Friday, December 25, 2020

क्षेत्र की समस्याओं को लेकर सहायता केंद्र पर करेरा विधायक का आंदोलन और धरना प्रदर्शन

शिवपुरी -  जिले की करैरा तहसील में जिसमें किसानों की समस्याओं के आवेदन मौके पर पहुंचे तहसीलदार को देते हुए आम जन की समस्या को जल्द से जल्द सुलझाने की बात कही
और साथ ही में राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन करैरा तहसीलदार गौरी शंकर बैरवा जी को सौंपा
करैरा विधायक प्रागी लाल जाटव ने कहा कि मुझे सीधा समझने की भूल मत करना क्योंकि मैं उस अधिकारी को कभी बक्सूंगा नहीं जो हमारी प्यारी जनता का ईमानदारी से काम नहीं करेगा 
इसके ही साथ करैरा एसडीएम और तहसीलदार को हटाने के लिए जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन करने की भी बात कही और साथ में धरने में उपस्थित महिलाओं ने भी इशारों में उनका समर्थन किया 
ब्लॉक अध्यक्ष लल्ला रावत जी ने सोन चिरैया अभ्यारण के मामले में बोलते हुए कहा कि हम 32 गांव पर जो बीत रही है वह बात किसी से छिपी नहीं है हम 32 गांवों के लोग ना तो कभी भी अपनी जमीन का अपनी मनमर्जी से उपयोग नहीं कर पाते जिससे हम दुखी है जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव में बादा किया था कि कि कुछ दिनों में अभयारण्य से संबंधित समस्याएं सॉल्व हो जाएगी जो कि अभी तक जस की तस है 
दिनारा ब्लॉक से रूपेंद्र सिंह यादव ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि दिनारा तालाब की सैकड़ों बीघा जमीन पर भू माफियाओं का कब्ज़ा है जो बिना डायवर्सन और रजिस्ट्री की है
उन्होंने बापू जी के दो मंजिले मकान को तोड़ना विपरीत मानसिकता के तहत कार्य बताया
 किसानों की बिजली , खाद,बीज की महगाई आदि समस्याओं के बारे में भी बात की और उन्होंने उपस्थित लोगों को उपभोक्ता संरक्षण के बारे में भी जानकारी दी
धरने में उपस्थित वरिष्ठ कांग्रेसी पूर्व विधायक लाखन सिंह बघेल , ब्लॉक अध्यक्षडीपी श्रीवास्तव, बलराम यादव , वीर सिंह गुर्जर ग्रामीण मंडल, जवाहर सिंह रावत दिहायला, नवाब सिंह बैंसला, दिलीप सिंह यादव, प्रकाश खटीक पूर्व पार्षद, राजेंद्र व्याघ जी, रूपेंद्र सिंह यादव दिनारा, कालूराम कुशवाह नरवर, राजेश पाल, और महिला मोर्चा की पदाधिकारीगण गण उपस्थित रही।

 

तीन दिवसीय शॉर्ट लांग टूर्नामेंट में अमन 11 रहे विजेता


नियामतपुर : आसनसोल नगर निगम के वार्ड संख्या 19 के ताल पाड़ा विस्वास संघ क्लब की ओर से तीन दिवसीय शॉर्ट लौंग क्रिकेट टूर्नमेंट का आयोजन किया गया।उक्त टूर्नामेंट का फाइनल आसनसोल अमन 11 ने लौहार पाड़ा एम.टिस. को 30 रन से हराकर जीत दर्ज किया। तीन दिवसीय क्रिकेट टूर्नमेंट में 20 टीमों ने हिस्सा लिया था। आसनसोल के विजेता टीम को कप देकर पुरस्कृत किया। भाजपा आसनसोल जिला युवा नेता टिंकू वर्मा, भाजपा जिला सदस्य डॉ अबरार अहमद, जिला नेता बादल पाल मुख्य रूप से उपस्थित थे। उक्त रनर टीम को भी कप देकर पुरस्कृत किया गया। मैन ऑफ द मैच शिबू को काजल दास ने पुरस्कृत कर सम्मानित किया, मैन ऑफ सीरीज़ का पुरस्कार देकर गणेश मोदी को सम्मानित किया भाजपा जिला युवा नेता टिंकू वर्मा ने। तीन दिवसीय क्रिकेट टूर्नमेंट को सफल बनाने में अनुरुद्ध दास, अभिषेक सिंह, सौरव भूमि के साथ क्लब के सब्जी सदस्यों का अहम भूमिका रहा।

