Tuesday, May 11, 2021

कोरोना महामारी की गांवों में तीव्रता से दस्तक - संक्रमण फैलने से रोकने महायुद्ध स्तर पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना जरूरी

भारत गांव प्रधान देश है गांव में कोविड-19 इलाज का सुचारू प्रबंधन, झोलाछाप चिकित्सकों पर सख्त कार्यवाही, टीकाकरण, जनजागरण अभियान जरूरी - एड किशन भावनानी

गोंदिया - वैश्विक रूप से मानव को तीव्रता से संक्रमित कर रही कोरोना महामारी के अब सिम्टम्स पर भी नियंत्रण नहीं रहा।बड़ी तेजी से सिम्टम्स का बदलना, वैश्विक रूप से बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। 2020 में जिसके कुछ सीमित सिम्टम्स से लेकिन अब 2021 में इस महामारी ने भयंकर तांडव मचाते हुए अपने सिम्टम्स में विशालता लाकर विस्तृत परिक्षेत्र में समायोजित कर मानव को घेर रही है जिसमें मानव उसको पता ही नहीं चल पाता और उसके फेफड़े संक्रमित हो चुके होते हैं।....बात अगर हम भारत की करें तो यह एक गांव प्रधान देश है हमारी करीब 70 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में रहती है। भारत में 2020 और 2021 की शुरुआत में कोरोना संक्रमण का प्रभाव शहरी क्षेत्र में अधिक फैला हुआ था। 2021 की शुरुआत में ही माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने जनता के नाम अपने संदेश में कहा था कि हमें ग्रामीण भारत को कोरोना से बचाना होगा कोरोना संक्रमण के कारण शहरों के अस्पतालों की हालात देखकर अब हर किसी को गांवों में फैल रहे संक्रमण की चिंता है, गांवों में शहरों की तरह अस्पताल नहीं है, लोगों के पास आवाजाही से साधन नहीं है, जिससे आने वाले समय में यह और अधिक समस्या खड़ी कर सकता है और वर्तमान जिस तरह से अनेक राज्यों से आंकड़े आ रहे हैं उसमें ग्रामीण क्षेत्र के भी आंकड़े बहुत तादाद में हैं जिसके लिए हम सभी नागरिक, शासन, प्रशासन, नेता, राजनीति के सभी कहीं ना कहीं कसूरवार हैं। हम सब ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। पांच राज्यों के चुनाव हो या यूपी के पंचायती चुनाव हो या अन्य प्रदेशों के खाली सीटों के चुनाव हो हमने रैलियां, रोडशो, जनसभाओं में जनता के हुजूम देखें, टीवी चैनलों पर बार-बार कोविड-19  नियमों का उल्लंघन करते हुए हमने देखा। चुनावी क्षेत्रों की ग्राउंड रिपोर्ट हम सब ने  देखी और नतीजा आज हमारे सामने है कि ग्रामीण क्षेत्रों मैं भी कोरोना महामारी ने अपने पैर पसारना शुरू कर दिया है।....बात अगर हम संक्रमण को फैलने से रोकने की करें तो अभी भी स्थिति बेकाबू नहीं हुई है। अब जरूरत है संक्रमण को रोकने के लिए महायुद्ध स्तर पर मेडिकल प्रबंधन, भ्रांतियों को रोकना, इलाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना, तात्कालिक तीव्रता से टीकाकरण अभियान चलाकर गांव वासियों को जागृत करना, गांव स्तर तक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को पहुंचाना, जिला प्रशासन स्तर पर मेडिकल मानवीय संसाधनों को संविदात्मक स्तर पर सेवा के लिए नए लोगों को हायर कर गांव में नियुक्त करना, झोलाछाप चिकित्सकों पर नकेल कसना, इत्यादि सभी उपाय तात्कालिक प्राथमिकता से लागू करवाने के आदेश केंद्रीय या राज्य स्तर पर स्वास्थ्य मंत्रालय को जारी करना चाहिए। वैसे यह परंपरा रही है कि चिकित्सीय क्षेत्र राज्यों के अंतर्गत रहता है। टीवी चैनलों द्वारा हमेंने देखें कि कोरोना महामारी के इलाज के लिए मनमाने तरीके के उपचार क्रियान्वयन किए जा रहे हैं। संतरे के बगीचे में इलाज, जंगलों में इलाज, झाड़-फूंक से इलाज, गोमूत्र से इलाज, इत्यादि अनेक नुस्खे गांव में इस्तेमाल इन झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा मरीजों पर अपनाकर उनके जीवन को जोखिम में डाला जा रहा है। क्योंकि इसमें उनके फेफड़ों पर विपरीत प्रभाव पड़ने और अन्य अनेक लोगों के संक्रमित होने का खतरा बना हुआ है। अतः हर गांव में बड़ी तीव्रता से टेस्टिंग कर पीड़ितों को उनकी स्थिति अनुसार होम आइसोलेशन या अस्पताल में भर्ती कर संक्रमण को फैलने से रोकने में शासन, प्रशासन को महायुद्ध स्तर पर कार्य करना होगा। पॉजिटिव लोगों को आइसोलेशन करने के लिए गांव के स्कूलों, पंचायत भवनों, या गांव छोड़कर गए हुए लोगों के खाली मकानों का प्रयोग किया जा सकता है। जहां अस्पताल नहीं है वहां कुछ किलोमीटर के दायरे में अस्पताल की सुविधा तातपूर्ति रूप से शुरू करनी होगी जो अभी के हालातों को देखकर बहुत जरूरी है। एक अनुमान के अनुसार 135 करोड़ भारत की जनसंख्या में से 90 करोड़ लोग गांव में रहते हैं अभी तक 45 करोड लोगों जो शहरों के थे उनमें से पीड़ितों के लिए मेडिकल संसाधनों, माननीय संसाधनों, की कमी पड़ गई है और वैश्विक मदद ली जा रही है तो हम सोचे कि अगर गांवमें इसी पीक से संक्रमण फैला तो कितनी भयानक और चिंतनीय स्थिति होगी। अभी एक राज्य के गांव के टेस्टिंग के आंकड़े आए जो हैरान करने वाले हैं वो यह कि हर तीसरा व्यक्ति संक्रमित पाया गया है। अब हमें जरूरत है तीव्रता से सभी नागरिक, शासन, प्रशासन, मिलकर इस महामारी से लड़ाई करें गांव के पंचायतों, ग्रामसभा, ग्रामसेवक तथा सभी स्तर के सेवकों को चाहिए कि छोटी-छोटी मेडिकल सुविधाओं जैसे ऑक्सीमीटर सहित अन्य प्राथमिक मेडिकल संसाधनों को जुटाना होगा और किसी भी गांववासी का ऑक्सीजन लेवल कम, बुखार , खांसी, स्वाद नहीं आना, या अन्य सिम्टम्स मिले तो समझे यह कोविड 19 की दस्तक है और टेस्ट करवाएं। अधिक से अधिक लोग टीकाकरण करवाएं, शासकीय दिशा निर्देशों का पालन करें, शासन प्रशासन का सहयोग करें, और इस महामारी से घबराए नहीं इसका सभी मिलकर मेडिकल इलाज से मुकाबला करें और इस महायुद्ध में हम जरूर कामयाब होंगे और इस महामारी को हारना होगा। अतः उपरोक्त पूरे विवरण का अगर हम विश्लेषण करें तो यही निष्कर्ष निकलेगा कि हमें कोरोना महामारी संक्रमण को गांव में फैलने से रोकने के लिए प्रतिबंधात्मक उपायों को महायुद्ध स्तर पर अपनाना होगा।

