तक के छात्रों को उनकी शिक्षा पूरी करने में सक्षम बनाने के लिए के लिए छात्रवृत्ति।ब) कौशल विकास और आजीविका- विभाग की पीएम-दक्ष योजना के तहत कौशल विकास और आजीविका क) समग्र चिकित्सा स्वास्थ्य: पीएम-जेएवाई के साथ सम्मिलन में एक व्यापक पैकेज चयनित अस्पतालों के माध्यम से लिंग-पुष्टिकरण सर्जरी का समर्थन। ड) गरिमा गृह’ के रूप में आवास आश्रय गृह ’गरिमा गृह’ जहां भोजन, वस्त्र, मनोरंजन सुविधाएं, कौशल विकास के अवसर, मनोरंजक गतिविधियां, चिकित्सा सहायता आदि प्रदान की जाएंगी।
ट्रांसजेंडर सुरक्षा प्रकोष्ठ का प्रावधान- अपराधों के मामलों की निगरानी के लिए प्रत्येक राज्य में ट) ट्रांसजेंडर सुरक्षा की स्थापना करना और अपराधों का समय पर पंजीकरण, जांच और अभियोजन सुनिश्चित करना। ज) ई-सेवाएं (राष्ट्रीय पोर्टल और हेल्पलाइन एवं विज्ञापन) और अन्य कल्याणकारी उपाय। उप-योजना भीख मांगने के कार्य में संलग्न व्यक्तियों का व्यापक पुनर्वास’का फोकस इस प्रकार है-1)सर्वेक्षण और पहचान: लाभार्थियों का सर्वेक्षण और पहचान कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा किया जाएगा।2) लामबंदी: भीख मांगने वाले व्यक्तियों को आश्रय गृहों में उपलब्ध सेवाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करने का कार्य किया जाएगा। 3) बचाव/आश्रय गृह: आश्रय गृह भीख मांगने के कार्य में संलग्न बच्चों और भीख मांगने के कार्य में संलग्न व्यक्तियों के बच्चों के लिए शिक्षा की सुविधा प्रदान करेंगे।4) व्यापक पुनर्वास। 
इसके अतिरिक्त,क) क्षमता, काबिलियत और अनुकूलता प्राप्त करने के लिए कौशल विकास/व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा ताकि वे स्वरोजगार में संलग्न होकर गरिमापूर्ण जीवन जी सकें।ख);दस शहरों जैसे दिल्ली, बैंगलोर, चेन्नई, हैदराबाद, इंदौर, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना और अहमदाबाद में व्यापक पुनर्वास को लेकर पायलट परियोजनाएं शुरू की गईं।
उप योजनाओं को राष्ट्रीय समन्वयकों की एक पार्टी द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा, साथ ही मंत्रालय में एक उपयुक्त टीम बनाई जाएगी। राष्ट्रीय समन्वयक की योग्यताएं, परिलब्धियां, शक्तियां और कार्य एवं अधिकार क्षेत्र विभाग द्वारा निर्धारित की जाएगी। इसके अतिरिक्त, परियोजना निगरानी इकाई (पीएमयू) या सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा नियुक्त किसी अन्य एजेंसी/इकाई सहित मंत्रालय द्वारा नियमित अंतराल पर घटकों की निगरानी की जाएगी। 
यह योजना उन अधिकारों की पहुंच को मजबूती प्रदान करती है और उनका विस्तार करती है जो लक्षित समूह को आवश्यक कानूनी सुरक्षा और एक सुरक्षित जीवन का वचन देते हैं। यह सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखता है जिसकी पहचान, चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, व्यावसायिक अवसरों और आश्रय के कई आयामों के माध्यम से आवश्यकता होती है।
साथियों में बात अगर हम भिक्षावृत्ति के कारणों की करें तो यह कोई ऐसी चीज नही नही जिसे करके व्यक्ति को खुशी मिलती हो। व्यक्ति अनेक कारणों से जब परेशान व दुखी हो जाता है और उसके जीवन मे आशा की कोई किरण नही दिखती तो वह भिक्षुक बन अपना और अपने परिवार का पेट भरता है। भिक्षावृत्ति की पृष्ठभूमि में जहाँ एक तरफ वैयक्तिक कारण है जैसे शारीरिक और मानसिक दोष अथवा बीमारियाँ जैसे लूला, लंगड़ा, अपाहिज, पागल, विक्षिप्त वहीं दूसरी और आर्थिक सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक कारण है। प्रथम कारण इस तथ्य का घोतक है कि व्यक्ति अपने शरीर से लाचार है कि वह किसी भी प्रकार का कठिन परिश्रम नही कर सकता है। इसलिए वह भीख मांगता है और दूसरा कारण इस बात का प्रमाण है कि यह समाज व्यक्ति को नौकरी तथा जीने की सामान्य सुविधाएं नही देता और जब व्यक्ति भूखों मरने लगता है तब भीख मांगने के सिवा उसके पास कोई दूसरा विकल्प नही होता। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे देश विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भिक्षुकों और ट्रांसजेंडर समुदाय की आजीविका, उद्यमों, कल्याण और व्यापक पुनर्वास के लिए केंद्रीय योजना स्माइल नायाब तोह़फा है तथा भीख मांगने के कार्य में संलग्न और ट्रांसजेंडर समुदाय को सुरक्षित जीवन जीने में यह योज़ना मील का पत्थर साबित होगी। 

