Tuesday, February 2, 2021

4 फरवरी विश्व कैंसर दिवस


"खुशबू केसर की कैंसर तक ले गयी, शौक दो ग्राम सुपारी, सुपारी दे गयी"

                'कैंसर’ एक ऐसा शब्द है, जिसे अपने किसी परिजन के लिए डॉक्टर के मुंह से सुनते ही परिवार के तमाम सदस्यों के पैरों तले की जमीन खिसक जाती है। दरअसल परिजनों को अपने परिवार के उस सदस्य को हमेशा के लिए खो देने का डर सताने लगता है। बढ़ते प्रदूषण तथा पोषक खानपान के अभाव में यह बीमारी एक महामारी के रूप में तेजी से फैल रही है। कैंसर के संबंध में यह जान लेना बेहद जरूरी है कि यह बीमारी किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन अगर इसका सही समय पर पता लगा लिया जाए तो उपचार संभव है। कैंसर एक ऐसी बीमारी बन चुकी है। जिसके मरीज दिन प्रति दिन बढ़ते जा रहे है। इसका इलाज काफ़ी महंगा है। एक गरीब को हो जाने पर उसके बचने की सम्भावना बहुत कम हो जाती है। यदि यह बीमारी अमीरों को होती है तो वो काफी पैसा खर्च इलाज करवा लेते है। मेरा प्रश्न यह है कि आखिर क्यों कैंसर की बीमारी होती है? तीन-चार दशक पहले की बात करें तो कैंसर मरीजों की संख्या इतनी नहीं थी।
               आधुनिक विश्व में कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिससे सबसे ज़्यादा लोगों की मृत्यु होती है। विश्व में इस बीमारी की चपेट में सबसे अधिक मरीज़ हैं।
उद्देश्य कैंसर से होने वाले नुकसान के बारे में बताना और लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करना।
अन्य जानकारी कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज तो अभी तक मुमकिन नहीं हो पाया है पर इसे काबू करना और इससे बचाव संभव है। विश्व कैंसर दिवस प्रत्येक वर्ष 4 फ़रवरी को मनाया जाता है। आधुनिक विश्व में कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिससे सबसे ज़्यादा लोगों की मृत्यु होती है। विश्व में इस बीमारी की चपेट में सबसे अधिक मरीज़ हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद कैंसर के मरीजों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है। इसी कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस की तरह मनाने का निर्णय लिया ताकि लोगों को इस भयानक बीमारी कैंसर से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जा सकें और लोगों को अधिक से अधिक जागरूक किया जा सकें।
            विश्व कैंसर दिवस के इतिहास के बारे में बात करें तो इसकी सही शुरुआत वर्ष 2005 से हुई थी। और तब से यह दिन विश्व में कैंसर के प्रति निरंतर जागरुकता फैला रहा है। भारत में भी इस दिन सभी स्वास्थ्य संगठनों ने जागरुकता फैलाने का निश्चय लिया है। भारत उन देशों में काफ़ी आगे है जहां तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों की वजह से कैंसर के मरीजों की संख्या बहुत ज़्यादा है। कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज तो अभी तक मुमकिन नहीं हो पाया है पर इसे काबू करना और इससे बचाव संभव है। वैसे कैंसर हो जाने पर इससे छुटकारा पाना मुश्किल होता है पर नामुमकिन नहीं। मरीज़ अगर दृढ़ इच्छाशक्ति से इस बीमारी का सामना करे और सही समय पर इलाज मुहैया हो तो इलाज संभव हो जाता है। साथ ही हमेशा से माना जाता है कि उपचार से बेहतर है बचाव। इसी तरह कैंसर होने के बचे रहने में ज़्यादा समझदारी है।
                कैंसर से बचने के लिए तंबाकू उत्पादों का सेवन बिलकुल न करें, कैंसर का ख़तरा बढ़ाने वाले संक्रमणों से बचकर रहें, चोट आदि होने पर उसका सही उपचार करें और अपनी दिनचर्या को स्वस्थ बनाए। कैंसर के ज़्यादातर मामलों में फेफड़े और गालों के कैंसर देखने में आते हैं, जो तंबाकू उत्पादों का अधिक सेवन करने का नतीजा होता है। ऐसे मामलों में उपचार बेहद जटिल हो जाता है और मरीज़ के बचने के चांस भी कम हो जाते हैं। इसके साथ ही आजकल महिलाओं में स्तन कैंसर काफ़ी ज़्यादा देखने में आ रहा है जो बेहद खतरनाक होने के साथ काफ़ी पीड़ादायक होता है। यदि सही समय पर अगर इसके लक्षणों को पहचान कर उपचार किया जाए तो इसका इलाज बेहद सरल बन जाता है। कैंसर से सबसे ज़्यादा ख़तरा होता है युवाओं को जो आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में खुद को तनाव मुक्त रखने के लिए धूम्रपान का सहारा लेते हैं। विश्व को कैंसर मुक्त करने के लिए आप भी कदम बढ़ाएं और खुद तथा अपने सगे सबंधियों को तंबाकू, सिगरेट, शराब आदि से दूर रहने की सलाह दीजिए।


