गोण्डा। जिला मजिस्ट्रेट डा. नितिन बंसल ने बताया है कि आयुध (संशोधन) अधिनियम 2019 द्वारा आयुध अधिनियम की धारा-3 में संशोधन कर लाइसेन्सी को अधिकतम तीन अग्नेयास्त्र के स्थान पर दो अग्नेयास्त्र रखने का कानून बनाया गया है जो कानून व विधि मंत्रालय भारत सरकार के गजट संख्या SO 4462(E) 14 दिसम्बर 2019 द्वारा परिवर्तित कर दिया गया है।
जिला मजिस्ट्रेट ने जनपद के शस्त्र लाइसेन्सियों को सूचित किया है कि 14 दिसम्बर 2019 से एक वर्ष की अवधि यानी 13 दिसम्बर 2020 तक तीन अग्नेयास्त्र रखने वाले लाइसेन्सी दो आग्नेयास्त्र को स्वेच्छा से अपने पास रखकर, तीसरे अग्नेयास्त्र को निकटतम थाना प्रभारी अथवा वैध शस्त्र व्यवसायिक लाइेसेन्सी या फिर आरमरी इकाई में अवश्य जमा कर दें अन्यथा की दशा में एक वर्ष की अवधि पूरी होने सेे 90 दिनों के भीतर उनका लाइसेन्स निरस्त कर दिया जाएगा।
जिला मजिस्ट्रेट ने बताया कि संशोधित आम्र्स एक्ट-2019 में सजा में बढ़ोत्तरी का प्राविधान किया गया जिसमें गैर लाइसेंसशुदा हथियार की विनिर्माण, खरीद, बिक्री, ट्रांसफर, परिवर्तन सहित अन्य क्रियाकलाप, लाइसेंस के बिना बंदूकों की नली को छोटा करना या उनमें परिवर्तन, प्रतिबंधित बंदूकों का आयात या निर्यात आदि अपराधों के लिये अब तीन से सात वर्ष की सजा व जुर्माने के स्थान पर विधेयक में सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान कर दिया गया है, इसके साथ ही जुर्माना भी भरना पड़ेगा। अधिनियम के अंतर्गत लाइसेंस के बिना प्रतिबंधित अस्त्र-शस्त्र खरीदने, अपने पास रखने या कैरी करने पर पूर्व में निर्धारित पाँच से दस साल की कैद और जुर्माने के स्थान पर संशोधित विधेयक में सजा को जुर्माने सहित सात वर्ष से बढ़ाकर 14 वर्ष कर दिया गया है। अधिनियम के अंतर्गत लाइसेंस के बिना प्रतिबंधित बंदूकों से डील करने (जिसमें उनकी विनिर्माण, बिक्री और मरम्मत शामिल है) पर विधेयक में न्यूनतम सजा को सात से 10 वर्ष किया गया है। इसी प्रकार जिन मामलों में प्रतिबंधित हथियारों (आयुध और अस्त्र-शस्त्र) के इस्तेमाल से किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, उस स्थिति में अपराधी के लिये अधिनियम में मृत्यु दंड का प्राविधान था। परन्तु अब संशोधित विधेयक में इस सजा को मृत्यु दंड या आजीवन कारावास किया गया है, जिसके साथ जुर्माना भी भरना पड़ेगा।
जिला मजिस्ट्रेट ने बताया है कि संशोधित आम्र्स एक्ट-2019 में नए अपराधों जैसे पुलिस या सशस्त्र बलों से जबरन हथियार लेने पर 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा, साथ ही जुर्माना, समारोह या उत्सव में गोलीबारी करने, जिससे मानव जीवन या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा खतरे में पड़ती है, पर दो साल तक की सजा होगी, या एक लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ेगा, या दोनों सजाएँ भुगतनी पड़ेंगी। समारोह में गोलीबारी का अर्थ है, सार्वजनिक सभाओं, धार्मिक स्थलों, शादियों या दूसरे कार्यक्रमों में गोलीबारी करने के लिये बंदूकों का इस्तेमाल करना। इसके अतिरिक्त विधेयक में संगठित आपराधिक सिंडिकेट्स के अपराधों और गैर-कानूनी तस्करी को भी स्पष्ट किया गया है। अधिनियम का उल्लंघन करते हुए सिंडिकेट के सदस्यों द्वारा बंदूक या गोला बारूद रखने पर 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। यह सजा उन लोगों पर भी लागू होगी, जो कि सिंडिकेट की ओर से गैर-लाइसेंसशुदा बंदूक संबंधी डील करते हैं (इसमें विनिर्माण या बिक्री भी शामिल है), लाइसेंस के बिना बंदूकों में बदलाव करते हैं, या लाइसेंस के बिना बंदूकों का आयात या निर्यात करते हैं।
जिला मजिस्ट्रेट ने बताया कि विधेयक के अनुसार, अवैध तस्करी में भारत या उससे बाहर उन बंदूकों या गोला-बारूद का व्यापार, उन्हें हासिल करना तथा उनकी बिक्री करना शामिल है जो अधिनियम में चिह्नित नहीं हैं या अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं। अवैध तस्करी के लिये 10 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है जिसके साथ जुर्माना भी भरना पड़ेगा।
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