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

सच्चा भक्त

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव कि तारिक घोषित हो चुकी थी। सभी पार्टियों के नेता अपनी अपनी पार्टियों के चुनाव प्रचार में लगें हुए थे। सभी पार्टियों के साथ गांव गांव से अलग अलग लोग अपने नेता के समर्थन में प्रचार प्रसार में घूम रहे थे। एक व्यक्ति थे विदेश चौधरी जो भाजपा के समर्थन में भाजपा के नेता के साथ गांव गांव पार्टी का प्रचार प्रसार करा रहे थे। इससे पहले विदेश चौधरी ग्राम पंचायत के चुनावों में दो तीन बार प्रधान के साथ गांव में चुनाव प्रचार प्रसार करा चुके हैं और जिला पंचायत के चुनाव में भी दो तीन बार नेता के साथ चुनाव प्रचार प्रसार करा चुके हैं।

मतदान का दिन आया। लोग सुबह से ही वोट डालने के लिए मतदान केन्द्र की ओर जा रहे थे। सभी के मन में एक ही विश्वास था कि जिस नेता को वो वोट देंगे, वह अवश्य ही जीतेगा लेकिन विदेश चौधरी के मन में तो कुछ इसके विपरित ही विचार चल रहा था। जब वो वोट डालने के लिए घर से मतदान केन्द्र की तरफ निकले तो वो रास्ते में सोच रहे थे कि आज तक उन्होंने जिस भी नेता को वोट दिया है चाहे वो ग्राम प्रधान हों या जिला पंचायत वो सिर्फ हारा है।
जैसे ही विदेश चौधरी ई बी एम मशीन पर पहुंचे तो उन्होंने सोचा कि यदि वो साइकिल का बटन दवा दे तो साइकिल तो कैसा रहेगा? ज्यों ही उन्होंने साइकिल का बटन दबाने के लिए हाथ आगे बढाया त्यों ही उनके दिल के अन्दर से आवाज आई कि तू कमल ही दबा दें जो होगा देखा जायेगा और उन्होंने कमल का बटन दबा दिया।
लेखक
नितिन राघव

Friday, February 11, 2022

लोक कल्याण संकल्प पत्र, सत्य वचन, उन्नति विधान

नए डिजिटल भारत में चुनावी घोषणा पत्रों का स्वरूप बदला- नए प्रौद्योगिकी भारत में मतदाता स्पष्ट विकल्प चुनने में सक्षम 