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

एक ही सपना देश के कोने कोने में गुणवत्तापूर्ण स्कूल कॉलेज और हॉस्पिटल हो ( डॉ. विक्रम क्रांतिकारी)

बचपन से वंचित तबकों को देखता था ,तो एक अजीब सी दर्द महसूस होती थी , जो की अपने  स्कूल समय से ही सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते रहा ,लेकिन बहुत कुछ चाह कर भी वंचित बच्चों के लिए नही कर पाता था,लेकिन धिरे धिरे बडे़ होते गए अपने सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंद लोगों का साथ देता  गया, उनकी आवाज उठाते रहे,अलग अलग एनजीओ व ट्रस्टों के साथ मिलकर काम करते रहे,फिर निर्भया कांड के वक्त तो खून सा खौल उठा था, मेरे शरीर में और न्याय के लिए पूरे दिन रात गीता फाउंडेशन व अपराध मोर्चा  के साथ मिलकर प्रोटेस्ट, भूख हड़ताल , संसद घेराव से लेकर सब किए ,खैर देर हुआ लेकिन न्याय मिला ,जो की मेरा मकसद ही  है की अंतिम पंक्ति में बैठे हुए हर उस  व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कुराहट हो और ऐसा तभी संभव  होगा जब वह अपने अधिकारों को जानेगा और समझेगा इसके लिए हम सभी को जागरूकता लानी होगी ,  इसी जोश में दिल्ली के मुखर्जी नगर में आकर सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी करने लगा ताकि आईएएस ऑफिसर बनकर लोगो को उनका अधिकार दिला सकू,जो की अभी जारी है,  आज फिर हम एक पहल की शुरुआत कर रहे है ,जो की आने वाले वर्षों में देश के कोने कोने में हॉस्पिटल, स्कूल व कॉलेज खोलेंगे ,यह  हमारा   एक अनोखी पहल है जो समाज म़े क्रांन्ति की दिशा में शुरूआत हुआ है,जिसके लिए आप सभी का साथ अपेक्षित है। आईये हम आप मिलकर इस क्रान्ति में अपना सहयोग करे और एक सशक्त और जागरूक भारत के निर्माण में अपना सहयोग करे,खुद के लिए अकेले जीने से अच्छा है कि कुछ समाज को ऐसा दे की जिससे हमारा  समाज  सशक्त बने।   इसका शुरूआत  टीम के साथी अपने अपने स्तर पर मेरे  देख रेख में शुरू कर  रहे है ,जिसमे मैं विक्रम अपना आजीवन मानव कल्याण के कार्यों में साथ देता रहूंगा ,हमें  पूरा यकीन है की एक  न एक दिन हम अपने समाज के अन्तिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कुराहट ला देंगे ,जिससे वंचित ,गरीब ,असहाय भी अपने  सपनों के  ऊड़ान भरेगा ,अभी कुछ दिनों पहले ही ज्योती प्रकाश भाई जी भी  किसी कारणवश शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाने वाले गरीब , असहाय बच्चों के लिए उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में मेरे ही मार्गदर्शन में शुरू किए है , जो खुद ज्योति जी पहले आईएएस जैसे प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर चुके है,ऐसे ही आने वाले समय में  हमारा टीम  देश के छोटे छोटे गांव,जिले में भी स्कूल,कॉलेज व अस्पताल खोलेंगी ,आप सभी भी आगे आकर साथ दे व  इस सशक्त समाज के निर्माण में अपनी भुमिका निभाएं।

     
विक्रम क्रांतिकारी( डॉक्टर विक्रम चौरसिया ) 9069821319

Wednesday, May 5, 2021

आग लगने से पान व फुल की दुकान जलकर हूई राख

वैशाली नवीन कुमार संवाददाता दैनिक अयोध्या टाइम्स।

(वैशाली) बिदूपुर थाना क्षेत्र के बिदुपुर  बाजार स्थित गर्दनिया चौक मे स्थित जगदंबा पान पैलेस दुकान में अचानक सॉर्ट सर्किट से आग लग गयी आग लगते ही वहां अफरा-तफरी का माहौल बन गया और वही देखते ही देखते भारी भीड़ जुट गयी। दुकान हाजीपुर-महनार मुख्य मार्ग पर होने से घटना के बाद वहां जुटी भीड़ के कारण थोड़ी देर के लिए वाहनों की आवाजाही पर असर पड़ा। घटना की जानकारी मिलते ही फयर ब्रिगेड की गारी दल बल के साथ पहुची। आग लगने का कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है। आग जगदम्बा पान भंडार सह आयुष फूल भंडार की दुकान में लगी थी। यह दुकान शादी-ब्याह में गाड़ियों की सजावट भी करती है। दमकल ने किसी तरह आग पर काबू पाया। हालांकि तब तक काफी नुकसान हो चुका था नुकसान लाखो मे बताया जा रहा है।