मैं प्रमाणित करता हूँ कि मेरी रचना मौलिक, स्वरचित है।

मातापिता

माता पिता भी तो इंसान हैं हमारे सपनों को पूरा करने के लिए न जाने अपने कितने अरमानों को अधूरें  सपनों को त्याग दिये  होंगे बिना पूरा किये। उनके सपने चाहें पूरे हुए या नहीं वो उसे भूल नहीं पाते उन अधूरे सपनों की एक पोटली बनाकर रख देते हैं। और हमारा भविष्य संवारने में जुट जाते हैं स्वयं को भूल जाते हैं।


और हम बच्चें बस उनसे मांगते ही रहते  हैं कभी ये नहीं सोंच पाते कि हमें भी उनके लिये कुछ करना  चाहिए ।
हमारे सपनों को पूरा करते करतें वो खुद खो जाते हैं ।
समय अपनी गति से चलते रहता है और एक वक़्त ऐसा आता है जब हम उनकी जगह स्वयं को  पाते हैं जब हम माता पिता बनते हैं और अपने सपनों को अपने बच्चों के लिए त्यागते है। पर तब भी हमारा स्वार्थी मन अपने माता पिता के बारे में नहीं सोच पाता एक पुराना सामान समझकर या तो फेंक देते हैं या घर के किसी कोने में निरर्थक सा रख देते हैं हमें ये तक याद नहीं रहता कि आज हम जो भी हैं ये उनकी देन हैं अपने सुख सुविधाओं के मद में खोये रहतें हैं मिटा देते हैं उनके त्याग और प्यार को ।

जितना प्यार और दुलार हम अपने बच्चों से करते   हैं हमारें माता पिता ने  भी हमें उतने ही प्यार दुलार से पाला पोषा था। जितनी सुख सुविधाएं हम  अपने बच्चों को देते हैं वो भी हमें दिये थें। हाँ ये जरूर हो सकता हैं कि कुछ अभावों के चलतें वो हमें सबकुछ नहीं दे पाये होंगे परंतु हमारी ज़रूरतें  और जिम्मेदारियां बखूबी निभाये और पूरे कियें। ये उनके सफलतापूर्वक निर्वहन किये गये  जिम्मेदारियों का ही प्रतिफल है कि आज हम सफल हैं।

हमसे वो चाहते ही  क्या हैं बस थोड़ा सा प्यार और सम्मान क्या हम इतना भी नहीं दे सकते उन्हें जिन्होनें हमें जीवन दिया जीना सिखाया ,हमारे डगमगाते क़दमों को चलना सिखाया तो क्या हम उनके लड़खड़ाते क़दमों को अपनी मजबूत बांहों का सहारा नहीं दे सकते ??

क्या सही और क्या ग़लत सोचिएगा जरूर मेरी सोंच तो यही कहती हैं जो काम करने से पहले सोचना न पड़े वो सही। और जो करने से पहले और करने के  बाद सोचना पड़े वो गलत। सही का मार्ग मुश्किल जरूर होता है किन्तु सही होता है जबकि गलत का रास्ता बहुत आसान होता है फिर भी गलत ही होता है।

माता पिता बनने में और होने में बहुत अंतर होता है मां बाप कोई भी बन सकता हैं कितुं माता पिता वो होते हैं जो अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हैं सिर्फ हमें जीवन ही नहीं देते अपितु जीने  योग्य जिन्दगी देते हैं ।

आज हम जो भी हैं इसलिए हैं कि हमें इतने अच्छे माता पिता मिले जिन्होंने अपनी खुशियों की परवाह किये बिना हमें कामयाब बनाया  जिसका ऋण  हम जीवन भर नही उतार सकते ।

जो हमें दिन रात अनमोल दुआंएं देते रहते हैं बिना किसी स्वार्थ के हमारी सारी बलाएं स्वयं के लिए मागते रहते हैं ईश्वर से  और हमारे लिए सिर्फ दुआएं, कितने अनमोल होते हैं हमारे माता पिता। अब ये हम पर निर्भर हैं हम अपना कल कैसा चाहते हैं हमारा कल उतना ही सुखद होगा जितना उनका आज।

"आदर एक निवेश हैं"


प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"

यह बजट किसानों,गरीबों, महिलाओं के उम्मीदें पूरी ना कर रही है

यह बजट किसानों की आय को दुगना करने के लिए पूरी तरह अपर्याप्त है, यह भी देखने की बात है कि  वित्त मंत्री जी ने जो किसानों के आय में वृद्धि की बाते कहीं है ये आखिर  वृद्धि  किसान की लागत में कितनी वृद्धि होगी  ,हर वर्ष बजट में बड़ी बड़ी बाते तो कहीं जाती है ,लेकिन उस पर सरकार 10 प्रतिशत भी अमल कहां करती है , वहीं देखे तो   यह भी वित्त मंत्री ने इस बजट में नहीं बताया है कि अन्नदाता का आय 2022 तक कैसे दुगुनी होगी , इसलिए किसान की आय में शुद्ध वृद्धि बहुत कम ही दिखती है। सरकार का उद्देश्य बीते वर्षों में ही किसान की आय को दुगना करने का था, लेकिन दुगना करने के स्थान पर सरकार अधिकतम केवल पांच प्रतिशत की वृद्धि हासिल कर सकी है। इसलिए इस दिशा में और ठोस कदम उठाने चाहिए थे, जो कि बजट में नहीं उठाए गए हैं। कुल मिलाकर यह बजट विशिष्ट नहीं, बल्कि किसान ,महिला , युवाओं के उम्मीद का बजट नहीं कहा जा सकता है ।तमाम दावों के बावजूद किसानों की आशंकाओं को दूर करने में सरकार अब तक असफल रही है। यही सच है कि कोरोना महामारी ने सरकार की ही नहीं, आम आदमी की भी बैलेंस शीट बिगाड़ी है,अर्थव्यवस्था पर इसका बहुत बुरा असर पड़ा है। ऐसे में सरकार और वित्त मंत्री से सबकी उम्मीदें बहुत ज्यादा थी ,लेकिन इस बजट में सरकार किसानों ,महिलाओं, युवाओं सभी को निराश ही किया है , लॉकडाउन में बहुत से लोगो का नौकरी चली गई, बहुतों का रोजगार काम सब चौपट हो गया ,लेकिन सरकार इन वर्गों को मदद होने वाली बजट के जगह पर बल्कि लगभग 23 सरकारी विभागों को निजी क्षेत्र को देने की घोषणा कर रही है ।