बराकर में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की 96 वे जन्मदिवस मनाया गया


बराकर : भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी का 96 वे जन्मदिवस बराकर व आस पास के इलाकों मे भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा धूमधाम से मनाया गया ।बराकर रेलवे स्टेशन परिसर मे भाजपा सदस्यों ने सर्वप्रथम उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण किया तथा दिप जलाने के बाद मिठाइयां बाटी ।इसके बाद बराकर अस्पताल के समीप वरिष्ट नेता डॉ अजय पोद्दार तथा मंडल एक के अध्यक्ष बबलू पटेल तथा महेश सिंह के नेतृत्व मे जन्म दिन मनाया गया ।इस दौरान भाजपा के वरिष्ट नेता डॉ अजय पोद्दार तथा मंडल अध्यक्ष बबलू पटेल ने संयुक्त रूप से बताया कि भाजपा का जो इतना बड़ा विशाल बृक्ष हम लोग देख रहे है वह बृक्ष वास्तव मे स्वर्गीय अटल जी के मेहनत ओर पार्टी के प्रति लगन की भावना से सींचा गया है अतः हम सभी का यह दायित्व है कि उनके बताए हुए रास्ते पर चलकर उनके सपनों को साकार करने मे अपना योगदान दे ।वही जिला नेता बिभाष सिंह ने कहा कि वाजपेयी जी का जन्म दिन बराकर के एक दर्जन से अधिक स्थानों पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने मनाया गया है इसका सीधा मतलब यह है कि भाजपा लोगो के दिलो मे भी पूरी तरह से बस चुकी है ।कार्यक्रम को सफल बनाने वालों मे वरिष्ट नेता महेश सिंह, टीपू सरैया ,खुशी अग्रवाल ,सोनू चौरसिया ,पिंटू हरिजन ,अजय दास समेत अन्य सभी कर्मी मौजूद थे ।कार्यक्रम के पश्चात उपस्थित लोगों मे मिठाइयां बाटी गई ।

लच्छीपुर दूर्बार समिति में बच्चों के साथ क्रिसमस डे मनाया गया

कुल्टी : कुल्टी के लच्छीपुर दुर्बार समिति भवन में स्थानीय बच्चों के साथ आसनसोल मेटियस पेरिस प्रिएस्ट ऑफ सेंट जॉन्स चर्च के पादरी डोल्पी मतायास ने क्रिसमस डे मनाया। पादरी डोलपी ने इस मौके पर बच्चों को केक एवं भोजन दिया। साथ ही बच्चों ने कविता पढ़कर मनोरंजन किया एवं पादरी डोलपी का धन्यवाद किया। मौके पर पादरी डोलपी ने बताया के इस मौके पर ईश्वर से प्रार्थना करते हैं आने वाला नव वर्ष हर किसी के जिंदगी में खुशियों का सौहार्द लाए साथ ही इस करोना काल का समय इसी वर्ष समाप्त हो जाए ईश्वर से यह प्रार्थना करते हैं एवं सभी बच्चों को उनके मंगलमय भविष्य का मैं कामना करता हूं। मौके पर उपस्थित थे दुरबार समिति के सदस्य रवि घोष, गौतम विश्वास, मरजीना बेगम आदि

बड़े दिन के अवसर पर रक्तदान शिविर

बराकर : बड़े दिन के शुभ अवसर पर बेगुनिया बराकर व्यवसाय समिति व अनुशीलनी क्लब के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय प्रथम रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया।इस रक्तदान शिविर में 50 यूनिट रक्त का संग्रह किया गया। रक्तदान शिविर का उद्घाटन बेगुनिया व्यवसाय समिति के वरिष्ठ रामबाबू भर, शंकर शर्मा, अनुशीलनी क्लब के सदस्यों ने दीपक प्रज्वलित कर किया। इस दौरान कुशल चिकित्सक संजीत चटर्जी, की देख रेख मे उनके सहयोगियों ने रक्तदान करने वालो से रक्त संग्रह किया। कार्यक्रम के पश्चात सभी रक्तदाताओ को पौष्टिक आहार प्रदान करते हुए सभी को सर्टिफिकेट भी दिया गया। व्यवसाय समिति के वरिष्ट सदस्य शंकर शर्मा ने बताया अभी देश बड़े ही नाजुक दौर से गुजर रहा है एसे मे रक्तदान जैसे शिविर का आयोजन बड़ा ही लाभकारी साबित होगा।रक्तदान करने से मनुष्य अन्य किसी जरूरतमंद के प्राण की रक्षा होती है अतः हम सभी को रक्तदान शिविरों मे जुड़कर रक्तदान करते हुए लोगो को जागरूक करना चाहिए। कार्यक्रम को सफल बनाने वालों में सुखदेव गांगुली, तुषार मुखर्जी, देबू अधिकारी, वरुण दत्तो, राम भर, मातादीन जुराका, मुख्य थे। उक्त शिविर के आयोजक सदस्यों मे तपन लाहा, श्री राम सिंह, राजा चौधरी, बाबू कौर, चरण सिंह, उत्तम पोद्दार, रिंकू सिंह, संजीव लाहा, सुमन पाल, सुभाष घोष सहित सभी सदस्यों की भूमिका सराहनीय रहा।