कोरोना महामारी को लेकर विधायक ने क्षेत्र के लोगों से किया अपील

राजापाकर( वैशाली) संवाददाता दैनिक अथवा टाइम्स

वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर   राजापाकर की विधायक प्रतिमा कुमारी ने विधानसभा क्षेत्र की जनता से लाॅकडाउन व  कोविड-19 के नियमों का पालन करने की अपील की है। इस संबंध में बुधवार को अपने संदेश में विधायक ने आमजनों से अनुरोध करते हुए कहा है कि बेवजह घरों से बाहर नहीं निकले बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर निकले। मास्क लगाएं शरीर को पूरी तरह  ढक कर रखें। साबुन से  हाथों को बराबर  अच्छी तरह से धोएं सैनिटाइज का प्रयोग करें भीड़ वाले स्थानों पर ना जाएं अपने एवं अपने परिवार की सुरक्षा का ख्याल रखें। वहीं उन्होंने विशेष रुप से अपील करते हुए कहा है कि हर हाल में सभी आदमी वैक्सीन के दोनों डोज अवश्य ले तथा वैक्सीन लेने के लिए लोगों को प्रेरित करें। उन्होंने आगे कहा कि गर्म पानी का इस्तेमाल करें भोजन में शाक हरी सब्जी  का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें। सर्दी खांसी और बुखार होने पर अपने नजदीक के स्वास्थ्य पर  जाकर जांच कराएं और समय पर दवा लें और लोगों को इसके लिए प्रेरित करें। आपका जीवन अमूल्य है इसकी रक्षा करें । उन्होंने कहा कि विधानसभा क्षेत्र के किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की परेशानी हो तो हम से अवश्य संपर्क करें मैं हमेशा आपकी सेवा में तत्पर रहूंगी।

प्रीतिलता स्वाधीनता संग्राम प्रथम शहीद महिला जिसने अंग्रेजो के दांत खट्टे किए-डॉ गौतम

पीएन कॉलेज परसा के प्राचार्य डॉ पुष्पराज गौतम

ने कहा कि महान देवी को शत-शत नमन चटगांव शस्त्रागार कांड के बारे में जो भी मार्ग अपनाया जाएगा वह भावी विद्रोह  का प्राथमिक रूप से होगा यह संघर्ष भारत की पूरी सफलता के साथ स्वतंत्रता जारी रहेगाप्रीतिलता वाद्देदार भारत के स्वाधीनता संग्राम की प्रथम महिला क्रांतिकारी थीं जिन्होंने अपने प्राण त्याग उत्सर्ग कर दिए।

प्रीतिलता का जन्म 5 मई 1911 में हुआ था।उन्होंने सन् 1928 में मैट्रिक की प्ररीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।इसके बाद सन् 1929 में उन्होंने ढाका के इडेन कॉलेज में इण्टरमिडिएट प्ररीक्षा पास करने के बाद,प्रीतिलता ने कोलकाता के बेसिन कॉलेज से दर्शनशास्त्र से स्नातक प्ररीक्षा उत्तिर्ण की।कोलकाता विश्वविद्यालय के ब्रिटिश अधिकारियों ने उनकी डिग्री रोक दिया। उन्हें 80 वर्ष बाद मरणोपरान्त यह डिग्री प्रदान की गई थी।जब वे कॉलेज की छात्रा थीं,रामकृष्ण विश्वास,व अन्य क्रांतिकारियों से मिलने ज़ाया करती थीं, उन लोगों से जुड़कर उनसे भी स्वाधीनता  के सपने देखना शुरू कर दिया।उन्होंने निर्मल सेन से  युद्ध का प्रशिक्षण लिया था।शिक्षा के उपरांत उन्होंने चटगाँव के एक पाठशाला में नौकरी शुरू की और इसी उनकी भेंट प्रसिद्ध क्रांतिकारी सूर्य सेन से हुई।प्रीतिलता उनके दल की सक्रिय सदस्य बनी और वे सूर्यदेन के नेतृत्व के इन्डियन रिपब्लिकन आर्मी में महिला सैनिक बनी।

जब पूर्वी बंगाल के घलघाट में क्रांतिकारियों को पुलिस ने घेर लिया था,घिरे हुए क्रांतिकारियों अपूर्व सेन,निर्मल सेन,प्रीतिलता और सूर्यसेन आदि थे। सूर्यसेन ने गोलियाँ चलाने व लड़ने का आदेश दिया।उनके क्रांतिकारी साथी अपूर्व सेन और निर्मल सेन शहीद हो गये।सूर्यसेन की गोली से कैप्टन कैमरान मारा गया।सूर्यसेन,प्रीतिलता व अन्य क्रांतिकारी लड़ते लड़ते भाग गये।सूर्यसेन पर 

10 हज़ार रूपये का इनाम घोषित था। दोनों एक सावित्री नाम का महिला के घर पर गुप्त रूप से रहते थे। 

सूर्यसेन ने अपने क्रांतिकारी साथियों का बदला लेने की यूरोपीय क्लब और ब्रिटिश शस्त्रागार समेत पांच स्थानों पर हमले की योजना बनाई। प्रीतिलता ने अपने 10 -15 क्रांतिकारी साथियों का नेतृत्व ने पतलहटी में यूयोपीय कल्ब पर धावा बोल कर नाच-गाने में मग्न अंग्रेजों को मृत्यु का दंड देकर सफलतापूर्वक बदला लिया गया।प्रीतिलता को एक गोली लगी मगर पकड़े जाने के बजाय पोटेशियम सायनाइड खा कर शहीद हो गई।1857 के विरुद्ध के बाद स्वतंत्रता के लिए हुए सशस्त्र विद्रोह में शहीद होने पहली महिला थीं।

स्वतंत्रता संग्राम में देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों की आहुती देने वाली देशभक्त,क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी प्रीतिलता वादृेदारकी 110वीं जयंती पर शत् शत् नमन।

मुख्यमंत्री से अधिवक्ताओं को पांच लाख के स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किए जाने की मांग

 अधिवक्ता कल्याण संघर्ष समिति की वर्चुअल बैठक में मुख्यमंत्री  से अधिवक्ताओं को सपरिवार रु 500000 के स्वास्थ्य बीमा कवर देने की मांग की गई