व्यास जी

 (दैनिक अयोध्या टाइम्स)

*इटावा व्यूरो चीफ*
(नेहा कुमारी गुप्ता)


एक दस्ता है अनकही सी मेरे जसबातों में  
जो आज लिख रहा हूं मेरे अल्फाजों में ।

जो कभी सपने थे मेरे  लब्जों में तेरे 
वो आज  बन गए है सपने  मेरे ।।

कागज की एक कास्ती थी मेरी 
तुझसे ही एक हस्ती थी मेरी ।

समुंदर को पार करने की तमन्ना थी 
कभी ना रुकने की एक सक्ती थी ।

पर आज राहें अधूरी सी लगती है 
चल तो रहे है पर तेरी यादें ही चलती हैं।।

बहुत समझाते है अपने आप को हर वक्त
पर जब तुझे ना सोचें ऐसा नई कोई वक्त ।

कभी बढ़ते है कदम तो कभी रुक जाते हैं
जब आती है तेरी यादें तो सांस रुक जाती है ।

वैसे तो है बहुत गुरूर अपनी सक्सियत का मुझे ।
पर जब हो बात तेरे प्यार की तो हम झुक जाते हैं।।

खुद को लिखना है अभी वाकी 
जो पा लिया वो नहीं है काफी ।

अभी तो बस सुरूवात है मेरी 
हर जीत दिखती है बस हार तेरी।

वो सब मेरी कहानी का हिस्सा है 
जो गुजर गया वो एक किस्सा है ।

अभी वो बस पंख खोलें है 
पूरी उड़ान वाकी है 

जा  जीले तू अपनी जिंदगी 
अभी भी मुझमें जान वाकी है ।

लोगों  के दिल में आज भी हूं में
क्योंकि मेरे कर्मो की शान वाकी है।।

एक दिन पा लूंगा मंजिल अपनी 
क्योंकि मेरे भोले की पहचान काफी है ।।

व्यास जी की कलम से सप्रेम भेंट

 (दैनिक अयोध्या टाइम्स)

*इटावा व्यूरो चीफ*
(नेहा कुमारी गुप्ता)

एक आशियाँ हो मेरा भी छोटा सा जिसमे दो प्रेमी रहते हो ।
कभी वो मेरे लिए संगर्ष करे कभी में उसके लिए संगर्ष करूँ।।
कभी वो मेरी ख़ुशी को अपना समझे और कभी मै उसके दुःख को अपना मानु।।
जब भी चले नयी राहों पे तो उड़ान साथ भरे आसमां की ओर ।
वो मुझे सहारा दे  होसला बढाये और में उसका सहारा बनू।।
ऐसा हो मेरी खुशियों का आशियाँ जिसमे वो हो और में हूँ।
काश मेरा भी एक छोटा सा आशियाँ होता जिसमे दो प्रेमी रहते हों ।।
मंजिये मिलें अगर तो एक साथ रहकर मिले न काँटों की चुभन हो न हरने का डर हो।।
न उसको मुझसे कोई सिकायत हो न में उसो कभी सिकायत का मौका दूँ।
न कभी वो मुझसे दूर हो न मुझे उससे दूर होने का ख्याल आये ।।
काश मेरा भी एक छोटा सा आशियाँ होता जिसमे दो प्रेमी रहते हों ।।
वो मेरी गलती को भूल जाये में उसमी गलती को भूल जाऊ।
जब भी नया सबेरा हो नए जीवन की सुरुबात हो सूर्य की नयी किरण सफलता की सुरुवात हो।।
मेरा  भी कोई हो जो मेरा हमसफर बने मुझे समझे और मुझसे प्यार करे।।
न कोइ मज़बूरी हो सांसारिक न  कोई रिश्तों की  रकावट हो ।
काश मेरा भी एक छोटा सा आशियाँ होता जिसमे दो प्रेमी रहते हों ।।