राष्ट्रीय अधिवेशन में वर्चुअल के माध्यम से बहराइच के कार्यकर्ताओं ने सहभागिता किया - सौरभ

अयोध्या टाइम्स बहराइच जिला संवाददाता सूरज कुमार त्रिवेदी के साथ तिलकराम मिश्रा

आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद राष्ट्रीय अधिवेशन स्मृति भवन रेशम विभाग नागपुर में प्रारंभ हुआ साथ ही साथ वर्चुअल के माध्यम से बहराइच के कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की किसान पीजी कॉलेज कमेटी हॉल में वर्चुअल के माध्यम से कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रांत समरसता प्रमुख राजकिशोर प्रांत सह मंत्री अभाविप सौरव मिश्रा विशिष्ट अतिथि मेजर डॉक्टर एस पी सिंह नगर अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र कुमार त्रिपाठी ने विवेकानंद जी वाह मां शारदे के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम शुभारंभ किया वर्चुअल माध्यम से भगड़वा नगर इकाई, पयागपुर नगर इकाई, कैसरगंज नगर इकाई, राजीपुर चौराहा, महसी, शिवपुर नगर इकाई, मटेरा नगर इकाई, नानपारा नगर इकाई के कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की। जिसमें बहराइच नगर के कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की मुख्य रूप से विभाग संयोजक रजत सिंह रैकवार, नगर उपाध्यक्ष आरके शर्मा, जिला सह संयोजक आदर्श शुक्ला, शैलेश तिवारी, हर्ष श्रीवास्तव, किसान पीजी कॉलेज इकाई अध्यक्ष प्रज्वल मिस्र, शिवांश, सौरव, रजत शर्मा अमन, रजत श्रीवास्तव, प्रखर सिंह आदि अनेक कार्यकर्ता रहे।





कृषि प्रधान देश को कुर्शी प्रधान देश नही बनने देगी सपा-जयसिंह प्रताप यादव

अमेठी विजय कुमार सिंह

अमेठी-समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सपा छात्रसभा जयसिंह प्रताप यादव के नेतृत्व में 25 दिसम्बर 2020 को किसानों के बीच भेटुआ ब्लाक के ग्राम लोकई का पुरवा सरूवावाँ मुंशीगज में समाजवादी किसान घेरा कार्यक्रम आयोजित किया गया !
     सपा नेता जयसिंह प्रताप यादव ने कहा है कि किसान भाजपा राज में सबसे ज्यादा अन्याय का शिकार हुआ है। भाजपा सरकार ने किसानों से किया अपना एक भी वादा तो निभाया नहीं उल्टे किसान विरोधी तीन कानून लाकर उसने कारपोरेट के हाथों किसानों को बर्बाद करने की साजिश रच डाली है। पूरे देश के किसान इसके खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी किसानों की अपनी पार्टी है। वह किसानों के संघर्ष में उनके साथ है।
     किसान घेरा कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के नेता जयसिंह प्रताप यादव ने चौपाल में किसानों से बातचीत किसानों से जुड़े तमाम मुद्दों एवं समस्याओं पर चर्चा कर उनके संघर्ष में हर संभव सहयोग का भरोसा दिलाया !
सपा नेता ने पूर्ववर्ती समाजवादी अखिलेश सरकार द्वारा जनहित मे चलाई गई योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी ! सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को विकास

पुरुष बताया !
सपा नेता जयसिंह प्रताप यादव ने कहा कि वर्तमान में भाजपा सरकार की जनविरोधी से आमजन मानस के साथ हर वर्ग त्रस्त हो गया है, जनता पूर्ण रूप से मन बना चुकी है पुनः 2022 में समाजवादी विकास वाली अखिलेश सरकार चाहती है !
इस मौके पर गणेश यादव,ओमकार नाथ,शेष कुमार,सचिन, जनार्दन, प्रभात, कपिल,दुर्गेश, सत्यम, रामहेत, हरदीप, अखिलेश, विनोद, दीपक, सुरेंद्र, अनिल यादव ,सौरभ, पवन,रंजीत, अंकुश,रजनीश ,सोहन,दिनेश, विवेक सहित बड़ी संख्या में महिलाएं,कार्यकर्ता नेता मौजूद रहे !

