Friday, December 25, 2020
क्षेत्र की समस्याओं को लेकर सहायता केंद्र पर करेरा विधायक का आंदोलन और धरना प्रदर्शन
तीन दिवसीय शॉर्ट लांग टूर्नामेंट में अमन 11 रहे विजेता
नियामतपुर : आसनसोल नगर निगम के वार्ड संख्या 19 के ताल पाड़ा विस्वास संघ क्लब की ओर से तीन दिवसीय शॉर्ट लौंग क्रिकेट टूर्नमेंट का आयोजन किया गया।उक्त टूर्नामेंट का फाइनल आसनसोल अमन 11 ने लौहार पाड़ा एम.टिस. को 30 रन से हराकर जीत दर्ज किया। तीन दिवसीय क्रिकेट टूर्नमेंट में 20 टीमों ने हिस्सा लिया था। आसनसोल के विजेता टीम को कप देकर पुरस्कृत किया। भाजपा आसनसोल जिला युवा नेता टिंकू वर्मा, भाजपा जिला सदस्य डॉ अबरार अहमद, जिला नेता बादल पाल मुख्य रूप से उपस्थित थे। उक्त रनर टीम को भी कप देकर पुरस्कृत किया गया। मैन ऑफ द मैच शिबू को काजल दास ने पुरस्कृत कर सम्मानित किया, मैन ऑफ सीरीज़ का पुरस्कार देकर गणेश मोदी को सम्मानित किया भाजपा जिला युवा नेता टिंकू वर्मा ने। तीन दिवसीय क्रिकेट टूर्नमेंट को सफल बनाने में अनुरुद्ध दास, अभिषेक सिंह, सौरव भूमि के साथ क्लब के सब्जी सदस्यों का अहम भूमिका रहा।
बराकर में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की 96 वे जन्मदिवस मनाया गया
बराकर : भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी का 96 वे जन्मदिवस बराकर व आस पास के इलाकों मे भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा धूमधाम से मनाया गया ।बराकर रेलवे स्टेशन परिसर मे भाजपा सदस्यों ने सर्वप्रथम उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण किया तथा दिप जलाने के बाद मिठाइयां बाटी ।इसके बाद बराकर अस्पताल के समीप वरिष्ट नेता डॉ अजय पोद्दार तथा मंडल एक के अध्यक्ष बबलू पटेल तथा महेश सिंह के नेतृत्व मे जन्म दिन मनाया गया ।इस दौरान भाजपा के वरिष्ट नेता डॉ अजय पोद्दार तथा मंडल अध्यक्ष बबलू पटेल ने संयुक्त रूप से बताया कि भाजपा का जो इतना बड़ा विशाल बृक्ष हम लोग देख रहे है वह बृक्ष वास्तव मे स्वर्गीय अटल जी के मेहनत ओर पार्टी के प्रति लगन की भावना से सींचा गया है अतः हम सभी का यह दायित्व है कि उनके बताए हुए रास्ते पर चलकर उनके सपनों को साकार करने मे अपना योगदान दे ।वही जिला नेता बिभाष सिंह ने कहा कि वाजपेयी जी का जन्म दिन बराकर के एक दर्जन से अधिक स्थानों पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने मनाया गया है इसका सीधा मतलब यह है कि भाजपा लोगो के दिलो मे भी पूरी तरह से बस चुकी है ।कार्यक्रम को सफल बनाने वालों मे वरिष्ट नेता महेश सिंह, टीपू सरैया ,खुशी अग्रवाल ,सोनू चौरसिया ,पिंटू हरिजन ,अजय दास समेत अन्य सभी कर्मी मौजूद थे ।कार्यक्रम के पश्चात उपस्थित लोगों मे मिठाइयां बाटी गई ।
