काल की गति और आक्रांताओं के कोप से ध्वस्त हुई इस विरासत के खंडहर अब मौन है। दूर-दूर तक फैली पुरा संपदा प्रमाणित करती है कि लगभग एक हजार वर्ष पूर्व यह स्थान समृद्ध और वैभवशाली नगर रहा था, पर अब वो वक्त नही रहा। अब तो खंडहर ही शेष रह गए है।
श्योपुर जिले की कराहल तहसील अतंर्गत गोरस श्यामपुर रोड से तीन किमी अंदर पारम नदी के किनारे डोब कुण्ड स्थित है। सन् 1992-93 में पहली बार डोब कुंड जाने का अवसर मिला। एक लम्बे अरसे बाद अब फिर से जाना हुआ।
घने जंगल के बीच पारम नदी के उदगम स्थल पर कटीली झाड़ियो मे प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच डोब कुण्ड के अवशेष देखे जा सकते है। पर यहां तक पहुँच पाना हर किसी के लिए आसान नही है।
किसी समय यहाँ बने दो विशाल मंदिरों से तमाम मूर्तियांश्योपुर और दूसरे संग्रहालयों भेज दी गई है। कुछ चोरी हो गई है। शेष अवशेष वहीं बिखरे पडे है।
प्रतिहार सत्ता के पतन के बाद ग्वालियर मुरैना श्योपुर शिवपुरी क्षेत्र में चंदेलों के समकालीन एक अन्य राजवंश कच्छपघात का उदय हुआ। पहले ये सामन्त के रूप में शासन करते थे। कालांतर में प्रतिहार शासन के बिखराव का लाभ उठाकर उन्होंने स्वतंत्र सत्ता स्थापित की।
इस वंश की राजधानी मुरैना की तहसील अम्बाह में स्थित सिंहोनिया थी। इस वंश में द्वितीय शासक बज्र दमन था। इस वंश का ग्वालियर क्षेत्र के राजनैतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास में विशिष्ट योगदान है। कालांतर में कच्छपघात वंश में तीन शाखाये हो गई। सिंह पानिया, नरवर एवं डोब कुंड। डोब कुंड शाखा सिहोनिया से आवृजित हुई।
डॉ. हरिहर निवास द्विवेदी के अनुसार सिंह पानिया नरेश बज्र दमन ने जब गांधी नगर के कुछ सदस्यों ने डोब कुंड की शाखा की नींव डाली।
इस शाखा का प्रथम शासक युवराज था। जिसके शासनकाल के बारे में कोई जानकारी प्राप्त नही होती, किन्तु उसके उत्त्तराधिकारी अर्जुन को विक्रामसिहं द्वारा सन 1145 ई में स्थापित डूब कुंड प्रस्तर अभिलेख में उसे चंदेल शासक विद्याधर का करद शासक होना बताया गया है।
अर्जुन के उत्तराधिकारी अभिमन्यु ने सन् 1035 से 1044 ई तक शासन किया। डोब कुंड अभिलेख में उसके पराक्रम का उल्लेख है।
अभिमन्यु का उत्तराधिकारी विजयपाल हुआ। इसका उल्लेख बयाना के अभिलेख में किया गया है। अभिलेख अनुसार अधिराज विजय के साम्राज्य में श्रीपत नामक जैन साधु रहता था।
विजयपाल के बाद विक्रम सिंह डोब कुंड की गद्दी पर बैठा। सन् 1145 ई के किसी शासक के बारे में जानकारी प्राप्त नही है।
ग्वालियर स्टेट गजेटियर के अनुसार इस गैर आबाद गाँव में तालाब किनारे दो मंदिर है। इनमें एक हरि गौरी का है तथा दूसरा खास मंदिर जैनियों का है। इसके तीन तरफ 8 बुर्जिया है। मंदिर और बुर्जियों के दरवाजे पर निहायत उम्दा खुदाई का काम है। तमाम मूर्तिया नंगी है। जिससे मालूम होता है कि यह दिगम्बरी मंदिर है।
यहॉ वालों का खयाल है कि कुछ मंदिर एक मराठा अमर खंडू के जूल्म ज्यादती से खराब हो गया। यहॉ एक खम्बे पर 59 सत्तरों का बडा लम्बा कतबा खुदा है। इस कतबे में कच्छपघात घराने का हाल लिखा है। इसे विक्रमसिंह कच्छपघात ने खुदवाया था।
डोब कुंड का संरक्षरण न हो पाने से यहॉ अब सब कुछ खत्म होने कगार पर है। हम जैसे जुनूनी व्यक्ति के लिय वहॉ कुछ आकर्षण बचा है तो भटकते भटकते इनकी खैर खबर लेने कभी-कभी वहॉ तक पहुँच जाते है।
Sunday, October 6, 2019
बकुण्ड- इमारत कभी बुलंद थी- श्री रूपेश उपाध्याय एसडीएम श्योपुर
पर्यावरण संरक्षण के लिए जैविक कपास को बढ़ावा देने के सभी राजघराने एक मंच पर
दैनिक अयोध्या टाइम्स ब्यूरो, रामपुर| पर्यावरण संरक्षण के लिए जैविक कपास को बढ़ावा देने के सभी राजघराने एक मंच पर आये हैं। मुरादाबाद जनपद की स्योहारा और रामपुर राजघरानों की तरफ से इस दिशा में खास पहल की गई है। गुजरात के बड़ौदा स्थित लक्ष्मी विलास पैलेस में आयोजित राॅयल फेबल्स में आॅर्गेनिक काॅटन का जलवा रहा। शाही घरानों के प्रतिनिधि जैविक कपास के वस्त्रों में नजर आये। पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने बताया कि बड़ौदा की महारानी राधिका राजे गायकवाड की मेहमान नवाजी में तीन दिन चले कार्यक्रमों में मुरादाबाद मंडल की रामपुर व स्योहारा रियासतों को विशेष महत्व मिला। 'रोज़ ट्री' की संस्थापक स्योहारा की कंवरानी कामिनी सिंह ने जैविक कपास को बढ़ावा देने के लिए सभी राजघरानों को उचित मंच प्रदान किया।
नवाब काजिम अली खां ने बताया कि जब सभी राजघरानों के प्रतिनिधि 'रोज़ ट्री' कलेक्शन के साथ सामने आये तो लोग काफी प्रभावित हुए। उन्होंने बताया कि राजघरानों के लोगों को जैविक कपास के वस्त्र पहने देखकर इसका प्रयोग बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि ऑर्गेनिक कॉटन को उन तरीकों और सामग्रियों का उपयोग करके उगाया जाता है, जिनकापर्यावरण पर कम प्रभाव पड़ता है। जैविक उत्पादन प्रणाली मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखती है। जैविक कपास को सिंथेटिक उर्वरकों के उपयोग के बिना उगाया जाता है। जैविक कपास को बढ़ावा मिलना पर्यावरण संरक्षण के लिए अच्छा होगा।कार्यक्रम की सफलता के लिए नवाब काजिम अली खां ने राॅयल फेबल्स संस्थापक अंशु-वरुण खन्ना व लाइमलाइट ज्वैलर्स की पूजा शेठ का आभार व्यक्त किया है।
ना भूसा ना चारा गौ संरक्षण केंद्र
किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए साधक को तन ओर मन दोनों से सामान रूप से तैयार होना चाहिए
Saturday, October 5, 2019
कब तक हमारे देशवासी घिसटती जिन्दगी जीते रहेंगे
एक राजा था जिसकी प्रजा हम भारतीयों की तरह सोई हुई थी !