 बैठक में बोलते हुए संयोजक पं रवीन्द शर्मा ने कहा कि अधिवक्ता जो कि न्यायालय का अधिकारी है इस कोरोना महामारी में अन्य के साथ-साथ वह भी गंभीर रूप से प्रभावित है सभी को पता है किं महामारी के इस दौर में अन्य के साथ अधिवक्ताओ का भी न्यायालय परिसर में प्रवेश बंद है  जिसकी वजह से हमारी आय भी बंद हो गई है सरकार द्वारा विभिन्न वर्गों के लिए की जा रही सहायता की  घोषणाओं में अधिवक्ताओं की पूर्णतया उपेक्षा की जा रही है जो कि  अत्यन्त दु:खद है आज अधिवक्ताओं के  एक बड़े वर्ग के समक्ष चिंतनीय आर्थिक  संकट के साथ साथ सपरिवार  स्वास्थ्य की चिंता भी गंभीर विषय है इस महामारी में विगत वर्ष और इस वर्ष प्रदेश के तमाम अधिवक्ता व उनके परिजन यथोचित इलाज न मिलने के कारण और तमाम अधिवक्ता व उनके परिजन महंगा इलाज न करा पाने के कारण काल के गाल में समा गए। इसकी पुनरावृत्ति रोकने के लिए आज अधिवक्ताओं को सपरिवार तत्काल कम से कम रू 500000 के स्वास्थ्य बीमा कवर की महती आवश्यकता है जिसके लिए हमारी मुख्यमंत्री जी से मांग है कि वो तत्काल अधिवक्ताओं और उनके परिवार को कम से कम ₹500000 की स्वास्थ्य बीमा कवर तत्काल प्रदान करें।मांग का प्रतिवेदन जरिए ईमेल मुख्यमंत्री जी को भेजा गया।
 बी एल गुप्ता अध्यक्ष इनकम टैक्स जीएसटी बार एसोसिएशन ने कहा कि अधिवक्ता ओ को तुरन्त स्वास्थ्य बीमा कवर दिया जाना समय की मांग है।
प्रमुख रूप से विनय अवस्थी महामंत्री सेल्स टैक्स बार एसोसिएशन अविनाश बाजपेई पूर्व अध्यक्ष लायर्स एसोसिएशन दिनेश वर्मा अध्यक्ष कमिश्नरी बार एसोसिएशन राम आश्रय त्रिपाठी एस के सचान श्रीकांत मिश्रा सोमेंद्र शर्मा मो कादिर खाअदेश शर्मा मो तौहीद अंकुर गोयल संजीव कपूर नमन गुप्ता राकेश सिद्धार्थ प्रतीक बाजपेई  प्रेम शंकर शुक्ला  विनय पांडे आनंद गौतम अनुराग मिश्रा नवनीत पाण्डे अनूप शुक्ला मोहित शुक्ला के के यादव आदि रहे।

जानकीपुरम पुलिस ने ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी करने वाले अपराधियों को किया गिरफ्तार , 115 भी किये बरामद

पुष्पेंद्र सिंह दैनिक अयोध्या टाइम्स लखनऊ


उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोरोना महामारी वायरस की दूसरी लहर से ग्रसित है और लाखों लोग मौजूदा समय में कोरोना वायरस संक्रमण से ग्रसित होकर एक-एक सांस के लिए जिंदगी और मौत से जंग कर रहे हैं ऐसे हालात में भी इंसान की शक्ल में हैवान कुछ लोग आपदा में भी अवसर तलाश कर प्राण वायु ऑक्सीजन गैस सिलेंडर की कालाबाजारी कर अपनी तिजोरिया कर रहे हैं। ऑक्सीजन गैस सिलेंडर की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ लखनऊ पुलिस द्वारा चलाई जा रही मुहिम में लखनऊ की जानकीपुरम पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है । आपको बतादेे की तेज तर्रार एसीपी अलीगंज अखिलेश सिंह के नेतृत्व में अतिरिक्त प्रभारी निरीक्षक जानकीपुरम राज किशोर पांडे की टीम ने आज जानकीपुरम इलाके से ऑक्सीजन गैस के बड़े सिलेंडरों का जखीरा एक मकान से बरामद कर ऑक्सीजन गैस के सिलेंडरों की कालाबाजारी करने वाले सीतापुर रोड योजना सेक्टर ए मड़ियांव के रहने वाले करण भारद्वाज और बेगरिया काकोरी के रहने वाले ने नेकराम को गिरफ्तार किया है । एक घर से बरामद किए गए 115 ऑक्सीजन गैस के बड़े सिलेंडरों को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है। एडिशनल इंस्पेक्टर जानकीपुरम राज किशोर पांडे ने बताया कि 115 खाली सिलेंडरों के साथ पकड़े गए करन भारद्वाज और नेकराम आपदा के इस दौर में कोरोना संक्रमित मरीजों के तीमारदारों की मजबूरी का फायदा उठा कर प्रति एक सिलेंडर 30 से 35 हज़ार रुपए में बेच रहे थे। उन्होंने बताया कि कुछ सिलेंडर घर के अंदर रखे हुए थे और कुछ सिलेंडर टाटा एस गाड़ी में लदे हुए थे उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए करन भारद्वाज और नेकराम वैसे तो ऑक्सीजन गैस के सिलेंडर के कारोबार से पहले से ही जुड़े हुए थे लेकिन कोरोना काल में जब ऑक्सीजन गैस की किल्लत हुई तो इन लोगों ने आपदा में अवसर तलाशते हुए ऑक्सीजन गैस सिलेंडरों की कालाबाजारी शुरू कर दी उन्होंने बताया कि यह पता लगाया जा रहा है कि करन भारद्वाज और नेकराम के इस काले कारोबार में और कितने लोगों की संलिप्ता है। पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है । आपको बता दें कि गुडंबा पुलिस ने भी 87 ऑक्सीजन गैस के सिलेंडर बरामद किए हैं इसके अलावा गोमतीनगर और नाका पुलिस के द्वारा भी ऑक्सीजन गैस के सिलेंडरों की कालाबाजारी करने वाले लोगों को गिरफ्तार किया है । आपदा के इस दौर में लोगों की मजबूरी का फायदा उठा कर दवाओं और ऑक्सीजन गैस सिलेंडर की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ लखनऊ पुलिस का अभियान लगातार जारी है।


Tuesday, May 4, 2021

छींके

छींक आना कोई बीमारी नहीं होती मगर हद से ज्यादा आने लगे तो यह परेशान कर देती है। जिस तरह फेफड़ों को हल्का करने के लिए हम खांसते हैं उसी तरह सिर को हल्का कराने के लिए छींक जरूरी होती है। छींक यदि दो-चार बार हो जायें तो कोई बात नहीं लेकिन जब अधिक आने लगती है तो इसे छींको का अधिक आना कहते हैं।