आधुनिकता की आड़ में अराजकता की होड़

प्राचीनतम से नवीनतम की तरफ गति करना बिल्कुल भी गलत नहीं है, क्योंकि किसी भी क्षेत्र में चाहें वह रहन-सहन हो या आचार-विचार, नवीनीकरण बहुत ही हितकारी होता है, परन्तु इस नवीनीकरण के दूरगामी परिणाम को भी गौर करना बेहद ही जरूरी होता है। बात जब आधुनिकता की हो तो कहने के लिए हम बीसवीं सदी में पदार्पण कर गये हैं, आखिर इतना बदलाव तो बनता है, मगर यह बदलाव जब आधुनिकता की आड़ लेकर मानवीय व्यवहार को प्रभावित करने लगे तो क्या इसको हम आधुनिकता से संबोधित कर सकते हैं? नहीं! तब हम यही कहेंगे कि आधुनिकता की आड़ में अराजकता को हवा देने में लगे, मानव समाज के इस हिस्से ने मानवता को ही निगल लिया है। आधुनिक मानव समाज के पुरुष व नारी इस आधुनिकता की आड़ में अराजकता फैलाने में बराबर के हिस्सेदार हैं, ना कोई कम ना कोई ज्यादा! परन्तु भागीदारी में कोई किसी से कमतर नहीं है। हमारा पुरुष समाज तो आदि से आधुनिकीकरण की अराजकता हेतु बदनाम है, मगर हमारे आधुनिक समाज की स्त्री को अगर देखा जाए तो आधुनिकता की दौड़ में अव्वल हैं, जो रहन-सहन के साथ आचार-विचार व व्यवहार सबमें आधुनिकीकरण के दिखावे में पूर्ण दिग्भ्रमित होने के साथ-साथ सहभागी परिस्थितियों को भी दिग्भ्रमित किए जा रही हैं और ख्वाहिश व गुरूर बस यही कि इस आधुनिकता के दौर में वह सेल्फ डिपेंड हैं, उन्हें आखिर मानवता व मानवीय समाजवादी व्यवहारिक व्यवस्थाओं से क्या लेना-देना।

आखिर ऐसी आधुनिकता का क्या औचित्य जो स्वयं की उपस्थिति व स्वयं के विचारों को ही दिग्भ्रमित कर दे? आधुनिकता का मतलब होता है कि बढ़ती तकनीकी व विकासशील प्रक्रियाओं के द्वारा सुखमय जीवन व स्वस्थ्य विचारों, व्यवहारों को प्राप्त व प्रेषित करना, मगर यहाँ तो मामला ठीक अलग मार्ग का अनुसरण कर रहा है, यहाँ आधुनिकता की आड़ में मानव मानवीय व्यवहार को ऊँचा बनाने के बजाय अराजकता को जन्म देते हुए उच्च व निम्न के बीच की खाईं को और भी बढ़ा रहा है। चमक-दमक व दिखावे का ऐसा जुनून कि क्या कहें? ऐसी आधुनिकता आखिर किस काम की जो केवल सेल्फ डिपेंड के दिखावे से शुरू होकर दिखावे में ही समाप्त हो जाती हैं? आधुनिकता की आड़ में अराजकता के दौरान सबसे बड़ा बदलाव किसी भी चीज में शॉर्टकट का चयन अर्थात् इस आधुनिकीकरण की सोच चीजें जितनी छोटी होंगी, फायदे उतने अधिक होंगे, इसी फिराक में सबसे पहले परिवार का स्वरूप बदला, जो एकल हो गया, फिर पहनावे का रूप बदला, जो अत्यंत ही छोटा हो गया, फिर खान-पान का रूप बदला जो डाइटिंग तक आ गया बाकी व्यवहारिक व्यवस्थाओं के अंतर्गत सामूहिक से घटकर स्व तक सीमित हो गया, इस स्व की भी बड़ी विचित्र बिडम्बना है जिसे शब्दों में व्यक्त कर पाना शायद संभव नहीं।
आधुनिकता की आड़ में ऐसी अराजकता मानवीय सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण से बेहद ही निम्न स्तरीय स्थिति को इंगित करता है। आधुनिकता का यह दौर मानवता के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहा है, जिसे प्रत्यक्ष तो देख हर कोई रहा है, मगर प्रतिकार करे आखिर कौन? जब सभी इस अराजकतापूर्ण आधुनिकीकरण के वशीभूत हैं। इस आधुनिकता की आड़ में अराजकता के सहभागी कुछ प्रत्यक्ष हैं तो कुछ परोक्ष, मगर सहभागिता तो सभी की है। जहाँ आधुनिकता की अराजकता के रूप में सेल्फ डिपेंड का गुरूर अगर महिलाओं पर हावी है, तो वहीं पुरुष पर आधुनिकता की अराजकता के अंतर्गत पुरुष प्रधान समाज का भ्रम हावी है। आखिर इस आधुनिकता से तो बेहतर प्राचीनता ही है, जहाँ मानवीय समाजवादी व्यावहारिक व्यवस्थाओं में मानवता का अपना महत्वपूर्ण स्थान तो है। आधुनिकता किसी भी समय कालखण्ड में बेहतरी के लिए जानी-पहचानी जानी चाहिए, ना कि आधुनिकीकरण की अराजकता के लिए! अतः आधुनिकता अपनाइए मगर अराजकता से दूर रहते हुए! इसी में हमारा-आपका व इस समस्त मानव समाज का कल्याण निहित है।