बहुत से लोगों ने कोशिश की प्रजा जग जाए...
अगर कुछ गलत हो रहा है तो उसका विरोध करे,
लेकिन प्रजा को कोई फर्क नहीं पड़ता था !
राजा ने तेल के दाम बढ़ा दिये, प्रजा चुप रही,राजा ने अजीबो गरीब टैक्स लगाए, प्रजा चुप रही,राजा मनमानी करता रहा लेकिन प्रजा चुप रही,
एक दिन राजा के दिमाग मे एक बात आई उसने एक अच्छे-चौड़ेरास्ते को खुदवा के एक पुल बनाया जबकि वहां पुल की कतई आवश्यकता नहीं थी...
प्रजा फिर भी चुप थी, किसी ने नहीं पूछा के भाई यहाँ तो किसीपुल की जरुरत नहीं है, आप काहे बना रहे है..?
राजा ने अपने सैनिक उस पुल पे खड़े करवा दिए और पुल से गुजरने वाले हर व्यक्ति से टैक्स लिया जाने लगा,
फिर भी किसीने कोई विरोध नहीं किया !
फिर राजा ने अपने सैनिको को हुक्म दिया कि जो भी इस पुल से गुजरे उसको ""4 जूते"" मारे जाए और एक शिकायत पेटी भी पुल पर रखवा दी कि किसी को अगर कोई शिकायत हो तो शिकायत पेटी मे लिख कर डाल दे,
लेकिन प्रजा फिर भी चुप !
राजा रोज़ शिकायत पेटी खोल कर देखता की शायद किसी ने कोई विरोध किया हो, लेकिन उसे हमेशा पेटी खाली मिलती !
कुछ दिनो के बाद अचानक एक चिट्ठी मिली ..
राजा खुश हुआ के चलो कम से कम एक आदमी तो जागा....
जब चिट्ठी खोली गयी तो उसमे लिखा था -
"हुजूर जूते मारने वालों की संख्या बढ़ा दी जाए"...
हम लोगों को घर जाने मे देरी होती है !
ऐसे हो गए हैं हम ....
और हमारा समाज......
एक तनख्वाह से कितनी बार टेक्स दूं और क्यों...जबाब है???
मैनें तीस दिन काम किया,
तनख्वाह ली - टैक्स दिया
मोबाइल खरीदा - टैक्स दिया--'
रिचार्ज किया - टैक्स दिया
डेटा लिया - टैक्स दिया
बिजली ली - टैक्स दिया
घर लिया - टैक्स दिया
TV फ्रीज़ आदि लिये - टैक्स दिया
कार ली - टैक्स दिया
पेट्रोल लिया - टैक्स दिया
सर्विस करवाई - टैक्स दिया
रोड पर चला - टैक्स दिया
टोल पर फिर - टैक्स दिया
लाइसेंस बनाया - टैक्स दिया
गलती की तो - टैक्स दिया
रेस्तरां मे खाया - टैक्स दिया
पार्किंग का - टैक्स दिया
पानी लिया - टैक्स दिया
राशन खरीदा - टैक्स दिया
कपड़े खरीदे - टैक्स दिया
जूते खरीदे - टैक्स दिया
कितबें ली - टैक्स दिया
टॉयलेट गया - टैक्स दिया
दवाई ली तो - टैक्स दिया
गैस ली - टैक्स दिया
सैकड़ों और चीजें ली ओर - टैक्स दिया, कहीं फ़ीस दी, कहीं बिल, कहीं ब्याज दिया, कहीं जुर्माने के नाम पर तो कहीं रिश्वत के नाम पर पैसा देने पड़े, ये सब ड्रामे के बाद गलती से सेविंग मे बचा तो फिर टैक्स दिया----
सारी उम्र काम करने के बाद कोई सोशल सेक्युरिटी नहीं, कोई पेंशन नही, कोई मेडिकल सुविधा नहीं, बच्चों के लिये अच्छे स्कूल नहीं, पब्लिक ट्रांस्पोर्ट नहीं, सड़कें खराब, स्ट्रीट लाईट खराब, हवा खराब, पानी खराब, फल सब्जी जहरीली, हॉस्पिटल महंगे, हर साल महंगाई की मार, आकस्मिक खर्चे व् आपदाएं , उसके बाद हर जगह लाइनें।।।।
सारा पैसा गया कहाँ????
करप्शन में ,
इलेक्शन में ,
अमीरों की सब्सिड़ी में ,
माल्या जैसो के भागने में
अमीरों के फर्जी दिवालिया होने में ,
स्विस बैंकों में ,
नेताओं के बंगले और कारों मे,
और हमें झण्डू बाम बनाने मे।
अब किस को बोलूं कौन चोर है???