कलौंजी :कलौंजी और सूखे चूने को एक साथ अच्छी तरह मसलकर किसी कपड़े में बांधकर उसकी पोटली बनाकर सूंघने से छींके बंद हो जाती है।कलौंजी (मंगरैल) का प्रयोग रसोई में मसालें के रूप में की जाती है। कलौंजी के बीजों को पीसकर सूंघने से छींक का बार-बार आना बंद हो जाता है।
 सरसों का तेल: मौसम में बदलाव होने पर भी छींक आने लगती है। इस तरह के मौसम में बदलाव के कारण आने वाले छींक में सरसों का तेल नाक में 2 से 3 बूंद डालकर रोजाना नीचे से ऊपर खीचना चाहिए। इससे छींकों का अधिक आना बंद हो जाता है।
कपूर: यदि छींक के कारण से जुखाम हो जाये तो एक चावल के दाने के बराबर कपूर को बताशे में डालकर या चीनी के साथ मिलाकर खिलायें और ऊपर से पानी पिलाने से अधिक छीके आना बंद होती है। नोट: कपूर की मात्रा ज्यादा न हो।
पोस्त खसखस: पोस्त खसखस 12 ग्राम को लगभग 125 मिलीलीटर पानी में मिलाकर नाक से इसकी भाप लें। इससे छींक का अधिक आना बंद हो जाता है।
रोगनगुल: रोगन गुल 2-2 बूंद नाक में डालने से और ऊपर की ओर खींचने से और 2-2 बूंद कान में डालने से छींक का अधिक आना बंद हो जाता है।
खुलतजान: खुलतजान को पीसकर कपड़े से छानकर रोजाना सुबह-शाम सूंघने से छींक का अधिक आना बंद हो जाता है।
 इतरीफल किश्नीजी : इतरीफल किश्नीजी 7 ग्राम, पानी से रात को सोते समय लने से अधिक छीक में लाभ होता है।
अजवायन: 10 ग्राम अजवायन और 40 ग्राम पुराने गुड़ को लगभग 450 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालने के लिए रख दें। उबलने पर जब 250 मिलीलीटर के करीब पानी बाकी रह जाये तो उस पानी को थोड़ी देर तक रखकर थोड़ा ठंडा होने पर पीकर ऊपर से चादर ओढ़ कर सो जाये। इससे छींक आना बंद हो जाती है।
 अदरक: नजले या जुकाम के साथ-साथ अगर लगातार छींके भी आ रही हो तो 3 ग्राम अदरक को 6 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर रात को सोने से पहले खाने से छींके बंद हो जाती है। इसके ऊपर से पानी नहीं पीना चाहिए।
नाक के बाल: अगर नाक के बाल बढ़कर अन्दर की ओर चले जाते है तो भी छींके आती रहती है इसलिये नाक के बालों को काट देना चाहिए।
कुलिंजन: कुलिंजन को किसी कपड़े में बांधकर नाक से सूंघने से छींके आना रुक जाती है।
छींकों से बचने के लिए गर्मी लगने पर या कहीं बाहर से चलकर आने पर, मेहनत करने के बाद हमें एकदम से कपड़ों को नहीं उतारना चाहिए।


डॉ. दुर्गा प्रसाद पांडेय
प्राकृतिक चिकित्सक
मुंबई

वजन बढाने के उपाय

ज्यादा वजन हमारी परेशानी का कारण होता है तो कम वजन भी परेशानी बन जाता है। खासकर जब बच्चो का वजन कम हो, क्योकि बच्चो का सही वजन ही सही तरह से बच्चो  के विकास मे मददगार होता है।

कम वजन  के बच्चे सही लम्बाई भी नही पा सकते ओर फिर कम वजन  के साथ साथ कम लम्बाई  का भी सामना करना पड़ता है, इसलिए शुरु से ही बच्चो के विकास  पर नजर रखें।
 किस तरह का खानपान, बच्चो के सही वजन और लम्बाई  बढ़ाने मे मददगार  साबित होगा।
(1). प्रोटीन वाला भोजन जैसे मूंगफली, खजूर, बीन्स, दाले थोडी-थोडी मात्रा मे देते रहे।
(2). जौं 1चम्मच रात मे भिगो दें।
सुबह छिलका निकाल ले,
दूध मिलाकर खीर बनाये उसमे खजूर भी डाल सकते हैं।
बहुत चमत्कारी ढंग से वजन बढाती है ये खीर। सप्ताह मे 3 बार दे।
(3). चावल की खीर
अच्छे ढंग से से मेवा डालकर बनाये।
थोडा देशी घी डाले।
सप्ताह मे 2 बार दें, बहुत फायदा होगा।
(4). 4 बादाम  रात मे भिगा दे, सुबह छिलका उतार कर पीस ले, उसमे 1 चम्मच बटर और थोडी मिश्री मिलाकर खाली पेट दे, फिर दूध पिला दे।
(5). दूध  मे चीनी और शक्कर की जगह शहद मिलाकर दे।
(6). जड़ वाली सब्जी खिलाये जैसे गाजर, चुकन्दर, शलजम, आलू, मूली आदि।
(7). दिन मे कम से कम 2 गिलास दूध पिलाये।
(8). दिन मे थोडे-थोडे गैप पर कुछ भी खिलाते रहे। भोजन में ज्यादा गैप न रखे।
(9). यदि बच्चा केला खा ले तो बेहतर है नही तो बनाना शेक जरुर पिलाये उसमे खजूर भी मिला सकती है।
(10). 1 चम्मच देशी घी मे 1चम्मच देसी खांड मिला ले और रोटी से खिलाये।
महीने मे 2 से 3 बार देने से बहुत तेजी से वजन बढता है।
(11). जैसे वजन कम करने के लिये व्यायाम जरुरी है वैसे ही वजन बढाने के लिये भी शारिरिक श्रम जरुरी है।
(12). साल से बच्चे  को रस्सी कूदना शुरु करा दे। न तो कभी आँखे  कमजोर पड़ेंगी और लम्बाई  भी तेजी से बढेगी और वजन कम या ज्यादा  की भी समस्या नही होगी।
साथ ही साइकिल चलवाये, बैडमिंटन वगैरह अच्छे ओर आसन उपाय है शारिरिक विकास के लिये।
(13). सोयाबीन को भोजन मे शामिल  जरुर करे, दाल बनाकर दे, उबाल कर भून कर दे या सोयाबीन  का दूध  बना कर दे।
सोयाबीन का दूध तेजी से वजन और लम्बाई  बढाता है, आजमाया हुया नुस्खा  है।
(14). बच्चो को फास्ट फूड से दूर रखे, साथ ही बच्चो को समय दें, खुश रखे, उनके साथ समय बिताये, उनके खेल मे शामिल हो।