मिथलेश सिंह मिलिंद
मरहट पवई आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)

Sunday, December 6, 2020

अंदाज़ ए लखनऊ

आज हवा जब हुई जहरीली 

भेजो तुम फिर सबको नोटिस,

तेरा-मेरा मेरा-तेरा फिर 

जग को तुम भेजो नोटिस,

पहले दूसरे नंबर का ये 

खेलो न तुम खेल पुराना,

अंत धरा में है सबका 

जब तक प्राण हैं प्राण बचाना ,

हरियाली के जीवन को 

भेजो फिर तुम सब को नोटिस,

आज हवा है फिर जहरीली

भेजो न अपने को नोटिस ।

 

धर्मांतरण पर संवैधानिक अंकुश सफल या विफल _

देश में आजकल ‘लव जिहाद’ शब्द बहुत ज्यादा प्रचलित है। हाल की कुछ घटनाओं के मद्देनजर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक सरकारें विवाह के लिए कथित रूप से धर्मान्तरण पर अंकुश के लिए कानून बनाने की तैयारियां कर रही हैं। अभी देखना यह है कि इन राज्यों के प्रस्तावित धर्मान्तरण निरोधक कानून में विवाह के लिए धर्म परिवर्तन या छल से विवाह करके धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य करना निषेध बनाने के बारे में क्या और कैसे प्रावधान होंगे।


इस समय ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में धर्म स्वतंत्रता धर्मान्तरण निरोधक नाम से कानून हैं। इन कानूनों में जबरन अथवा बहला-फुसलाकर या धोखे से धर्म परिवर्तन कराना निषेध और दंडनीय अपराध है। इन कानूनों में नाबालिग किशोरी या अनुसूचित जाति-जनजातियों के सदस्यों से संबंधित मामलों में ज्यादा सज़ा का प्रावधान है। लेकिन कुल मिलाकर एक साल से लेकर पांच साल तक की कैद और 50 हजार रुपये तक के जुर्माने की सज़ा का प्रावधान है।


उत्तर प्रदेश के कानपुर और मेरठ में कथित लव जिहाद की घटनाओं में वृद्धि देखी गयी है और यही वजह है कि राज्य सरकार ने अकेले कानपुर में ही कथित लव जिहाद के कम से कम 11 मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित किया गया है।


यह कितना विरोधाभासी है कि केन्द्र सरकार ने फरवरी, 2020 में लोकसभा को बताया था कि ‘लव जिहाद’ जैसा कोई शब्द मौजूदा कानूनों के तहत परिभाषित नहीं किया गया है और इससे जुड़ा कोई भी मामला केंद्रीय एजेंसियों के संज्ञान में नहीं आया है। यही नहीं, गृह राज्यमंत्री किशन रेड्डी ने यह भी कहा कि संविधान किसी भी धर्म को स्वीकारने, उस पर अमल करने और उसका प्रचार-प्रसार करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।


