Monday, October 21, 2019

जूता जिन्दाबाद

चुनावी सभा हो या पत्रकार वार्ता,
एक नेता जी, हेलमेट पहन कर
आ-जा रहे हैं।
पूछने पर बतला रहे हैं, 
कि यार! आजकल लोग ,
बहुत जूते चला रहे हैं।
पता नहीं कब, कौन, मेरी तरफ भी उछाल दे,
किसी और की खुन्नस, मुझ पर निकाल दे।
इसलिए हेलमेट का, सहारा ले रहा हूंॅ
हर सभा में, हेलमेट पहनकर भाषण दे रहा हूंॅ।
बुश के ऊपर उछाले गये जूते ने,
ऐसी परम्परा चला दी है,
कि हम नेताओं की वाट ही लगा दी है।
नवीन जिंदल, पी. चिदम्बरम,
कभी आडवाणी..........,
आगे ही बढ़ती जा रही है, जूता फेंकने की कहानी।
अरे भाई! हम तो कहते हैं कि,
जूता मारना ही है, तो आतंकवाद को मारो।
भ्रष्टाचार को मारो, हत्या, लूट, बलात्कार को मारो।
लेकिन तुम लोग, कुछ नहीं देख-भाल रहे हो।
हर बार जूता,
हम नेताओं पर ही उछाल रहे हो!
इधर दे रहे थे नेताजी सफाई,
उधर नेपथ्य से आवाज आई।
'नेताजी, आपके द्वारा बताये गए,
भ्रष्टाचार, हत्या, लूट, बलात्कार,
जातिवाद और आतंकवाद,
माना कि मानवता के लिए अभिशाप है।
लेकिन इन सब की जड़ में,
हुजूर, आप..... आप और सिर्फ आप हैं!


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