 हो मेरा भी छोटा सा जिसमे दो प्रेमी रहते हो ।
कभी वो मेरे लिए संगर्ष करे कभी में उसके लिए संगर्ष करूँ।।
कभी वो मेरी ख़ुशी को अपना समझे और कभी मै उसके दुःख को अपना मानु।।
जब भी चले नयी राहों पे तो उड़ान साथ भरे आसमां की ओर ।
वो मुझे सहारा दे  होसला बढाये और में उसका सहारा बनू।।
ऐसा हो मेरी खुशियों का आशियाँ जिसमे वो हो और में हूँ।
काश मेरा भी एक छोटा सा आशियाँ होता जिसमे दो प्रेमी रहते हों ।।
मंजिये मिलें अगर तो एक साथ रहकर मिले न काँटों की चुभन हो न हरने का डर हो।।
न उसको मुझसे कोई सिकायत हो न में उसो कभी सिकायत का मौका दूँ।
न कभी वो मुझसे दूर हो न मुझे उससे दूर होने का ख्याल आये ।।
काश मेरा भी एक छोटा सा आशियाँ होता जिसमे दो प्रेमी रहते हों ।।
वो मेरी गलती को भूल जाये में उसमी गलती को भूल जाऊ।
जब भी नया सबेरा हो नए जीवन की सुरुबात हो सूर्य की नयी किरण सफलता की सुरुवात हो।।
मेरा  भी कोई हो जो मेरा हमसफर बने मुझे समझे और मुझसे प्यार करे।।
न कोइ मज़बूरी हो सांसारिक न  कोई रिश्तों की  रकावट हो ।
काश मेरा भी एक छोटा सा आशियाँ होता जिसमे दो प्रेमी रहते हों ।।

Monday, February 1, 2021

बजट की हुंकार कोरोना के वार और महंगाई से हाहाकार .....बीच में पिसता मध्यवर्गीय संसार

प्रत्येक वर्ष के बजट की तरह  इस वर्ष का बजट भी सभी वर्गों के लिए अच्छा है घोषणा ही करता नजर आ रहा  है लेकिन मनों के बीच उठते सवाल और सच परिस्थितियों के आगे खामोश ही नजर आ रहे हैं।

परिस्थितियों ने लोगों को कोरोना जैसी महामारी और एक वर्ष की  गतिहीनता कोरोना में जहां लोग अपना काम धंधा छोड़ के घरों में बैठ गए हैं।  कुछ  समय तक तो जोड़ी हुए पूंजी से खाने की जरूरतों को पूरा करता हुआ आम इंसान अपना समय निकाल  रहा था।  
         इस दौर  का ज्यादा असर मध्य वर्गीय परिवारों और उन लोगों के ऊपर पर पड़ा है जिनके घर में एक भी सरकारी नौकरी वाला नहीं । कोरोना काल में ज्यादातर प्राइवेट नौकरियों से भी लोगों को हाथ धोना पड़ा । मध्यवर्गीय परिवारों की यह विडंबना रही है और सबसे ज्यादा असर भी उनके ऊपर पड़ा है, जिनके पास ना तो उच्च वर्ग की तरह जमा पूंजी है और ना ही निम्न वर्ग की तरह कुछ भी मांग कर अपनी जरुरतों को पूरा करने की हिम्मत है। 
क्योंकि यह  परिवार ... ना तो निर्धन रेखा से नीचे आते हैं । ना ही कमाई के ऐसे सशक्त साधन है कि अपना उत्पादन करके बेच सकें ।
ऐसा नहीं है कि कोरोना काल में लोगों ने कमाई नहीं की है । जो लोग अपना उत्पादन बेच सकते थे ,इन हालातों में बाजारों  में दुकानदारों ने जरूरी चीजों के दाम इतने ज्यादा कर दिए हैं कि हर चीज के लिए कीमत चौगनी चौगनी वसूल कर रहे हैं इस बीच मध्य वर्गीय परिवार जो मकान का किराया, बिजली -पानी के बिल ,  बच्चों के स्कूल की ऑनलाइन क्लासेस की फीस  और ऊपर से बेरोजगारी के कारण आठ महीने से घर पर बैठकर अपने भविष्य की चिंता कर रहा है । आर्थिक त्रासदी के साथ-साथ मानसिक त्रासदी को भी भोग रहा है ।
लोग ज्यादातर बाजार में जरूरत की चीजें  लेने जाते हैं जरूरत के दूसरे समान अगर किसी ने लेने की जरुरत पड़ गई है तो उस वस्तु की कीमत  दुकानदार ज्यादा वसूल रहे हैं।  इस महामारी में जहां हर तरफ मौत अपना पांव पसारे खड़ी है। आए दिन सैकड़ों मामले कोरोना के  आ रहे  है फिर भी इंसान का यह लालच थम नहीं रहा है वह और ज्यादा और ज्यादा जो ग्राहक भी आ रहे हैं उसे मन माना दाम वसूल कर रहे हैं। हर चीज के भाव बहुत ज्यादा हो गए हैं। खाने-पीने और राशन की जरूरतों तो हर इंसान ने पूरी करनी ही है।  सब्जियों के दाम भी पहले से बहुत ज्यादा हो गए हैं। 
 देश के हालात आर्थिक स्थितियां चिंताजनक स्थितियों से गुजर रही है।
    इस तरह की वसूली बहुत ही चिंता जनक है। जो लोग दुकानदार नहीं है और प्राइवेट नौकरियों के तहत जिनके काम बंद थे अब हालात बदलने पर  कुछ लोगों को ही नौकरी के अवसर मिल पाए हैं ।अपना रोज का काम- धंधा चलाना मुश्किल हो गया है क्योंकि जरूरी चीजें तो सब ने ही लेनी है। जिसके पास जो चीज है वह अपनी चीज के दाम  जो भी ग्राहक आ रहा है एक ही व्यक्ति से वसूल करना चाहता है।  प्रधानमंत्री जी का आत्मनिर्भर भारत मन की बात तक ही सीमित होकर रह गया है । क्योंकि इन मध्यवर्गीय परिवारों जिनकी हमारे समाज में बहुत बड़ी संख्या है अवसर नहीं देख पाने से मानसिक अवसाद सभी बातों को धोता हुआ नजर आ रहा है कोरोना  की मार से जो लोग बच गए हैं लगता है महंगाई और और देश की नीतियों और बजट की मार से नहीं बच पाएंगे।
 स्वरचित रचना 
 प्रीति शर्मा "असीम "