क्या चुनावी घोषणा पत्रों में दिए अंतर्वस्तु को पूरा करने कानूनी बाध्यता होनी चाहिए ??- इसपर देश में डिबेट ज़रूरी- एड किशन भावनानी 
गोंदिया - भारत में घोषणा पत्र यह शब्द सदियों पुराना है क्योंकि यह शब्द हम बचपन से ही सुनते आ रहे हैं इसलिए घोषणा पत्र नाम सुनते ही अनायस ही हमारा ध्यान चुनाव की ओर चला जाता है!! इसलिए यह नाम सुनते ही हमारे मुख से निकल पड़ता है कि किस पार्टी का घोषणा पत्र?? साथियों बात अगर हम घोषणा पत्र की करें तो इस आधुनिक नए भारत डिजिटल भारत के मानवीय दैनिक जीवन में कई प्रकार का घोषणा पत्र होतें है और करीब-करीब हर सरकारी विभाग में किसी योजना स्कीम या अन्य कारण से हमें स्वयं घोषणा पत्र देना होता है, जो हमारी उस बात की सत्यता के लिए शपथ, वचन, वादा होता है जिस कारण से हम वह सरकारी फॉर्म भर रहे हैं। 
साथियों बात अगर हम चुनावी घोषणा पत्र की करें तो मैनीफेस्टो’ शब्द का पहली बार प्रयोग अंग्रेजी में 1620 में हुआ था। वैसे सार्वजनिक रूप से अपने सिद्धान्तों, इरादों व नीति को प्रकट करना घोषणा पत्र कहलाता है। राजनीतिक पार्टियों द्वारा चुनाव में जाने से पहले लिखित डॉक्यूमेंट जारी किया जाता है, इसमें पार्टियां बताती है कि अगर उनकी सरकार बनी तो वे किन योजनाओं को प्राथमिकता देंगी और कैसे कार्य करेंगी। 
अब पार्टियों ने अलग अलग नाम से प्रस्तुत करना शुरू कर दिया है, जिसमें विजन डॉक्यूमेंट, संकल्प पत्र आदि शामिल है। वर्षों पहले यह घोषणा पत्र के नाम से ही घोषित होता था परंतु समय के बदलते चक्र, विज्ञान प्रौद्योगिकी, मानवीय बुद्धि कौशलता, वैचारिक क्षमता, मानवीय बौद्धिक विकास, चुनावी रणनीति, चुनावी जीत की कार्यशैली का विकास सहित अनेक कारणों से वर्तमान कुछ वर्षों से घोषणा पत्र के नाम पर हर राजनीतिक पार्टी अपने विज़न, विचारधारा या किसी अन्य सोच से संलग्नता कर अपने घोषणापत्र को कोई नाम देते हैं। 
वर्तमान चुनाव 2022 जिसकी चुनावी प्रक्रिया 10 फरवरी से शुरू हुई हैं और 10 मार्च को परिणाम घोषित होंगे, के घोषणा पत्रों के नाम लोक कल्याण संकल्प पत्र, सत्य वचन और उन्नति विधान के नाम से प्रमुख पार्टियों ने जारी किए हैं जो न केवल घोषणा पत्र हैं बल्कि उनके नाम से भी एक अलग अपना आकर्षण महसूस होता है जो मतदाताओं को पढ़ने और उस पार्टी की विचारधारा को समझने के लिए प्रेरित करता है और मतदाता इन घोषणाओं के आधार पर ही स्पष्ट विकल्प चुनने की कोशिश करता है। 