देश में पहले से ही विशेष विवाह कानून हैं, जिसके अंतर्गत किसी भी जाति या धर्म के दो वयस्क शादी करके अपने विवाह का पंजीकरण करा सकते हैं। ऐसे अनेक मामले हैं, जिनमें अलग-अलग धर्म के मानने वाले वयस्क लड़के और लड़की ने धर्मान्तरण के बगैर ही विवाह किया और वे खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।


दूसरी ओर, सिर्फ विवाह के लिए धर्म परिवर्तन किये जाने की घटनाओं पर देश की न्यायपालिका पिछले तीन दशक से चिंता व्यक्त करती रही है। न्यायपालिका ने पहली पत्नी को तलाक दिये बगैर सिर्फ विवाह के लिए धर्म परिवर्तन करके इस्लाम धर्म कबूल करने की घटनाओं के मद्देनजर महिलाओं के हितों की रक्षा और इस काम के लिए धर्म का दुरुपयोग रोकने के लिए 1995 में धर्मान्तरण कानून बनाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था। लेकिन अब तक इस दिशा में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई। केरल और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में लव जिहाद का मुद्दा उठता रहता है। हाल ही में फरीदाबाद में एक लड़की की हत्या के मामले को भी लव जिहाद से जोड़ा गया।


हाल के वर्षों में 2017 का हादिया प्रकरण सबसे ज्यादा चर्चित हुआ था, जिसे लव जिहाद का नाम दिया गया था क्योंकि अखिला अशोकन नाम की युवती ने इस्लाम धर्म अपनाकर अपना नाम हादिया रखा और फिर एक मुस्लिम युवक से शादी कर ली थी। उच्च न्यायालय ने इस शादी को अमान्य घोषित कर दिया था। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हादिया और शफीन की शादी वैध है और किसी भी अदालत या जांच एजेंसी को उनकी शादी पर सवाल उठाने का हक नहीं है।


ऐसी अनेक घटनायें सामने आयी हैं, जिसमें विवाह के बाद धर्म परिवर्तन से इनकार करने पर लड़की को यातनाएं दी गयीं, उन्हें तलाक देकर बेसहारा छोड़ दिया गया या फिर ऐसे लड़कियां लापता हो गयीं और बाद में उनके शव मिले। ऐसे कई मामलों में लड़के और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामले भी दर्ज हुए हैं। इन घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में सवाल यह उठता है कि ऐसे मामलों से कैसे निपटा जाये।


देश के कुछ हिस्सों, विशेषकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक में धर्म विशेष के युवकों द्वारा अपनी पहचान छिपाकर हिन्दू युवतियों को प्रभावित करके उनसे विवाह करने और उन्हें धर्म बदलने के लिए मजबूर करने की बढ़ती घटनाओं को ‘लव जिहाद’ का नाम देकर इस पर अंकुश पाने के लिए धर्मान्तरण निरोधक कानून बनाने की तैयारी चल रही है।


हमारे देश का कानून किसी भी वयस्क लड़के या लड़की को अपनी मर्जी और अपनी पसंद से विवाह करने का अधिकार प्रदान करता है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि दूसरे धर्म में शादी के कुछ समय बाद अगर धर्म परिवर्तन का मुद्दा उठता है जो वैवाहिक जीवन में बाधक बन रहा हो तो उस समस्या से निपटने के लिए भारतीय दंड संहिता, दंड प्रकिया संहिता और घरेलू हिंसा से महिलाओं को संरक्षण या विशेष विवाह कानून (इसके तहत विवाह का पंजीकरण होने की स्थिति में) के प्रावधानों के अलावा क्या कोई अलग से विशेष प्रावधान किया जायेगा।


देखना है कि ये राज्य सरकारें इन प्रस्तावित कानूनों में पहचान छुपा कर दूसरे धर्म की महिला से मित्रता करके उससे शादी करने और फिर शादी के बाद धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने को अपराध घोषित करते हुए किस तरह की सज़ा का प्रावधान करती हैं।


उत्तर प्रदेश नोएडा फिल्म सिटी : सफल होने की प्रतिस्पर्धा में 

 अभी विगत माह ही उत्तर प्रदेश का अयोध्या, अपने यहां भव्य राम मंदिर निर्माण को लेकर विश्व भर में सुर्खियां, लोकप्रियता बटोर रहा था. जबकि अब यकायक फिर से उत्तर प्रदेश अपने एक और भव्य निर्माण कार्य के लिए इतना चर्चित हो गया है कि उसकी गूंज देशभर में ही नहीं, दुनिया के कई हिस्सों तक पहुंच गई है। 