प्रेम आत्मा की सच्ची अभिव्यक्ति

प्रेम आत्मा की सच्ची अभिव्यक्ति है। नारद भक्ति सूत्र में स: हि अनिर्वचनीयो प्रेम रूप: कहकर परमेश्वर को पे्रम रूप घोषित किया है। यही परमतत्व है। इसी का बोध होने में ज्ञान की सार्थकता है। प्रेम आत्मा की विशेषता है। कबीर कहते हैं, ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय। अर्थात् ढाई अक्षरों में ही निहित प्रेम के इस तत्व को प्राप्त कर लेने में ही पांडित्य की सार्थकता है। इसमें ऐसा कौन सा तत्व निहित है, जिसे जानने से सब कुछ जान लिया जाता है? इस विषय पर चिंतन करने से ज्ञात होता है कि पत्‍‌नी-बच्चों से किया जाने वाला प्रेम, प्रेम नहीं मोह होता है। इस प्रेम और मोह में विरोधाभास जैसी स्थिति है। प्रेम चेतन से होता है और मोह जड़ से। पत्‍‌नी आदि से किया जाने वाला तथाकथित पे्रम उसके जड़ शरीर से होता है, न कि चेतन स्वरूप आत्मा से, अत: यह मोह ही है। इसकी जड़ की ओर उन्मुखता मात्र हाड़-मांस वाले शरीरधारियों तक ही सीमित नहीं रहती, वरन लकड़ी, पत्थर व चूने के बने भवन से लेकर विभिन्न प्रकार के सामानों तक बढ़ जाती है, पर इसके विस्तार का क्षेत्र जड़ ही है।


महर्षि याज्ञवल्क्य स्पष्ट करते हैं कि कोई भी आत्मा के कारण प्रिय हो, यही प्रेम की सच्ची परिभाषा है। मोह जहां विभेद उत्पन्न करता है, पे्रम वहीं अभेद की स्थिति पैदा करता है, पे्रम व्यापक तत्व है, जबकि मोह सीमित-परिमित। पे्रम का प्रारंभ संभव है किसी एक व्यक्ति से हो, पर उस तक सीमित नहीं रह सकता। यदि यह सीमित रह जाता है, कुछ पाने की कामना रखता है तो समझना चाहिए कि यह मोह है। प्रेम वस्तुओं से जुड़कर सदुपयोग की, मनुष्यों से जुड़कर उनके कल्याण की और विश्व से जुड़कर परमार्थ की बात सोचता है। मोह में मनुष्य, पदार्थ, विश्व से किसी न किसी प्रकार के स्वार्थ सिद्धि की अभिलाषा रहती है। प्रेम की ज्योति सामान्य दीपक की ज्योति नहीं, जिसमें अनुताप हो, अपितु यह दिव्य चिंतामणि की शीतल स्निग्ध ज्योति है, जिससे शरीर, मन, बुद्धि, अंत:करण प्रकाशित होते व समस्त संताप शांत होते हैं।


प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"
युवा लेखक/स्तंभकार/साहित्यकार

बजट 2021 में अहम है कबाड़ नीति, पर्यावरण के लिए तीन चीजों पर फोकस: सीएसई

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की पर्यावरणविद अनुमिता राय चौधरी का कहना है कि अगर पर्यावरण के लिहाज से देखें तो यह वेस्‍ट (व्‍यर्थ), वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण पर फोकस करता हुआ बजट है.

नई दिल्‍ली. आम बजट 2021 (Budget 2021) में पर्यावरण को लेकर फोकस किया गया है. वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश किए गए बजट में स्‍क्रैपिंग पॉलिसी (Scrapping Policy) लाने की बात कही गई है. भारत में पुराने वाहनों से लगातार बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए पर्यावरणविद लंबे समय से प्रदूषण (Pollution) फैलाने वाले पुराने वाहनों के स्‍क्रैपेज को लेकर मांग कर रहे थे. सीएसई ने खुद स्‍क्रैपेज पॉलिसी पर एक रिपोर्ट निकाली थी जिसपर पिछले पांच साल से चर्चा भी हो रही थी. अब अगर बजट 2021-22 में व्‍हीकल स्‍क्रैपेज पॉलिसी (Vehicle Scrappage Policy) लाने की बात कही गई है तो यह अच्‍छी बात है. यह कहना है सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की एक्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर अनुमिता राय चौधरी का.

न्‍यूज 18 हिंदी से बातचीत में अनुमिता राय चौधरी ने कहा कि बजट काफी ठीक है लेकिन असली मसला उसके उपयोग को लेकर है. यह पैसा किन जगहों पर खर्च किया जाना है. पिछले साल बजट 2020 में सरकार ने हवा को शुद्ध करने के लिए 4400 करोड़ रुपये दिए थे. इसके लिए 42 प्रमुख प्रदूषित शहरों पर यह पैसा खर्च होना था. हालांकि वह पैसा कैसे-कहां खर्च हुआ और उसका क्‍या परिणाम रहा यह तो स्‍टेटस रिपोर्ट आने के बाद ही कहा जाएगा लेकिन इस मद में इस साल भी इसमें 2267 करोड़ रुपये बढ़ाया गया है तो यह राहत की बात है.