आखिर कब तक हमारे देशवासी यूंही घिसटती जिन्दगी जीते रहेंगे?????
राम मंदिर केस पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के आज के दो रोचक द्रश्य..
राम मंदिर केस पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के आज के दो रोचक द्रश्य..
जज- मस्जिद के नीचे दीवारों के अवशेष मिले हैं।
मुस्लिम पक्ष की वकील मीनाक्षी अरोड़ा- वो दीवारें दरगाह की हो सकती हैं।
जज- लेकिन आपका मत तो यह है कि मस्जिद खाली जगह पर बनाई गई थी.. किसी ढ़ांचे को तोड़कर नहीं।
वकील- सन्नाटा
जज- एसआईटी की खुदाई में कुछ मूर्तियां मिली हैं।
वकील- वो बच्चों के खिलौने भी हो सकते हैं।
जज- उनमें वराह(सूअर) की मूर्ति भी मिली है जो हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार थे.. क्या मुसलमानो में सूअर की मूर्ति के साथ खेलने का प्रचलन था.?
वकील- घना सन्नाटा..!!
वेदों में श्रीराम तो हैं ही ...अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि का भी सटीक उल्लेख है !!
वह दृश्य था उच्चतम न्यायलय का ... श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में वादी के रूप में उपस्थित थे धर्मचक्रवर्ती, तुलसीपीठ के संस्थापक, पद्मविभूषण, जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ... जो विवादित स्थल पर श्रीराम जन्मभूमि होने के पक्ष में शास्त्रों से प्रमाण पर प्रमाण दिये जा रहे थे ...
न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति मुसलमान था ...
उसने छूटते ही चुभता सा सवाल किया, "आपलोग हर बात में वेदों से प्रमाण मांगते हैं ... तो क्या वेदों से ही प्रमाण दे सकते हैं कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में उस स्थल पर ही हुआ था?"
जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी (जो प्रज्ञाचक्षु हैं) ने बिना एक पल भी गँवाए कहा , " दे सकता हूँ महोदय", ... और उन्होंने ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से उद्धरण देना शुरू किया जिसमें सरयू नदी के स्थानविशेष से दिशा और दूरी का बिल्कुल सटीक ब्यौरा देते हुए श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है ।
कोर्ट के आदेश से जैमिनीय संहिता मंगाई गई ... और उसमें जगद्गुरु जी द्वारा निर्दिष्ट संख्या को खोलकर देखा गया और समस्त विवरण सही पाए गए ... जिस स्थान पर श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है ... विवादित स्थल ठीक उसी स्थान पर है ...
और जगद्गुरु जी के वक्तव्य ने फैसले का रुख हिन्दुओं की तरफ मोड़ दिया ...
मुसलमान जज ने स्वीकार किया , " आज मैंने भारतीय प्रज्ञा का चमत्कार देखा ... एक व्यक्ति जो भौतिक आँखों से रहित है, कैसे वेदों और शास्त्रों के विशाल वाङ्मय से उद्धरण दिये जा रहा था ? यह ईश्वरीय शक्ति नहीं तो और क्या है ?"
अब कोई ये मत कहना कि वेद तो श्रीराम के जन्म से पहले अस्तित्व में थे ... उनमें श्रीराम का उल्लेख कैसे हो सकता है?
वेदों के मंत्रद्रष्टा ऋषि त्रिकालज्ञ थे -- भूत, भविष्य और वर्तमान, तीनों का ज्ञान रखते थे ...
( श्रीराम की महिमा तीनों कालों में है -- कालाबाधित ... लोकविश्रुत ...)
llचहुँ जुग चहुँ श्रुति नाम प्रभाऊll
llकलि विशेष नहिं आन उपाऊ ll
Friday, October 4, 2019
डायबिटीज होने का कारण और कम करने का उपाय
जल्दी-जल्दी पेशाब आना और पेशाब में चीनी आना शुरू हो जाती है और रोगी का वजन कम होता जाता है। शरीर में कहीं भी जख्मध्घाव होने पर वह जल्दी नहीं भरता। तो ऐसी स्थिति में हम क्या करें? राजीव भाई की एक छोटी सी सलाह है कि आप इन्सुलिन पर ज्यादा निर्भर ना करे क्योंकि यह इन्सुलिन डायबिटीज से भी ज्यादा खतरनाक है, साइड इफेक्ट्स बहुत है इसके । इस बीमारी के घरेलू उपचार निम्न लिखित हैं।
आयुर्वेद की एक दवा है जो आप घर में भी बना सकते है - 100 ग्राम मेथी का दाना - 100 ग्राम करेले के बीज - 150 ग्राम जामुन के बीज - 250 ग्राम बेल के पत्ते (जो शिव जी को चढाते है )
इन सबको धुप में सुखाकर पत्थर में पिसकर पाउडर बना कर आपस में मिला ले यही औषधि है ।
औषधि लेने की पद्धति रू सुबह नास्ता करने से एक घंटे पहले एक चम्मच गरम पानी के साथ ले, फिर शाम को खाना खाने से एक घंटे पहले ले। तो सुबह शाम एक एक चम्मच पाउडर खाना खाने से पहले गरम पानी के साथ आपको लेना है । देड दो महीने अगर आप ये दवा ले लिया । ये औषधि बनाने में 20 से 25 रूपया खर्च आएगा और ये औषधि तीन महिने तक चलेगी और उतने दिनां में आपकी सुगर ठीक हो जाएगी । सावधानी - सुगर के रोगी ऐसी चीजे ज्यादा खाए जिसमे फाइबर हो रेशे ज्यादा हो, भ्पही थ्पइमत स्वू थ्ंज क्पमज घी तेल वाली डायेट कम हो और फाइबर वाली ज्यादा हो रेशेदार चीजे ज्यादा खाए। सब्जिया में बहुत रेशे है वो खाए, डाल जो छिलके वाली हो वो खाए, मोटा अनाज ज्यादा खाए, फल ऐसी खाए जिनमे रेशा बहुत है । - चीनी कभी ना खाए, डायबिटीज की बीमारी को ठीक होने में चीनी सबसे बडी रुकावट है। लेकिन आप गुड खा सकते है । - दूध और दूध से बनी कोई भी चीज नही खाना । - प्रेशर कुकर और अलुमिनम के बर्तन में ना ना बनाए । - रात का खाना सर्यास्त के पूर्व करना होगा । जो डायबिटीज आनुवंशिक होतें है वो कभी पूरी ठीक नही होता सिर्फ कण्ट्रोल होता है उनको ये दवा पूरी जिन्दगी खानी पडेगी, पर जिनको आनुवंशिक नही है उनका पूरा ठीक होता है ।
