Wednesday, February 3, 2021

व्यास जी

एक दस्ता है अनकही सी मेरे जसबातों में  
जो आज लिख रहा हूं मेरे अल्फाजों में ।

जो कभी सपने थे मेरे  लब्जों में तेरे 
वो आज  बन गए है सपने  मेरे ।।

कागज की एक कास्ती थी मेरी 
तुझसे ही एक हस्ती थी मेरी ।

समुंदर को पार करने की तमन्ना थी 
कभी ना रुकने की एक सक्ती थी ।

पर आज राहें अधूरी सी लगती है 
चल तो रहे है पर तेरी यादें ही चलती हैं।।

बहुत समझाते है अपने आप को हर वक्त
पर जब तुझे ना सोचें ऐसा नई कोई वक्त ।

कभी बढ़ते है कदम तो कभी रुक जाते हैं
जब आती है तेरी यादें तो सांस रुक जाती है ।

वैसे तो है बहुत गुरूर अपनी सक्सियत का मुझे ।
पर जब हो बात तेरे प्यार की तो हम झुक जाते हैं।।

खुद को लिखना है अभी वाकी 
जो पा लिया वो नहीं है काफी ।

अभी तो बस सुरूवात है मेरी 
हर जीत दिखती है बस हार तेरी।

वो सब मेरी कहानी का हिस्सा है 
जो गुजर गया वो एक किस्सा है ।

अभी वो बस पंख खोलें है 
पूरी उड़ान वाकी है 

जा  जीले तू अपनी जिंदगी 
अभी भी मुझमें जान वाकी है ।

लोगों  के दिल में आज भी हूं में
क्योंकि मेरे कर्मो की शान वाकी है।।

एक दिन पा लूंगा मंजिल अपनी 
क्योंकि मेरे भोले की पहचान काफी है ।।

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