कोरोना महामारी और इस दौरान प्रदूषण एक बड़ी समस्‍या रहा है. इस दौरान बस ट्रांसपोर्ट सेवा पर भी बड़ा खराब प्रभाव पड़ा था और हम लोगों की मांग भी थी जिस पर इस बजट में ध्‍यान दिया गया है बसों के लिए करीब 1800
न्‍यूज 18 हिंदी से बातचीत में अनुमिता राय चौधरी ने कहा कि बजट काफी ठीक है लेकिन असली मसला उसके उपयोग को लेकर है. यह पैसा किन जगहों पर खर्च किया जाना है. पिछले साल बजट 2020 में सरकार ने हवा को शुद्ध करने के लिए 4400 करोड़ रुपये दिए थे. इसके लिए 42 प्रमुख प्रदूषित शहरों पर यह पैसा खर्च होना था. हालांकि वह पैसा कैसे-कहां खर्च हुआ और उसका क्‍या परिणाम रहा यह तो स्‍टेटस रिपोर्ट आने के बाद ही कहा जाएगा लेकिन इस मद में इस साल भी इसमें 2267 करोड़ रुपये बढ़ाया गया है तो यह राहत की बात है.

कोरोना महामारी और इस दौरान प्रदूषण एक बड़ी समस्‍या रहा है. इस दौरान बस ट्रांसपोर्ट सेवा पर भी बड़ा खराब प्रभाव पड़ा था और हम लोगों की मांग भी थी जिस पर इस बजट में ध्‍यान दिया गया है बसों के लिए करीब 1800
न्‍यूज 18 हिंदी से बातचीत में अनुमिता राय चौधरी ने कहा कि बजट काफी ठीक है लेकिन असली मसला उसके उपयोग को लेकर है. यह पैसा किन जगहों पर खर्च किया जाना है. पिछले साल बजट 2020 में सरकार ने हवा को शुद्ध करने के लिए 4400 करोड़ रुपये दिए थे. इसके लिए 42 प्रमुख प्रदूषित शहरों पर यह पैसा खर्च होना था. हालांकि वह पैसा कैसे-कहां खर्च हुआ और उसका क्‍या परिणाम रहा यह तो स्‍टेटस रिपोर्ट आने के बाद ही कहा जाएगा लेकिन इस मद में इस साल भी इसमें 2267 करोड़ रुपये बढ़ाया गया है तो यह राहत की बात है.

कोरोना महामारी और इस दौरान प्रदूषण एक बड़ी समस्‍या रहा है. इस दौरान बस ट्रांसपोर्ट सेवा पर भी बड़ा खराब प्रभाव पड़ा था और हम लोगों की मांग भी थी जिस पर इस बजट में ध्‍यान दिया गया है बसों के लिए    करीब1800 करोड़ रुपये के पैकेज की बात कही गई है तो इससे पब्लिक ट्रांसपोर्ट में भी सुधार होगा. वहीं 15 साल पुराने सार्वजनिक और 20 साल पुराने निजी वाहनों की फिटनेस की जांच और स्‍क्रेपिंग से फायदा होगा.|

वरासत अभियान में लापरवाही बरतने पर लेखपाल व राजस्व निरीक्षक को चेतावनी जारी

डीएम मार्कण्डेय शाही ने सोमवार को वरासत अभियान की हकीकत देखने के लिए तहसील सदर अन्तर्गत ग्राम पंचायत महादेवा में औचक निरीक्षण किया। वहां पर डीएम ने लेखपाल व राजस्व निरीक्षक द्वारा वरासत एवं खतौनी सम्बन्धी कार्य संतोषजनक ढंग से न किए जाने पर चेतावनी जारी करते हुए चाौबीस घन्टे के अन्दर वरासत एवं खतौनी सम्बन्धित सभी मामलों का निस्तारण कराकर रिपोर्ट देने के आदेश एसडीएम सदर को दिए हैं।