तीसरा चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की तैयारियां जोरो पर
12-14 अक्टूबर 2019 को 'फिल्म लैंड' में जुटेंगी तमाम शख्सियतें
पं. परशुराम द्विवेदी पी जी कालेज, जगम्मनपुर के सभागार में होगा जमावड़ा
औरैया | के. आसिफ चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के तीसरे संस्करण का आयोजन पं. परशुराम द्विवेदी पी जी कालेज, जगम्मनपुर के सभागार में आयोजित किया जा रहा है। तीन दिवसीय यह आयोजन आगामी 12-14 अक्टूबर के बीच चंबल घाटी के बीचो बीच होगा। जिसमें देश-विदेश में बनी सरोकारी फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी साथ ही विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम किये जाएंगे। फिल्म फेस्टिवल का उद्धाटन दिन में 12 बजे से होगा। फिल्म फेस्टिवल की तैयारी को लेकर इटावा, औरैया, जालौन के बीहड़ी गांवो में सघन जनसंपर्क किया जा रहा है।
दुनियां की 150 भाषाओं में गजल गाकर तीन बार गिनिज बुक में अपना नाम दर्ज कराने वाले डा. गजल श्रीनिवास चंबल गीत का वीडियो वर्जन ला रहे हैं। चंबल गीत की वीडियो उद्घाटन समारोह में दर्शको को दिखाई जाएगी। डा. श्रीनिवास पांच नदियों के संगम पचनदा पर 12 अक्टूबर की शाम को 5:30 पर चंबल गीत का लाईव कंसर्ट करेंगे। चंबल गीत अपनी बानगी में सुघड़ बन पड़ा है। गीत मधुर और ओज का संगम है। उसके कथ्य में चंबल की भावभूमि है, तो इतिहास और संस्कृति की झलक भी। गीत में वाद्ययंत्रों के अपूर्व संयोजन से, चम्बल की धारा का कलकल निनाद और उसके कूल-कछारों में पंछियों की चहचहाहट का जो प्रभाव उत्पन्न किया गया है वह गीत को और भी जीवन्त बनाता है। इस गीत को चंबल की संपूर्ण की अवाम को समर्पित किया गया है।
अयोध्या और कारगिल में सबसे पहले फिल्म समारोहो की नींव रखने वाले प्रसिद्ध दस्तावेजी फिल्म निर्माता शाह आलम ने कहा कि देश के सबसे बड़े गुप्त क्रांतिकारी दल 'मातृवेदी' का दस्तावेजीकरण करने के लिए चंबल के बीहड़ों में 2800 किमी से अधिक साइकिल से दौरा किया था। शाह आलम ने कहा कि के. आसिफ के सिनेमा के प्रति दिवानगी और जुनुन ने प्रभावित किया और मलाल भी हुआ कि यह काम सरकारो को करना चाहिए था लेकिन उन्होने कुछ नही किया। लिहाजा उनकी यादें संजोने के लिए चंबल घाटी में अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह की श्रृंखला शुरु कर दी। दिन-ब दिन तमाम अड़चनो के बाद भी यह कांरवा आगे बढ़ता जा रहा है।
गौरतलब है कि हिंदी सिनेमा को माइलस्टोन फ़िल्म देने वाले डायरेक्टर के आसिफ के 97 वें जन्मदिन से पहले गोवा मुक्ति आंदालन के प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कृष्ण चन्द्र सहाय ने लखनऊ में पोस्टर को जारी किया था। वो इस फेस्टिवल को लेकर खासे उत्साहित हैं। दरअसल चम्बल घाटी शांति मिशन के संयोजक रहे कृष्ण चन्द्र सहाय ने चंबल घाटी में बिनोवा जी और जयप्रकाश नारायण के बाद के 651 बागियों के आत्म समर्पणों के जीवंत दस्तावेज हैं।
लेखक अभिमन्यु शुक्ला औरैया उत्तर प्रदेश
Thursday, October 3, 2019
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
सिंह की सवार बनकर
रंगों की फुहार बनकर
पुष्पों की बहार बनकर
सुहागन का श्रंगार बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
खुशियाँ अपार बनकर
रिश्तों में प्यार बनकर
बच्चों का दुलार बनकर
समाज में संस्कार बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
रसोई में प्रसाद बनकर
व्यापार में लाभ बनकर
घर में आशीर्वाद बनकर
मुँह मांगी मुराद बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
संसार में उजाला बनकर
अमृत रस का प्याला बनकर
पारिजात की माला बनकर
भूखों का निवाला बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी बनकर
चंद्रघंटा, कूष्माण्डा बनकर
स्कंदमाता, कात्यायनी बनकर
कालरात्रि, महागौरी बनकर
माता सिद्धिदात्री बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
तुम्हारे आने से नव-निधियां
स्वयं ही चली आएंगी
तुम्हारी दास बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
सत्य और न्याय ही पत्रकारिता का पहला कर्तव्य :- तिवारी