लच्छीपुर दूर्बार समिति में बच्चों के साथ क्रिसमस डे मनाया गया
कुल्टी : कुल्टी के लच्छीपुर दुर्बार समिति भवन में स्थानीय बच्चों के साथ आसनसोल मेटियस पेरिस प्रिएस्ट ऑफ सेंट जॉन्स चर्च के पादरी डोल्पी मतायास ने क्रिसमस डे मनाया। पादरी डोलपी ने इस मौके पर बच्चों को केक एवं भोजन दिया। साथ ही बच्चों ने कविता पढ़कर मनोरंजन किया एवं पादरी डोलपी का धन्यवाद किया। मौके पर पादरी डोलपी ने बताया के इस मौके पर ईश्वर से प्रार्थना करते हैं आने वाला नव वर्ष हर किसी के जिंदगी में खुशियों का सौहार्द लाए साथ ही इस करोना काल का समय इसी वर्ष समाप्त हो जाए ईश्वर से यह प्रार्थना करते हैं एवं सभी बच्चों को उनके मंगलमय भविष्य का मैं कामना करता हूं। मौके पर उपस्थित थे दुरबार समिति के सदस्य रवि घोष, गौतम विश्वास, मरजीना बेगम आदि
बड़े दिन के अवसर पर रक्तदान शिविर
बराकर : बड़े दिन के शुभ अवसर पर बेगुनिया बराकर व्यवसाय समिति व अनुशीलनी क्लब के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय प्रथम रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया।इस रक्तदान शिविर में 50 यूनिट रक्त का संग्रह किया गया। रक्तदान शिविर का उद्घाटन बेगुनिया व्यवसाय समिति के वरिष्ठ रामबाबू भर, शंकर शर्मा, अनुशीलनी क्लब के सदस्यों ने दीपक प्रज्वलित कर किया। इस दौरान कुशल चिकित्सक संजीत चटर्जी, की देख रेख मे उनके सहयोगियों ने रक्तदान करने वालो से रक्त संग्रह किया। कार्यक्रम के पश्चात सभी रक्तदाताओ को पौष्टिक आहार प्रदान करते हुए सभी को सर्टिफिकेट भी दिया गया। व्यवसाय समिति के वरिष्ट सदस्य शंकर शर्मा ने बताया अभी देश बड़े ही नाजुक दौर से गुजर रहा है एसे मे रक्तदान जैसे शिविर का आयोजन बड़ा ही लाभकारी साबित होगा।रक्तदान करने से मनुष्य अन्य किसी जरूरतमंद के प्राण की रक्षा होती है अतः हम सभी को रक्तदान शिविरों मे जुड़कर रक्तदान करते हुए लोगो को जागरूक करना चाहिए। कार्यक्रम को सफल बनाने वालों में सुखदेव गांगुली, तुषार मुखर्जी, देबू अधिकारी, वरुण दत्तो, राम भर, मातादीन जुराका, मुख्य थे। उक्त शिविर के आयोजक सदस्यों मे तपन लाहा, श्री राम सिंह, राजा चौधरी, बाबू कौर, चरण सिंह, उत्तम पोद्दार, रिंकू सिंह, संजीव लाहा, सुमन पाल, सुभाष घोष सहित सभी सदस्यों की भूमिका सराहनीय रहा।
राष्ट्रीय अधिवेशन में वर्चुअल के माध्यम से बहराइच के कार्यकर्ताओं ने सहभागिता किया - सौरभ
अयोध्या टाइम्स बहराइच जिला संवाददाता सूरज कुमार त्रिवेदी के साथ तिलकराम मिश्रा
कृषि प्रधान देश को कुर्शी प्रधान देश नही बनने देगी सपा-जयसिंह प्रताप यादव
अमेठी विजय कुमार सिंह
पुरुष बताया !