डॉ. दुर्गा प्रसाद पांडेय
प्राकृतिक चिकित्सक
मुंबई

ज़ुकाम

मौसमी जुकाम के इलाज में हल्दी काफी फायदेमंद है। बहती नाक के इलाज के लिए हल्दी को जलाकर इसका धुआं लें, इससे नाक से पानी बहना तेज हो जाएगा व तत्काल आराम मिलेगा। यदि नाक बंद है तो दालचीनी, कालीमिर्च, इलायची और जीरे के बीजों को बराबर मात्रा में लेकर एक सूती कपड़े में बांध लें और इन्हें सूंघें जिससे छींक आएगी। 


10 ग्राम गेहूं की भूसी, पांच लौंग और कुछ नमक लेकर पानी में मिलाकर इसे उबाल लें और काढ़ा बनाएं। एक कप काढ़ा पीने से लाभ मिलेगा। हालांकि जुकाम आमतौर पर हल्का-फुल्का ही होता है जिसके लक्षण एक हफ्ते या इससे कम समय के लिए रहते हैं, लेकिन खान-पान की आदतों को लेकर हमें काफी सतर्क रहना चाहिए और यदि जुकाम वगैरह के लक्षण दिखाई दे तो समुचित दवाओं आदि से इलाज कराना चाहिए। डिप्थीरिया होने पर अमलतास के काढ़े से गरारा करने पर जबर्दस्त आराम मिलता है। 
तुलसी और अदरक इस मौसम में लाभदायक होते हैं। तुलसी में काफी उपचारी गुण समाए होते हैं, जो जुकाम और फ्लू आदि से बचाव में कारगर हैं। तुलसी की पत्तियां चबाने से कोल्ड और फ्लू दूर रहता है। इसी तरह तुलसी और बांसा की पत्तियां (प्रत्येक 5 ग्राम) पीसकर पानी में मिलाएं और काढ़ा तैयार कर लें। इससे खांसी और दमा में काफी फायदा मिलेगा।
डॉ. दुर्गा प्रसाद पांडेय
प्राकृतिक चिकित्सक
मुंबई

टॉन्सिल के दर्द से राहत दिलाने वाले घरेलु उपाय

गला जहाँ से शुरू होता है वहीं प्रवेश द्वार पर एक लोरी होती है माँस के छोटे, पतले व लंबे टुकड़े की भांति, इसे घाटी भी कहते हैं। इसमें जब सूजन आ जाता है तो इसे टांसिल या घाटी बढ़ना कहते हैं। देखने में छोटा यह लोरी जैसा माँस का टुकड़ा शरीर की सारी क्रियाओं को संतुलित करता है, जब इस लोरी में असंतुलन पैदा होता तो शरीर के पंचतत्वों में भी असंतुलन पैदा होने लगता है और इसकी वजह से कई प्रकार के रोग जन्म लेने लगते हैं। छोटे बच्चों में टांसिल्स या घाटी बढ़ जाने की वजह से वह कुछ पिलाने पर उल्टी कर देते हैं।

पहले गांवों में कुछ ऐसी वैद्य महिलाएं होती थीं जो राख से घाटी को दबाकर ठीक कर देती थीं। लेकिन अब कोई यह जोखिम नहीं लेता है और चिकित्सक की सलाह पर दवा करना ज़्यादा पसंद करता है। आइए टांसिल के बारे में सही जानकारी प्राप्त करते हैं।
टांसिल्स दो तरह के होते हैं।
पहले प्रकार में दोनों तरफ़ या एक तरफ़ के टांसिल में सूजन आता है और वह सुपारी की तरह मोटा हो जाता है। उसके बाद उपजिह्वा में भी सूजन होकर वह रक्त वर्ण की हो जाती है। धीरे-धीरे यह खाने-पीने की नली को भी संक्रमित कर देता है और कुछ भी खाने-पीने में दर्द होता है। यह दर्द कान तक फैल जाता है। इस अवस्था में 103 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा बुखार चढ़ सकता है, जबड़े में दर्द हो सकता है तथा मुंह पूरा खुलता नहीं है। ऐसी स्थिति में यदि समय पर उचित इलाज न मिला तो टांसिल पक कर फूट सकता है।
 दूसरे तरह के टांसिल क्रोनिक होते हैं। जिसे बार-बार टांसिल्स की बीमारी होती हैं, वह क्रोनिक हो जाती है। टांसिल का आकर बड़ा हो जाता है और सांस लेने व छोड़ने में तकलीफ़ होने लगती है।
 टांसिल के मुख्य कारण
 चावल, मैदा, ठंडे पेय पदार्थ, खट्टी चीज़ों का ज़्यादा सेवन टांसिल्स का मुख्य कारण है।– 
मौसम में अचानक परिवर्तन, गर्मी से अचानक ठंडे मौसम में आ जाना व सर्दी लगने से भी टांसिल्स हो सकते हैं।
 टांसिल के लक्षण

*टांसिल होने पर ठंड लगने के साथ बुखार चढ़ता है। कुछ भी खाने-पीने में तकलीफ़ होती है और उसका स्वाद नहीं मिलता है। गले में तेज़ दर्द होता है, यहाँ तक कि थूक निगलने में भी दिक्कत होती है।*
 टांसिल के घरेलू उपचार
टांसिल यदि हो गया है तो गर्म पानी में नमक डालकर गरारा करने से लाभ मिलता है, सूजन कम हो जाती है।–
 दालचीनी या तुलसी की मंजरी का एक चुटकी चूर्ण, मधु में मिलाकर दिन में नियमित तीन बार सेवन करने से आराम मिलता है।–
 एक चम्मच अजवायन एक गिलास पानी में उबाल लें और उसे ठंडा करके गरारा करने से लाभ होगा।– 
 हल्दी का चूर्ण दो चुटकी व काली मिर्च का चूर्ण आधी चुटकी लेकर एक चम्मच अदरक के रस में मिलाकर आग पर गर्म कर लें। रात को सोते समय मधु में मिलाकर इसका सेवन करें। नियमित दो-तीन दिन के प्रयोग से ही टांसिल का सूजन चला जाता है।– 
पानी में सिंघाड़ा उबाल लें और उसी पानी से कुल्ला करें। लाभ मिलेगा।
टांसिल्स की समस्या है तो बिना नमक की उबली हुई सब्ज़ियों का प्रयोग करना चाहिए। 
मिर्च-मसाला, तेल, खट्टी व ठंडी चीज़ों के सेवन से परहेज़ करना चाहिए।
गला जहाँ से शुरू होता है वहीं प्रवेश द्वार पर एक लोरी होती है माँस के छोटे, पतले व लंबे टुकड़े की भांति, इसे घाटी भी कहते हैं। इसमें जब सूजन आ जाता है तो इसे टांसिल या घाटी बढ़ना कहते हैं। देखने में छोटा यह लोरी जैसा माँस होता है !!
डॉ. दुर्गा प्रसाद पांडेय
प्राकृतिक चिकित्सक
मुंबई