दैनिक अयोध्या टाइम्स संवाददाता, रामपुर- तीन दिवसीय कार्यक्रम के तहत दैनिक अयोध्या टाइम्स के सह संपादक एसके तिवारी के प्रथम बार रामपुर आगमन पर स्वागत अभिनंदन किया गया। सह संपादक इसके तिवारी के प्रथम रामपुर आगमन पर ब्यूरो चीफ सैयद फैजान अली की टीम ने स्वागत किया। सह संपादक एसके तिवारी बाजार नसरुल्लाह खान स्थित दैनिक अयोध्या टाइम्स के कार्यालय पहुंचे। जहां उन्होंने रामपुर की पूरी टीम का परिचय लिया। इस मौके पर सह संपादक एसके तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता समाज की सेवा है। आम जनता की आवाज बनकर हम लोग सरकार को अवगत कराते हैं। और सरकार की आवाज बनकर कर आम जनता तक पहुंचाते हैं। यही पत्रकारिता है। जनता को न्याय दिलाना पत्रकार की पहली प्राथमिकता है। दैनिक अयोध्या टाइम्स के कार्यालय पर उन्होंने रामपुर की राजनीति पर चर्चा की साथ ही देश के राजनीतिक हालातों पर चर्चा की और भविष्य में होने वाली कार्यक्रमों से भी अवगत कराया।सभी लोगों से मेहनत और लगन से कार्य करने का आवाहन किया। सह संपादक एसके तिवारी ने रामपुर से जुड़ी प्राचीन इमारतों और धरोहर को देखा समझा। उनके बारे में जानकारी जुटाई। तीन दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम रूप में एसके तिवारी ने रामपुर की टीम को भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए। लखनऊ के लिए रवाना हो गए। इस मौके पर ब्यूरो चीफ फैजान अली, वरिष्ठ पत्रकार शाहबाज खान,पत्रकार हुमा बी, एडिटर शिवओम कुमार, एडवर्टाइजमेंट अदीबा खान, फोटोग्राफर सारिक याकूब , साहब खा आदि लोग उपस्थित रहे।
मंत्री क्या पटवारी भी रिश्वतखोर
चलिए कई दिनों बाद किसी मंत्री ने शिष्टाचार की बात कही है। सुनकर अच्छा लगा कि जनता के साथ-साथ नुमाइंदे भी व्यवस्था की व्यथा से ग्रसित है। तभी तो लगाम लगाने के लिए भ्रष्टाचार पर तंज कस रहे हैं। वह भी रिश्वत जैसी अमरबेली महामारी के हद दर्जे की आफत से कुंठित होकर। वाकई में मध्य प्रदेश के एक नामी उच्च शिक्षित मंत्री बधाई के पात्र जिन्होंने रिश्वत को रुखसत करने का साहस सुनाया। रणभेरी में भ्रष्टाचार मुक्त भारत की शुरुआत मध्य प्रदेश की सरजमीं से होने जा रही है, जिसके प्रवक्ता ये मंत्री जी बने। माननीय ने सार्वजनिक मंच से अपनी ही सरकार के अधीनस्थ सभी शासकीय पटवारियों को रिश्वतखोर बताया।
बयान मे दम है तो स्थिति अनियंत्रित, चिंता जनक और कार्रवाई दायक है। फिर देर किसलिए सरकार फौरन रिश्वत के आकंठ में डूबे जमीन का हिसाब किताब रखने वाले पटवारियों की धर पकड़ कर कठघरे में डाल दें किसने रोका है। जब सबूत स्वयं सरकार के पास है तो ऐसे लूटखोर बेखौफ क्यों है संकीचों के पीछे क्यों नहीं? कार्रवाई न होना शंका को जन्म देता है? इसका जवाब भी इन जनाब को देना चाहिए तभी असलियत जनता के सामने आएगी। नहीं तो यह समझा जाए कि बड बोलापन, बोल वचन के अलावा कुछ नहीं हैं। इसीलिए जबान के बाद कलम चलाने में गुरेज हो रही हैं। उधेड़बून, जब सरकारी नियंत्रणी जमीनी पटवारी रिश्वत की भरमार से सराबोर है तो पूरा प्रशासनिक तंत्र और शासन के रहनुमा क्या कर रहे हैं? रखवाली! हिस्सेदारी! कहीं इनकी भी भागीदारी बराबर की तो नहीं है?
अगर ऐसा है तो यह सरासर नाइंसाफी है साहब! पटवारियों की आड़ में अपनी कमजोरी छुपाने और सुर्खियां बटोरने वाले भद्दे मजाक से काम नहीं चलने वाला। कुछेक रिश्वतखोर पटवारियों के नाम पर सभी पटवारियों को घसीटना कदाचित ठीक नहीं है। ऐसा ही है तो मंत्रियों की रिश्वतखोरी की लंबी फेहरिस्त है कई अंदर और कई बाहर अदालत के चक्कर लगा रहे हैं। फिर यह नियम मंत्रियों के लिए भी लागू होना चाहिए कि सभी मंत्री भी ………. हैं। या कुछ और। ऐसा कहने का साहस जुटा पाएंगे मंत्री जी? तब हम गर्व से कह सकेंगे आपके राज में मंत्री और संत्रियों के लिए बराबर न्याय है। रही! रिश्वतखोरी इस मामले में चुनिंदा पटवारियों के मुकाबले दलदल में डूबे मंत्रियों की काली कमाई बेशुमार है। आए दिन इसकी खोज-खबर देखने, सुनने और पढ़ने मिल जाना आम बात है। बानगी, हर 5 साल में मलाई के जमात में शामिल नेताओं की आय में 100 गुना तक बढ़ोतरी हो जाना किसी से छुपी नहीं है। बावजूद इसके ना जाने क्यों पटवारियों के पीछे पटवारी हाथ धोखे के पीछे पड़े हुए है। वजह कुछ भी हो लेकिन एक ही चश्मे से सब को देखना कहां से तर्क संगत है। अनर्गल बयान का असर यह हुआ कि प्रदेश के पटवारी 3 दिन के सामूहिक अवकाश पर चले गए। यदि मंत्री ने पटवारियों से सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगी तो अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे। पटवारियों ने जिला कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपकर अपने इरादे जता दिए हैं। मामले पर पटवारियों ने कहा की इससे हमारे मान-सम्मान-स्वाभिमान और अस्मिता को ठेस पहुंची। तुगलकी बयान से पटवारियों को मानसिक आघात, मनोबल टूटना और अपमानित महसूस करना लाजमी हैं। सोचनिए! गर सभी पटवारी मिलकर एक मंत्री के बारे में टिप्पणी कर देते तो इनका क्या हश्र होता अलकल्पनीय है।