आधुनिकता की आड़ में अराजकता की होड़
प्राचीनतम से नवीनतम की तरफ गति करना बिल्कुल भी गलत नहीं है, क्योंकि किसी भी क्षेत्र में चाहें वह रहन-सहन हो या आचार-विचार, नवीनीकरण बहुत ही हितकारी होता है, परन्तु इस नवीनीकरण के दूरगामी परिणाम को भी गौर करना बेहद ही जरूरी होता है। बात जब आधुनिकता की हो तो कहने के लिए हम बीसवीं सदी में पदार्पण कर गये हैं, आखिर इतना बदलाव तो बनता है, मगर यह बदलाव जब आधुनिकता की आड़ लेकर मानवीय व्यवहार को प्रभावित करने लगे तो क्या इसको हम आधुनिकता से संबोधित कर सकते हैं? नहीं! तब हम यही कहेंगे कि आधुनिकता की आड़ में अराजकता को हवा देने में लगे, मानव समाज के इस हिस्से ने मानवता को ही निगल लिया है। आधुनिक मानव समाज के पुरुष व नारी इस आधुनिकता की आड़ में अराजकता फैलाने में बराबर के हिस्सेदार हैं, ना कोई कम ना कोई ज्यादा! परन्तु भागीदारी में कोई किसी से कमतर नहीं है। हमारा पुरुष समाज तो आदि से आधुनिकीकरण की अराजकता हेतु बदनाम है, मगर हमारे आधुनिक समाज की स्त्री को अगर देखा जाए तो आधुनिकता की दौड़ में अव्वल हैं, जो रहन-सहन के साथ आचार-विचार व व्यवहार सबमें आधुनिकीकरण के दिखावे में पूर्ण दिग्भ्रमित होने के साथ-साथ सहभागी परिस्थितियों को भी दिग्भ्रमित किए जा रही हैं और ख्वाहिश व गुरूर बस यही कि इस आधुनिकता के दौर में वह सेल्फ डिपेंड हैं, उन्हें आखिर मानवता व मानवीय समाजवादी व्यवहारिक व्यवस्थाओं से क्या लेना-देना।
आखिर ऐसी आधुनिकता का क्या औचित्य जो स्वयं की उपस्थिति व स्वयं के विचारों को ही दिग्भ्रमित कर दे? आधुनिकता का मतलब होता है कि बढ़ती तकनीकी व विकासशील प्रक्रियाओं के द्वारा सुखमय जीवन व स्वस्थ्य विचारों, व्यवहारों को प्राप्त व प्रेषित करना, मगर यहाँ तो मामला ठीक अलग मार्ग का अनुसरण कर रहा है, यहाँ आधुनिकता की आड़ में मानव मानवीय व्यवहार को ऊँचा बनाने के बजाय अराजकता को जन्म देते हुए उच्च व निम्न के बीच की खाईं को और भी बढ़ा रहा है। चमक-दमक व दिखावे का ऐसा जुनून कि क्या कहें? ऐसी आधुनिकता आखिर किस काम की जो केवल सेल्फ डिपेंड के दिखावे से शुरू होकर दिखावे में ही समाप्त हो जाती हैं? आधुनिकता की आड़ में अराजकता के दौरान सबसे बड़ा बदलाव किसी भी चीज में शॉर्टकट का चयन अर्थात् इस आधुनिकीकरण की सोच चीजें जितनी छोटी होंगी, फायदे उतने अधिक होंगे, इसी फिराक में सबसे पहले परिवार का स्वरूप बदला, जो एकल हो गया, फिर पहनावे का रूप बदला, जो अत्यंत ही छोटा हो गया, फिर खान-पान का रूप बदला जो डाइटिंग तक आ गया बाकी व्यवहारिक व्यवस्थाओं के अंतर्गत सामूहिक से घटकर स्व तक सीमित हो गया, इस स्व की भी बड़ी विचित्र बिडम्बना है जिसे शब्दों में व्यक्त कर पाना शायद संभव नहीं।
आधुनिकता की आड़ में ऐसी अराजकता मानवीय सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण से बेहद ही निम्न स्तरीय स्थिति को इंगित करता है। आधुनिकता का यह दौर मानवता के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहा है, जिसे प्रत्यक्ष तो देख हर कोई रहा है, मगर प्रतिकार करे आखिर कौन? जब सभी इस अराजकतापूर्ण आधुनिकीकरण के वशीभूत हैं। इस आधुनिकता की आड़ में अराजकता के सहभागी कुछ प्रत्यक्ष हैं तो कुछ परोक्ष, मगर सहभागिता तो सभी की है। जहाँ आधुनिकता की अराजकता के रूप