सुबह-सुबह क्यों बढ़ जाता है ब्लड शुगर लेवल, कम करने के लिए क्‍या करें

सुबह-सुबह शुगर बढऩे की एक वजह रात में शरीर से रिलीज होने वाले हार्मोन्स हैं। कुछ अच्छे उपाय इस स्थिति से बचने के लिए किए जा सकते हैं।

सुबह-सुबह क्यों बढ़ जाता है ब्लड शुगर लेवल, जानें कम करने के लिए क्‍या करें

डायबिटीज के मरीजों को शुगर लेवल का बेहद ख्याल रखना पड़ता है। इसे नियंत्रित करने के

बाद भी कुछ मरीजों का ब्लड शुगर लेवल सुबह अचानक से बढ़ जाता है। इस तरह अपने दिन की शुरूआत करना वाकई खतरनाक हो सकता है। अगर ऐसा अक्सर होने लगे, तो यह आपके मधुमेह को प्रबंधित करने के गोल को मुश्किल बना सकता है।
चाहे आपको टाइप-1 डायबिटीज हो या फिर टाइप 2 , सुबह के समय ब्लड शुगर का बढऩा कई कारणों से हो सकता है। इससे बचने के लिए कारणों को जानने के बाद जल्द कोई कदम उठाना या उपाय करना बेहद जरूरी है। बता दें कि डायबिटीज मरीजों में यह स्थिति सोमोगी प्रभाव के कारण बनती है।
​सोमोगी प्रभाव क्या होता है
सोमोगी प्रभाव तब होता है, जब आप बिस्तर पर जाने से पहले इंसुलिन लेते हैं और ज्यादा ब्लड शुगर लेवल के साथ सुबह उठते हैं। इस सिद्धांत के अनुसार, जब इंसुलिन आपके ब्लड शुगर को बहुत कम करता है, तो शरीर से हार्मोन रिलीज होता है।
इससे ब्लड शुगर ज्यादा होने की संभावना बढ़ जाती है। टाइप-2 डायबिटीज की तुलना में यह टाइप-1 वाले मरीजों में ज्यादा सामान्य माना जाता है।
सुबह-सुबह क्यों बढ़ जाती है ब्लड शुगर-
दरअसल, दिनभर शरीर को ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती है, इसलिए सबुह के समय ब्लड शुगर बढऩे लगता है। दूसरा रात में सोते समय व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन की मात्रा बहुत कम हो जाती है। इसके लिए यदि मरीज ने दवा लेने में कोई लापरवाही की हो, तो भी ब्लड शुगर सुबह के दौरान बढ़ सकता है।
एक अन्य कारण है कि यदि आपको मधुमेह है ,इसके लिए आप बहुत ज्यादा इंसुलिन इंजेक्ट कर लेते हैं और पर्याप्त भोजन किए बिना सोने जाते हैं तो यह आपके ब्लड शुगर लेवल को बहुत कम कर देता है। इसे हाइपोग्लाइसीमिया कहा जाता है। इसके बाद शरीर एपिनेफ्रिन और ग्लेकाबन जैसे हार्मोन रीलिज करता है। ये हार्मोन आपके रक्त शकर्रा के स्तर को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं।
​कहीं रात में तो नहीं खाया मीठा
सबसे पहले आपको सुराग जुटाना होगा कि ऐसा क्यों हो रहा है। यदि ब्लड शुगर की रीडिंग सोते समय बढ़ जाती है, तो इसके लिए आपका भोजन और दवा जिम्मेदार है। अगर सोने से पहले आपकी ब्लड शुगर ज्यादा है, तो संभावित रूप से यह सुबह तक बनी रह सकती है।
रात में कुछ भी हैवी और मीठा खाने से ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ा सकता है। इसलिए अपनी दवा को समायोजित करें और आप क्या खा रहे हैं उस पर ध्यान दें।
स्थिति को पहचानना जरूरी-
सुबह ब्लड शुगर को बढऩे से रोकना है, तो स्थिति की पहचानना करना भी उतना ही जरूरी है। इसके लिए नींद पैटर्न के बीच में ब्लड शुगर की जांच करनी होगी। अगर आप 11 बजे बिस्तर पर सोने जाते हैं तो सुबह के 3 बजे उठना बेहतर है।
3 बजे तक लगातार ब्लड शुगर का बढऩा मॉर्निंग ब्लड शुगर का संकेत देता है । इसके लिए आपको एक ग्लूकोज मीटर अपने पास रखना चाहिए। यह उच्च और निम्न रक्त शकर्रा के पैटर्न की पहचान करने में मदद करेगा।
यदि आपको डायबिटीज है, तो इंसुलिन पंप का यूज करें। इससे आप ब्लड शुगर को अचानक बढऩे से रोक सकते हैं।
कई लोगों का सोने से पहले ब्लड शुगर हाई होता है, जो सुबह तक हाई बना रहता है। इसलिए सोने से पहले ब्लड शुगर की जांच जरूर करें। विशेषज्ञों के अनुसार बढ़े हुए ब्लड शुगर के साथ सोने की गलती ना करें।
अगर सुबह आपका रक्त शकर्रा का स्तर बढ़ जाता है, तो वास्तव में आपको दवाओं के समय या प्रकार को बदलना होगा।
सोमोगी प्रभाव का अनुभव करने वालों को प्रोटीन और कार्ब का एक हेल्दी स्नैक लेना चाहिए। ये रात में आपके ब्लड शुगर के बढऩे पर रोक लगा सकता है।
दिन के समय शारीरिक रूप से एक्टिव रहने से आपको ब्‍लड शुगर को मैनेज करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा देर रात में खाने के बाद सीधे सोने ना जाएं, बल्कि कुछ देर टहलें।
सुबह के समय ब्लड शुगर बढ़ जाना चिंता की बात है। खासतौर से अगर ये स्थिति रोजाना बन रही हो, तो खतरे का संकेत है। लेकिन इस पर काबू पने के लिए आप ऊपर बताए गए उपाय कर सकते हैं इससे डायबिटीज में सुधार होगा और डायबिटीज से जुड़ी जटिलताओं को दूर करने में मदद मिलेगी।
डॉ. दुर्गा प्रसाद पांडेय
प्राकृतिक चिकित्सक
मुंबई