यहां यह ना भूले के मंत्रियों और अफसरों की आवभगत में यही पटवारी दिन रात सर्किट हाउसों की रखवाली करते हैं। साथ ही मनपसंद की सवारी, लजीज भोजन और सामग्रियों की व्यवस्था पटवारियों के माथे आला अधिकारी जड़ देते हैं। अमला अपने कामों के अलावे घटना-दुर्घटना, आफत-राहत, धरना-आंदोलन, तीज-त्योहारों और आयोजन-महोत्सव में जुटा रहता है। ऐसे में इन सभी को अपनी नजरों से रिश्वतखोर बता देना एक जिम्मेदार मंत्री को शोभा नहीं देता। हां! जो भ्रष्ट व गैर जिम्मेदार चाहे पटवारी हो या अफसर, नेता किवां मंत्री-मुख्यमंत्री और कोई भी हो उसे हर हाल में बख्शा नहीं जाना चाहिए। इसी कदम ताल की देश के जवान-मजदूर-किसान और हर इंसान को बरसों से दरकार है। अब, देखना है यह कब तलक मुकम्मल होती है।
Wednesday, October 2, 2019
आओ हम सब मिलकर के प्लास्टिक मुक्त भारत की संरचना करें
वर्तमान अर्थ के इस युग में अर्थ अर्जन की आपाधापी में आधुनिक समाज में प्लास्टिक मानव-शत्रु के रूप में उभर रहा है। समाज में फैले आतंकवाद से तो छुटकारा पाया जा सकता है, किंतु प्लास्टिक से छुटकारा पाना अत्यंत कठिन है, क्योंकि आज यह हमारे दैनिक उपयोग की वस्तु बन गया है। आंख खुलते ही शुरू होने वाला प्लास्टिक का उपयोग रात की नींद के साथ ही बंद होता है| गृहोपयोगी वस्तुओं से लेकर कृषि, चिकित्सा, भवन-निर्माण, विज्ञान सेना, शिक्षा, मनोरंजन, अंतरिक्ष, अंतरिक्ष कार्यक्रमों और सूचना प्रौद्योगिकी आदि में प्लास्टिक का उपयोग बढ़-चढ़कर हो रहा है।स्वार्थी एवं उपभोक्तावादी मानव ने प्रकृति यानि पर्यावरण को पॉलीथीन के अंधाधुंध प्रयोग से जिस तरह प्रदूषित किया और करता जा रहा है उससे सम्पूर्ण वातावरण पूरी तरह आहत हो चुका है विकास की कीमत प्रकृति का किस स्तर तक नुकसान करके मानव चुकाएगा यह कह पाना बड़ा मुश्किल है| प्लास्टिक विदेशी से घिरा मानव कहीं प्रकृति और खुद के अस्तित्व को नष्ट ही ना कर ले |आज के भौतिक युग में पॉलीथीन के दूरगामी दुष्परिणाम एवं विषैलेपन से बेखबर हमारा समाज इसके उपयोग में इस कदर आगे बढ़ गया है मानो इसके बिना उनकी जिंदगी अधूरी है, जाने अनजाने मानव ने अपने जीवन में एक खतरनाक विष का जाल बना लिया है जिसमें कीड़े मकोड़े की तरह हम खुद ही फस कर उलझने को विवश हो रहे हैं | प्लास्टिक का उपयोग करना तो बहुत आसान है परंतु उसका निस्तारण , उपयोग करने के बाद सही तरीके से कर पाना बहुत ही मुश्किल साबित हो रहा है | सही तरीके से निस्तारित ना होने पर प्लास्टिक कचरा हमारे जमीनों की उर्वरा शक्ति कम कर रहा है । ऐसे खेतों में पड़ने वाले बीज अंकुरित ही नहीं होते , यदि प्लास्टिक कचरा पॉलीथिन के रूप में नालियों में फेंका जाता है। तो वह नाली और नाले को अवरुद्ध करता है , प्लास्टिक थैली में फेंका गया जूठन हमारे पशुओं में कैंसर फैला रहा है |हिमालय की वादियों से लेकर समुद्र की गहराइयों तक हर जगह उचित निस्तारण व्यवस्था ना होने के कारण प्लास्टिक कचरा फैला पड़ा है जिससे प्रकृति का पर्यावरण चक्र बिगड़ने को विवश हो रहा है ।
कुछ विकसित देशों में प्लास्टिक के रूप में निकला कचरा फेंकने के लिए खास केन जगह जगह रखी जाती हैं। इन केन में नॉन-बॉयोडिग्रेडेबल कचरा ही डाला जाता है। असलियत में छोटे से छोटा प्लास्टिक भले ही वह चॉकलेट का कवर ही क्यों न हो बहुत सावधानी से फेंका जाना चाहिए। क्योंकि प्लास्टिक को फेंकना और जलाना दोनों ही समान रूप से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। प्लास्टिक जलाने पर भारी मात्रा में केमिकल उत्सर्जन होता है जो सांस लेने पर शरीर में प्रवेश कर श्वसन प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसे जमीन में फेंका जाए या गाड़ दिया जाए या पानी में फेंक दिया जाए, इसके हानिकारक प्रभाव कम नहीं होते और प्रकृति के विभिन्न प्रकार के चक्रों को अनियमित करते हैं सो अलग|
वर्तमान समय को यदि पॉलीथीन अथवा प्लास्टिक युग के नाम से जाना जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। हमने शायद इतिहास में विभिन्न सभ्यता देखी कांस्य युगीन सभ्यता , लौह युग ,और अब हम प्लास्टिक युग में विचरण कर रहे हैं अन्य सभ्यताओं ने मानव को विकसित किया परंतु प्रकृति को नष्ट नहीं किया और आज का प्लास्टिक योग हमारे अस्तित्व से ही खिलवाड़ करने में लगा हुआ है| आज सम्पूर्ण विश्व में यह पॉली अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान बना चुका है और दुनिया के सभी देश इससे निर्मित वस्तुओं का किसी न किसी रूप में प्रयोग कर रहे हैं। सोचनीय विषय यह है कि सभी इसके दुष्प्रभावों से अनभिज्ञ हैं या जानते हुए भी अनभिज्ञ बने जा रहे हैं।