में सेल्फ डिपेंड का गुरूर अगर महिलाओं पर हावी है, तो वहीं पुरुष पर आधुनिकता की अराजकता के अंतर्गत पुरुष प्रधान समाज का भ्रम हावी है। आखिर इस आधुनिकता से तो बेहतर प्राचीनता ही है, जहाँ मानवीय समाजवादी व्यावहारिक व्यवस्थाओं में मानवता का अपना महत्वपूर्ण स्थान तो है। आधुनिकता किसी भी समय कालखण्ड में बेहतरी के लिए जानी-पहचानी जानी चाहिए, ना कि आधुनिकीकरण की अराजकता के लिए! अतः आधुनिकता अपनाइए मगर अराजकता से दूर रहते हुए! इसी में हमारा-आपका व इस समस्त मानव समाज का कल्याण निहित है।
मिथलेश सिंह मिलिंद
मरहट पवई आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)
Sunday, December 6, 2020
अंदाज़ ए लखनऊ
धर्मांतरण पर संवैधानिक अंकुश सफल या विफल _
देश में आजकल ‘लव जिहाद’ शब्द बहुत ज्यादा प्रचलित है। हाल की कुछ घटनाओं के मद्देनजर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक सरकारें विवाह के लिए कथित रूप से धर्मान्तरण पर अंकुश के लिए कानून बनाने की तैयारियां कर रही हैं। अभी देखना यह है कि इन राज्यों के प्रस्तावित धर्मान्तरण निरोधक कानून में विवाह के लिए धर्म परिवर्तन या छल से विवाह करके धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य करना निषेध बनाने के बारे में क्या और कैसे प्रावधान होंगे।
इस समय ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में धर्म स्वतंत्रता धर्मान्तरण निरोधक नाम से कानून हैं। इन कानूनों में जबरन अथवा बहला-फुसलाकर या धोखे से धर्म परिवर्तन कराना निषेध और दंडनीय अपराध है। इन कानूनों में नाबालिग किशोरी या अनुसूचित जाति-जनजातियों के सदस्यों से संबंधित मामलों में ज्यादा सज़ा का प्रावधान है। लेकिन कुल मिलाकर एक साल से लेकर पांच साल तक की कैद और 50 हजार रुपये तक के जुर्माने की सज़ा का प्रावधान है।
उत्तर प्रदेश के कानपुर और मेरठ में कथित लव जिहाद की घटनाओं में वृद्धि देखी गयी है और यही वजह है कि राज्य सरकार ने अकेले कानपुर में ही कथित लव जिहाद के कम से कम 11 मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित किया गया है।
यह कितना विरोधाभासी है कि केन्द्र सरकार ने फरवरी, 2020 में लोकसभा को बताया था कि ‘लव जिहाद’ जैसा कोई शब्द मौजूदा कानूनों के तहत परिभाषित नहीं किया गया है और इससे जुड़ा कोई भी मामला केंद्रीय एजेंसियों के संज्ञान में नहीं आया है। यही नहीं, गृह राज्यमंत्री किशन रेड्डी ने यह भी कहा कि संविधान किसी भी धर्म को स्वीकारने, उस पर अमल करने और उसका प्रचार-प्रसार करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
देश में पहले से ही विशेष विवाह कानून हैं, जिसके अंतर्गत किसी भी जाति या धर्म के दो वयस्क शादी करके अपने विवाह का पंजीकरण करा सकते हैं। ऐसे अनेक मामले हैं, जिनमें अलग-अलग धर्म के मानने वाले वयस्क लड़के और लड़की ने धर्मान्तरण के बगैर ही विवाह किया और वे खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