गौरवान्वित होने की बात यह है कि उत्तर प्रदेश के नोएडा में फिल्म सिटी बनने से रोज़गार के लाखों अवसर मिलने के साथ नई प्रतिभाओं को मौके भी मिल सकेंगे. हालांकि ये सब बातें देखने सुनने में जितनी अच्छी लगती हैं, हक़ीक़त में इतनी आसान नहीं। 

 

यूं किसी काम को करने का संकल्प लेकर उसे शिद्दत से करने के लिए ठान लिया जाये तो मुश्किल तो कुछ नहीं, फिर भी आज सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या योगी का यह सपना पूरा हो सकेगा और पूरा होगा तो उसमें कितने बरस लगेंगे? साथ ही यह भी कि हॉलीवुड की तर्ज पर बॉम्बे फिल्म उद्योग को जैसे बॉलीवुड कहा जाता है. ऐसे ही आने वाले कल में नोएडा की फिल्म सिटी को 'नॉलीवुड' कहा जा सकता है. फिर हमारे यहां बॉलीवुड के साथ क्षेत्रीय सिनेमा में कॉलीवुड और टॉलीवुड भी बन चुके हैं। 

 

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने उस मुम्बई को आइना दिखा दिया है जो ‘बॉलीवुड' के चलते इतराया करता है। बॉलीवुड की पहचान हिन्दी फिल्मों से जुड़ी है। बॉलीवुड में करीब 80 प्रतिशत कलाकार, लेखक, निर्देशक, गीतकार, संगीतकार, टेक्नीशियन और अन्य स्टाफ उत्तर भारत से आकर अपनी किस्मत अजमाता है। जहां की मात्र भाषा हिन्दी है। अक्सर कहा जाता है कि मुम्बई लोगों की किस्मत संवारती है। देश भर से हर दिन लाखों लोग अपने हसीन सपने पूरे करने मुम्बई आते हैं। बॉलीवुड का नाम अंग्रेजी सिनेमा उद्योग हॉलिवुड के तर्ज पर रखा गया है। हिन्दी फिल्म उद्योग बॉलीवुड में बनीं हिन्दी फिल्में हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और दुनिया के कई देशों के लोगों के दिलों की धड़कन हैं।

 

बॉलीवुड में करीब 20 भाषाओं में फिल्में बनती हैं, लेकिन इसमें 80 फीसदी हिस्सा हिन्दी फिल्मों का है। हिन्दी फिल्मों में उर्दू, अवधी, बम्बइया हिन्दी, भोजपुरी, राजस्थानी जैसी बोलियाँ भी संवाद और गानों में देखने को मिल जाती हैं। बॉलीवुड की फिल्मों में प्यार, देशभक्ति, परिवार, अपराध, भय, इत्यादि मुख्य विषय होते हैं। बॉलीवुड भारत में सबसे बड़ी फिल्मी नगरी है। यहां का देश के शुद्ध बॉक्स ऑफिस राजस्व में से 43 प्रतिशत का योगदान रहता है, जबकि तमिल और तेलुगू सिनेमा 36 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं। बाकी के क्षेत्रीय सिनेमा का योगदान मात्रं 21 प्रतिशत है। बॉलीवुड दुनिया में फिल्म निर्माण के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है। बॉलीवुड कार्यरत लोगों और निर्मित फिल्मों की संख्या के मामले में दुनिया में सबसे बड़े फिल्म उद्योगों में से एक है।

 

बॉलीवुड की फिल्मों की आत्मा हिन्दी है तो इस फिल्म इंडस्ट्री को दुनिया की नंबर दो हैसियत दिलाने में हिन्दी भाषी लोगों का विशेष योगदान है, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि बॉलीवुड भले हिन्दी भाषियों के कंधे पर खड़ा हो, परंतु उत्तर भारत से आने वाले कलाकारों को मुम्बई कभी वह सम्मान देने को तैयार नहीं हुआ जिसके वह हकदार हैं। खैर, अच्छी बात यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संकल्प के साथ सिर्फ यूपी के कलाकार ही नहीं, सिने जगत के दिग्गज भी जुड़े हैं। फिल्म निर्देशक संघ के अध्यक्ष अशोक पंडित का कहना है कि मुंबई के बाद यूपी सरकार इकलौती है, जो इस दिशा में आगे आई है। उन्होंने भरोसा जताया है कि 2023 तक यूपी की फिल्म इंडस्ट्री बन कर तैयार हो जाएगी।

 