पॉलीथीन एक प्रकार का जहर है जो पूरे पर्यावरण को नष्ट कर देगा और भविष्य में हम यदि इससे छुटकारा पाना चाहेंगे तो हम अपने को काफी पीछे पाएँगे और तब तक सम्पूर्ण पर्यावरण इससे दूषित हो चुका होगा। हमने अपने आने वाली पीढ़ियों को जहरीली हवा ,पानी और भोजन के अतिरिक्त जहर घोलकर पर्यावरण भी दिया है|
आज सुबह के टूथपेस्ट से शुरू होकर प्लास्टिक का सफर घर में पूजा स्थल से रसोईघर, स्नानघर, बैठकगृह तथा पठन-पाठन वाले कमरों बच्चों के स्कूल बैग तक के उपयोग में आने लग गई है। यही नहीं यदि हमें बाजार से कोई भी वस्तु जैसे राशन, फल, सब्जी, कपड़े, जूते यहाँ तक तरल पदार्थ जैसे दूध, दही, तेल, घी, फलों का रस इत्यादि भी लाना हो तो उसको लाने में पॉलीथीन का ही प्रयोग हो रहा है। आज के समय में फास्ट फूड का काफी प्रचलन है जिसको भी पॉली में ही दिया जाता है आजकल अक्सर आप ट्रेन से सफर करते हैं तो खिड़की से बाहर देखने पर चमकीली प्लास्टिक के रैपर दूर तक चमकते हुए दिखाई देते हैं, आज मनुष्य पॉली का इतना आदी हो चुका है कि वह कपड़े या जूट के बने थैलों का प्रयोग करना ही भूल गया है| हम प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करें इसके लिए सरकार को हमारे ऊपर तथा प्लास्टिक बेचने वालों पर अर्थदंड लगाना पड़ रहा है| विकास की अंधी दौड़ में हम इतने खो चुके हैं कि हमें अपना अस्तित्व ही नष्ट होता नहीं दिखाई दे रहा आप कल्पना करें भारत में 50% प्लास्टिक एक बार इस्तेमाल होने के बाद फेंक दी जाती है अक्सर इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक बैग खतरनाक केमिकल जायलेन, एथिलीन ऑक्साइड , बेंजीन जैसे केमिकल से मिलकर बनते हैं इनमें रखा हुआ खाना भी प्रदूषित ही नहीं समय के साथ विषैला भी हो जाता है और इस तरह के प्लास्टिक को यदि हम जमीन में दफनाते हैं तो वह जमीन पानी में फेंकते हैं तो वह पानी और कचड़े के रूप में फेंका गया पॉलिथीन तो हजारों सालों तक नष्ट नहीं होता प्लास्टिक कि नॉन बायोडिग्रेडेबल प्रवृत्ति ही हमारे लिए सबसे खतरनाक है|
प्रकृति और मानव अनादिकाल से सहचर के भाव में जीवन यापन करते रहे हैं आज वर्तमान समय की महती आवश्यकता है कि हम पहले तो अपने दिनचर्या में प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करें और यदि करें तो यह ध्यान रखें कि वह प्लास्टिक reused, recycled आसानी से की जा सके और धीरे-धीरे यह उपयोग कम से कम कर किए जा सके |आइए सरकार की मंशा के साथ शामिल होते हुए हम सब भी 2 अक्टूबर 2019 को यह शपथ ले कि अपने जीवन में प्रयोग होने वाली ज्यादा से ज्यादा प्लास्टिक की वस्तुओं का त्याग करेंगे और कुछ नहीं तो कम से कम प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर करना हम मनुष्यों का परम कर्तव्य है अगर प्रकृति हमारी रक्षा करती है तो आज की महती आवश्यकता है कि हम अपनी प्रकृति की रक्षा करें| एक प्रयास प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने का......
लेखक--अभिमन्यु शुक्ला
सफल होने के 60 मंत्र
1:- जीवन में वो ही व्यक्ति असफल होते है, जो सोचते है पर करते नहीं ।
2 :- भगवान के भरोसे मत बैठिये क्या पता भगवान आपके भरोसे बैठा हो…
3 :- सफलता का आधार है सकारात्मक सोच और निरंतर प्रयास !!!
4 :- अतीत के ग़ुलाम नहीं बल्कि भविष्य के निर्माता बनो…
5 :- मेहनत इतनी खामोशी से करो की सफलता शोर मचा दे…
6 :- कामयाब होने के लिए अकेले ही आगे बढ़ना पड़ता है, लोग तो पीछे तब आते है जब हम कामयाब होने लगते है.
7 :- छोड़ दो किस्मत की लकीरों पे यकीन करना, जब लोग बदल सकते हैं तो किस्मत क्या चीज़ है…
8 :- यदि हार की कोई संभावना ना हो तो जीत का कोई अर्थ नहीं है…
9 :- समस्या का नहीं समाधान का हिस्सा बने…
10 :- जिनको सपने देखना अच्छा लगता है उन्हें रात छोटी लगती है और जिनको सपने पूरा करना अच्छा लगता है उनको दिन छोटा लगता है…
11 :- आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते पर आप अपनी आदतें बदल सकते है और निशचित रूप से आपकी आदतें आपका भविष्य बदल देगी !
12 :- एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जानें के बाद दूसरा सपना देखने के हौसले को ज़िंदगी कहते है !!!
13 :- वो सपने सच नहीं होते जो सोते वक्त देखें जाते है, सपने वो सच होते है जिनके लिए आप सोना छोड़ देते है…
14 :- सफलता का चिराग परिश्रम से जलता है !!!
15 :- जिनके इरादे बुलंद हो वो सड़कों की नहीं आसमानो की बातें करते है…
16 :- सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं…
17 :- मैं तुरंत नहीं लेकिन निश्चित रूप से जीतूंगा…
18 :- सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगें लोग…
19 :- आशावादी हर आपत्तियों में भी अवसर देखता है और निराशावादी बहाने !!!