     डीएम श्री शाही ने महादेवा प्राथमिक विद्यालय में लेखपाल द्वारा किए जा रहे वाचन कार्य का निरीक्षण किया। इसी दरम्यान शिकायतकर्ता सूर्यप्रकाश द्वारा जिलाधिकारी को बताया गया कि उसकी एक खतौनी में त्रुटिवश नाम सूर्य प्र्रसाद दर्ज हो गया, जिसे ठीक कराने के लिए उसके द्वारा कई बार प्रार्थनापत्र दिया गया परन्तु लेखपाल व राजस्व निरीक्षक द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। इससे नाराज डीएम ने वरासत अभियान में लापरवाही बरतने पर लेखपाल कपिलदेव तथा राजस्व निरीक्षक अशोक कुमार शुक्ल को चेतावनी जारी करते हुए चाौबीस घन्टे में प्रकरण का निस्तारण न हो जाने पर निलम्बन की चेतावनी दी है।
निरीक्षण के दौरान लेखपाल तथा राजस्व निरीक्षक द्वारा ग्राम पंचायत में अवस्थित 44 गाटों के तालाबों का पट्टा न किए जाने की शिकायत की गई। इस पर डीएम ने मौके पर मौजूद एसडीएम को  निर्देश दिए कि वे अभियान चलाकर ग्राम पंचायत के सभी गाटों का सर्वे करा लें तथा गाटावार उसकी नवइयत की रिपोर्ट देर शाम तक उन्हें उपलब्ध कराएं तथा तालाबों की नीलामी की प्रक्रिया तत्काल आगे बढ़ाएं।
जिलाधिकारी ने कहा कि मा0 मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार बिना किसी विवाद उत्तराधिकार को खतौनियों में दर्ज करने तथा जमीन को लेकर होने वाले झगड़ों व इससे जुड़े अपराध को खत्म करने के लिए के लिए सभी ग्राम सभाओं में वरासत अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत जिले की सभी राजस्व गांवों में कई सालों से अटके हुए वरासत के मामलों का निस्तारण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस अभियान में रूचि न लेने वाले राजस्व अधिकारियों-कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने बताया कि सभी उपजिलिाधिकारियों, तहसीलदारों, राजस्व निरीक्षकों तथा लेखपालों से इस आशय का प्रमाणपत्र लिया जा रहा है कि उनकी तहसील अथवा राजस्व गांव में निर्विवाद वरासत का कोई भी प्रकरण लम्बित  नहीं है।
    निरीक्षण के दौरान एसडीएम सदर कुलदीप सिंह, परिवीक्षाधीन एसडीएम शत्रुघ्न पाठक, नायब तहसीलदार शिवदयाल तिवारी, राजस्व निरीक्षक, लेखपाल तथा ग्रामवासी उपस्थित रहे।

चेहराकला प्रखण्ड में राशनकार्ड से वंचित लोगो के लिए आवेदन लेने का शुरु हुआ प्रक्रिया

चेहराकलां(वैशाली) संवाद सूत्र, दैनिक अयोध्या टाइम्स।वैशाली जिले के चेहराकला प्रखंड अन्तर्गत विभिन्न पंचायतों के राशनकार्ड से वंचित लोग के लिए आरटीपीएस काउन्टर पर आवेदन पत्र जमा करने की दिन निर्धारित हुई है.  प्रखंड विकास पदाधिकारी कुमुद रंजन के पत्रांक 76 के तहत पंचायत वार दिन निर्धारित किया गया है. सोमवार को विशुनपुर अड़रा व चेहराकलां, मंगलवार को मंसूरपुर हलैया व अबाबकरपुर, बुधवार को मथना मिलिक व खाजेचांद छपड़ा, गुरुवार को अख्तियारपुर सेहान व शाहपुर खुर्द, शुक्रवार को करहटिया बुजुर्ग व रुसुलपुर फतह शनिवार को छौराही व बस्ती सरसिकन पंचायतों के राशनकार्ड से वंचित लोग चेहराकलां आर टी पी एस काउन्टर पर अपना अपना राशनकार्ड के लिए आवेदन पत्र जमा लिया जाएगा.

देश बेचने वाला है यह बजट चुनिंदा लोगों को होगा फायदा : रवि यादव

बिदुपुर (वैशाली) संवाद सूत्र, दैनिक अयोध्या टाईम्स,

केंद्र सरकार द्वारा लाया गया बजट पर राघोपुर प्रखंड में लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। कुछ लोगों ने इसे आम जनमानस के लिए फायदे तो कुछ लोगों ने छलावा करार दिया है। भाजपा नेता गौतम सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार के इस बजट से नए रोजगार का सृजन होगा। किसान का आय बढ़ाने वाला महिला सशक्तिकरण पर इस बजट में विशेष फोकस किया गया है। आजाद भारत का सबसे अभूतपूर्व बजट है। वही लघु उद्योग प्रकोष्ठ के जिला संयोजक शिव शंकर यादव ने कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा लाया गया यह बजट काफी सराहनीय है। यह बजट से देश के किसान युवा बिजनेसमैन के लिए काफी लाभकारी साबित होगा। बजट में बुजुर्ग को रिटर्न दाखिल करने में छूट दी गई है। इस बजट के लिए देश के प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री धन्यवाद के पात्र हैं। वही युवा राजद के प्रदेश महासचिव ऋषि यादव ने कहा कि इस बजट में सरकार रेल बैंक बीमा रक्षा सब कुछ बेचने जा रही है। आज का दिन इतिहास के पन्नों में काला दिन के रूप में याद किया जाएगा। देश के किसान मध्यम वर्ग एवं युवाओं के लिए यह बजट छलावा साबित होगा। युवा राजद के प्रखंड अध्यक्ष जितेंद्र कुमार ने कहा कि यह बजट केंद्र सरकार के कुछ चुनिंदा पूंजी पतियों को फायदा पहुंचाने वाली है। यह बजट में देश के युवा किसान मजदूर पिछड़े वर्ग के साथ नाइंसाफी की गई है। राजद तकनीकी प्रकोष्ठ के प्रखंड अध्यक्ष राजाराम राय ने कहा कि यह बजट से खासकर आम लोग किसान मजदूर को काफी नुकसान होगा। देश के कुछ बिजनेसमैन एवं सरकार के चहेते लोगों को ध्यान में रखकर यह बजट लाया गया है। जन अधिकार पार्टी के प्रखंड अध्यक्ष रवि यादव ने कहा कि केंद्र सरकार सिर्फ पूंजीपतियों के लिए यह बजट लाई है। इस बजट से किसान मजदूर युवा को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है। केंद्र सरकार देश के सभी सरकारी संस्थानों को निजीकरण करने में लगी हुई है।