लब्बोलुआब यह है कि यूपी में नई फिल्म सिटी तो बने लेकिन वह किसी भी तरह से सियासत का अड्डा नहीं बन पाए। बॉलीवुड की आलोचना करने के लिए यहां कोई स्थान नहीं होना चाहिए। जैसे तेलगू, बंगाली, पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री काम कर रही हैं वैसे ही यूपी की फिल्म इंडस्ट्री को भी सबके साथ चलना होगा। बिना भेदभाव के प्रतिभाओं का पूरा सम्मान और सुविधा मिले यह नई फिल्म इंडस्ट्री का मूल मंत्र होना चाहिए।

 

जिस तरह इस उत्तर प्रदेश की फिल्म सिटी की घोषणा के साथ ही सिनेमा और राजनीति से जुड़े लोग यह कहने लगे हैं कि इससे मुंबई की जगह हिन्दी फिल्में अब नोएडा में ही बनने लगेंगी. बहुत से आम लोगों के मन में भी कुछ ऐसी ही धारणा बनती दिख रही हैं। इसलिए तब यह भी सवाल उठता है कि क्या 'नॉलीवुड' की यह फिल्म सिटी बॉलीवुड को टक्कर दे सकेगी? क्या इसके बाद बॉलीवुड ख़त्म होकर इतिहास में सिमट जाएगा?

 

बाकी है।

बाकी है अभी जीना
क्योंकि बाकी है अभी
तुमसे फिर से मिल
मोहब्बत करके मर मिटना।


बाकी है अभी
तुमसे मिलकर मुस्कुराना
क्योंकि बाकी है अभी
तुम को अपना बना कर
अपने सीने से लगाना।


बाकी है अभी
तुम से आंखों से आंखें मिलाना
क्योंकि बाकी है अभी
बहते अश्कों को छुपा कर
किसी और का बतलाना।


बाकी है अभी
कुछ हसरतें नाज़ुक से दिल की
क्योंकि बाकी है अभी
बिखरी हुई कुछ
तेरी यादें इस दिल में।


Thursday, December 3, 2020

होतीं हैं ऐसी हड़तालें?

हड़ताल का मुद्दा या मकसद कुछ भी हो लेकिन कार्य शैली एक जैसी ही होती है।

तोड- फोड़, आगजनी, परिवहन को बाधित करना,हिंसक घटनाओं को अंजाम देना। आखिर क्यों होती हैं ऐसी हड़तालें जिसमें जनता के कष्ट से किसी को सरोकार नहीं। प्रबंधन अपनी सुस्त गति से ही जानता है, अलगाववादी अपनी राजनीति की रोटियां सेकते हैं, हड़ताल कर्ताओं को अपने स्वार्थ के अलावा और कुछ नहीं दिखता। जनता की परेशानी इसमें से किसी के भी दृष्टि पथ में नहीं होती। ऐसी स्थिति देखकर देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है कि यदि लोकतंत्र है तो जनता सर्वोपरि होना चाहिए लेकिन ऐसा है नहीं, देश की जनता ही सर्वाधिक उपेक्षित है। कोई भी विभाग हो प्रत्येक स्थान पर जनता को उसका अधिकार देने में कृपणता बरती जाती है, कोई भी काम सरलता से नहीं होता, उटपटांग नियमों में उलझा कर और अधिक जटिल जटिल बना दिया जाता, परिणाम स्वरूप देश में हड़ताल ओं का दौर कभी खत्म होता ही नहीं। प्रशासन और प्रबंधन अपनी कलम और वाणी के जरिए जनता के हित में नारा बुलंद तो करते हैं किंतु जब क्रियान्वयन की बारी आती है तो संकल्प "मैं "और "मेरे' स्वार्थ के नीचे दब कर रह जाते हैं।

 

अब बात करें तो जनता को भी यह समझना चाहिए कि धरना, प्रदर्शन, हड़ताल आदि आपके मौलिक अधिकार हैं किंतु ध्यान रखा जाए कि आपके इस अधिकार से किसी और के अधिकार प्रभावित नहीं होने चाहिए मसलन वाहन रोकना, दुकानें बंद कराना, हिंसक वारदात करना इसे किसी भी प्रकार से सही नहीं ठहराया जा सकता। प्रशासन प्रबंधन एवं जनता सभी का उत्तरदायित्व बनता है कि हड़ताल के इस विकृत हिंसक रूप बढ़ावा न दिया जाए।

 

रश्मि मिश्रा

भोपाल मध्यप्रदेश