20 :- आप में शुरू करने की हिम्मत है तो, आप में सफल होने के लिए भी हिम्मत है…
21 :- सच्चाई वो दिया है जिसे अगर पहाड़ की चोटी पर भी रख दो तो बेशक रोशनी कम करे पर दिखाई बहुत दूर से भी देता है.
22 :- संघर्ष में आदमी अकेला होता है, सफलता में दुनिया उसके साथ होती है ! जिस जिस पर ये जग हँसा है उसी उसी ने इतिहास रचा है.
23 :- खोये हुये हम खुद है और ढूढ़ते ख़ुदा को है !!!
24 :- कामयाब लोग अपने फैसले से दुनिया बदल देते है और नाकामयाब लोग दुनिया के डर से अपने फैसले बदल लेते है…
25 :- भाग्य को और दूसरों को दोष क्यों देना जब सपने हमारे है तो कोशिशें भी हमारी होनी चाहियें !!!
26 :- यदि मनुष्य सीखना चाहे तो उसकी प्रत्येक भूल उसे कुछ न कुछ सिखा देती है !!!
27 :- झूठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते है तरक्की के बाज़ की उड़ान में कभी आवाज़ नहीं होती…
28 :- समस्या का सामना करें, भागे नहीं, तभी उसे सुलझा सकते हैं…
29 :- परिवर्तन से डरना और संघर्ष से कतराना मनुष्य की सबसे बड़ी कायरता है.
30 :- सुंदरता और सरलता की तलाश चाहे हम सारी दुनिया घूम के कर लें लेकिन अगर वो हमारे अंदर नहीं तो फिर सारी दुनिया में कहीं नहीं है.
31 :- ना किसी से ईर्ष्या ना किसी से कोई होड़, मेरी अपनी मंज़िलें मेरी अपनी दौड़…
32 :- ये सोच है हम इंसानों की कि एक अकेला क्या कर सकता है, पर देख ज़रा उस सूरज को वो अकेला ही तो चमकता है !!!
33 :- लगातार हो रही सफलताओं से निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि कभी कभी गुच्छे की आखिरी चाबी भी ताला खोल देती है…
34 :- जल्द मिलने वाली चीजें ज्यादा दिन तक नहीं चलती और जो चीजें ज्यादा दिन तक चलती है वो जल्दी नहीं मिलती है.
35 :- इंसान तब समझदार नहीं होता जब वो बड़ी बड़ी बातें करने लगे, बल्कि समझदार तब होता है जब वो छोटी छोटी बातें समझने लगे…
36 :- सेवा सभी की करना मगर आशा किसी से भी ना रखना क्योंकि सेवा का वास्तविक मूल्य नही दे सकते है,
37 :- मुश्किल वक्त का सबसे बड़ा सहारा है “उम्मीद” !! जो एक प्यारी सी मुस्कान दे कर कानों में धीरे से कहती है “सब अच्छा होगा” !!
38 :- दुनिया में कोई काम असंभव नहीं, बस हौसला और मेहनत की जरुरत है !!!
39 :- वक्त आपका है चाहे तो सोना बना लो और चाहे तो सोने में गुजार दो, दुनिया आपके उदाहरण से बदलेगी आपकी राय से नहीं…
40 :- बदलाव लाने के लिए स्वयं को बदले…
41 :- सफल व्यक्ति लोगों को सफल होते देखना चाहते है, जबकि असफल व्यक्ति लोगों को असफल होते देखना चाहते है…
42 :- घड़ी सुधारने वाले मिल जाते है लेकिन समय खुद सुधारना पड़ता है !!!
43 :- दुनिया में सब चीज मिल जाती है केवल अपनी ग़लती नहीं मिलती…
44 :- क्रोध और आंधी दोनों बराबर… शांत होने के बाद ही पता चलता है की कितना नुकसान हुवा…
45 :- चाँद पे निशान लगाओ, अगर आप चुके तो सितारों पे तो जररू लगेगा !!!
46 :- गरीबी और समृद्धि दोनों विचार का परिणाम है…
47 :- पसंदीदा कार्य हमेशा सफलता, शांति और आनंद ही देता है…
48 :- जब हौसला बना ही लिया ऊँची उड़ान का तो कद नापना बेकार है आसमान का…
49 :- अपनी कल्पना को जीवन का मार्गदर्शक बनाए अपने अतीत को नहीं…
50 :- समय न लागओ तय करने में आपको क्या करना है, वरना समय तय कर लेगा की आपका क्या करना है.
51 :- अगर तुम उस वक्त मुस्कुरा सकते हो जब तुम पूरी तरह टूट चुके हो तो यकीन कर लो कि दुनिया में तुम्हें कभी कोई तोड़ नहीं सकता !!!
52 :- कल्पना के बाद उस पर अमल ज़रुर करना चाहिए। सीढ़ियों को देखते रहना ही पर्याप्त नहीं है, उन पर चढ़ना भी ज़रुरी है।
53 :- हमें जीवन में भले ही हार का सामना करना पड़ जाये पर जीवन से कभी नहीं हारना चाहिए…
54 :- सीढ़ियां उन्हें मुबारक हो जिन्हें छत तक जाना है, मेरी मंज़िल तो आसमान है रास्ता मुझे खुद बनाना है !!!
55 :- हजारों मील के सफ़र की शुरुआत एक छोटे कदम से होती है…
56 :- मनुष्य वही श्रेष्ठ माना जाएगा जो कठिनाई में अपनी राह निकालता है ।
57 :- पुरुषार्थ से असंभव कार्य भी संभव हो जाता है…
58 :- प्रतिबद्ध मन को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है, पर अंत में उसे अपने परिश्रम का फल मिलेगा ।
59 :- असंभव समझे जाने वाला कार्य संभव करके दिखाये, उसे ही प्रतिभा कहते हैं ।
60 :- आने वाले कल को सुधारने के लिए बीते हुए कल से शिक्षा लीजिए…