साथियों बात अगर हम इन घोषणा पत्रों की करें तो, कुछ संसदीय लोकतांत्र की व्यवस्था वाले देशों में राजनैतिक दल चुनाव के कुछ दिन पहले अपना घोषणापत्र प्रस्तुत करते हैं। जैसा कि 2022 के चुनाव में भारत में भी हुआ, इन घोषणापत्रों में इन बातों का उल्लेख होता है कि यदि वे जीत गये तो नियम-कानूनों एवं नीतियों में किस तरह का परिवर्तन करेंगे। घोषणापत्र पार्टियों की रणनीतिक दिशा भी तय करते हैं। सार्वजनिक रूप से अपने सिद्धान्तों एवं इरादों (नीति एवं नीयत) को प्रकट करना घोषणापत्र (मैनिफेस्टो) कहलाता है। इसका स्वरूप प्रायः राजनीतिक होता है किन्तु यह जीवन के अन्य क्षेत्रों से भी सम्बन्धित हो सकता है। 

साथियों बात अगर हम घोषणा को की अंतर्वस्तु की करें तो मैंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में रिसर्च से पाया कि चुनाव आयोग के अनुसार, घोषणा पत्र में ऐसा कुछ नहीं हो सकता, जो संविधान के आदर्श और सिद्धांत से अलग हो और या आचार संहिता के दिशा-निर्देशों के अनुरूप ना हो। साथ ही चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों में लिखा है कि राजनीतिक पार्टियों को ऐसे वादे करने से बचना चाहिए, जिनसे चुनाव प्रक्रिया के आदर्शों पर कोई असर पड़े या उससे किसी भी वोटर के मताधिकार पर कोई प्रभाव पड़ता हो।
साथियों बात अगर हम हर चुनावी घोषणापत्र के अंतर्वस्तु की करें तो हालांकि उनके पास इस संबंध में रणनीतिक रोडमैप हो सकता है? और अर्थव्यवस्था में उसका आवंटन और प्रबंधन करने की तरकीब भी जरूर होगी जिसके आधार पर कड़ियों को जोड़कर यह बनाया जाता है परंतु मेरा मानना है कि क्या चुनावी घोषणा पत्र की अंतर्वस्तु को उनके जीतने और सत्ता पर काबिज होने के बाद पूरा करने की जवाबदारी और कानूनी बाध्यता होनी चाहिए?? इस विषय और बात को देश के बुद्धिजीवियों द्वारा रेखांकित कर, एक डिबेट कर इसे कानूनी अमलीजामा पहनाने की ओर कदम बढ़ाए जाने की ज़रूरत है। 
हालांकि वर्तमान नए प्रौद्योगिकी भारत में मतदाता स्पष्ट विकल्प चुनने में सक्षम है परंतु यदि उस विकल्प को अमलीजामा अगर उन वि लज़न 5 वर्षों में नहीं पहनाया जाता हैं, तो फिर मतदाता के पास क्या अधिकार है?? इसे रेखांकित कर यह सुनिश्चित करने की ओर कदम बढ़ाना  वर्तमान समय की मांग है। 
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि लोग कल्याण संकल्प पत्र, सत्य वचन और उन्नति विधान के रूप में नए डिजिटल भारत में चुनावी घोषणा पत्रों का स्वरूप बदला है जबकि नए प्रौद्योगिकी की भारत में मतदाता स्पष्ट विकल्प चुनने में सक्षम है तथा क्या कानूनी घोषणा पत्रों में दिए गए अंतर्वस्तु को पूरा करने की कानूनी बाध्यता होनी चाहिए?? इस पर देश में डिबेट होना ज़रूरी है। 

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

वजह

मुस्कुराहट की वजह बनो

क्यों दर्द की वजह बनते हो ?
मोहब्बत की वजह बनो
क्यों नफरत की वजह बनते हो ?
जीने की वजह बनो
क्यों मृत्यु की वजह बनते हो ?
निभाने की वजह बनो
क्यों बिखरने की वजह बनते हो ?
हंसने की वजह बनो
क्यों रुलाने की वजह बनते हो ?
दोस्ती की वजह बनो
क्यों दुश्मनी की वजह बनते हो ?
सम्मान की वजह बनो
क्यों अपमान की वजह बनते हो ?
आशा की वजह बनो
क्यों निराशा की वजह बनते हो ?
जीताने की वजह बनो
क्यों हराने की वजह बनते हो ?

राजीव डोगरा