दूसरी ओर, सिर्फ विवाह के लिए धर्म परिवर्तन किये जाने की घटनाओं पर देश की न्यायपालिका पिछले तीन दशक से चिंता व्यक्त करती रही है। न्यायपालिका ने पहली पत्नी को तलाक दिये बगैर सिर्फ विवाह के लिए धर्म परिवर्तन करके इस्लाम धर्म कबूल करने की घटनाओं के मद्देनजर महिलाओं के हितों की रक्षा और इस काम के लिए धर्म का दुरुपयोग रोकने के लिए 1995 में धर्मान्तरण कानून बनाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था। लेकिन अब तक इस दिशा में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई। केरल और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में लव जिहाद का मुद्दा उठता रहता है। हाल ही में फरीदाबाद में एक लड़की की हत्या के मामले को भी लव जिहाद से जोड़ा गया।
हाल के वर्षों में 2017 का हादिया प्रकरण सबसे ज्यादा चर्चित हुआ था, जिसे लव जिहाद का नाम दिया गया था क्योंकि अखिला अशोकन नाम की युवती ने इस्लाम धर्म अपनाकर अपना नाम हादिया रखा और फिर एक मुस्लिम युवक से शादी कर ली थी। उच्च न्यायालय ने इस शादी को अमान्य घोषित कर दिया था। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हादिया और शफीन की शादी वैध है और किसी भी अदालत या जांच एजेंसी को उनकी शादी पर सवाल उठाने का हक नहीं है।
ऐसी अनेक घटनायें सामने आयी हैं, जिसमें विवाह के बाद धर्म परिवर्तन से इनकार करने पर लड़की को यातनाएं दी गयीं, उन्हें तलाक देकर बेसहारा छोड़ दिया गया या फिर ऐसे लड़कियां लापता हो गयीं और बाद में उनके शव मिले। ऐसे कई मामलों में लड़के और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामले भी दर्ज हुए हैं। इन घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में सवाल यह उठता है कि ऐसे मामलों से कैसे निपटा जाये।
देश के कुछ हिस्सों, विशेषकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक में धर्म विशेष के युवकों द्वारा अपनी पहचान छिपाकर हिन्दू युवतियों को प्रभावित करके उनसे विवाह करने और उन्हें धर्म बदलने के लिए मजबूर करने की बढ़ती घटनाओं को ‘लव जिहाद’ का नाम देकर इस पर अंकुश पाने के लिए धर्मान्तरण निरोधक कानून बनाने की तैयारी चल रही है।
हमारे देश का कानून किसी भी वयस्क लड़के या लड़की को अपनी मर्जी और अपनी पसंद से विवाह करने का अधिकार प्रदान करता है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि दूसरे धर्म में शादी के कुछ समय बाद अगर धर्म परिवर्तन का मुद्दा उठता है जो वैवाहिक जीवन में बाधक बन रहा हो तो उस समस्या से निपटने के लिए भारतीय दंड संहिता, दंड प्रकिया संहिता और घरेलू हिंसा से महिलाओं को संरक्षण या विशेष विवाह कानून (इसके तहत विवाह का पंजीकरण होने की स्थिति में) के प्रावधानों के अलावा क्या कोई अलग से विशेष प्रावधान किया जायेगा।
देखना है कि ये राज्य सरकारें इन प्रस्तावित कानूनों में पहचान छुपा कर दूसरे धर्म की महिला से मित्रता करके उससे शादी करने और फिर शादी के बाद धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने को अपराध घोषित करते हुए किस तरह की सज़ा का प्रावधान करती हैं।
उत्तर प्रदेश नोएडा फिल्म सिटी : सफल होने की प्रतिस्पर्धा में
बाकी है।
बाकी है अभी जीना
क्योंकि बाकी है अभी
तुमसे फिर से मिल
मोहब्बत करके मर मिटना।
बाकी है अभी
तुमसे मिलकर मुस्कुराना
क्योंकि बाकी है अभी
तुम को अपना बना कर
अपने सीने से लगाना।
बाकी है अभी
तुम से आंखों से आंखें मिलाना
क्योंकि बाकी है अभी
बहते अश्कों को छुपा कर
किसी और का बतलाना।
बाकी है अभी
कुछ हसरतें नाज़ुक से दिल की
क्योंकि बाकी है अभी
बिखरी हुई कुछ
तेरी यादें इस दिल में।