इंटर का परीक्षा देने जा रहे छात्र और उसके पिता को ट्रक ने कुचला

बिदुपुर (वैशाली) संवाद सूत्र दैनिक अयोध्या टाईम्स

 सहदेई बुजुर्ग ओपी क्षेत्र के अंतर्गत एनएच 322 अंधरावर चौक के निकट सोमवार की सुबह तेज रफ्तार ट्रक ने इंटर की परीक्षा दिलाने जा रहे मोटरसाइकिल सवार पिता-पुत्र एवं भतीजा को रौंद दिया।जिससे पिता-पुत्र की मौत घटनास्थल पर ही हो गई जबकि एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया।

घटना के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार शनिवार की सुबह एनएच 322 अंधरावर चौक के निकट ट्रक की ठोकर से मोटरसाइकिल सवार जंदाहा थाना के कालापहाड़ गांव निवासी मनोज सिंह एवं मनोज सिंह के पुत्र शिवम कुमार की मौत घटनास्थल पर ही हो गई।जबकि मनोज सिंह का भतीजा सौरव कुमार गंभीर रूप से जख्मी हो गया।

घटना के संबंध में बताया गया कि सोमवार की सुबह मनोज सिंह अपने पुत्र शिवम कुमार को लेकर इंटर की परीक्षा दिलवाने राम विदेशी सिंह कॉलेज लालगंज जा रहे थे।इसी दौरान वह अंधरावर चौक के थोड़ा आगे गिट्टी बालू के दुकान के निकट खड़ी होकर अपने भतीजा का इंतजार करने लगे।जिस वक्त भतीजा वहां पहुंचा उसी दौरान एक तेज रफ्तार ट्रक ने तीनों को सड़क पर रौंदते हुए मौके से भाग निकला।घटनास्थल पर ही मनोज कुमार सिंह एवं उनके पुत्र शिवम कुमार की मौत हो गई।जबकि सौरभ कुमार गंभीर रूप से जख्मी हो गया।उसे इलाज के लिए आनन-फानन में हाजीपुर सदर अस्पताल ले जाया गया।जहां उसकी स्थिति चिंताजनक बताई जा रही है।घटना की सूचना मिलने के बाद सहदेई बुजुर्ग ओपी की पुलिस मौके पर पहुंची।इसके अलावा मौके पर जंदाहा एवं देसरी थाना की पुलिस भी पहुंची।बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी घटनास्थल पर जमा हो गए।बीच सड़क पर पड़ा रहने एवं लोगों की भीड़ के कारण लगभग चार घंटे तक एनएच 322 पर यातायात पूरी तरह बाधित रहा।वहीं घटना की सूचना पर परिजन भी मौके पर पहुंचे।परिजनों की चीत्कार से पूरा वातावरण गमगीन हो रहा था। घटना के बाद मौके पर पहुंचे परिजन शव को अपने साथ घर ले गए।उन्होंने पुलिस से कहा कि घर जाने के बाद ही वह शव को पोस्टमार्टम हेतु सौंपेंगे।जिसके बाद पुलिस ने उन्हें शव को घर ले जाने की इजाजत दे दी।मिली जानकारी के अनुसार मनोज सिंह बीएसएनएल में कार्यरत थे।वर्तमान में वह गुरु चौक स्थित बीएसएनएल के एक कार्यालय में काम कर रहे थे।शिवम कुमार उनका इकलौता पुत्र था।मनोज सिंह को केवल एक पुत्र जिसकी मौत उनके साथ हो गए और अब केवल एक छोटी पुत्री रानी कुमारी है।

बखरी दोआ में एक बोलेरो गाड़ी अनियंत्रित होकर पलटा,सवारी सीसे तोड़ भागा मामला संदिग्ध

चेहराकला(वैशाली)संवाद सूत्र,दैनिक अयोध्या टाइम्स।वैशाली जिले के कटहरा थाना क्षेत्र के बखरी दोआ मोकररी कोठी के सामने संध्या लगभग 5 बजे उस समय अफरा तरफी मच गया जैसे मनो फिल्म की शूटिंग हो रहा हो प्रत्यक्षदर्शी का कहना है कि एक बोलेरो गाड़ी बहुत ही तेज गति से आया और एक पुलिया को तड़पाते हुए 20 फिट लम्बाई की दूरी पर छलाँग मारकर तीन पलटा मारा गलिमत रहा कि उस बोलेरो में सवार लगभग पॉंच की संख्या में सवार था उसको कुछ नही हुआ जैसे ही गाड़ी स्थिर हुआ सभी सवारी ने बोलेरो के आगे के सीसे को तोड़कर  निकल कर भागने लगा  और भाग भी गया । ऐसा लग रहा था की सभी सवारी शराब पिये हुए है,  बोलेरो गाड़ी समाचार लिखे जाने तक गेहूं के खेत मे पलटा हुआ था घटना के कुछ देर के बाद ही स्थानीय चौकीदार ललित कुमार, नितेश कुमार आ गए थे ।गाड़ी नम्वर BR 31PA 2846 है स्थानीय चौकिदार  बोलेरो के इर्दगिर्द घूम घूम कर घटना कैसे हुई उसकी  जानकारी ले रहे थे।