गोखरू

गोखरू(corn) हथेली अथवा पैरों के तलवों या तलवे के आस-पास गोलाकार, कठोर और गांठ के रूप में हो जाता है। इसे चर्म कील भी कहते हैं। पैर में होने पर इसके कारण चलने-फिरने मे परेशानी होती है। कुछ लोग इसे उस्तरे से कटवाते भी हैं फिर भी यह ठीक नहीं होता। Corn ज्यादातर अधिक मेहनत करने वाले लोगों की हथेली में होता है। अधिक घर्षण एवं दबाव के कारण उस जगह की त्वचा dead हो जाती है। Dead त्वचा गांठ का रूप धारण कर लेती है जिसे गोखरू(corn) अथवा चर्म कील


कहते हैं। पैरों में छोटे size अथवा plastic के जूता चप्पल पहनने से corn की समस्या उत्पन्न होती है। तलवे के जिस हिस्से में घर्षण एवं दबाव ज्यादा होता है उस हिस्से में गोखरू होने के ज्यादा chance होते हैं। यदि आप भी इस गोखरू से परेशान हैं तो निम्न घरेलू नुस्खा को बेझिझक आजमा  सकते हैं। 

उपचार:*--  गर्म पानी से पैर को धोकर साफ कर लें। गर्मी के मौसम में ठंडे पानी से भी धोकर साफ कर सकते हैं। अब मोटे कपड़े से रगड़ कर प्रभावित हिस्से को अच्छे से पोंछ लें। अपनी हथेली पर दो-तीन बूंद सरसो के तेल (mustard oil) में जरा सा नमक मिला लें। अब इस नमक और तेल के मिश्रन को गोखरू पर लगा दें। प्रतिदिन रात्रि में सोने के पहले लगा लें। कुछ ही दिनों के प्रयोग से लाभ होने लगता है। यदि चर्म कील नया हो तो 15 से 20 दिन में ठीक हो जाता है। पुराने चर्म कील को ठीक होने में समय लगता है परन्तु यह भी ठीक हो जाता है। यह एक आजमाया हुआ लाभप्रद नुस्खा है।
         *ध्यान रहे जिन लोगो के पैर में गोखरू हो गया हो* अथवा होने का भय हो उन्हें सही साइज का मुलायम जूता चप्पल का इस्तेमाल करना चाहिए। मोजा साफ सुथरा एवं सूती ही प्रयोग करना चाहिए।

*मूलेठी*- जब कॉर्न बनना शुरू होता है तब मूलेठी इसके दर्द को कम करने में असरदार रूप में काम करता है। मूलेठी में ग्लीसेरइज़ेन नामक तत्व होता है जो दर्द को कम करने और कड़क त्वचा को मुलायम बनाने में प्रभावकारी रूप से काम करता है।

*विधि*- मूलेठी के तीन-चार स्टिक ले लें और इनको ग्राइन्ड करके पेस्ट बना लें। इस पेस्ट में तिल का तेल या सरसों का तेल मिलायें। अब इस पेस्ट को सोने के पहले कॉर्न पर धीरे-धीरे रगड़ें। रात भर इसको काम करने दें, इससे स्किन नरम हो जाएगा और ये आकार में छोटा होने लगेगा।
*नींबू*– नींबू का एन्टीफंगल और एन्टीबैक्टिरीयल गुण कॉर्न के उपचार में काम आता है। इन गुणों के अलावा नींबू का एसिडीक गुण हार्ड स्किन को सॉफ्ट और हिल-अप करने में बहुत मदद करता है।
*विधि*– ताजे नींबू का स्लाइस लेकर कॉर्न के ऊपर रखकर कपड़ा या गॉज से अच्छी तरह से बांधकर रातभर रख दें। रोज़ाना इस्तेमाल करने के बाद दो हफ़्ते के बाद आपको इसका असर दिखने लगेगा।
*कच्चा पपीता-*  कच्चा पपीता स्किन के लिए बहुत फायदेमंद होता है। पपीते का रस कॉर्न के कष्ट से आराम दिलाने में बहुत काम करता है।
*विधि*- कच्चे पपीते के स्लाइस काट कर उनका रस निचोड़ लें। अब उस रस को कॉर्न पर लगाकर रात भर यूं ही रख दें।
*जंगली प्याज़*- प्याज़ का बल्ब या कंद कॉर्न के सूजन और त्वचा में जो कड़ापन आ जाता है उसको कम करने में असरदार रूप से काम करती है। प्याज़ का एन्टीफंगल गुण इंफेक्शन से भी बचाता है और कॉर्न को कम करने में मदद करता है।
*विधि*-प्याज़ के कंद को भून लें और कॉर्न पर रखकर अच्छी तरह से बांध लें। रात भर इसको बांधे रहने दें।
*लहसुन*– लहसुन का एन्टीबैक्टिरीयल और एन्टीफंगल गुण कॉर्न के त्वचा को नरम करने में बहुत मदद करता है।
*विधि*- ज़रूरत के अनुसार लहसुन के कुछ फांक ले लें और उनको अच्छी तरह से पिसकर पेस्ट बना लें। अब उस पेस्ट को कॉर्न पर लगाकर अच्छी तरह से रात भर बांधकर रखें।
*बेकिंग सोडा*– बेकिंग सोडा के एसिडिक नेचर के कारण ये कॉर्न के आस-पास के रफ स्किन को सॉफ्ट बनाने में बहुत मदद करता है। बेकिंग सोडा में नींबू का रस मिलाने से और भी वह प्रभावकारी बन जाता है।
*विधि*- ज़रूरत के अनुसार बेकिंग सोडा लें और उसमें पेस्ट बन जायें इतना नींबू का रस मिलायें। अब इस पेस्ट को कॉर्न पर अच्छी तरह से लगाकर रात भर कपड़ा या गॉज से बांधकर रखें। लेकिन कॉर्न का मुँह अगर खुल गया है या इंफेक्शन हो गया है तो कभी भी इस उपचार को प्रयोग में न लायें, इससे जलन होगा और कॉर्न की अवस्था और भी बदतर हो जायेगी।
• पपीता कई तरह के बीमारियों से राहत दिलाने में बहुत मदद करता है। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पपीता का दर्दनिवारक गुण गोखरू के दर्द से राहत दिलाने में भी बहुत मदद करता है। आधा चम्मच पपीते का रस गोखरू के कारण दर्द वाले जगह पर दिन में तीन बार लगायें।
डॉ. दुर्गा प्रसाद पांडेय
प्राकृतिक चिकित्सक
मुंबई